< Jeremia 51 >

1 So hat der HERR gesprochen: »Fürwahr, ich lasse gegen Babylon und gegen die, welche im ›Herzen meiner Widersacher‹ wohnen, die Wut eines Verderbers losbrechen,
यहोवा यह कहता है, मैं बाबेल के और लेबकामै के रहनेवालों के विरुद्ध एक नाश करनेवाली वायु चलाऊँगा;
2 und ich entsende Worfler nach Babylon, die sollen es worfeln und sein Land ausplündern!« Wenn die am Tage des Unglücks (die Stadt) von allen Seiten umzingeln,
और मैं बाबेल के पास ऐसे लोगों को भेजूँगा जो उसको फटक-फटककर उड़ा देंगे, और इस रीति से उसके देश को सुनसान करेंगे; और विपत्ति के दिन चारों ओर से उसके विरुद्ध होंगे।
3 dann spanne kein Schütze seinen Bogen mehr, und niemand erhebe sich zum Widerstand in seinem Panzer! Doch schont ihre jungen Männer nicht, vollzieht den Bann an ihrem gesamten Heer,
धनुर्धारी के विरुद्ध और जो अपना झिलम पहने हैं धनुर्धारी धनुष चढ़ाए हुए उठे; उसके जवानों से कुछ कोमलता न करना; उसकी सारी सेना को सत्यानाश करो।
4 so daß Erschlagene daliegen im Lande der Chaldäer und Durchbohrte auf ihren Straßen!
कसदियों के देश में मरे हुए और उसकी सड़कों में छिदे हुए लोग गिरेंगे।
5 Denn weder Israel noch Juda ist als Witwe von seinem Gott, vom HERRN der Heerscharen, verlassen; dagegen das Land jener ist voll von Verschuldung gegen den Heiligen Israels.
क्योंकि, यद्यपि इस्राएल और यहूदा के देश, इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध किए हुए पापों से भरपूर हो गए हैं, तो भी उनके परमेश्वर, सेनाओं के यहोवा ने उनको त्याग नहीं दिया।
6 Fliehet aus dem Bereich Babylons hinweg und rettet ein jeder sein Leben, damit ihr nicht den Tod findet um seiner Verschuldung willen! Denn die Zeit der Rache ist dies für den HERRN: was es verübt hat, vergilt er ihm.
“बाबेल में से भागो, अपना-अपना प्राण बचाओ! उसके अधर्म में भागी होकर तुम भी न मिट जाओ; क्योंकि यह यहोवा के बदला लेने का समय है, वह उसको बदला देने पर है।
7 Ein goldener Becher war Babylon in der Hand des HERRN, der die ganze Erde trunken machte; von seinem Wein haben die Völker getrunken, darum haben die Völker den Verstand verloren.
बाबेल यहोवा के हाथ में सोने का कटोरा था, जिससे सारी पृथ्वी के लोग मतवाले होते थे; जाति-जाति के लोगों ने उसके दाखमधु में से पिया, इस कारण वे भी बावले हो गए।
8 Plötzlich ist Babylon gefallen und zerschmettert: »Wehklagt über die Stadt, holt Balsam für ihre Schmerzen: vielleicht ist noch Heilung möglich!«
बाबेल अचानक ले ली गई और नाश की गई है। उसके लिये हाय-हाय करो! उसके घावों के लिये बलसान औषधि लाओ; सम्भव है वह चंगी हो सके।
9 »Wir haben Babylon heilen wollen, aber es war nicht zu heilen: überlaßt es sich selbst! Laßt uns abziehen, ein jeder in sein Land! Denn bis an den Himmel reicht das Strafgericht über die Stadt und ragt bis zu den Wolken!«
हम बाबेल का इलाज करते तो थे, परन्तु वह चंगी नहीं हुई। इसलिए आओ, हम उसको तजकर अपने-अपने देश को चले जाएँ; क्योंकि उस पर किए हुए न्याय का निर्णय आकाश वरन् स्वर्ग तक भी पहुँच गया है।
10 »Der HERR hat die Gerechtigkeit unserer Sache ans Licht gebracht: kommt, laßt uns in Zion das Walten des HERRN, unsers Gottes, verkündigen!«
१०यहोवा ने हमारे धार्मिकता के काम प्रगट किए हैं; अतः आओ, हम सिय्योन में अपने परमेश्वर यहोवा के काम का वर्णन करें।
11 Schärft die Pfeile, ergreift die Schilde! Der HERR hat die Wut der Könige von Medien erweckt, denn sein Absehen ist gegen Babylon gerichtet, es zu vernichten; denn die Rache des HERRN ist da, die Rache für seinen Tempel.
