< 2 Mose 21 >
1 Das sind die Rechte, die du ihnen vorlegen sollst:
“ये और जो नियम, तुम्हें उनको बताने हैं वे ये है:
2 So du einen hebräischen Knecht kaufst, soll er sechs Jahre lang dienen, und im siebenten soll er unentgeltlich freigelassen werden.
“यदि तुम दास के लिए किसी इब्री को खरीदो तब वह छः वर्ष तक सेवा करे; और सातवें वर्ष वह दाम बिना चुकाए भी जा सकता है.
3 Ist er allein gekommen, so soll er auch allein entlassen werden; ist er aber verehelicht gekommen, so soll sein Weib mit ihm ausgehen.
यदि वह अकेला ही आया हो, तो अकेला ही जाये. यदि वह किसी स्त्री का पति है, तो उसकी पत्नी भी उसी के साथ लौट जाएगी.
4 Hat ihm aber sein Herr ein Weib gegeben, und diese hat ihm Söhne oder Töchter geboren, so soll das Weib samt ihren Kindern seinem Herrn gehören; er aber soll allein entlassen werden.
यदि उस दास की पत्नी होने के लिए स्त्री को मालिक ने भेजा हो और उस स्त्री के पुत्र-पुत्रियां पैदा हो गई हों, तो दास अकेला ही जाये किंतु उसकी पत्नी एवं संतान मालिक के ही रहेंगे.
5 Spricht aber der Knecht: Ich habe meinen Herrn, mein Weib und meine Kinder lieb,
“यदि वह दास कहे कि मुझे तो, मेरे मालिक, मेरी पत्नी एवं मेरी संतान प्रिय हैं; मैं जाना नहीं चाहता, तो
6 ich will nicht freigelassen werden, so bringe ihn sein Herr vor Gott und stelle ihn an die Tür oder den Pfosten und durchbohre ihm seine Ohren mit einem Pfriem, daß er ihm diene ewiglich.
उसका मालिक उसे लेकर परमेश्वर के पास आए, और उस दास को दरवाजे के पास ले जाये और उसका मालिक उसके कान को सुई से छेद दे. इसके बाद वह दास उस मालिक का सेवक हो जाएगा.
7 Verkauft jemand seine Tochter als Magd, so soll sie nicht wie die Knechte freigelassen werden.
“यदि कोई व्यक्ति अपनी पुत्री को दासी होने के लिए देता है, तो उसे दासी के समान न छोड़े.
8 Mißfällt sie ihrem Herrn, also daß er sie nicht heiratet, so lasse er sie loskaufen; aber unter ein fremdes Volk sie zu verkaufen hat er keine Macht, wenn er ihr untreu wird.
यदि उसका मालिक, जिसने उसे खरीदा है, उससे प्रसन्न नहीं है, तो मालिक उसे दाम देकर छोड़ दे. लेकिन मालिक को यह अधिकार नहीं है कि वह दासी को विदेशियों में बेच दे, क्योंकि उसने उसके साथ विश्वासघात किया है.
9 Vermählt er sie aber seinem Sohne, so soll er nach der Töchter Recht mit ihr handeln.
यदि वह व्यक्ति इस दासी को अपने पुत्र की पत्नी होने के लिए चाहता है, तो उसे बेटियों के समान हक भी देना ज़रूरी है.
10 Nimmt er sich aber eine andere, so soll er jener an Nahrung, Kleidung und der ehelichen Pflicht nichts abbrechen.
यदि वह किसी अन्य स्त्री से विवाह कर लेता है, तो वह इस दासी को भोजन, वस्त्र तथा उसके वैवाहिक अधिकारों से दूर नहीं रख सकता.
11 Tut er diese drei Stücke nicht an ihr, so soll sie umsonst, unentgeltlich frei werden.
यदि मालिक उसके विषय में उन तीनों अधिकारों को पूरा न करे, तब वह दासी बिना दाम दिये उसे छोड़कर जा सकती है.
12 Wer einen Menschen schlägt, daß er stirbt, der soll des Todes sterben.
“यदि कोई व्यक्ति किसी पर ऐसा हमला करे कि उसकी मृत्यु हो जाए, तब अवश्य उस व्यक्ति को मृत्यू-दंड ही दिया जाए.
13 Hat er ihm aber nicht nachgestellt, sondern hat Gott es seiner Hand widerfahren lassen, so will ich dir einen Ort bestimmen, dahin er fliehen mag.
