< 2 Mose 36 >

1 So werden denn Bezaleel und Oholiab und alle kunstverständigen Männer, denen der HERR Kunstsinn und Einsicht verliehen hat, so daß sie sich auf die Ausführung aller für das Heiligtum erforderlichen Arbeiten verstehen, alles nach den Anordnungen des HERRN ausführen.«
फिर बज़लीएल और अहलियाब और सब रोशन ज़मीर आदमी काम करें, जिनको ख़ुदावन्द ने हिकमत और समझ से मालामाल किया है ताकि वह मक़दिस की' इबादत के सब काम को ख़ुदावन्द के हुक्म के मुताबिक़ अन्जाम दें।
2 Hierauf berief Mose den Bezaleel und Oholiab und alle kunstverständigen Männer, denen der HERR Kunstsinn verliehen hatte, alle, die sich dazu getrieben fühlten, sich an der Ausführung des Werkes zu beteiligen.
तब मूसा ने बज़लीएल और अहलियाब और सब रोशन ज़मीर आदमियों को बुलाया, जिनके दिल में ख़ुदावन्द ने हिकमत भर दी थी, या'नी जिनके दिल में तहरीक हुई कि जाकर काम करें।
3 Sie empfingen dann von Mose alle die Gaben, welche die Israeliten zur Ausführung der Arbeiten für das Heiligtum beigesteuert hatten; man brachte ihm aber an jedem Morgen immer noch freiwillige Geschenke.
और जो — जो हदिये बनी — इस्राईल लाए थे कि उनसे मक़दिस की इबादत की चीज़ें बनाई जाएँ, वह सब उन्होंने मूसा से ले लिए, और लोग फिर भी अपनी खु़शी से हर सुबह उसके पास हदिये लाते रहे।
4 Da kamen alle Künstler, welche die ganze Arbeit für das Heiligtum auszuführen hatten, Mann für Mann, von der besonderen Arbeit, mit der sie beschäftigt waren,
तब वह सब 'अक़्लमन्द कारीगर जो मक़दिस के सब काम बना रहे थे, अपने — अपने काम को छोड़कर मूसा के पास आए,
5 und sagten zu Mose: »Das Volk bringt viel mehr, als zur Verwendung für die Arbeiten, deren Ausführung der HERR geboten hat, erforderlich ist.«
और वह मूसा से कहने लगे, “कि लोग इस काम के सरअन्जाम के लिए, जिसके बनाने का हुक्म ख़ुदावन्द ने दिया है, ज़रूरत से बहुत ज़्यादा ले आए हैं।”
6 Da ließ Mose durch Ausruf im Lager bekanntmachen: »Niemand, weder Mann noch Frau, möge fernerhin noch eine Arbeit als Beisteuer für das Heiligtum anfertigen!« Da mußte das Volk aufhören, noch weitere Spenden zu bringen;
तब मूसा ने जो हुक्म दिया उसका 'ऐलान उन्होंने तमाम लश्करगाह में करा दिया: “कि कोई मर्द या 'औरत अब से मक़दिस के लिए हदिया देने की ग़र्ज़ से कुछ और काम न बनाएँ।” यूँ वह लोग और लाने से रोक दिए गए।
7 denn der gelieferte Vorrat reichte für die Ausführung aller Arbeiten aus, ja es blieb davon noch übrig.
क्यूँकि जो सामान उनके पास पहुँच चुका था वह सारे काम को तैयार करने के लिए न सिर्फ़ काफ़ी बल्कि ज़्यादा था।
8 So stellten denn alle kunstverständigen Männer unter den Werkleuten die Wohnung aus zehn Teppichen her; aus gezwirntem Byssus, blauem und rotem Purpur und Karmesin, mit Cherubbildern in Kunstweberarbeit stellte er sie her.
और काम करनेवालों में जितने रोशन ज़मीर थे, उन्होंने मक़दिस के लिए बारीक बटे हुए कतान के और आसमानी और अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग के कपड़ों के दस पर्दे बनाए, जिन पर माहिर उस्ताद के हाथ के कढ़े हुए करूबी थे।
9 Die Länge jedes einzelnen Teppichs betrug achtundzwanzig Ellen und die Breite vier Ellen: alle Teppiche hatten dieselbe Größe.
हर पर्दे की लम्बाई अट्ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ थी और वह सब पर्दे एक ही नाप के थे।
10 Je fünf Teppiche fügte er dann zu einem Stück zusammen, einen an den andern.
और उसने पाँच पर्दे एक दूसरे के साथ जोड़ दिए और दूसरे पाँच पर्दे भी एक दूसरे के साथ जोड़ दिए।
11 Sodann brachte er Schleifen von blauem Purpur am Saum des äußersten Teppichs des einen zusammengesetzten Stückes an, und ebenso machte er es am Saum des äußersten Teppichs bei dem andern zusammengesetzten Stück.
