< 3 Mose 25 >

1 Und der HERR redete mit Mose auf dem Berge Sinai und sprach:
फिर यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से कहा,
2 Rede mit den Kindern Israel und sprich zu ihnen: Wenn ihr in das Land kommt, das ich euch geben werde, so soll das Land seinen Sabbat dem HERRN feiern,
“इस्राएलियों से कह कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूँ, तब भूमि को यहोवा के लिये विश्राम मिला करे।
3 daß du sechs Jahre dein Feld besäest und sechs Jahre deinen Weinberg beschneidest und sammelst die Früchte ein;
छः वर्ष तो अपना-अपना खेत बोया करना, और छहों वर्ष अपनी-अपनी दाख की बारी छाँट छाँटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना;
4 aber im siebenten Jahr soll das Land seinen großen Sabbat dem HERRN feiern, darin du dein Feld nicht besäen noch deinen Weinberg beschneiden sollst.
परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उसमें न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छाँटना।
5 Was aber von selber nach deiner Ernte wächst, sollst du nicht ernten, und die Trauben, so ohne deine Arbeit wachsen, sollst du nicht lesen, dieweil es ein Sabbatjahr des Landes ist.
जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगें उसे न काटना, और अपनी बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा।
6 Aber was das Land während seines Sabbats trägt, davon sollt ihr essen, du und dein Knecht, deine Magd, dein Tagelöhner, dein Beisaß, dein Fremdling bei dir,
भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुम को, और तुम्हारे दास-दासी को, और तुम्हारे साथ रहनेवाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा;
7 dein Vieh und die Tiere in deinem Lande; alle Früchte sollen Speise sein.
और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा।
8 Und du sollst zählen solcher Sabbatjahre sieben, daß sieben Jahre siebenmal gezählt werden, und die Zeit der sieben Sabbatjahre mache neunundvierzig Jahre.
“सात विश्रामवर्ष, अर्थात् सातगुना सात वर्ष गिन लेना, सातों विश्रामवर्षों का यह समय उनचास वर्ष होगा।
9 Da sollst du die Posaune lassen blasen durch all euer Land am zehnten Tage des siebenten Monats, eben am Tage der Versöhnung.
तब सातवें महीने के दसवें दिन को, अर्थात् प्रायश्चित के दिन, जय जयकार के महाशब्द का नरसिंगा अपने सारे देश में सब कहीं फुँकवाना।
10 Und ihr sollt das fünfzigste Jahr heiligen und sollt ein Freijahr ausrufen im Lande allen, die darin wohnen; denn es ist euer Halljahr. Da soll ein jeglicher bei euch wieder zu seiner Habe und zu seinem Geschlecht kommen;
१०और उस पचासवें वर्ष को पवित्र करके मानना, और देश के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना; वह वर्ष तुम्हारे यहाँ जुबली कहलाए; उसमें तुम अपनी-अपनी निज भूमि और अपने-अपने घराने में लौटने पाओगे।
11 denn das fünfzigste Jahr ist euer Halljahr. Ihr sollt nicht säen, auch was von selber wächst, nicht ernten, auch was ohne Arbeit wächst im Weinberge, nicht lesen;
११तुम्हारे यहाँ वह पचासवाँ वर्ष जुबली का वर्ष कहलाए; उसमें तुम न बोना, और जो अपने आप उगें उसे भी न काटना, और न बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को तोड़ना।
12 denn das Halljahr soll unter euch heilig sein. Ihr sollt aber essen, was das Feld trägt.
१२क्योंकि वह तो जुबली का वर्ष होगा; वह तुम्हारे लिये पवित्र होगा; तुम उसकी उपज खेत ही में से ले लेकर खाना।
13 Das ist das Halljahr, da jedermann wieder zu dem Seinen kommen soll.
१३“इस जुबली के वर्ष में तुम अपनी-अपनी निज भूमि को लौटने पाओगे।
14 Wenn du nun etwas deinem Nächsten verkaufst oder ihm etwas abkaufst, soll keiner seinen Bruder übervorteilen,
१४और यदि तुम अपने भाई-बन्धु के हाथ कुछ बेचो या अपने भाई-बन्धु से कुछ मोल लो, तो तुम एक दूसरे पर उपद्रव न करना।
15 sondern nach der Zahl der Jahre vom Halljahr an sollst du es von ihm kaufen; und was die Jahre hernach tragen mögen, so hoch soll er dir's verkaufen.
१५जुबली के बाद जितने वर्ष बीते हों उनकी गिनती के अनुसार दाम ठहराके एक दूसरे से मोल लेना, और शेष वर्षों की उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे।
16 Nach der Menge der Jahre sollst du den Kauf steigern, und nach der wenigen der Jahre sollst du den Kauf verringern; denn er soll dir's, nach dem es tragen mag, verkaufen.