किंतु यदि यह हत्या पहले से नियोजित नहीं की गई हो, किंतु यह मृत्यु परमेश्वर की इच्छा से हुई हो, तब मैं तुम्हारे लिए एक ऐसी जगह बनाऊंगा, जहां तुम भागकर जा सकोगे.
14 Wenn aber jemand gegen seinen Nächsten so aufgebracht war, daß er ihn vorsätzlich umgebracht hat, so sollst du ihn von meinem Altar wegnehmen, damit er sterbe.
किंतु यदि कोई व्यक्ति किसी को पूर्व नियोजित तरीके से छलपूर्वक, गुस्से से उसकी हत्या कर देता है, तो तुम उस व्यक्ति को, मेरी वेदी से मृत्यु दंड देने के लिए ले जा सकते हो.
15 Wer seinen Vater oder seine Mutter schlägt, der soll des Todes sterben.
“यदि कोई अपने पिता अथवा अपनी माता को मारे, तो उसे मृत्यु दंड दिया जाए.
16 Wer einen Menschen stiehlt und ihn verkauft, oder so, daß man ihn noch in seiner Hand findet, der soll des Todes sterben.
“जो किसी मनुष्य का अपहरण करता है, चाहे वह अपहृत को बेच दें या उसके पास हो, तो भी उसे मृत्यु दंड दिया जाए.
17 Auch wer seinem Vater oder seiner Mutter flucht, soll des Todes sterben.
“जो अपने पिता अथवा अपनी माता को शाप देता है, उसे निश्चयतः मृत्यु दंड दिया जाए.
18 Wenn Männer miteinander hadern, und einer schlägt den andern mit einem Stein oder mit der Faust, daß er nicht stirbt, aber zu Bette liegen muß;
“यदि दो व्यक्तियों में झगड़ा हो जाए, वह एक दूसरे को पत्थर अथवा घूंसे से मारे, जिससे उसकी मृत्यु न हुई हो लेकिन वह चल फिर न सके,
19 und wenn er soweit wieder hergestellt wird, daß er auf einen Stock gestützt ausgehen kann, so soll der, welcher ihn geschlagen hat, unschuldig sein; nur soll er ihn für die Versäumnis entschädigen und ihn vollständig heilen lassen.
यदि वह व्यक्ति लाठी के सहारे चल फिर सके, तब जिसने उसको मारा था, वह दंड के योग्य न होगा—लेकिन उसे ठीक होने तक उसके देखरेख का ख़र्चा उसे देना होगा.
20 Und wer seinen Knecht oder seine Magd mit einem Stocke schlägt, so daß sie ihm unter der Hand sterben, der soll bestraft werden;
“यदि कोई व्यक्ति दंड देते हुए अपने दास या दासी पर लाठी से मार दे और उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसे उसके लिए सजा दी जाए.
21 stehen sie aber nach einem oder zwei Tagen wieder auf, so soll er nicht bestraft werden, weil es sein eigener Schade ist.
किंतु यदि वह व्यक्ति मार खाने के बाद एक-दो दिन बाद ठीक हो जाये, तो उसे सजा न दी जाये; क्योंकि दास या दासी उसी की संपत्ति है.
22 Wenn Männer sich zanken und stoßen ein schwangeres Weib, daß eine Fehlgeburt entsteht, aber sonst kein Schade, so muß eine Geldstrafe erlegt werden, wie sie der Ehemann des Weibes festsetzt; und man soll sie auf richterliche Entscheidung hin geben.
“यदि लोगों के झगड़े में गर्भवती स्त्री को चोट लग जाये और उसका समय से पूर्व प्रसव हो जाए, किंतु कोई नुकसान न हुआ हो, तो निश्चयतः उस व्यक्ति को, जिसने मारा है, उस स्त्री का पति जो भी मांगे और पंच जो भी फैसला करें और जो भी निर्णय होता है वह उसे चुकाए.
23 Wenn aber ein Schaden entsteht, so sollst du ihn ersetzen; Seele um Seele,
और यदि चोट ज्यादा है तो, पंच प्राण के बदले प्राण का भी फैसला कर सकते हैं,
24 Auge um Auge, Zahn um Zahn, Hand um Hand, Fuß um Fuß,
आंख के लिए आंख, दांत के लिए दांत, हाथ के लिए हाथ, पैर के लिए पैर,
25 Brandmal um Brandmal, Wunde um Wunde, Beule um Beule.
दाह के लिए दाह, घाव के लिए घाव तथा मार के बदले मार का दंड हो.
