< Hosea 14 >
1 Kehre um, Israel, zum HERRN, deinem Gott! Denn durch eigene Schuld bist du zu Fall gekommen.
हे इस्राएल, याहवेह अपने परमेश्वर के पास लौट आओ. तुम्हारा पाप ही तुम्हारे पतन का कारण है!
2 Nehmet Worte (der Reue) mit euch und kehret um zum HERRN! Sagt zu ihm: »Vergib uns alle Schuld und laß es dir gnädig gefallen, daß wir statt der Farren dir die Frucht unserer Lippen als Opfer darbringen!
याहवेह की बातों को मानो और उसके पास लौट आओ. उससे कहो: “हमारे सब पापों को क्षमा करें, और अनुग्रहपूर्वक हमें ग्रहण करें, कि हम अपने मुंह से धन्यवाद रूपी बलि चढ़ा सकें.
3 Assyrien soll nicht mehr unser Helfer sein; auf Rossen wollen wir nicht mehr reiten und nicht mehr ›unser Gott!‹ sagen zum Machwerk unserer Hände; denn bei dir findet der Verwaiste Erbarmen.«
अश्शूर हमारा उद्धार नहीं कर सकता; हम युद्ध के घोड़ों पर नहीं चढ़ेंगे. हम अपने हाथों से बनाये चीज़ों को फिर कभी न कहेंगे ‘हमारे ईश्वर,’ क्योंकि अनाथ को आपसे ही करुणा मिलती है.”
4 »Ich will ihren Abfall heilen, ihnen bereitwillig Liebe erweisen; denn mein Zorn hat sich von ihnen abgewandt.
“मैं उनकी बेवफ़ाई को दूर करूंगा, और स्वछंद रूप से उन्हें प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरा क्रोध उनके ऊपर से हट गया है.
5 Ich will für Israel werden wie der Tau: blühen soll es wie eine Lilie und Wurzeln schlagen wie die Zedern (des Libanons);
मैं इस्राएल के लिये ओस के समान होऊंगा; वह कुमुदिनी के फूल के समान खिलेगा. लबानोन के देवदार वृक्ष के समान उसकी जड़ें नीचे दूर-दूर तक फैलेंगी;
6 seine Schößlinge sollen sich entfalten, seine Pracht soll wie die des Ölbaums werden und sein Duft dem des Libanons gleichen.
उसके कोमल अंकुर बढ़ेंगे. उसका वैभव एक जैतून के पेड़ जैसा होगा, और उसकी सुगंध लबानोन के देवदार के समान होगी.
7 Wiederum sollen die in seinem Schatten Wohnenden sprießen wie das Getreide und blühen wie der Weinstock, dessen Ruhm dem Wein des Libanons gleichkommt.
लोग फिर से उसकी छाया में निवास करेंगे; वे अन्न की तरह उन्नति करेंगे, वे अंगूर की लता की तरह बढ़ेंगे, इस्राएल की प्रसिद्धि लबानोन के दाखमधु की तरह होगी.
8 Was hat Ephraim in Zukunft noch mit den Götzen zu schaffen? Ich allein erhöre ihn und behalte ihn im Auge; ich bin (für ihn) wie eine immergrüne Zypresse; von mir her wird Frucht an dir zu finden sein.«
हे एफ्राईम, मूर्तियों से अब मेरा और क्या काम? मैं उसे उत्तर दूंगा और उसका ध्यान रखूंगा. मैं बढ़ते हुए सनोवर पेड़ के समान हूं; तुम्हारा फलवंत होना मेरे कारण होता है.”
9 Wer ist weise, daß er dies einsieht, wer einsichtsvoll, daß er es beherzigt? »Gerade sind die Wege des HERRN, und die Gerechten wandeln (sicher) auf ihnen; die Gottlosen aber kommen auf ihnen zu Fall.«
बुद्धिमान कौन है? उन्हें इन बातों का अनुभव करने दो. समझदार कौन है? उन्हें समझने दो. याहवेह के रास्ते सही हैं; धर्मी उन पर चलते हैं, परंतु विद्रोही उन पर ठोकर खाकर गिरते हैं.