< 2 Mose 36 >
1 Da arbeiteten Bezaleel und Oholiab und alle Männer, die weisen Herzens waren, denen der HERR Weisheit und Verstand gegeben hatte, zu wissen, wie sie allerlei Werke machen sollten zum Dienste des Heiligtums, nach allem dem, was der HERR geboten hatte.
१“बसलेल और ओहोलीआब और सब बुद्धिमान जिनको यहोवा ने ऐसी बुद्धि और समझ दी हो, कि वे यहोवा की सारी आज्ञाओं के अनुसार पवित्रस्थान की सेवकाई के लिये सब प्रकार का काम करना जानें, वे सब यह काम करें।”
2 Und Mose rief Bezaleel und Oholiab und alle Männer, die weisen Herzens waren, denen der HERR Weisheit ins Herz gegeben hatte, auch alle, die ihr Herz dazu trieb, daß sie hinzutraten, um an dem Werke zu arbeiten.
२तब मूसा ने बसलेल और ओहोलीआब और सब बुद्धिमानों को जिनके हृदय में यहोवा ने बुद्धि का प्रकाश दिया था, अर्थात् जिस-जिसको पास आकर काम करने का उत्साह हुआ था उन सभी को बुलवाया।
3 Und sie empfingen von Mose alle Gaben, welche die Kinder Israel brachten zu dem Werke des Dienstes am Heiligtum, daß es gemacht werde; und sie brachten immer noch alle Morgen ihre freiwilligen Gaben.
३और इस्राएली जो-जो भेंट पवित्रस्थान की सेवकाई के काम और उसके बनाने के लिये ले आए थे, उन्हें उन पुरुषों ने मूसा के हाथ से ले लिया। तब भी लोग प्रति भोर को उसके पास भेंट अपनी इच्छा से लाते रहे;
4 Da kamen alle Weisen, die am Werke des Heiligtums arbeiteten, ein jeder von seiner Arbeit, die sie machten,
४और जितने बुद्धिमान पवित्रस्थान का काम करते थे वे सब अपना-अपना काम छोड़कर मूसा के पास आए,
5 und redeten mit Mose und sprachen: Das Volk bringt zu viel, mehr als zum Werke dieses Dienstes notwendig ist, das der HERR zu machen geboten hat!
५और कहने लगे, “जिस काम के करने की आज्ञा यहोवा ने दी है उसके लिये जितना चाहिये उससे अधिक वे ले आए हैं।”
6 Da gebot Mose, daß man durch das Lager ausrufen und sagen ließe: Niemand, es sei Mann oder Weib, soll mehr etwas anfertigen zur Abgabe an das Heiligtum! Also ward dem Volke gewehrt zu bringen;
६तब मूसा ने सारी छावनी में इस आज्ञा का प्रचार करवाया, “क्या पुरुष, क्या स्त्री, कोई पवित्रस्थान के लिये और भेंट न लाए।” इस प्रकार लोग और भेंट लाने से रोके गए।
7 denn des Stoffes war genug und noch übrig zu allerlei Werk, das zu machen war.
७क्योंकि सब काम बनाने के लिये जितना सामान आवश्यक था उतना वरन् उससे अधिक बनानेवालों के पास आ चुका था।
8 So machten nun alle Männer, die weisen Herzens waren unter den Arbeitern am Werke, die Wohnung, zehn Teppiche von gezwirnter weißer Baumwolle, aus Stoffen von blauem und rotem Purpur und Karmesinfarbe, mit Cherubim künstlich durchwirkt!