१६जितने वर्ष और रहें उतना ही दाम बढ़ाना, और जितने वर्ष कम रहें उतना ही दाम घटाना, क्योंकि वर्ष की उपज की संख्या जितनी हो उतनी ही वह तेरे हाथ बेचेगा।
17 So übervorteile nun keiner seinen Nächsten, sondern fürchte dich vor deinem Gott; denn ich bin der HERR, euer Gott.
१७तुम अपने-अपने भाई-बन्धु पर उपद्रव न करना; अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
18 Darum tut nach meinen Satzungen und haltet meine Rechte, daß ihr darnach tut, auf daß ihr im Lande sicher wohnen möget.
१८“इसलिए तुम मेरी विधियों को मानना, और मेरे नियमों पर समझ बूझकर चलना; क्योंकि ऐसा करने से तुम उस देश में निडर बसे रहोगे।
19 Denn das Land soll euch seine Früchte geben, daß ihr zu essen genug habet und sicher darin wohnt.
१९भूमि अपनी उपज उपजाया करेगी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस देश में निडर बसे रहोगे।
20 Und ob du würdest sagen: Was sollen wir essen im siebenten Jahr? denn wir säen nicht, so sammeln wir auch kein Getreide ein:
२०और यदि तुम कहो कि सातवें वर्ष में हम क्या खाएँगे, न तो हम बोएँगे न अपने खेत की उपज इकट्ठा करेंगे?”
21 da will ich meinem Segen über euch im sechsten Jahr gebieten, das er soll dreier Jahr Getreide machen,
२१तो जानो कि मैं तुम को छठवें वर्ष में ऐसी आशीष दूँगा, कि भूमि की उपज तीन वर्ष तक काम आएगी।
22 daß ihr säet im achten Jahr und von dem alten Getreide esset bis in das neunte Jahr, daß ihr vom alten esset, bis wieder neues Getreide kommt.
२२तुम आठवें वर्ष में बोओगे, और पुरानी उपज में से खाते रहोगे, और नवें वर्ष की उपज जब तक न मिले तब तक तुम पुरानी उपज में से खाते रहोगे।
23 Darum sollt ihr das Land nicht verkaufen für immer; denn das Land ist mein, und ihr seid Fremdlinge und Gäste vor mir.
२३“भूमि सदा के लिये बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है; और उसमें तुम परदेशी और बाहरी होंगे।
24 Und sollt in all eurem Lande das Land zu lösen geben.
२४लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ाने देना।
25 Wenn dein Bruder verarmt, und verkauft dir seine Habe, und sein nächster Verwandter kommt zu ihm, daß er's löse, so soll er's lösen, was sein Bruder verkauft hat.
२५“यदि तेरा कोई भाई-बन्धु कंगाल होकर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सबसे निकट हो वह आकर अपने भाई-बन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले।
26 Wenn aber jemand keinen Löser hat und kann mit seiner Hand so viel zuwege bringen, daß er's löse,
२६यदि किसी मनुष्य के लिये कोई छुड़ानेवाला न हो, और उसके पास इतना धन हो कि आप ही अपने भाग को छुड़ा सके,
27 so soll er rechnen von dem Jahr, da er's verkauft hat, und was noch übrig ist, dem Käufer wiedergeben und also wieder zu seiner Habe kommen.
२७तो वह उसके बिकने के समय से वर्षों की गिनती करके शेष वर्षों की उपज का दाम उसको, जिसने उसे मोल लिया हो, फेर दे; तब वह अपनी निज भूमि का अधिकारी हो जाए।
28 Kann aber seine Hand nicht so viel finden, daß er's ihm wiedergebe, so soll, was er verkauft hat, in der Hand des Käufers bleiben bis zum Halljahr; in demselben soll es frei werden und er wieder zu seiner Habe kommen.
२८परन्तु यदि उसके पास इतनी पूँजी न हो कि उसे फिर अपनी कर सके, तो उसकी बेची हुई भूमि जुबली के वर्ष तक मोल लेनेवालों के हाथ में रहे; और जुबली के वर्ष में छूट जाए तब वह मनुष्य अपनी निज भूमि का फिर अधिकारी हो जाए।
29 Wer ein Wohnhaus verkauft in einer Stadt mit Mauern, der hat ein ganzes Jahr Frist, dasselbe wieder zu lösen; das soll die Zeit sein, darin er es lösen kann.