११“तीरों को पैना करो! ढालें थामे रहो! क्योंकि यहोवा ने मादी राजाओं के मन को उभारा है, उसने बाबेल को नाश करने की कल्पना की है, क्योंकि यहोवा अर्थात् उसके मन्दिर का यही बदला है
12 Gegen die Mauern Babylons pflanzt ein Banner auf! Verschärft die Bewachung, stellt Wachtposten auf, legt Mannschaften in Hinterhalt! Denn wie der HERR es sich vorgenommen hat, so führt er es auch aus, was er den Bewohnern Babylons angedroht hat.
१२बाबेल की शहरपनाह के विरुद्ध झण्डा खड़ा करो; बहुत पहरुए बैठाओ; घात लगाने वालों को बैठाओ; क्योंकि यहोवा ने बाबेल के रहनेवालों के विरुद्ध जो कुछ कहा था, वह अब करने पर है वरन् किया भी है।
13 O Stadt, die du wohnst an großen Wassern, reich an Schätzen: gekommen ist dein Ende, das Maß ist voll zum Abschneiden!
१३हे बहुत जलाशयों के बीच बसी हुई और बहुत भण्डार रखनेवाली, तेरा अन्त आ गया, तेरे लोभ की सीमा पहुँच गई है।
14 Der HERR der Heerscharen hat bei sich selbst geschworen: »Habe ich dich auch mit Menschen angefüllt wie mit Heuschrecken, so wird man doch Siegesgeschrei über dich erheben!«
१४सेनाओं के यहोवा ने अपनी ही शपथ खाई है, कि निश्चय मैं तुझको टिड्डियों के समान अनगिनत मनुष्यों से भर दूँगा, और वे तेरे विरुद्ध ललकारेंगे।
15 Er ist es, der die Erde durch seine Kraft geschaffen, den Erdkreis durch seine Weisheit fest gegründet und durch seine Einsicht den Himmel ausgespannt hat.
१५“उसी ने पृथ्वी को अपने सामर्थ्य से बनाया, और जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया; और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।
16 Wenn er beim Schall des Donners Wasserrauschen am Himmel entstehen läßt und Gewölk vom Ende der Erde heraufführt, wenn er Blitze beim Regen schafft und den Sturmwind aus seinen Vorratskammern herausläßt –
१६जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, वह पृथ्वी की छोर से कुहरा उठाता है। वह वर्षा के लिये बिजली बनाता, और अपने भण्डार में से पवन निकाल ले आता है।
17 starr steht alsdann jeder Mensch da, ohne es begreifen zu können, und schämen muß sich jeder Goldschmied seines Bildwerks; denn Trug ist sein gegossener Götze, und kein Odem wohnt in ihm:
१७सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित है; सब सुनारों को अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण लज्जित होना पड़ेगा; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें धोखा देनेवाली हैं, और उनके कुछ भी साँस नहीं चलती।
18 nichts als Wahn sind sie, lächerliche Gebilde; wenn die Zeit des Strafgerichts für sie kommt, ist es zu Ende mit ihnen.
१८वे तो व्यर्थ और ठट्ठे ही के योग्य है; जब उनके नाश किए जाने का समय आएगा, तब वे नाश ही होंगी।
19 Aber nicht wie diese ist Jakobs Erbteil; nein, er ist es, der das All gebildet hat, und Israel ist der Stamm seines Erbbesitzes: HERR der Heerscharen ist sein Name!
१९परन्तु जो याकूब का निज भाग है, वह उनके समान नहीं, वह तो सब का बनानेवाला है, और इस्राएल उसका निज भाग है; उसका नाम सेनाओं का यहोवा है।
20 »Ein Hammer bist du mir gewesen, eine Kriegswaffe; und ich habe mit dir Völker zerhämmert und Königreiche mit dir zertrümmert.
