< 1 Samuel 23 >
1 Und es ward David angesagt: Siehe, die Philister streiten wider Kegila und berauben die Tennen.
१दाऊद को यह समाचार मिला कि पलिश्ती लोग कीला नगर से युद्ध कर रहे हैं, और खलिहानों को लूट रहे हैं।
2 Da fragte David den HERRN und sprach: Soll ich hingehen und diese Philister schlagen? Und der HERR sprach zu David: Gehe hin! du wirst die Philister schlagen und Kegila erretten.
२तब दाऊद ने यहोवा से पूछा, “क्या मैं जाकर पलिश्तियों को मारूँ?” यहोवा ने दाऊद से कहा, “जा, और पलिश्तियों को मार के कीला को बचा।”
3 Aber die Männer bei David sprachen zu ihm: Siehe, wir fürchten uns hier in Juda, und wollen hingehen gen Kegila zu der Philister Heer?
३परन्तु दाऊद के जनों ने उससे कहा, “हम तो इस यहूदा देश में भी डरते रहते हैं, यदि हम कीला जाकर पलिश्तियों की सेना का सामना करें, तो क्या बहुत अधिक डर में न पड़ेंगे?”
4 Da fragte David wieder den HERRN, und der HERR antwortete ihm und sprach: Auf, zieh hinab gen Kegila! denn ich will die Philister in deine Hände geben.
४तब दाऊद ने यहोवा से फिर पूछा, और यहोवा ने उसे उत्तर देकर कहा, “कमर बाँधकर कीला को जा; क्योंकि मैं पलिश्तियों को तेरे हाथ में कर दूँगा।”
5 Also zog David samt seinen Männern gen Kegila und stritt wider die Philister und trieb ihnen ihr Vieh weg und tat eine große Schlacht an ihnen. Also errettete David die zu Kegila.
५इसलिए दाऊद अपने जनों को संग लेकर कीला को गया, और पलिश्तियों से लड़कर उनके पशुओं को हाँक लाया, और उन्हें बड़ी मार से मारा। अतः दाऊद ने कीला के निवासियों को बचाया।
6 Denn da Abjathar, der Sohn Ahimelechs, floh zu David gen Kegila, trug er den Leibrock mit sich hinab.
६जब अहीमेलेक का पुत्र एब्यातार दाऊद के पास कीला को भाग गया था, तब हाथ में एपोद लिए हुए गया था।
7 Da ward Saul angesagt, daß David gen Kegila gekommen wäre, und er sprach: Gott hat ihn in meine Hände übergeben, daß er eingeschlossen ist, nun er in eine Stadt gekommen ist, mit Türen und Riegeln verwahrt.
७तब शाऊल को यह समाचार मिला कि दाऊद कीला को गया है। और शाऊल ने कहा, “परमेश्वर ने उसे मेरे हाथ में कर दिया है; वह तो फाटक और बेंड़ेवाले नगर में घुसकर बन्द हो गया है।”
8 Und Saul ließ alles Volk rufen zum Streit hinab gen Kegila, daß sie David und seine Männer belagerten.
८तब शाऊल ने अपनी सारी सेना को लड़ाई के लिये बुलवाया, कि कीला को जाकर दाऊद और उसके जनों को घेर ले।
9 Da aber David merkte, daß Saul Böses über ihn gedachte, sprach er zu dem Priester Abjathar: Lange den Leibrock her!
९तब दाऊद ने जान लिया कि शाऊल मेरी हानि कि युक्ति कर रहा है; इसलिए उसने एब्यातार याजक से कहा, “एपोद को निकट ले आ।”
10 Und David sprach: HERR, Gott Israels, dein Knecht hat gehört, daß Saul darnach trachte, daß er gen Kegila komme, die Stadt zu verderben um meinetwillen.
