< Jeremia 40 >
1 (Dies ist) das Wort, das vom HERRN an Jeremia erging, nachdem Nebusaradan, der Befehlshaber der Leibwache, ihn von Rama aus entlassen hatte, wo er ihn, und zwar mit Ketten gefesselt, ausfindig gemacht hatte inmitten aller gefangenen Bewohner Jerusalems und Judas, die nach Babylon weggeführt werden sollten.
राज्यपाल गेदालिया के आवास में से अंगरक्षकों के प्रधान नेबुज़रादान ने जब येरेमियाह को येरूशलेम तथा यहूदिया के सारे बंदियों के बीच जंजीरों से बंधा हुआ देखा जिन्हें बाबेल ले जाया जा रहा था, तब उसने उसे रामाह में विमुक्त कर दिया. उस समय याहवेह का संदेश येरेमियाह को प्रगट किया गया.
2 Als nämlich der Befehlshaber der Leibwache den Jeremia dort ausfindig gemacht hatte, sagte er zu ihm: »Der HERR, dein Gott, hatte diesem Ort dieses Unglück angedroht,
अंगरक्षकों के प्रधान ने येरेमियाह को अलग ले जाकर कहा, “याहवेह, आपके ही परमेश्वर ने इस स्थान के विरुद्ध यह घोर विपत्ति योजित की थी.
3 und der HERR hat es nun auch eintreten lassen und seine Drohung zur Ausführung gebracht: weil ihr gegen den HERRN gesündigt und auf seine Weisung nicht gehört habt, darum ist es euch so ergangen.
अब याहवेह ने जैसी पूर्ववाणी की थी; उसे ही बनाकर दिखाया है. क्योंकि आप लोगों ने ही तो याहवेह के विरुद्ध पाप किया है, आप लोगों ने उनके आदेशों का पालन नहीं किया, इसलिये आप पर यह विपत्ति टूट पड़ी है.
4 Und nun, siehe: ich mache dich jetzt frei von den Ketten an deinen Händen. Gefällt es dir, mit mir nach Babylon zu gehen, so komm: ich werde Sorge für dich tragen; hast du aber keine Lust, mit mir nach Babylon zu gehen, so laß es! Wisse wohl: das ganze Land steht dir offen: du kannst gehen, wohin es dir beliebt und gut dünkt!«
किंतु अब देखिए, आज मैं आपको आपके हाथों में पड़ी हुई इन बेड़ियों से विमुक्त कर रहा हूं, यदि आपको उपयुक्त लगे, आप मेरे साथ बाबेल चल सकते हैं, आपकी देखभाल का दायित्व मेरा होगा; किंतु यदि आप मेरे साथ बाबेल चलना उपयुक्त न समझें तो, आपकी इच्छा, आपके समक्ष संपूर्ण देश खुला पड़ा है; आपको जो स्थान अनुकूल लगे वहीं चले जाइए.”
5 Als Jeremia sich dann nicht sofort entschließen konnte, fuhr er fort: »So kehre doch zurück zu Gedalja, dem Sohne Ahikams, des Sohnes Saphans, den der König von Babylon zum Statthalter über die Städte von Juda eingesetzt hat, und bleibe bei ihm inmitten des Volkes wohnen; oder gehe, wohin du sonst Lust hast!« Hierauf gab ihm der Befehlshaber der Leibwache Lebensmittel und ein Geschenk und entließ ihn.
इसलिये कि येरेमियाह वहां अनिश्चय की स्थिति में ही ठहरे हुए थे, नेबुज़रादान ने उनसे कहा, “अच्छा, तो आप शापान के पौत्र अहीकाम के पुत्र गेदालियाह के पास लौट जाइए, जिसे बाबेल के राजा ने यहूदिया के नगरों पर राज्यपाल नियुक्त किया है, आप गेदालियाह के यहां अपने ही लोगों के मध्य निवास कीजिए. यदि नहीं, तो आपको जहां कहीं उपयुक्त लगे वहीं चले जाइए.” इसके बाद अंगरक्षकों के प्रधान ने येरेमियाह को कुछ अन्न पदार्थ तथा एक उपहार देकर उन्हें विदा किया.
