< Rut 3 >
1 Darauf sprach ihre Schwiegermutter Noëmi zu ihr: "Meine Tochter! Ich will dir eine Heimat schaffen, die dir gefällt.
१एक दिन उसकी सास नाओमी ने उससे कहा, “हे मेरी बेटी, क्या मैं तेरे लिये आश्रय न ढूँढ़ूँ कि तेरा भला हो?
2 Nun, ist denn Boaz nicht mit uns verwandt, bei dessen Mädchen du gewesen? Er worfelt heute nacht die Gerstentenne.
२अब जिसकी दासियों के पास तू थी, क्या वह बोअज हमारा कुटुम्बी नहीं है? वह तो आज रात को खलिहान में जौ फटकेगा।
3 So wasche dich und salbe dich! Leg deine Kleider an und geh hinab zur Tenne! Doch gib dich nicht dem Manne zu erkennen, bis er mit Essen und mit Trinken fertig ist!
३तू स्नान कर तेल लगा, वस्त्र पहनकर खलिहान को जा; परन्तु जब तक वह पुरुष खा पी न चुके तब तक अपने को उस पर प्रगट न करना।
4 Wenn er sich niederlegt, dann merke dir den Ort, wo er sich niederlegt! Geh hin! Deck dann den Platz zu seinen Füßen auf und lege dich dort nieder! Er wird dir sagen, was du tun sollst."
४और जब वह लेट जाए, तब तू उसके लेटने के स्थान को देख लेना; फिर भीतर जा उसके पाँव उघाड़ के लेट जाना; तब वही तुझे बताएगा कि तुझे क्या करना चाहिये।”
5 Da sagte sie zu ihr: "Was immer du mir sagst, das will ich tun."
५रूत ने उससे कहा, “जो कुछ तू कहती है वह सब मैं करूँगी।”
6 Sie ging zur Tenne und tat, wie ihre Schwiegermutter sie geheißen.
६तब वह खलिहान को गई और अपनी सास के कहे अनुसार ही किया।
7 Und Boaz aß und trank und wurde guter Dinge. Dann ging er hin, sich hinter den Getreidehaufen hinzulegen. Sie aber ging ganz leise herzu und deckte nun den Platz zu seinen Füßen auf und legte sich hier nieder.
७जब बोअज खा पी चुका, और उसका मन आनन्दित हुआ, तब जाकर अनाज के ढेर के एक सिरे पर लेट गया। तब वह चुपचाप गई, और उसके पाँव उघाड़ के लेट गई।
8 Und da geschah es um Mitternacht. Der Mann fuhr voller Schrecken auf, und als er tastete, da lag das Weib an seinem Fußende.
८आधी रात को वह पुरुष चौंक पड़ा, और आगे की ओर झुककर क्या पाया, कि मेरे पाँवों के पास कोई स्त्री लेटी है।
9 Er sprach: "Wer bist denn du?" Da sagte sie: "Ruth, deine Magd! Heirate deine Magd! Du bist verwandt."
९उसने पूछा, “तू कौन है?” तब वह बोली, “मैं तो तेरी दासी रूत हूँ; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ानेवाला कुटुम्बी है।”
10 Er sprach: "Gesegnet seist du, meine Tochter, von dem Herrn! Du hast später deine Liebe schöner noch gezeigt als je zuvor. Du liefst nicht jungen Männern nach, ob arm, ob reich.
१०उसने कहा, “हे बेटी, यहोवा की ओर से तुझ पर आशीष हो; क्योंकि तूने अपनी पिछली प्रीति पहली से अधिक दिखाई, क्योंकि तू, क्या धनी, क्या कंगाल, किसी जवान के पीछे नहीं लगी।
11 Nun, -eine Tochter, sei getrost! Ich werde ganz nach deinen Worten an dir tun. Denn jede Sippe meines Volkes weiß: Du bist ein wackeres Weib.
११इसलिए अब, हे मेरी बेटी, मत डर, जो कुछ तू कहेगी मैं तुझ से करूँगा; क्योंकि मेरे नगर के सब लोग जानते हैं कि तू भली स्त्री है।
12 Nun ist es so: Ich bin verwandt. Doch gibt es einen, der noch näher ist verwandt als ich.
१२और सच तो है कि मैं छुड़ानेवाला कुटुम्बी हूँ, तो भी एक और है जिसे मुझसे पहले ही छुड़ाने का अधिकार है।
13 Bleib diese Nacht nur hier! Freit er dich morgen, gut! So mag er freien. Doch hat er keine Lust dazu, so will, so wahr der Herr lebt, ich dich freien. Jetzt schlafe bis zum Morgen!"
१३अतः रात भर ठहरी रह, और सवेरे यदि वह तेरे लिये छुड़ानेवाले का काम करना चाहे; तो अच्छा, वही ऐसा करे; परन्तु यदि वह तेरे लिये छुड़ानेवाले का काम करने को प्रसन्न न हो, तो यहोवा के जीवन की शपथ मैं ही वह काम करूँगा। भोर तक लेटी रह।”
14 So lag sie bis zum Morgen früh an seinem Fußende. Alsdann erhob sie sich, bevor noch irgendwer den anderen erkennen konnte. Sie sprach: "Nicht ruchbar werde es, daß auf die Tenne hier ein Weib gekommen ist."
१४तब वह उसके पाँवों के पास भोर तक लेटी रही, और उससे पहले कि कोई दूसरे को पहचान सके वह उठी; और बोअज ने कहा, “कोई जानने न पाए कि खलिहान में कोई स्त्री आई थी।”
15 Da sagte er: "So nimm den Überwurf, den du da trägst, und halte ihn her!" Sie hielt ihn hin. Da maß er sechs Maß Gerste ab und lud es ihr auf. So kam sie in die Stadt.
१५तब बोअज ने कहा, “जो चद्दर तू ओढ़े है उसे फैलाकर पकड़ ले।” और जब उसने उसे पकड़ा तब उसने छः नपुए जौ नापकर उसको उठा दिया; फिर वह नगर में चली गई।
16 Sie kam zu ihrer Schwiegermutter, und diese fragte: "Wie steht's mit dir, du meine Tochter?" Und sie erzählte ihr, was ihr der Mann erwiesen hatte.
१६जब रूत अपनी सास के पास आई तब उसने पूछा, “हे बेटी, क्या हुआ?” तब जो कुछ उस पुरुष ने उससे किया था वह सब उसने उसे कह सुनाया।
17 Sie sagte: "Die sechs Maß Gerste schenkte er mir. Er sprach: 'Du darfst nicht leer zu deiner Schwiegermutter kommen.'"
१७फिर उसने कहा, “यह छः नपुए जौ उसने यह कहकर मुझे दिया, कि अपनी सास के पास खाली हाथ मत जा।”
18 Da sagte sie: "Verhalt dich ruhig, meine Tochter, bis du weißt, wie diese Sache endet! Der Mann wird ja nicht ruhen, bis er die Sache heute noch zu Ende bringt."
१८फिर नाओमी ने कहा, “हे मेरी बेटी, जब तक तू न जाने कि इस बात का कैसा फल निकलेगा, तब तक चुपचाप बैठी रह, क्योंकि आज उस पुरुष को यह काम बिना निपटाए चैन न पड़ेगा।”