< Hesekiel 12 >
1 Und das Wort des HERRN erging an mich also:
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
2 Menschensohn, du wohnst inmitten eines widerspenstigen Hauses, welches Augen hat zum Sehen und doch nicht sieht, Ohren zum Hören und doch nicht hört; denn sie sind ein widerspenstiges Haus.
कि ऐ आदमज़ाद, तू एक बाग़ी घराने के बीच रहता है, जिनकी आँखें हैं कि देखें पर वह नहीं देखते, और उनके कान हैं कि सुनें पर वह नहीं सुनते; क्यूँकि वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
3 Darum, du Menschensohn, mache dir Wandergeräte und ziehe bei Tage vor ihren Augen aus. Vor ihren Augen sollst du von deinem Wohnort an einen anderen Ort ziehen; vielleicht werden sie es bemerken, denn sie sind ein widerspenstiges Haus.
इसलिए ऐ आदमज़ाद, सफ़र का सामान तैयार कर और दिन को उनके देखते हुए अपने मकान से रवाना हो, तू उनके सामने अपने मकान से दूसरे मकान को जा; मुम्किन है कि वह सोचें, अगरचे वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
4 Du sollst dein Geräte wie Wandergeräte bei Tage vor ihren Augen heraustragen; du aber sollst des Abends vor ihren Augen hinausziehen, wie man auszieht, wenn man auswandern will.
और तू दिन को उनकी आँखों के सामने अपना सामान बाहर निकाल, जिस तरह नक़्ल — ए — मकान के लिए सामान निकालते हैं और शाम को उनके सामने उनकी तरह जो ग़ुलाम होकर निकल जाते हैं निकल जा।
5 Du sollst vor ihren Augen die Wand durchbrechen und dein Geräte dadurch hinaustragen.
उनकी आँखों के सामने दीवार में सूराख़ कर और उस रास्ते से सामान निकाल।
6 Du sollst es vor ihren Augen auf die Schulter nehmen und es in der Finsternis hinaustragen. Verhülle aber dein Angesicht, daß du das Land nicht sehest; denn ich habe dich zum Zeichen gemacht für das Haus Israel.
उनकी आँखों के सामने तू उसे अपने कान्धे पर उठा, और अन्धेरे में उसे निकाल ले जा, तू अपना चेहरा छिपा ताकि ज़मीन को न देख सके; क्यूँकि मैंने तुझे बनी — इस्राईल के लिए एक निशान मुक़र्रर किया है।
7 Da tat ich so, wie mir befohlen war; mein Gerät brachte ich wie Wandergeräte bei Tag hinaus; und am Abend durchbrach ich mit der Hand die Wand; da es aber finster ward, nahm ich es auf meine Schulter und trug es vor ihren Augen hinaus.
चुनाँचे जैसा मुझे हुक्म हुआ था वैसा ही मैंने किया। मैंने दिन को अपना सामान निकाला, जैसे नक़्ल — ए — मकान के लिए निकालते हैं; और शाम को मैंने अपने हाथ से दीवार में सूराख किया, मैंने अन्धेरे में उसे निकाला और उनके देखते हुए काँधे पर उठा लिया।
8 Aber am Morgen früh erging das Wort des HERRN an mich also:
और सुबह को ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
9 Menschensohn, hat nicht das widerspenstige Haus Israel zu dir gesagt:
कि ऐ आदमज़ाद, क्या बनी इस्राईल ने जो बाग़ी ख़ान्दान हैं, तुझ से नहीं पूछा, 'तू क्या करता है?
10 «Was tust du da?» Sage zu ihnen: So spricht Gott, der HERR: diese Weissagung gilt Jerusalem und dem ganzen Hause Israel, welches darin ist.
उनको जवाब दे, कि 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि येरूशलेम के हाकिम और तमाम बनी — इस्राईल के लिए जो उसमें हैं, यह बार — ए — नबुव्वत है।
11 Sage: Ich bin für euch ein Wahrzeichen! Wie ich getan habe, so soll es ihnen gehen! In die Verbannung, in die Gefangenschaft müssen sie wandern!
उनसे कह दे, कि 'मैं तुम्हारे लिए निशान हूँ: जैसा मैंने किया, वैसा ही उनसे सुलूक किया जाएगा। वह जिलावतन होंगे और ग़ुलामी में जाएँगे।
12 Und der Fürst, der in ihrer Mitte ist, wird seine Schulter beladen und sich im Finstern davonmachen. Man wird durch die Mauer brechen, um ihn da hinauszuführen; er wird sein Angesicht verhüllen, daß er mit seinen Augen das Land nicht ansehen müsse.
और जो उनमें हाकिम हैं, वह शाम को अन्धेरे में उठ कर अपने काँधे पर सामान उठाए हुए निकल जाएगा। वह दीवार में सूराख़ करेंगे कि उस रास्ते से निकाल ले जाएँ। वह अपना चेहरा छिपाएगा, क्यूँकि अपनी आँखों से ज़मीन को न देखेगा।
13 Ich will auch mein Garn über ihn ausspannen, und er wird in meinem Netz gefangen werden; und ich will ihn gen Babel führen, in das Land der Chaldäer; aber er wird es nicht sehen und soll daselbst sterben.
और मैं अपना जाल उस पर बिछाऊँगा और वह मेरे फन्दे में फंस जाएगा। और मैं उसे कसदियों के मुल्क में बाबुल में पहुचाऊँगा, लेकिन वह उसे न देखेगा, अगरचे वहीं मरेगा।
14 Und alles, was um ihn her ist, seine Helfer und seine Truppen, will ich in alle Winde zerstreuen und das Schwert hinter ihnen zücken.