6 Jeremia begab sich dann nach Mizpa zu Gedalja, dem Sohne Ahikams, und blieb dort bei ihm inmitten des Volkes, das im Lande übriggeblieben war.
येरेमियाह वहां से मिज़पाह में अहीकाम के पुत्र गेदालियाह के यहां जाकर उस देश में शेष रह गए लोगों के मध्य निवास करने लगे.
7 Als nun alle Truppenführer, die sich mit ihren Mannschaften noch im offenen Lande befanden, erfuhren, daß der König von Babylon Gedalja, den Sohn Ahikams, zum Statthalter über das Land eingesetzt und ihm die Obhut über Männer, Frauen und Kinder und über die geringen Leute im Lande, die nicht nach Babylon weggeführt worden waren, anvertraut habe,
जब युद्ध क्षेत्र में सारे सेनापतियों तथा सैनिकों को यह सूचना प्राप्त हुई कि बाबेल के राजा ने अहीकाम के पुत्र गेदालियाह को संपूर्ण देश तथा उन पुरुषों, स्त्रियों तथा बालकों पर, जो देश में गरीब थे तथा जो बाबेल में बंदी नहीं किए गए थे, अधिपति नियुक्त कर दिया है,
8 da kamen sie zu Gedalja nach Mizpa, nämlich Ismael, der Sohn Nethanjas, sowie Johanan und Jonathan, die Söhne Kareahs, ferner Seraja, der Sohn Thanhumeths, die Söhne Ophais aus Netopha, und Jesanja, der Sohn des Maachathiters, samt ihren Leuten.
वे मिज़पाह में गेदालियाह से भेंट करने आ गए. उनके साथ थे नेथनियाह का पुत्र इशमाएल, कोरियाह के पुत्र योहानन तथा योनातन, तनहूमेथ का पुत्र सेराइयाह, नेतोफ़ातवासी एफाई के पुत्र, माकाहथिवासी का पुत्र येत्सानियाह, दोनों ही तथा उनकी सैनिक टुकड़ी.
9 Da richtete Gedalja, der Sohn Ahikams, des Sohnes Saphans, an sie und ihre Leute unter feierlicher Anrufung Gottes folgende Ansprache: »Fürchtet euch nicht davor, den Chaldäern untertan zu sein! Bleibt im Lande wohnen und unterwerft euch dem König von Babylon: ihr werdet euch gut dabei stehen!
यह सब देखते हुए शापान के पौत्र, अहीकाम के पुत्र, गेदालियाह ने उनके तथा सैनिकों के समक्ष यह कहते हुए शपथ ली: “कसदियों की सेवा करने का विचार तुम्हें भयभीत न करे, इसी देश में निवास करते हुए बाबेल के राजा की सेवा करते रहो, कि तुम्हारा हित हो.
10 Seht, ich selbst bleibe hier in Mizpa, um euch vor den Chaldäern, die zu uns kommen werden, zu vertreten; ihr aber mögt Wein, Obst und Öl sammeln und in euren Behältern einheimsen und könnt ruhig in euren Ortschaften wohnen, die ihr in Besitz genommen habt!«
मैं तो मिज़पाह में ही रहूंगा, कि मैं तुम्हारी सहायता में खड़ा रह सकूं, कि मैं उन कसदियों के लिए तुम्हारा प्रवक्ता हो सकूं जो अपना प्रतिवाद लेकर मेरे पास आए थे, किंतु तुम द्राक्षारस, ग्रीष्मकालीन फल एवं तेल का संग्रहण करते रहना, उन्हें भंडारण बर्तनों में रख देना, अपने-अपने नगरों में निवास करना, जिन्हें अब तुमने अपना लिया है.”