२९“फिर यदि कोई मनुष्य शहरपनाह वाले नगर में बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वर्ष भर के अन्दर उसे छुड़ा सकेगा, अर्थात् पूरे वर्ष भर उस मनुष्य को छुड़ाने का अधिकार रहेगा।
30 Wo er's aber nicht löst, ehe denn das ganze Jahr um ist, so soll's der Käufer für immer behalten und seine Nachkommen, und es soll nicht frei werden im Halljahr.
३०परन्तु यदि वह वर्ष भर में न छुड़ाए, तो वह घर जो शहरपनाह वाले नगर में हो मोल लेनेवाले का बना रहे, और पीढ़ी-पीढ़ी में उसी में वंश का बना रहे; और जुबली के वर्ष में भी न छूटे।
31 Ist's aber ein Haus auf dem Dorfe, um das keine Mauer ist, das soll man dem Feld des Landes gleich rechnen, und es soll können los werden und im Halljahr frei werden.
३१परन्तु बिना शहरपनाह के गाँवों के घर तो देश के खेतों के समान गिने जाएँ; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वर्ष में छूट जाएँ।
32 Die Städte der Leviten aber, nämlich die Häuser in den Städten, darin ihre Habe ist, können immerdar gelöst werden.
३२फिर भी लेवियों के निज भाग के नगरों के जो घर हों उनको लेवीय जब चाहें तब छुड़ाएँ।
33 Wer etwas von den Leviten löst, der soll's verlassen im Halljahr, es sei Haus oder Stadt, das er besessen hat; denn die Häuser in den Städten der Leviten sind ihre Habe unter den Kindern Israel.
३३और यदि कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बेचा हुआ घर जो उसके भाग के नगर में हो जुबली के वर्ष में छूट जाए; क्योंकि इस्राएलियों के बीच लेवियों का भाग उनके नगरों में वे घर ही हैं।
34 Aber das Feld vor ihren Städten soll man nicht verkaufen; denn das ist ihr Eigentum ewiglich.
३४पर उनके नगरों के चारों ओर की चराई की भूमि बेची न जाए; क्योंकि वह उनका सदा का भाग होगा।
35 Wenn dein Bruder verarmt und neben dir abnimmt, so sollst du ihn aufnehmen als einen Fremdling oder Gast, daß er lebe neben dir,
३५“फिर यदि तेरा कोई भाई-बन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको सम्भालना; वह परदेशी या यात्री के समान तेरे संग रहे।
36 und sollst nicht Zinsen von ihm nehmen noch Wucher, sondern sollst dich vor deinem Gott fürchten, auf daß dein Bruder neben dir leben könne.
३६उससे ब्याज या बढ़ती न लेना; अपने परमेश्वर का भय मानना; जिससे तेरा भाई-बन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके।
37 Denn du sollst ihm dein Geld nicht auf Zinsen leihen noch deine Speise auf Wucher austun.
३७उसको ब्याज पर रुपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।
38 Denn ich bin der HERR, euer Gott, der euch aus Ägyptenland geführt hat, daß ich euch das Land Kanaan gäbe und euer Gott wäre.
३८मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ; मैं तुम्हें कनान देश देने के लिये और तुम्हारा परमेश्वर ठहरने की मनसा से तुम को मिस्र देश से निकाल लाया हूँ।
39 Wenn dein Bruder verarmt neben dir und verkauft sich dir, so sollst du ihn nicht lassen dienen als einen Leibeigenen;
३९“फिर यदि तेरा कोई भाई-बन्धु तेरे सामने कंगाल होकर अपने आपको तेरे हाथ बेच डाले, तो उससे दास के समान सेवा न करवाना।
40 sondern wie ein Tagelöhner und Gast soll er bei dir sein und bis an das Halljahr bei dir dienen.
४०वह तेरे संग मजदूर या यात्री के समान रहे, और जुबली के वर्ष तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे;
41 Dann soll er von dir frei ausgehen und seine Kinder mit ihm und soll wiederkommen zu seinem Geschlecht und zu seiner Väter Habe.
४१तब वह बाल-बच्चों समेत तेरे पास से निकल जाए, और अपने कुटुम्ब में और अपने पितरों की निज भूमि में लौट जाए।
42 Denn sie sind meine Knechte, die ich aus Ägyptenland geführt habe; darum soll man sie nicht auf leibeigene Weise verkaufen.