२०“तू मेरा फरसा और युद्ध के लिये हथियार ठहराया गया है; तेरे द्वारा मैं जाति-जाति को तितर-बितर करूँगा; और तेरे ही द्वारा राज्य-राज्य को नाश करूँगा।
21 Zerhämmert habe ich mit dir Rosse samt ihren Reitern, zerhämmert mit dir Kriegswagen samt den darauf Fahrenden;
२१तेरे ही द्वारा मैं सवार समेत घोड़ों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा;
22 zerhämmert habe ich mit dir Männer und Weiber, zerhämmert mit dir Greise und Kinder, zerhämmert Jünglinge und Jungfrauen;
२२तेरे ही द्वारा रथी समेत रथ को भी टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं स्त्री पुरुष दोनों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं बूढ़े और लड़के दोनों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा, और जवान पुरुष और जवान स्त्री दोनों को मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े-टुकड़े करूँगा;
23 zerhämmert habe ich mit dir Hirten samt ihren Herden, zerhämmert mit dir Ackerleute samt ihren Gespannen, zerhämmert Landpfleger und Statthalter.
२३तेरे ही द्वारा मैं भेड़-बकरियों समेत चरवाहे को टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं किसान और उसके जोड़े बैलों को भी टुकड़े-टुकड़े करूँगा; अधिपतियों और हाकिमों को भी मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े-टुकड़े करूँगा।
24 Aber jetzt will ich Babylon und allen Bewohnern des Chaldäerlandes alle ihre Bosheit, die sie an Zion verübt haben, vor euren Augen vergelten!« – so lautet der Ausspruch des HERRN. –
२४“मैं बाबेल को और सारे कसदियों को भी उन सब बुराइयों का बदला दूँगा, जो उन्होंने तुम लोगों के सामने सिय्योन में की है; यहोवा की यही वाणी है।
25 »Nunmehr will ich an dich« – so lautet der Ausspruch des HERRN –, »du Berg des Verderbens, der du über die ganze Erde Verderben gebracht hast! Ja, ich will meine Hand gegen dich ausstrecken und dich von der Felsenhöhe hinabwälzen und dich zu einem verbrannten Berge machen,
२५“हे नाश करनेवाले पहाड़ जिसके द्वारा सारी पृथ्वी नाश हुई है, यहोवा की यह वाणी है कि मैं तेरे विरुद्ध हूँ और हाथ बढ़ाकर तुझे ढाँगों पर से लुढ़का दूँगा और जला हुआ पहाड़ बनाऊँगा।
26 so daß man von dir weder Ecksteine noch Grundsteine mehr nehmen kann; nein, eine öde Wüste sollst du sein auf ewige Zeit!« – so lautet der Ausspruch des HERRN.
२६लोग तुझ से न तो घर के कोने के लिये पत्थर लेंगे, और न नींव के लिये, क्योंकि तू सदा उजाड़ रहेगा, यहोवा की यही वाणी है।
27 Pflanzt ein Panier auf der Erde auf, stoßt in die Posaune unter den Völkern, weiht Völker zum Kampf gegen Babylon, bietet gegen es die Königreiche von Ararat, Minni und Askenas auf, bestellt einen Heerführer gegen es, laßt Reiterei anrücken so zahlreich wie borstige Heuschrecken!
२७“देश में झण्डा खड़ा करो, जाति-जाति में नरसिंगा फूँको; उसके विरुद्ध जाति-जाति को तैयार करो; अरारात, मिन्नी और अश्कनज नामक राज्यों को उसके विरुद्ध बुलाओ, उसके विरुद्ध सेनापति भी ठहराओ; घोड़ों को शिखरवाली टिड्डियों के समान अनगिनत चढ़ा ले आओ।
28 Weiht Völker zum Kampf gegen es, die Könige von Medien, ihre Landpfleger und alle ihre Statthalter und das ganze Gebiet ihrer Herrschaft!
