< Ester 2 >

1 Nach diesen Geschichten, da der Grimm des Königs Ahasveros sich gelegt hatte, gedachte er an Vasthi, was sie getan hatte und was über sie beschlossen war.
इन बातों के बाद जब राजा क्षयर्ष का गुस्सा ठंडा हो गया, तब उसने रानी वशती की, और जो काम उसने किया था, और जो उसके विषय में आज्ञा निकली थी उसकी भी सुधि ली।
2 Da sprachen die Diener des Königs, die ihm dienten: Man suche dem König junge, schöne Jungfrauen,
तब राजा के सेवक जो उसके टहलुए थे, कहने लगे, “राजा के लिये सुन्दर तथा युवा कुँवारियाँ ढूँढ़ी जाएँ।
3 und der König bestellte Männer in allen Landen seines Königreichs, daß sie allerlei junge, schöne Jungfrauen zusammenbringen gen Schloß Susan ins Frauenhaus unter der Hand Hegais, des Königs Kämmerers, der der Weiber wartet, und man gebe ihnen ihren Schmuck;
और राजा ने अपने राज्य के सब प्रान्तों में लोगों को इसलिए नियुक्त किया कि वे सब सुन्दर युवा कुँवारियों को शूशन गढ़ के रनवास में इकट्ठा करें और स्त्रियों के प्रबन्धक हेगे को जो राजा का खोजा था सौंप दें; और शुद्ध करने के योग्य वस्तुएँ उन्हें दी जाएँ।
4 und welche Dirne dem König gefällt, die werde Königin an Vasthis Statt. Das gefiel dem König, und er tat also.
तब उनमें से जो कुँवारी राजा की दृष्टि में उत्तम ठहरे, वह रानी वशती के स्थान पर पटरानी बनाई जाए।” यह बात राजा को पसन्द आई और उसने ऐसा ही किया।
5 Es war aber ein jüdischer Mann zu Schloß Susan, der hieß Mardochai, ein Sohn Jairs, des Sohnes Simeis, des Sohnes des Kis, ein Benjaminiter,
शूशन गढ़ में मोर्दकै नामक एक यहूदी रहता था, जो कीश नाम के एक बिन्यामीनी का परपोता, शिमी का पोता, और याईर का पुत्र था।
6 der mit weggeführt war von Jerusalem, da Jechonja, der König Juda's, weggeführt ward, welchen Nebukadnezar, der König zu Babel, wegführte.
वह उन बन्दियों के साथ यरूशलेम से बँधुआई में गया था, जिन्हें बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर, यहूदा के राजा यकोन्याह के संग बन्दी बना के ले गया था।
7 Und er war ein Vormund der Hadassa, das ist Esther, eine Tochter seines Oheims; denn sie hatte weder Vater noch Mutter. Und sie war eine schöne und feine Dirne. Und da ihr Vater und ihre Mutter starb, nahm sie Mardochai auf zur Tochter.
उसने हदास्सा नामक अपनी चचेरी बहन को, जो एस्तेर भी कहलाती थी, पाला-पोसा था; क्योंकि उसके माता-पिता कोई न थे, और वह लड़की सुन्दर और रूपवती थी, और जब उसके माता-पिता मर गए, तब मोर्दकै ने उसको अपनी बेटी करके पाला।
8 Da nun das Gebot und Gesetz des Königs laut ward und viel Dirnen zuhaufe gebracht wurden gen Schloß Susan unter die Hand Hegais, ward Esther auch genommen zu des Königs Hause unter die Hand Hegais, des Hüters der Weiber.
जब राजा की आज्ञा और नियम सुनाए गए, और बहुत सी युवा स्त्रियाँ, शूशन गढ़ में हेगे के अधिकार में इकट्ठी की गईं, तब एस्तेर भी राजभवन में स्त्रियों के प्रबन्धक हेगे के अधिकार में सौंपी गई।
9 Und die Dirne gefiel ihm, und sie fand Barmherzigkeit vor ihm. Und er eilte mit ihrem Schmuck, daß er ihr ihren Teil gäbe und sieben feine Dirnen von des Königs Hause dazu. Und er tat sie mit ihren Dirnen an den besten Ort im Frauenhaus.