४२क्योंकि वे मेरे ही दास हैं, जिनको मैं मिस्र देश से निकाल लाया हूँ; इसलिए वे दास की रीति से न बेचे जाएँ।
43 Und sollst nicht mit Strenge über sie herrschen, sondern dich fürchten vor deinem Gott.
४३उस पर कठोरता से अधिकार न करना; अपने परमेश्वर का भय मानते रहना।
44 Willst du aber leibeigene Knechte und Mägde haben, so sollst du sie kaufen von den Heiden, die um euch her sind,
४४तेरे जो दास-दासियाँ हों वे तुम्हारे चारों ओर की जातियों में से हों, और दास और दासियाँ उन्हीं में से मोल लेना।
45 und auch von den Kindern der Gäste, die Fremdlinge unter euch sind, und von ihren Nachkommen, die sie bei euch in eurem Land zeugen; dieselben mögt ihr zu eigen haben
४५जो यात्री लोग तुम्हारे बीच में परदेशी होकर रहेंगे, उनमें से और उनके घरानों में से भी जो तुम्हारे आस-पास हों, और जो तुम्हारे देश में उत्पन्न हुए हों, उनमें से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुम्हारा भाग ठहरें।
46 und sollt sie besitzen und eure Kinder nach euch zum Eigentum für und für; die sollt ihr leibeigene Knechte sein lassen. Aber von euren Brüdern, den Kindern Israel, soll keiner über den andern herrschen mit Strenge.
४६तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उनमें से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाई-बन्धु जो इस्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना।
47 Wenn irgend ein Fremdling oder Gast bei dir zunimmt und dein Bruder neben ihm verarmt und sich dem Fremdling oder Gast bei dir oder jemand von seinem Stamm verkauft,
४७“फिर यदि तेरे सामने कोई परदेशी या यात्री धनी हो जाए, और उसके सामने तेरा भाई कंगाल होकर अपने आपको तेरे सामने उस परदेशी या यात्री या उसके वंश के हाथ बेच डाले,
48 so soll er nach seinem Verkaufen Recht haben, wieder frei zu werden, und es mag ihn jemand unter seinen Brüdern lösen,
४८तो उसके बिक जाने के बाद वह फिर छुड़ाया जा सकता है; उसके भाइयों में से कोई उसको छुड़ा सकता है,
49 oder sein Vetter oder Vetters Sohn oder sonst ein Blutsfreund seines Geschlechts; oder so seine Hand so viel erwirbt, so soll er selbst sich lösen.
४९या उसका चाचा, या चचेरा भाई, तथा उसके कुल का कोई भी निकट कुटुम्बी उसको छुड़ा सकता है; या यदि वह धनी हो जाए, तो वह आप ही अपने को छुड़ा सकता है।
50 Und soll mit seinem Käufer rechnen von dem Jahr an, da er sich verkauft hatte, bis aufs Halljahr; und das Geld, darum er sich verkauft hat, soll nach der Zahl der Jahre gerechnet werden, als wäre er die ganze Zeit Tagelöhner bei ihm gewesen.
५०वह अपने मोल लेनेवाले के साथ अपने बिकने के वर्ष से जुबली के वर्ष तक हिसाब करे, और उसके बिकने का दाम वर्षों की गिनती के अनुसार हो, अर्थात् वह दाम मजदूर के दिवसों के समान उसके साथ होगा।
51 Sind noch viele Jahre bis an das Halljahr, so soll er nach denselben desto mehr zu seiner Lösung wiedergeben von dem Gelde darum er gekauft ist.
५१यदि जुबली के वर्ष के बहुत वर्ष रह जाएँ, तो जितने रुपयों से वह मोल लिया गया हो उनमें से वह अपने छुड़ाने का दाम उतने वर्षों के अनुसार फेर दे।
52 Sind aber wenig Jahre übrig bis ans Halljahr, so soll er auch darnach wiedergeben zu seiner Lösung.
५२यदि जुबली के वर्ष के थोड़े वर्ष रह गए हों, तो भी वह अपने स्वामी के साथ हिसाब करके अपने छुड़ाने का दाम उतने ही वर्षों के अनुसार फेर दे।
53 Als Tagelöhner soll er von Jahr zu Jahr bei ihm sein, und sollst nicht lassen mit Strenge über ihn herrschen vor deinen Augen.
५३वह अपने स्वामी के संग उस मजदूर के समान रहे जिसकी वार्षिक मजदूरी ठहराई जाती हो; और उसका स्वामी उस पर तेरे सामने कठोरता से अधिकार न जताने पाए।
54 Wird er aber auf diese Weise sich nicht lösen, so soll er im Halljahr frei ausgehen und seine Kinder mit ihm.
५४और यदि वह इन रीतियों से छुड़ाया न जाए, तो वह जुबली के वर्ष में अपने बाल-बच्चों समेत छूट जाए।
55 Denn die Kinder Israel sind meine Knechte, die ich aus Ägyptenland geführt habe. Ich bin der HERR, euer Gott.
५५क्योंकि इस्राएली मेरे ही दास हैं; वे मिस्र देश से मेरे ही निकाले हुए दास हैं; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

< 3 Mose 25 >