२८उसके विरुद्ध जातियों को तैयार करो; मादी राजाओं को उनके अधिपतियों सब हाकिमों सहित और उस राज्य के सारे देश को तैयार करो।
29 Da erbebt und zittert die Erde; denn die Ratschlüsse des HERRN gehen an Babylon in Erfüllung, um das Land Babylon zu einer menschenleeren Einöde zu machen.
२९यहोवा ने विचारा है कि वह बाबेल के देश को ऐसा उजाड़ करे कि उसमें कोई भी न रहे; इसलिए पृथ्वी काँपती है और दुःखित होती है
30 Babylons Mannen ziehen nicht mehr ins Feld, sitzen tatenlos in den Burgen; ihr Mut ist geschwunden, sie sind zu Weibern geworden; schon hat man die Wohnungen in der Stadt in Flammen aufgehen lassen, ihre Riegel sind zerbrochen.
३०बाबेल के शूरवीर गढ़ों में रहकर लड़ने से इन्कार करते हैं, उनकी वीरता जाती रही है; और यह देखकर कि उनके वासस्थानों में आग लग गई वे स्त्री बन गए हैं; उसके फाटकों के बेंड़े तोड़े गए हैं।
31 Ein Läufer läuft dem andern entgegen und ein Bote dem andern, um dem König von Babylon zu melden, daß seine Stadt an allen Ecken erobert,
३१एक हरकारा दूसरे हरकारे से और एक समाचार देनेवाला दूसरे समाचार देनेवाले से मिलने और बाबेल के राजा को यह समाचार देने के लिये दौड़ेगा कि तेरा नगर चारों ओर से ले लिया गया है;
32 daß die Furten besetzt seien und man die Sümpfe mit Feuer ausgebrannt habe und dem Kriegsvolk der Mut entsunken sei.
३२और घाट शत्रुओं के वश में हो गए हैं, ताल भी सुखाए गए, और योद्धा घबरा उठे हैं।
33 Denn so hat der HERR der Heerscharen, der Gott Israels, gesprochen: »Die Tochter Babylon gleicht einer Tenne zur Zeit, da man sie feststampft: nur noch eine kleine Weile, so kommt für sie (für Babylon) die Zeit der Ernte!«
३३क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यह कहता है: बाबेल की बेटी दाँवते समय के खलिहान के समान है, थोड़े ही दिनों में उसकी कटनी का समय आएगा।”
34 »Nebukadnezar, der König von Babylon, hat mich gefressen, hat mich vernichtet, mich hingestellt als ein leeres Gefäß! Er hat mich verschlungen wie ein Drache und seinen Bauch mit mir gefüllt, hat mich aus meinem Paradies hinausgestoßen.
३४“बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने मुझ को खा लिया, मुझ को पीस डाला; उसने मुझे खाली बर्तन के समान कर दिया, उसने मगरमच्छ के समान मुझ को निगल लिया है; और मुझ को स्वादिष्ट भोजन जानकर अपना पेट मुझसे भर लिया है, उसने मुझ को जबरन निकाल दिया है।”
35 Die an mir verübte Gewalttätigkeit und meine Zerfleischung komme über Babylon« – so spreche die Bewohnerschaft Zions – »und mein Blut über die Bewohner des Chaldäerlandes!« – so spreche Jerusalem.
३५सिय्योन की रहनेवाली कहेगी, “जो उपद्रव मुझ पर और मेरे शरीर पर हुआ है, वह बाबेल पर पलट जाए।” और यरूशलेम कहेगी, “मुझ में की हुई हत्याओं का दोष कसदियों के देश के रहनेवालों पर लगे।”
36 Darum hat der HERR so gesprochen: »Wisse wohl: ich führe deine Sache und vollziehe die Rache für dich: ich trockne Babylons Strom aus und lasse seine Brunnen versiegen!
३६इसलिए यहोवा कहता है, “मैं तेरा मुकद्दमा लड़ूँगा और तेरा बदला लूँगा। मैं उसके ताल को और उसके सोतों को सूखा दूँगा;
37 Babylon soll zum Trümmerhaufen werden, zur Behausung der Schakale, zum abschreckenden Beispiel und Gespött, ohne Bewohner!