और मैं उसके आस पास के सब हिमायत करने वालों और उसके सब ग़ोलों की तमाम अतराफ़ में तितर बितर करूँगा, और मैं तलवार खींच कर उनका पीछा करूँगा।
15 Dann werden sie erkennen, daß ich der HERR bin, wenn ich sie unter die Heiden zerstreut und in die Länder verjagt habe.
और जब मैं उनकी क़ौम में तितर बितर और मुल्कों में तितर — बितर करूँगा, तब वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
16 Und ich will von ihnen einige Männer übriglassen vom Schwerte, vom Hunger und von der Pest, damit sie unter den Heiden, unter welche sie kommen, alle ihre Greuel erzählen und erfahren, daß ich der HERR bin.
लेकिन मैं उनमें से कुछ को तलवार और काल से और वबा से बचा रख्खूँगा, ताकि वह क़ौमों के बीच जहाँ कहीं जाएँ अपने तमाम नफ़रती कामों को बयान करें, और वह मा'लूम करेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
17 Und das Wort des HERRN erging an mich also:
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
18 Menschensohn, du sollst dein Brot mit Zittern essen und dein Wasser mit Furcht und Sorgen trinken;
कि 'ऐआदमज़ाद! तू थरथराते हुए रोटी खा, और काँपते हुए फ़िक्रमन्दी से पानी पी।
19 und du sollst zu dem Volke des Landes sagen: So spricht Gott, der HERR, zu den Einwohnern Jerusalems, zum Land Israel. Sie müssen ihr Brot mit Sorgen essen und ihr Wasser mit Entsetzen trinken, weil ihr Land von aller seiner Fülle entsetzlich verödet wird, wegen des Frevels aller derer, die darin wohnen.
और इस मुल्क के लोगों से कह कि ख़ुदावन्द ख़ुदा येरूशलेम और मुल्क — ए — इस्राईल के बाशिन्दों के हक़ में यूँ फ़रमाता है: कि वह फ़िक्रमन्दी से रोटी खाएँगे और परेशानी से पानी पिएँगे, ताकि उसके बाशिन्दों की सितमगरी की वजह से मुल्क अपनी मा'मूरी से ख़ाली हो जाए।
20 Die bewohnten Städte sollen wüste und das Land öde werden, damit ihr erfahret, daß ich der HERR bin!
और वह बस्तियाँ जो आबाद हैं उजाड़ हो जायेंगी और मुल्क वीरान होगा और तुम जानोगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।
21 Und das Wort des HERRN erging an mich also:
फिर ख़ुदा वन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
22 Menschensohn, was ist das für ein Sprichwort, welches ihr im Lande Israel brauchet, indem ihr sprecht: Die Tage ziehen sich hinaus, und es wird nichts aus allen Gesichten!
कि ऐ आदमज़ाद! मुल्क — ए — इस्राईल में यह क्या मिसाल जारी है, कि 'वक़्त गुज़रता जाता है, और किसी ख़्वाब का कुछ अन्जाम नहीं होता'?
23 Darum sprich zu ihnen: So spricht Gott, der HERR: Ich will diesem Sprichwort ein Ende machen, daß man es in Israel nicht mehr brauchen soll! Du aber sprich zu ihnen: Die Tage sind nahe, und jedes Wort der Weissagung trifft ein!
इसलिए उनसे कह दे, कि 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मैं इस मिसाल को ख़त्म करूँगा और फिर इसे इस्राईल में इस्ते'माल न करेंगे। बल्कि तू उनसे कह, वक़्त आ गया है और हर ख़्वाब का अन्जाम क़रीब है।
24 Denn es soll hinfort kein lügenhaftes Gesicht und keine schmeichelhafte Wahrsagung mehr geben inmitten des Hauses Israel!
क्यूँकि आगे को बनी इस्राईल के बीच बेमतलब के ख़्वाब और ख़ुशामद की ग़ैबदानी न होगी।
25 Denn ich, der HERR, rede; was ich sage, das soll geschehen und nicht weiter verzögert werden. Ja, ich will zu euren Zeiten, du widerspenstiges Haus, ein Wort reden und es vollbringen, spricht Gott, der HERR.
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द हूँ मैं कलाम करूँगा और मेरा कलाम ज़रूर पूरा होगा उसके पूरा होने में देर न होगी बल्कि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि ऐ बाग़ी ख़ान्दान मैं तुम्हारे दिनों में कलाम करके उसे पूरा करूँगा।
26 Weiter erging des HERRN Wort an mich also:
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
27 Menschensohn, siehe, das Haus Israel spricht also: «Das Gesicht, welches er gesehen hat, erfüllt sich noch lange nicht, und er weissagt von fernen Zeiten!»
कि 'ऐ आदमज़ाद देख बनी इस्राईल कहते हैं कि जो ख़्वाब उसने देखा है बहुत ज़मानों में ज़ाहिर होगा और वह उन दिनों की ख़बर देता है जो बहुत दूर हैं।
28 Darum sage zu ihnen: Also spricht Gott, der HERR: Keines meiner Worte soll mehr verzögert werden; das Wort, welches ich gesprochen habe, soll geschehen, spricht Gott, der HERR.
इसलिए उनसे कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँफ़रमाता है: कि आगे की मेरी किसी बात को पूरा होने में देर न होगी, बल्कि ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, कि जो बात मैं कहूँगा पूरी हो जाएगी।