< Psalm 67 >
1 Dem Musikmeister, mit Saitenspiel; ein Psalm, ein Lied. Gott sei uns gnädig und segne uns!
ख़ुदा हम पर रहम करे और हम को बरक़त बख़्शे; और अपने चेहरे को हम पर जलवागर फ़रमाए, (सिलाह)
2 daß man auf Erden dein Walten erkenne, unter allen Heidenvölkern dein Heil!
ताकि तेरी राह ज़मीन पर ज़ाहिर हो जाए, और तेरी नजात सब क़ौमों पर।
3 Preisen müssen dich, Gott, die Völker, preisen die Völker allesamt;
ऐ ख़ुदा! लोग तेरी ता'रीफ़ करें; सब लोग तेरी ता'रीफ़ करें।
4 sich freuen müssen die Völkerschaften und jubeln, weil du die Völker gerecht richtest und leitest die Völkerschaften auf Erden. (SELA)
उम्मते ख़ुश हों और ख़ुशी से ललकारें, क्यूँकि तू रास्ती से लोगों की 'अदालत करेगा, और ज़मीन की उम्मतों पर हुकूमत करेगा (सिलाह)
5 Preisen müssen dich, Gott, die Völker, preisen die Völker allesamt!
ऐ ख़ुदा! लोग तेरी ता'रीफ़ करें; सब लोग तेरी ता'रीफ़ करें।
6 Das Land hat seinen Ertrag gespendet: gesegnet hat uns Gott, unser Gott.
ज़मीन ने अपनी पैदावार दे दी, ख़ुदा या'नी हमारा ख़ुदा हम को बरकत देगा।
7 Es segne uns Gott, und fürchten müssen ihn alle Enden der Erde!
ख़ुदा हम को बरकत देगा; और ज़मीन की इन्तिहा तक सब लोग उसका डर मानेंगे।