१०तब दाऊद ने कहा, “हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, तेरे दास ने निश्चय सुना है कि शाऊल मेरे कारण कीला नगर नष्ट करने को आना चाहता है।
11 Werden mich auch die Bürger zu Kegila überantworten in seine Hände? Und wird auch Saul herabkommen, wie dein Knecht gehört hat? Das verkündige, HERR, Gott Israels, deinem Knecht! Und der HERR sprach: Er wird herabkommen.
११क्या कीला के लोग मुझे उसके वश में कर देंगे? क्या जैसे तेरे दास ने सुना है, वैसे ही शाऊल आएगा? हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, अपने दास को यह बता।” यहोवा ने कहा, “हाँ, वह आएगा।”
12 David sprach: Werden aber die Bürger zu Kegila mich und meine Männer überantworten in die Hände Sauls? Der HERR sprach: Ja.
१२फिर दाऊद ने पूछा, “क्या कीला के लोग मुझे और मेरे जनों को शाऊल के वश में कर देंगे?” यहोवा ने कहा, “हाँ, वे कर देंगे।”
13 Da machte sich David auf samt seinen Männern, deren bei sechshundert waren, und zogen aus von Kegila und wandelten, wo sie konnten. Da nun Saul angesagt ward, daß David von Kegila entronnen war, ließ er sein Ausziehen anstehen.
१३तब दाऊद और उसके जन जो कोई छः सौ थे, कीला से निकल गए, और इधर-उधर जहाँ कहीं जा सके वहाँ गए। और जब शाऊल को यह बताया गया कि दाऊद कीला से निकल भागा है, तब उसने वहाँ जाने का विचार छोड़ दिया।
14 David aber blieb in der Wüste verborgen und blieb auf dem Berge in der Wüste Siph. Saul aber suchte ihn sein Leben lang; aber Gott gab ihn nicht in seine Hände.
१४तब दाऊद जंगल के गढ़ों में रहने लगा, और पहाड़ी देश के जीप नामक जंगल में रहा। और शाऊल उसे प्रतिदिन ढूँढ़ता रहा, परन्तु परमेश्वर ने उसे उसके हाथ में न पड़ने दिया।
15 Und David sah, daß Saul ausgezogen war, sein Leben zu suchen. Aber David war in der Wüste Siph, in der Heide.
१५और दाऊद ने जान लिया कि शाऊल मेरे प्राण की खोज में निकला है। और दाऊद जीप नामक जंगल के होरेश नामक स्थान में था;
16 Da machte sich Jonathan auf, der Sohn Sauls, und ging hin zu David in der Heide und stärkte seine Hand in Gott
१६कि शाऊल का पुत्र योनातान उठकर उसके पास होरेश में गया, और परमेश्वर की चर्चा करके उसको ढाढ़स दिलाया।
17 und sprach zu ihm: Fürchte dich nicht; meines Vaters Sauls Hand wird dich nicht finden, und du wirst König werden über Israel, so will ich der nächste um dich sein; auch weiß solches mein Vater wohl.
१७उसने उससे कहा, “मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ में न पड़ेगा; और तू ही इस्राएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे होऊँगा; और इस बात को मेरा पिता शाऊल भी जानता है।”
18 Und sie machten beide einen Bund miteinander vor dem HERRN; und David blieb in der Heide, aber Jonathan zog wieder heim.
१८तब उन दोनों ने यहोवा की शपथ खाकर आपस में वाचा बाँधी; तब दाऊद होरेश में रह गया, और योनातान अपने घर चला गया।
19 Aber die Siphiter zogen hinauf zu Saul gen Gibea und sprachen: Ist nicht David bei uns verborgen an sicherem Ort in der Heide, auf dem Hügel Hachila, der zur Rechten liegt an der Wüste?