वह युवती उसकी दृष्टि में अच्छी लगी; और वह उससे प्रसन्न हुआ, तब उसने बिना विलम्ब उसे राजभवन में से शुद्ध करने की वस्तुएँ, और उसका भोजन, और उसके लिये चुनी हुई सात सहेलियाँ भी दीं, और उसको और उसकी सहेलियों को रनवास में सबसे अच्छा रहने का स्थान दिया।
10 Und Esther sagte ihm nicht an ihr Volk und ihre Freundschaft; denn Mardochai hatte ihr geboten, sie sollte es nicht ansagen.
१०एस्तेर ने न अपनी जाति बताई थी, न अपना कुल; क्योंकि मोर्दकै ने उसको आज्ञा दी थी, कि उसे न बताना।
11 Und Mardochai wandelte alle Tage vor dem Hofe am Frauenhaus, daß er erführe, ob's Esther wohl ginge und was ihr geschehen würde.
११मोर्दकै तो प्रतिदिन रनवास के आँगन के सामने टहलता था ताकि जाने कि एस्तेर कैसी है और उसके साथ क्या हो रहा है?
12 Wenn aber die bestimmte Zeit einer jeglichen Dirne kam, daß sie zum König Ahasveros kommen sollte, nachdem sie zwölf Monate im Frauen-Schmücken gewesen war (denn ihr Schmücken mußte soviel Zeit haben, nämlich sechs Monate mit Balsam und Myrrhe und sechs Monate mit guter Spezerei, so waren denn die Weiber geschmückt):
१२जब एक-एक कन्या की बारी आई, कि वह क्षयर्ष राजा के पास जाए, और यह उस समय हुआ जब उसके साथ स्त्रियों के लिये ठहराए हुए नियम के अनुसार बारह माह तक व्यवहार किया गया था; अर्थात् उनके शुद्ध करने के दिन इस रीति से बीत गए, कि छः माह तक गन्धरस का तेल लगाया जाता था, और छः माह तक सुगन्ध-द्रव्य, और स्त्रियों के शुद्ध करने का अन्य सामान लगाया जाता था।
13 alsdann ging die Dirne zum König und alles, was sie wollte, mußte man ihr geben, daß sie damit vom Frauenhaus zu des Königs Hause ginge.
१३इस प्रकार से वह कन्या जब राजा के पास जाती थी, तब जो कुछ वह चाहती कि रनवास से राजभवन में ले जाए, वह उसको दिया जाता था।
14 Und wenn eine des Abends hineinkam, die ging des Morgens von ihm in das andere Frauenhaus unter die Hand des Saasgas, des Königs Kämmerers, des Hüters der Kebsweiber Und sie durfte nicht wieder zum König kommen, es lüstete denn den König und er ließ sie mit Namen rufen.
१४साँझ को तो वह जाती थी और सवेरे को वह लौटकर रनवास के दूसरे घर में जाकर रखैलों के प्रबन्धक राजा के खोजे शाशगज के अधिकार में हो जाती थी, और राजा के पास फिर नहीं जाती थी। और यदि राजा उससे प्रसन्न हो जाता था, तब वह नाम लेकर बुलाई जाती थी।
15 Da nun die Zeit Esthers herankam, der Tochter Abihails, des Oheims Mardochais (die er zur Tochter hatte aufgenommen), daß sie zum König kommen sollte, begehrte sie nichts, denn was Hegai, des Königs Kämmerer, der Weiber Hüter, sprach. Und Esther fand Gnade vor allen, die sie ansahen.