८और काम करनेवाले जितने बुद्धिमान थे उन्होंने निवास के लिये बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के, और नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े के दस परदों को काढ़े हुए करूबों सहित बनाया।
9 Die Länge eines Teppichs war achtundzwanzig Ellen und seine Breite vier Ellen, und sie hatten alle einerlei Maß.
९एक-एक पर्दे की लम्बाई अट्ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हुई; सब पर्दे एक ही नाप के बने।
10 Und er heftete je fünf Teppiche zusammen, einen an den andern.
१०उसने पाँच पर्दे एक दूसरे से जोड़ दिए, और फिर दूसरे पाँच पर्दे भी एक दूसरे से जोड़ दिए।
11 Und er machte Schleifen von blauem Purpur am Ende der beiden Teppiche, am Ende, da sie zusammengefügt wurden.
११और जहाँ ये पर्दे जोड़े गए वहाँ की दोनों छोरों पर उसने नीले-नीले फंदे लगाए।
12 Fünfzig Schleifen machte er an jedem Teppich, damit eine die andere faßte.
१२उसने दोनों छोरों में पचास-पचास फंदे इस प्रकार लगाए कि वे एक दूसरे के सामने थे।
13 Und er machte fünfzig goldene Haften und fügte die Teppiche mit den Haften zusammen, einen an den andern, so daß die Wohnung ein Ganzes wurde.
१३और उसने सोने की पचास अंकड़े बनाए, और उनके द्वारा परदों को एक दूसरे से ऐसा जोड़ा कि निवास मिलकर एक हो गया।
14 Und er machte elf Teppiche von Ziegenhaaren zum Zelte über die Wohnung.
१४फिर निवास के ऊपर के तम्बू के लिये उसने बकरी के बाल के ग्यारह पर्दे बनाए।
15 Dreißig Ellen lang und vier Ellen breit war jeder Teppich, alle elf nach einem Maß;
१५एक-एक पर्दे की लम्बाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हुई; और ग्यारहों पर्दे एक ही नाप के थे।
16 und er fügte fünf besonders zusammen und sechs besonders,
१६इनमें से उसने पाँच पर्दे अलग और छः पर्दे अलग जोड़ दिए।
17 und machte je fünfzig Schleifen am Ende eines jeden Teppichs, damit sie zusammengeheftet würden.
१७और जहाँ दोनों जोड़े गए वहाँ की छोरों में उसने पचास-पचास फंदे लगाए।
18 Dazu machte er fünfzig eherne Haften, damit die Decke zu einem Ganzen zusammengefügt würde.
१८और उसने तम्बू के जोड़ने के लिये पीतल की पचास अंकड़े भी बनाए जिससे वह एक हो जाए।
19 Und machte über die Hütte eine Decke von rötlichen Widderfellen und darüber noch eine Decke von Seehundsfellen.
१९और उसने तम्बू के लिये लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालों का एक ओढ़ना और उसके ऊपर के लिये सुइसों की खालों का एक ओढ़ना बनाया।
20 Er machte auch Bretter zu der Wohnung von Akazienholz, aufrechtstehend.
२०फिर उसने निवास के लिये बबूल की लकड़ी के तख्तों को खड़े रहने के लिये बनाया।
21 Zehn Ellen lang und anderthalb Ellen breit war ein jedes;
२१एक-एक तख्ते की लम्बाई दस हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ की हुई।
22 und an jedem zwei Zapfen, einer dem andern gegenüberstehend; also tat er mit allen Brettern zu der Wohnung.
२२एक-एक तख्ते में एक दूसरी से जोड़ी हुई दो-दो चूलें बनीं, निवास के सब तख्तों के लिये उसने इसी भाँति बनाया।
23 Er machte aber die Bretter zur Wohnung also, daß zwanzig derselben auf der Seite gegen Mittag standen;
२३और उसने निवास के लिये तख्तों को इस रीति से बनाया कि दक्षिण की ओर बीस तख्ते लगे।
24 und machte vierzig silberne Füße unter die zwanzig Bretter, unter ein jedes Brett zwei Füße für die beiden Zapfen.
२४और इन बीसों तख्तो के नीचे चाँदी की चालीस कुर्सियाँ, अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे उसकी दो चूलों के लिये उसने दो कुर्सियाँ बनाईं।
25 Desgleichen zur andern Seite der Wohnung, gegen Mitternacht, machte er auch zwanzig Bretter
२५और निवास की दूसरी ओर, अर्थात् उत्तर की ओर के लिये भी उसने बीस तख्ते बनाए।
26 und vierzig silberne Füße, unter ein jedes Brett zwei Füße.