11 Ebenso erhielten alle Judäer, die sich in Moab und unter den Ammonitern sowie in Edom und in allen übrigen Ländern aufhielten, Kunde davon, daß der König von Babylon einen Rest (der Bevölkerung) in Juda übriggelassen und daß er Gedalja, den Sohn Ahikams, des Sohnes Saphans, über ihn als Statthalter eingesetzt habe.
इसी प्रकार वे सभी यहूदियों ने जो इस समय मोआब, अम्मोन, एदोम तथा अन्य देशों में निवास करने लगे थे, यह सुना कि बाबेल के राजा ने यहूदिया में कुछ लोगों को छोड़ दिया है, तथा यह, कि उसने उन पर शापान के पौत्र, अहीकाम के पुत्र गेदालियाह को अधिपति नियुक्त कर दिया है,
12 Da kehrten alle diese Judäer aus allen Gegenden, wohin sie versprengt worden waren, zurück und kamen ins Land Juda zu Gedalja nach Mizpa; sie hatten dann eine reiche Wein- und Obsternte.
तब सभी स्थानों से सारे यहूदी लौटकर आने लगे, जहां उन्हें खदेड़ दिया गया था, वे यहूदिया देश में आए तथा मिज़पाह में गेदालियाह से भेंट करने गए. उन्होंने बड़ी मात्रा में द्राक्षारस एवं ग्रीष्मकालीन फलों का भंडारण कर डाला.
13 Als aber Johanan, der Sohn Kareahs, und alle Truppenführer, die noch im offenen Lande gestanden hatten, zu Gedalja nach Mizpa gekommen waren,
तब कोरियाह का पुत्र योहानन तथा रणभूमि में सैनिकों के सारे सेनापति मिज़पाह में गेदालियाह से भेंट करने आए.
14 sagten sie zu ihm: »Weißt du wohl, daß Baalis, der König der Ammoniter, den Ismael, den Sohn Nethanjas, abgesandt hat, um dich zu ermorden?« Doch Gedalja, der Sohn Ahikams, schenkte ihnen keinen Glauben.
उन्होंने उससे कहा, “क्या आपको यह संज्ञान है कि अम्मोन के वंशजों के राजा बालिस ने नेथनियाह के पुत्र इशमाएल को आपकी हत्या के उद्देश्य से भेजा है?” किंतु अहीकाम के पुत्र गेदालियाह ने उनका विश्वास ही नहीं किया.
15 Darauf besprach sich Johanan, der Sohn Kareahs, heimlich mit Gedalja in Mizpa und sagte: »Laß mich doch hingehen und Ismael, den Sohn Nethanjas, erschlagen: kein Mensch soll etwas davon erfahren! Warum soll er dich ermorden, so daß alle Judäer, die sich hier bei dir gesammelt haben, wieder zerstreut werden und der letzte Rest von Juda zugrunde geht?«
तब कोरियाह के पुत्र योहानन ने मिज़पाह में अकेले में जाकर गेदालियाह के समक्ष यह प्रस्ताव रखा, “मुझे अनुमति दीजिए, कि मैं जाकर नेथनियाह के पुत्र इशमाएल का वध कर दूं. किसी को भी इसके विषय में ज्ञात न हो सकेगा, हम क्यों उसे आपकी हत्या का अवसर दें? अन्यथा आपकी शरण में आए ये सारे यहूदी पुनः बिखर जाएंगे तथा यहूदिया का बचा हुआ शेष नष्ट हो जाएगा?”
16 Aber Gedalja, der Sohn Ahikams, antwortete Johanan, dem Sohne Kareahs: »Du darfst das nicht tun; denn was du da von Ismael sagst, ist nicht wahr!«
किंतु अहीकाम के पुत्र गेदालियाह ने उससे कहा, “इशमाएल के विषय में तुम्हारा यह वचन असत्य है! मत करो उसकी हत्या.”