और उसने एक बड़े पर्दे के हाशिये में उसके मिलाने के रुख़ पर आसमानी रंग के तुकमे बनाए। ऐसे ही तुकमे उसने दूसरे बड़े पर्दे की उस तरफ़ के हाशिये में बनाए जिधर मिलाने का रुख़ था।
12 Fünfzig Schleifen brachte er an dem einen Teppich an und ebenso fünfzig Schleifen am Saum des Teppichs, der zu dem andern zusammengesetzten Stück gehörte, so daß die Schleifen einander genau gegenüberstanden.
पचास तुकमे उसने एक पर्दे में और पचास ही दूसरे पर्दे के हाशिये में उसके मिलाने के रुख़ पर बनाए, यह तुकमे आपस में एक दूसरे के सामने थे।
13 Sodann fertigte er fünfzig goldene Haken an und verband die Teppiche vermittels der Haken miteinander, so daß die Wohnung ein Ganzes bildete.
और उसने सोने की पचास घुन्डियाँ बनाई और उन्हीं घुन्डियों से पर्दों को आपस में ऐसा जोड़ दिया कि घर मिलकर एक हो गया।
14 Weiter fertigte er Teppiche aus Ziegenhaar zu einer Zeltdecke über der Wohnung an; elf Teppiche fertigte er dazu an.
और बकरी के बालों से ग्यारह पर्दे घर के ऊपर के ख़ेमे के लिए बनाए।
15 Die Länge jedes Teppichs betrug dreißig Ellen und die Breite vier Ellen: alle elf Teppiche hatten dieselbe Größe.
हर पर्दे की लम्बाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ थी, और वह ग्यारह पर्दे एक ही नाप के थे।
16 Dann fügte er fünf von diesen Teppichen zu einem Stück für sich zusammen und ebenso die sechs anderen Teppiche für sich.
और उसने पाँच पर्दे तो एक साथ जोड़े और छ: एक साथ।
17 Dann brachte er fünfzig Schleifen am Saum des äußersten Teppichs des einen zusammengesetzten Stückes an und ebenso fünfzig Schleifen am Saum des äußersten Teppichs des andern zusammengesetzten Stückes.
और पचास तुकमे उन जुड़े हुए पर्दों में से किनारे के पर्दे के हाशिये में बनाए और पचास ही तुकमे उन दूसरे जुड़े हुए पर्दों में से किनारे के पर्दे के हाशिये में बनाए।
18 Hierauf fertigte er fünfzig kupferne Haken an, um die Zeltdecke zusammenzufügen, so daß sie ein Ganzes bildete. –
और उसने पीतल की पचास घुन्डियाँ भी बनाई ताकि उनसे उस ख़ेमे को ऐसा जोड़ दे कि वह एक हो जाए।
19 Sodann verfertigte er für das Zeltdach eine Schutzdecke von rotgefärbten Widderfellen und darüber noch eine andere Schutzdecke von Seekuhhäuten.
और ख़ेमे के लिए एक ग़िलाफ़ मेंढों की सुर्ख़ रंगी हुई खालों का और उसके लिए ग़िलाफ़ तुख़स की खालों का बनाया।
20 Weiter fertigte er die Bretter für die Wohnung aus Akazienholz an, sie standen aufrecht;
और उसने घर के लिए कीकर की लकड़ी के तख़्ते बनाए कि खड़े किए जाएँ।
21 die Länge jedes Brettes betrug zehn Ellen und die Breite anderthalb Ellen;
हर तख़्ते की लम्बाई दस हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ थी।
22 an jedem Brett saßen zwei Zapfen, einer dem andern gegenüber eingefügt; so machte er es an allen Brettern der Wohnung.
और उसने एक एक तख़्ते के लिए दो — दो जुड़ी हुई चूलें बनाई, घर के सब तख़्तों की चूलें ऐसी ही बनाई।
23 Und zwar stellte er an Brettern für die Wohnung her: zwanzig Bretter für die Mittagsseite südwärts;
और घर के लिए जो तख़्ते बने थे उनमें से बीस तख़्ते दाख्खिनी रुख़ में लगाए।
24 und er brachte unter diesen zwanzig Brettern vierzig silberne Füße an, je zwei Füße unter jedem Brett für seine beiden Zapfen.