26 Wenn jemand seinem Knecht oder seiner Magd ein Auge ausschlägt, so soll er sie freilassen [zur Entschädigung] für das Auge.
“यदि किसी व्यक्ति की मार से उसके दास अथवा दासी की आंख नष्ट हो जाये, तो उसे उसकी आंख के बदले उस दास अथवा दासी को छोड़ दे.
27 Desgleichen, wenn er dem Knecht oder der Magd einen Zahn ausschlägt, soll er sie auch freilassen für den Zahn.
यदि झगड़े में उसके दास अथवा दासी का दांत टूट जाये, तो उसे इस नुकसान के कारण उस दास अथवा दासी को छोड़ देना होगा.
28 Wenn ein Ochs einen Mann oder eine Frau zu Tode stößt, so soll man ihn steinigen und sein Fleisch nicht essen; der Eigentümer des Ochsen aber bleibe unbestraft.
“यदि कोई बैल के सींग से किसी पुरुष अथवा स्त्री की मृत्यु हो जाती है, तो निश्चयतः उस बैल को पत्थर से मार दें तथा उसके मांस को काम में न लें; लेकिन उस बैल के मालिक को कोई दंड न दिया जाए.
29 Ist aber der Ochs seit mehreren Tagen stößig gewesen und wurde sein Herr deshalb verwarnt, hat ihn aber doch nicht in Verwahrung getan, so soll der Ochs, der einen Mann oder eine Frau getötet hat, gesteinigt werden, und auch sein Herr soll sterben.
किंतु यदि कोई ऐसा बैल है, जो हमेशा लोगों को सींग मारकर नुकसान पहुंचाता है और बैल के मालिक को बताया गया हो और बैल को बांधकर नहीं रखा और उस बैल ने किसी पुरुष अथवा स्त्री की हत्या कर दी है, तो इस स्थिति में वह बैल तथा उसके मालिक, दोनों ही का पथराव किया जाए.
30 Wird ihm aber ein Lösegeld auferlegt, so soll er zur Erlösung seiner Seele soviel geben, als man ihm auferlegt.
यदि बैल का स्वामी छुड़ाई देना चाहे तो धनराशि जो इसके लिए ठहराई गई है, पूरा देकर छूट सकता है.
31 Stößt er einen Sohn oder eine Tochter, so soll man ihn auch nach diesem Rechte behandeln.
चाहे बैल ने पुत्र को मार डाला हो अथवा पुत्री को, उसके साथ नियम के अनुसार फैसला किया जाएगा.
32 Wenn aber der Ochs einen Knecht stößt oder eine Magd, so soll man ihrem Herrn dreißig silberne Schekel bezahlen; der Ochs aber muß gesteinigt werden.
यदि बैल किसी दास अथवा दासी को मार डाले, तो बैल के मालिक को उस दास अथवा दासी के मालिक को चांदी के तीस सिक्के देने होंगे, तथा बैल का पथराव किया जाए.
33 Wenn jemand eine Zisterne abdeckt oder eine solche gräbt und deckt sie nicht zu, und es fällt ein Ochs oder Esel hinein,
“यदि कोई व्यक्ति गड्ढा खोदे और उसे न ढंके और उस गड्ढे में कोई बैल अथवा गधा जा गिरे,
34 so hat der Zisternenbesitzer den Eigentümer des Viehes mit Geld zu entschädigen, das Aas aber mag er behalten.
तो उस गड्ढे के मालिक को इसका दाम चुकाना होगा और वह मृत पशु गड्ढे वाले का हो जाएगा.
35 Wenn jemandes Ochs den Ochsen eines anderen zu Tode stößt, so sollen sie den lebendigen Ochsen verkaufen und das Geld teilen und das Aas auch teilen.
“यदि किसी व्यक्ति का बैल अन्य व्यक्ति के बैल को मारे और बैल मर जाये तो बचे जीवित बैल को बेचकर उसका दाम आपस में बांट लें और मरे हुए बैल को भी आधा-आधा बांट लें.
36 Wußte man aber, daß der Ochs schon seit etlichen Tagen stößig war und hat sein Herr ihn doch nicht in Verwahrung getan, so soll er den Ochsen ersetzen und das Aas behalten.
अथवा यदि वह बैल हमेशा ही सबको सींग मारता है और उसके मालिक ने उसे बांधकर नहीं रखा, तो निश्चय वह व्यक्ति बैल के बदले बैल ही दे. तब मृत बैल उसकी संपत्ति हो जाएगी.