१९तब जीपी लोग गिबा में शाऊल के पास जाकर कहने लगे, “दाऊद तो हमारे पास होरेश के गढ़ों में, अर्थात् उस हकीला नामक पहाड़ी पर छिपा रहता है, जो यशीमोन के दक्षिण की ओर है।
20 So komme nun der König hernieder nach all seines Herzens Begehr, so wollen wir ihn überantworten in des Königs Hände.
२०इसलिए अब, हे राजा, तेरी जो इच्छा आने की है, तो आ; और उसको राजा के हाथ में पकड़वा देना हमारा काम होगा।”
21 Da sprach Saul: Gesegnet seid ihr dem HERRN, daß ihr euch meiner erbarmt habt!
२१शाऊल ने कहा, “यहोवा की आशीष तुम पर हो, क्योंकि तुम ने मुझ पर दया की है।
22 So gehet nun hin und werdet's noch gewisser, daß ihr wisset und sehet, an welchem Ort seine Füße gewesen sind und wer ihn daselbst gesehen habe; denn mir ist gesagt, daß er listig ist.
२२तुम चलकर और भी निश्चय कर लो; और देख-भाल कर जान लो, और उसके अड्डे का पता लगा लो, और पता लगाओ कि उसको वहाँ किसने देखा है; क्योंकि किसी ने मुझसे कहा है, कि वह बड़ी चतुराई से काम करता है।
23 Besehet und erkundet alle Orte, da er sich verkriecht, und kommt wieder zu mir, wenn ihr's gewiß seid, so will ich mit euch ziehen. Ist er im Lande, so will ich nach ihm forschen unter allen Tausenden in Juda.
२३इसलिए जहाँ कहीं वह छिपा करता है उन सब स्थानों को देख देखकर पहचानो, तब निश्चय करके मेरे पास लौट आना। और मैं तुम्हारे साथ चलूँगा, और यदि वह उस देश में कहीं भी हो, तो मैं उसे यहूदा के हजारों में से ढूँढ़ निकालूँगा।”
24 Da machten sie sich auf und gingen gen Siph vor Saul hin. David aber und seine Männer waren in der Wüste Maon, auf dem Gefilde zur Rechten der Wüste.
२४तब वे चलकर शाऊल से पहले जीप को गए। परन्तु दाऊद अपने जनों समेत माओन नामक जंगल में चला गया था, जो अराबा में यशीमोन के दक्षिण की ओर है।
25 Da nun Saul hinzog mit seinen Männern, zu suchen, ward's David angesagt; und er machte sich den Fels hinab und blieb in der Wüste Maon. Da das Saul hörte, jagte er David nach in die Wüste Maon.
२५तब शाऊल अपने जनों को साथ लेकर उसकी खोज में गया। इसका समाचार पाकर दाऊद पर्वत पर से उतर के माओन जंगल में रहने लगा। यह सुन शाऊल ने माओन जंगल में दाऊद का पीछा किया।
26 Und Saul mit seinen Männern ging an einer Seite des Berge, David mit seinen Männern an der anderen Seite des Berges. Da David aber eilte, dem Saul zu entgehen, da umringte Saul samt seinen Männern David und seine Männer, daß er sie griffe.
२६शाऊल तो पहाड़ की एक ओर, और दाऊद अपने जनों समेत पहाड़ की दूसरी ओर जा रहा था; और दाऊद शाऊल के डर के मारे जल्दी जा रहा था, और शाऊल अपने जनों समेत दाऊद और उसके जनों को पकड़ने के लिये घेरा बनाना चाहता था,
27 Aber es kam ein Bote zu Saul und sprach: Eile und komm! denn die Philister sind ins Land gefallen.
२७कि एक दूत ने शाऊल के पास आकर कहा, “फुर्ती से चला आ; क्योंकि पलिश्तियों ने देश पर चढ़ाई की है।”
28 Da kehrte sich Saul von dem Nachjagen Davids und zog hin, den Philistern entgegen; daher heißt man den Ort Sela-Mahlekoth (das heißt Scheidefels).
२८यह सुन शाऊल दाऊद का पीछा छोड़कर पलिश्तियों का सामना करने को चला; इस कारण उस स्थान का नाम सेलाहम्म-हलकोत पड़ा।
29 Und David zog hinauf von dannen und barg sich auf den Berghöhen zu Engedi.
२९वहाँ से दाऊद चढ़कर एनगदी के गढ़ों में रहने लगा।