और उसने उन बीसों तख़्तों के नीचे चाँदी के चालीस ख़ाने बनाए, या'नी हर तख़्ते की दोनों चूलों के लिए दो — दो ख़ाने।
25 Ebenso fertigte er für die andere Seite der Wohnung, nämlich für die Nordseite, zwanzig Bretter an
और घर की दूसरी तरफ़ या'नी उत्तरी रुख़ के लिए बीस तख़्ते बनाए।
26 und vierzig silberne Füße dazu, je zwei Füße unter jedem Brett.
और उनके लिए भी चाँदी के चालीस ही ख़ाने बनाए, या'नी एक — एक तख़्ते के नीचे दो — दो ख़ाने।
27 Aber für die Hinterseite der Wohnung, nach Westen zu, fertigte er sechs Bretter an,
और घर के पिछले हिस्से या'नी पश्चिमी रुख़ के लिए छ: तख़्ते बनाए।
28 außerdem noch zwei Bretter für die Ecken der Wohnung an der Hinterseite.
और दो तख़्ते घर के दोनों कोनों के लिए पिछले हिस्से में बनाए।
29 Diese waren unten und gleicherweise oben vollständig bis an den ersten Ring hin; so machte er es bei beiden für die beiden Ecken.
यह नीचे से दोहरे थे और इसी तरह ऊपर के सिरे तक आकर एक ही हल्के में मिला दिए गए थे, उसने दोनों कोनों के दोनों तख़्ते इसी ढब के बनाए।
30 Demnach waren es im ganzen acht Bretter, dazu ihre Füße von Silber: sechzehn Füße, immer zwei Füße unter jedem Brett.
वह, आठ तख़्ते थे और उनके लिए चाँदी के सोलह ख़ाने, या'नी एक — एक तख़्ते के लिए दो — दो ख़ाने।
31 Sodann fertigte er Riegel aus Akazienholz an: fünf für die Bretter der einen Seitenwand der Wohnung
और उसने कीकर की लकड़ी के बेन्डे बनाये पाँच बेन्डे घर के एक तरफ़ के तख़्तों के लिए,
32 und fünf Riegel für die Bretter der andern Seitenwand der Wohnung und fünf Riegel für die Bretter an der Hinterseite der Wohnung gegen Westen.
और पाँच बेन्डे घर के दूसरी तरफ़ के तख़्तों के लिए, और पाँच बेन्डे घर के पिछले हिस्से में पश्चिम की तरफ़ के तख़्तों के लिए बनाए।
33 Den mittleren Riegel aber machte er so, daß er in der Mitte der Bretter von einem Ende bis zum andern durchlief.
और उसने वस्ती बेन्डे को ऐसा बनाया कि तख़्तों के बीच में से होकर एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचे।
34 Die Bretter aber überzog er mit Gold, und auch die dazugehörigen Ringe, die zur Aufnahme der Riegel dienten, stellte er aus Gold her und überzog die Riegel gleichfalls mit Gold.
और तख़्तों को सोने से मंढ़ा और सोने के कड़े बनाए, ताकि बेन्डों के लिए ख़ानों का काम दें और बेन्डों को सोने से मंढ़ा।
35 Weiter fertigte er den Vorhang aus blauem und rotem Purpur, aus Karmesin und gezwirntem Byssus an, und zwar in Kunstweberarbeit mit Cherubbildern.
और उसने बीच का पर्दा आसमानी, अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग के कपड़ों और बारीक बटे हुए कतान का बनाया जिस पर माहिर उस्ताद के हाथ के करूबी कढ़े हुए थे।
36 Dann fertigte er für ihn vier Säulen von Akazienholz an und überzog sie mit Gold; auch ihre Nägel waren von Gold; und er goß für sie vier silberne Füße. –
और उसके लिए कीकर के चार सुतून बनाए और उनको सोने से मंढ़ा, उनके कुन्डे सोने के थे और उसने उनके लिए चाँदी के चार ख़ाने ढाल कर बनाए।
37 Sodann fertigte er für den Eingang des Zeltes einen Vorhang von blauem und rotem Purpur, von Karmesin und gezwirntem Byssus in Buntwirkerarbeit;
और उसने ख़ेमे के दरवाज़े के लिए एक पर्दा आसमानी, अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग के कपड़ों और बारीक बटे हुए कतान का बनाया, वह बेल — बूटेदार था।
38 außerdem die dazugehörigen fünf Säulen und ihre Nägel. Ihre Köpfe und Ringbänder überzog er mit Gold; die fünf dazu gehörigen Füße aber waren von Kupfer.
और उसके लिए पाँच सुतून कुन्डों समेत बनाए और उनके सिरों और पट्टियों को सोने से मंढ़ा, उनके लिए जो पाँच ख़ाने थे वह पीतल के बने हुए थे।

< 2 Mose 36 >