३७और बाबेल खण्डहर, और गीदड़ों का वासस्थान होगा; और लोग उसे देखकर चकित होंगे और ताली बजाएँगे, और उसमें कोई न रहेगा।
38 Jetzt brüllen sie noch allesamt wie junge Löwen, knurren wie Löwenkätzchen;
३८“लोग एक संग ऐसे गरजेंगे और गुर्राएँगे, जैसे युवा सिंह व सिंह के बच्चे आहेर पर करते हैं।
39 aber wenn sie (vor Gier) glühen, will ich ihnen ein Mahl herrichten und sie trunken machen, daß sie taumeln und einschlafen zu ewigem Schlaf, aus dem sie nicht wieder erwachen!« – so lautet der Ausspruch des HERRN.
३९परन्तु जब जब वे उत्तेजित हों, तब मैं भोज तैयार करके उन्हें ऐसा मतवाला करूँगा, कि वे हुलसकर सदा की नींद में पड़ेंगे और कभी न जागेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
40 »Ich lasse sie wie Lämmer zur Schlachtung niedersinken, wie Widder samt den Böcken!«
४०मैं उनको, भेड़ों के बच्चों, और मेढ़ों और बकरों के समान घात करा दूँगा।
41 Ach, wie ist doch Sesach eingenommen und erobert der Stolz der ganzen Erde! Ach, wie ist doch Babylon zum Gegenstand des Entsetzens unter den Völkern geworden!
४१“शेशक, जिसकी प्रशंसा सारे पृथ्वी पर होती थी कैसे ले लिया गया? वह कैसे पकड़ा गया? बाबेल जातियों के बीच कैसे सुनसान हो गया है?
42 Das Meer ist gegen Babylon heraufgestiegen, von seinen brausenden Wellen ist es überflutet;
४२बाबेल के ऊपर समुद्र चढ़ आया है, वह उसकी बहुत सी लहरों में डूब गया है।
43 seine Städte sind zur Wüste geworden, zu dürrem Land und zur Steppe, zu einem Land, in welchem niemand wohnt und das kein Menschenkind durchwandert.
४३उसके नगर उजड़ गए, उसका देश निर्जन और निर्जल हो गया है, उसमें कोई मनुष्य नहीं रहता, और उससे होकर कोई आदमी नहीं चलता।
44 Auch am Bel zu Babylon will ich das Strafgericht vollziehen und aus seinem Rachen das wieder herausholen, was er verschlungen hat, und nicht mehr sollen künftig die Völker zu ihm hinströmen! Auch die Mauer Babylons ist gefallen!
४४मैं बाबेल में बेल को दण्ड दूँगा, और उसने जो कुछ निगल लिया है, वह उसके मुँह से उगलवाऊँगा। जातियों के लोग फिर उसकी ओर ताँता बाँधे हुए न चलेंगे; बाबेल की शहरपनाह गिराई जाएगी।
45 Ziehet aus seinem Bereich hinweg, mein Volk, und rettet ein jeder sein Leben vor der Zornglut des HERRN!
४५हे मेरी प्रजा, उसमें से निकल आओ! अपने-अपने प्राण को यहोवा के भड़के हुए कोप से बचाओ!
46 Doch laßt euer Herz nicht verzagen und geratet nicht in Angst bei den Gerüchten, die im Lande im Umlauf sind, wenn in dem einen Jahre dieses Gerücht sich verbreitet und im Jahre darauf jenes Gerücht, und Gewalttätigkeit im Lande herrscht, und ein Machthaber sich gegen den andern erhebt!
४६जब उड़ती हुई बात उस देश में सुनी जाए, तब तुम्हारा मन न घबराए; और जो उड़ती हुई चर्चा पृथ्वी पर सुनी जाएगी तुम उससे न डरना: उसके एक वर्ष बाद एक और बात उड़ती हुई आएगी, तब उसके बाद दूसरे वर्ष में एक और बात उड़ती हुई आएगी, और उस देश में उपद्रव होगा, और एक हाकिम दूसरे के विरुद्ध होगा।
47 »Darum wisset wohl: es kommt die Zeit, da werde ich das Strafgericht an den Götzenbildern Babylons vollziehen! Da wird dann sein ganzes Land zuschanden werden und alle seine (Bewohner) erschlagen in seiner Mitte fallen!