२६और इनके लिये भी उसने चाँदी की चालीस कुर्सियाँ, अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे दो-दो कुर्सियाँ बनाईं।
27 Aber hinten an der Wohnung, gegen Abend, machte er sechs Bretter,
२७और निवास की पिछली ओर, अर्थात् पश्चिम ओर के लिये उसने छः तख्ते बनाए।
28 und zwei andere hinten an den beiden Ecken der Wohnung.
२८और पिछले भाग में निवास के कोनों के लिये उसने दो तख्ते बनाए।
29 Diese waren also doppelt von unten auf, und oben zusammengefügt mit einem Ringe: Also machte er sie beide, an beiden Ecken,
२९और वे नीचे से दो-दो भाग के बने, और दोनों भाग ऊपर के सिरे तक एक-एक कड़े में मिलाए गए; उसने उन दोनों तख्तों का आकार ऐसा ही बनाया।
30 so daß acht Bretter wurden und sechzehn silberne Füße, unter jedem Brett zwei Füße.
३०इस प्रकार आठ तख्ते हुए, और उनकी चाँदी की सोलह कुर्सियाँ हुईं, अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे दो-दो कुर्सियाँ हुईं।
31 Und er machte Riegel von Akazienholz, fünf zu den Brettern auf einer Seite der Wohnung,
३१फिर उसने बबूल की लकड़ी के बेंड़े बनाए, अर्थात् निवास की एक ओर के तख्तों के लिये पाँच बेंड़े,
32 und fünf auf der andern Seite derselben, und fünf hinten, gegen Abend.
३२और निवास की दूसरी ओर के तख्तों के लिये पाँच बेंड़े, और निवास का जो किनारा पश्चिम की ओर पिछले भाग में था उसके लिये भी पाँच बेंड़े, बनाए।
33 Und machte den Mittelriegel, daß er inwendig durch die Bretter hindurchging von einem Ende zum andern,
३३और उसने बीचवाले बेंड़े को तख्तों के मध्य में तम्बू के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचने के लिये बनाया।
34 und er überzog die Bretter mit Gold; auch die Ringe für die Riegel machte er von Gold, und er überzog die Riegel mit Gold.
३४और तख्तों को उसने सोने से मढ़ा, और बेंड़ों के घर को काम देनेवाले कड़ों को सोने के बनाया, और बेंड़ों को भी सोने से मढ़ा।
35 Und machte den Vorhang aus Stoffen von blauem und rotem Purpur und Karmesinfarbe und gezwirnter weißer Baumwolle, und machte Cherubim daran, künstlich gewirkt.
३५फिर उसने नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े का, और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े का बीचवाला परदा बनाया; वह कढ़ाई के काम किए हुए करूबों के साथ बना।
36 Und machte zu denselben vier Säulen von Akazienholz und überzog sie mit Gold, und machte ihre Haken von Gold, und goß dazu vier silberne Füße.
३६और उसने उसके लिये बबूल के चार खम्भे बनाए, और उनको सोने से मढ़ा; उनकी घुंडियाँ सोने की बनीं, और उसने उनके लिये चाँदी की चार कुर्सियाँ ढालीं।
37 Und machte einen Vorhang für die Tür der Hütte aus Stoffen von blauem und rotem Purpur und Karmesinfarbe und von gezwirnter weißer Baumwolle, in Buntwirkerarbeit,
३७उसने तम्बू के द्वार के लिये भी नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े का, और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का कढ़ाई का काम किया हुआ परदा बनाया।
38 und fünf Säulen dazu mit ihren Haken, und überzog ihre Köpfe und ihre Querstangen mit Gold, und machte fünf eherne Füße dazu.
३८और उसने घुंडियों समेत उसके पाँच खम्भे भी बनाए, और उनके सिरों और जोड़ने की छड़ों को सोने से मढ़ा, और उनकी पाँच कुर्सियाँ पीतल की बनाईं।