< Psalm 108 >
1 Ein Lied, ein Psalm Davids. Mein Herz ist getrost, o Gott:
१दाऊद का भजन हे परमेश्वर, मेरा हृदय स्थिर है; मैं गाऊँगा, मैं अपनी आत्मा से भी भजन गाऊँगा।
2 Wacht auf, Harfe und Zither: ich will das Morgenrot wecken!
२हे सारंगी और वीणा जागो! मैं आप पौ फटते जाग उठूँगा
3 Ich will dich preisen unter den Völkern, o HERR, und dir lobsingen unter den Völkerschaften!
३हे यहोवा, मैं देश-देश के लोगों के मध्य में तेरा धन्यवाद करूँगा, और राज्य-राज्य के लोगों के मध्य में तेरा भजन गाऊँगा।
4 Denn groß bis über den Himmel hinaus ist deine Gnade, und bis an die Wolken geht deine Treue.
४क्योंकि तेरी करुणा आकाश से भी ऊँची है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक है।
5 Erhebe dich über den Himmel hinaus, o Gott, und über die ganze Erde (verbreite sich) deine Herrlichkeit!
५हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर हो! और तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर हो!
6 Daß deine Geliebten gerettet werden, hilf uns mit deiner Rechten, erhör’ uns!
६इसलिए कि तेरे प्रिय छुड़ाए जाएँ, तू अपने दाहिने हाथ से बचा ले और हमारी विनती सुन ले!
7 Gott hat in seiner Heiligkeit gesprochen: »(Als Sieger) will ich frohlocken, will Sichem verteilen und das Tal von Sukkoth (als Beutestück) vermessen.
७परमेश्वर ने अपनी पवित्रता में होकर कहा है, “मैं प्रफुल्लित होकर शेकेम को बाँट लूँगा, और सुक्कोत की तराई को नपवाऊँगा।
8 Mein ist Gilead, mein auch Manasse, und Ephraim ist meines Hauptes Schutzwehr, Juda mein Herrscherstab.
८गिलाद मेरा है, मनश्शे भी मेरा है; और एप्रैम मेरे सिर का टोप है; यहूदा मेरा राजदण्ड है।
9 Moab (dagegen) ist mein Waschbecken, auf Edom werf’ ich meinen Schuh; über das Philisterland will (als Sieger) ich jauchzen.«
९मोआब मेरे धोने का पात्र है, मैं एदोम पर अपना जूता फेंकूँगा, पलिश्त पर मैं जयजयकार करूँगा।”
10 Wer führt mich hin zur festen Stadt, wer geleitet mich bis Edom?
१०मुझे गढ़वाले नगर में कौन पहुँचाएगा? एदोम तक मेरी अगुआई किसने की हैं?
11 Hast nicht du uns, o Gott, verworfen und ziehst nicht aus, o Gott, mit unsern Heeren?
११हे परमेश्वर, क्या तूने हमको त्याग नहीं दिया?, और हे परमेश्वर, तू हमारी सेना के आगे-आगे नहीं चलता।
12 O schaffe uns Hilfe gegen den Feind! Denn nichtig ist Menschenhilfe.
१२शत्रुओं के विरुद्ध हमारी सहायता कर, क्योंकि मनुष्य की सहायता व्यर्थ है!
13 Mit Gott werden wir Taten vollführen, und er wird unsre Bedränger zertreten.
१३परमेश्वर की सहायता से हम वीरता दिखाएँगे, हमारे शत्रुओं को वही रौंदेगा।