४७“इसलिए देख, वे दिन आते हैं जब मैं बाबेल की खुदी हुई मूरतों पर दण्ड की आज्ञा करूँगा; उस सारे देश के लोगों का मुँह काला हो जाएगा, और उसके सब मारे हुए लोग उसी में पड़े रहेंगे।
48 Dann werden Himmel und Erde samt allem, was in ihnen ist, über Babylon jubeln, denn von Norden her brechen ihm die Verwüster ins Land ein« – so lautet der Ausspruch des HERRN.
४८तब स्वर्ग और पृथ्वी के सारे निवासी बाबेल पर जयजयकार करेंगे; क्योंकि उत्तर दिशा से नाश करनेवाले उस पर चढ़ाई करेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
49 Auch Babylon muß fallen um der erschlagenen Israeliten willen, wie um Babylons willen Erschlagene auf der ganzen Erde gefallen sind.
४९जैसे बाबेल ने इस्राएल के लोगों को मारा, वैसे ही सारे देश के लोग उसी में मार डाले जाएँगे।
50 Ihr, die ihr dem Schwert entronnen seid, ziehet ab und steht nicht still! Bleibt des HERRN auch in der Ferne eingedenk und haltet die Erinnerung an Jerusalem getreulich fest:
५०“हे तलवार से बचे हुओं, भागो, खड़े मत रहो! यहोवा को दूर से स्मरण करो, और यरूशलेम की भी सुधि लो:
51 »Wir haben uns schämen müssen, denn wir haben Schmähreden zu hören bekommen; Schamröte hat unser Antlitz bedeckt, denn Fremde sind über die Heiligtümer im Tempel des HERRN hergefallen!«
५१‘हम व्याकुल हैं, क्योंकि हमने अपनी नामधराई सुनी है; यहोवा के पवित्र भवन में विधर्मी घुस आए हैं, इस कारण हम लज्जित हैं।’
52 »Darum wisset wohl: es kommt die Zeit« – so lautet der Ausspruch des HERRN –, »da werde ich das Strafgericht an den Götzen Babylons vollziehen, und überall in seinem Lande werden dann tödlich Verwundete röcheln!
५२“इसलिए देखो, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आनेवाले हैं कि मैं उसकी खुदी हुई मूरतों पर दण्ड भेजूँगा, और उसके सारे देश में लोग घायल होकर कराहते रहेंगे।
53 Wenn Babylon auch bis zum Himmel emporstiege und seine Festung unersteiglich hoch baute, so werden ihm doch von mir her die Verwüster kommen!« – so lautet der Ausspruch des HERRN.
५३चाहे बाबेल ऐसा ऊँचा बन जाए कि आकाश से बातें करे और उसके ऊँचे गढ़ और भी दृढ़ किए जाएँ, तो भी मैं उसे नाश करने के लिये, लोगों को भेजूँगा, यहोवा की यह वाणी है।
54 Horch! Geschrei von Babylon her und ein gewaltiger Einsturz aus dem Lande der Chaldäer!
५४“बाबेल से चिल्लाहट का शब्द सुनाई पड़ता है! कसदियों के देश से सत्यानाश का बड़ा कोलाहल सुनाई देता है।
55 Denn der HERR verwüstet Babylon und macht dem lauten Lärmen dort ein Ende: es brausen ihre Wogen wie gewaltige Fluten, laut erschallen ihre wilden Kriegsrufe.
५५क्योंकि यहोवा बाबेल को नाश कर रहा है और उसके बड़े कोलाहल को बन्द कर रहा है। इससे उनका कोलाहल महासागर का सा सुनाई देता है।
56 Denn der Verwüster bricht über die Stadt, über Babylon herein, und ihre Krieger werden gefangen, ihre Bogen sind zerbrochen; denn ein Gott der Vergeltung ist der HERR, er zahlt sicher heim.