१५जब मोर्दकै के चाचा अबीहैल की बेटी एस्तेर, जिसको मोर्दकै ने बेटी मानकर रखा था, उसकी बारी आई कि राजा के पास जाए, तब जो कुछ स्त्रियों के प्रबन्धक राजा के खोजे हेगे ने उसके लिये ठहराया था, उससे अधिक उसने और कुछ न माँगा। जितनों ने एस्तेर को देखा, वे सब उससे प्रसन्न हुए।
16 Es ward aber Esther genommen zum König Ahasveros ins königliche Haus im zehnten Monat, der da heißt Tebeth, im siebenten Jahr seines Königreichs.
१६अतः एस्तेर राजभवन में राजा क्षयर्ष के पास उसके राज्य के सातवें वर्ष के तेबेत नामक दसवें महीने में पहुँचाई गई।
17 Und der König gewann Esther lieb über alle Weiber, und sie fand Gnade und Barmherzigkeit vor ihm vor allen Jungfrauen. Und er setzte die königliche Krone auf ihr Haupt und machte sie zur Königin an Vasthis Statt.
१७और राजा ने एस्तेर को और सब स्त्रियों से अधिक प्यार किया, और अन्य सब कुँवारियों से अधिक उसके अनुग्रह और कृपा की दृष्टि उसी पर हुई, इस कारण उसने उसके सिर पर राजमुकुट रखा और उसको वशती के स्थान पर रानी बनाया।
18 Und der König machte ein großes Mahl allen seinen Fürsten und Knechten, das war ein Mahl um Esthers willen, und ließ die Länder ruhen und gab königliche Geschenke aus.
१८तब राजा ने अपने सब हाकिमों और कर्मचारियों को एक बड़ा भोज दिया, और उसे एस्तेर का भोज कहा; और प्रान्तों में छुट्टी दिलाई, और अपनी उदारता के योग्य इनाम भी बाँटे।
19 Und da man das anderemal Jungfrauen versammelte, saß Mardochai im Tor des Königs.
१९जब कुँवारियाँ दूसरी बार इकट्ठा की गई, तब मोर्दकै राजभवन के फाटक में बैठा था।
20 Und Esther hatte noch nicht angesagt ihre Freundschaft noch ihr Volk, wie ihr Mardochai geboten hatte; denn Esther tat nach den Worten Mardochais, gleich als da er ihr Vormund war.
२०एस्तेर ने अपनी जाति और कुल का पता नहीं दिया था, क्योंकि मोर्दकै ने उसको ऐसी आज्ञा दी थी कि न बताए; और एस्तेर मोर्दकै की बात ऐसी मानती थी जैसे कि उसके यहाँ अपने पालन-पोषण के समय मानती थी।
21 Zur selben Zeit, da Mardochai im Tor des Königs saß, wurden zwei Kämmerer des Königs, Bigthan und Theres, die die Tür hüteten, zornig und trachteten ihre Hände an den König Ahasveros zu legen.
२१उन्हीं दिनों में जब मोर्दकै राजा के राजभवन के फाटक में बैठा करता था, तब राजा के खोजे जो द्वारपाल भी थे, उनमें से बिगताना और तेरेश नामक दो जनों ने राजा क्षयर्ष से रूठकर उस पर हाथ चलाने की युक्ति की।
22 Das ward Mardochai kund, und er sagte es der Königin Esther, und Esther sagte es dem König in Mardochais Namen.
२२यह बात मोर्दकै को मालूम हुई, और उसने एस्तेर रानी को यह बात बताई, और एस्तेर ने मोर्दकै का नाम लेकर राजा को चितौनी दी।
23 Und da man nachforschte, ward's gefunden, und sie wurden beide an Bäume gehängt. Und es ward geschrieben in die Chronik vor dem König.
२३तब जाँच पड़ताल होने पर यह बात सच निकली और वे दोनों वृक्ष पर लटका दिए गए, और यह वृत्तान्त राजा के सामने इतिहास की पुस्तक में लिख लिया गया।

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