५६बाबेल पर भी नाश करनेवाले चढ़ आए हैं, और उसके शूरवीर पकड़े गए हैं और उनके धनुष तोड़ डाले गए; क्योंकि यहोवा बदला देनेवाला परमेश्वर है, वह अवश्य ही बदला लेगा।
57 »Ihre Oberen aber und Gelehrten, ihre Landpfleger, Statthalter und Krieger mache ich trunken, daß sie entschlafen zu ewigem Schlaf und nicht wieder erwachen« – so lautet der Ausspruch des Königs, dessen Name ›HERR der Heerscharen‹ ist. –
५७मैं उसके हाकिमों, पंडितों, अधिपतियों, रईसों, और शूरवीरों को ऐसा मतवाला करूँगा कि वे सदा की नींद में पड़ेंगे और फिर न जागेंगे, सेनाओं के यहोवा, जिसका नाम राजाधिराज है, उसकी यही वाणी है।
58 So hat der HERR der Heerscharen gesprochen: »Babylons Mauern, so breit sie sind, sollen bis auf den Grund niedergerissen und seine Tore, so hoch sie sind, mit Feuer verbrannt werden!«, und so: »Völker mühen sich für nichts ab, und Völkerschaften arbeiten sich für das Feuer ab.«
५८“सेनाओं का यहोवा यह भी कहता है, बाबेल की चौड़ी शहरपनाह नींव से ढाई जाएगी, और उसके ऊँचे फाटक आग लगाकर जलाए जाएँगे। और उसमें राज्य-राज्य के लोगों का परिश्रम व्यर्थ ठहरेगा, और जातियों का परिश्रम आग का कौर हो जाएगा और वे थक जाएँगे।”
59 (Dies ist) der Auftrag, den der Prophet Jeremia Seraja, dem Sohne Nerijas, des Sohnes Mahsejas, erteilte, als dieser mit Zedekia, dem König von Juda, im vierten Jahre von dessen Regierung nach Babylon reiste; Seraja war damals Quartiermeister.
५९यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष में जब उसके साथ सरायाह भी बाबेल को गया था, जो नेरिय्याह का पुत्र और महसेयाह का पोता और राजभवन का अधिकारी भी था,
60 Jeremia hatte aber alles Unglück, das über Babylon hereinbrechen sollte, nämlich alle Aussprüche, die hier über Babylon aufgezeichnet stehen, auf eine einzige Buchrolle geschrieben
६०तब यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने उसको ये बातें बताई अर्थात् वे सब बातें जो बाबेल पर पड़नेवाली विपत्ति के विषय लिखी हुई हैं, उन्हें यिर्मयाह ने पुस्तक में लिख दिया।
61 und zu Seraja gesagt: »Wenn du nach Babylon kommst, so sieh dich nach einem passenden Orte um und verlies alle diese Worte laut
६१यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “जब तू बाबेल में पहुँचे, तब अवश्य ही ये सब वचन पढ़ना,
62 und sage dann: ›HERR, du selbst hast diesem Orte angedroht, ihn vernichten zu wollen, so daß kein Bewohner mehr in ihm sein solle, weder Menschen noch Vieh, sondern daß er zu einer Einöde für ewige Zeiten werden solle.‹
६२और यह कहना, ‘हे यहोवा तूने तो इस स्थान के विषय में यह कहा है कि मैं इसे ऐसा मिटा दूँगा कि इसमें क्या मनुष्य, क्या पशु, कोई भी न रहेगा, वरन् यह सदा उजाड़ पड़ा रहेगा।’
63 Wenn du dann diese Buchrolle zu Ende gelesen hast, so binde einen Stein daran und wirf sie mitten in den Euphrat hinein
६३और जब तू इस पुस्तक को पढ़ चुके, तब इसे एक पत्थर के संग बाँधकर फरात महानद के बीच में फेंक देना,
64 und rufe aus: ›So soll auch Babylon versinken und nicht wieder hochkommen infolge des Unglücks, das ich über es verhänge!‹« Bis hierher gehen die Aussprüche Jeremias.
६४और यह कहना, ‘इस प्रकार बाबेल डूब जाएगा और मैं उस पर ऐसी विपत्ति डालूँगा कि वह फिर कभी न उठेगा और वे थके रहेंगे।’” यहाँ तक यिर्मयाह के वचन हैं।

< Jeremia 51 >