< Nehemia 4 >
1 Sobald Sanballat erfuhr, daß wir die Mauer bauten, kam er in Zorn und großen Ärger. Er spottete der Judäer.
१जब सम्बल्लत ने सुना कि यहूदी लोग शहरपनाह को बना रहे हैं, तब उसने बुरा माना, और बहुत रिसियाकर यहूदियों को उपहास में उड़ाने लगा।
2 Er sprach von seinen Brüdern und der Streitmacht von Samaria: "Was machen die armseligen Judäer? Läßt man sie gewähren? Opfern sie jetzt? Machen sie es fertig? Lassen sie die Steine aus dem Schutthaufen wachsen? Sie sind doch verbrannt."
२वह अपने भाइयों के और सामरिया की सेना के सामने यह कहने लगा, “वे निर्बल यहूदी क्या करना चाहते हैं? क्या वे वह काम अपने बल से करेंगे? क्या वे अपना स्थान दृढ़ करेंगे? क्या वे यज्ञ करेंगे? क्या वे आज ही सब को निपटा डालेंगे? क्या वे मिट्टी के ढेरों में के जले हुए पत्थरों को फिर नये सिरे से बनाएँगे?”
3 Neben ihm stand Tobia aus Ammon und sprach: "Mögen sie bauen! Springt ein Fuchs hinauf, reißt er ihre Steinmauer ein."
३उसके पास तो अम्मोनी तोबियाह था, और वह कहने लगा, “जो कुछ वे बना रहे हैं, यदि कोई गीदड़ भी उस पर चढ़े, तो वह उनकी बनाई हुई पत्थर की शहरपनाह को तोड़ देगा।”
4 Höre, unser Gott, wie wir verspottet werden! Bringe ihren Hohn auf ihr eigen Haupt zurück und gib sie im Lande der Gefangenschaft der Schmach preis!
४हे हमारे परमेश्वर सुन ले, कि हमारा अपमान हो रहा है; और उनका किया हुआ अपमान उन्हीं के सिर पर लौटा दे, और उन्हें बँधुआई के देश में लुटवा दे।
5 Decke nimmer ihre Frevel zu! Nicht ausgelöscht werde ihre Sünde vor Dir! Sie haben die Bauenden gekränkt.
५और उनका अधर्म तू न ढाँप, और न उनका पाप तेरे सम्मुख से मिटाया जाए; क्योंकि उन्होंने तुझे शहरपनाह बनानेवालों के सामने क्रोध दिलाया है।
6 Wir aber bauten an der Mauer. Und die ganze Mauer wurde bis zur halben Höhe geschlossen, und das Volk hatte Lust zur Arbeit.
६हम लोगों ने शहरपनाह को बनाया; और सारी शहरपनाह आधी ऊँचाई तक जुड़ गई। क्योंकि लोगों का मन उस काम में नित लगा रहा।
7 Als Sanballat, Tobia und die Araber, die Ammoniter und die Asdoditer hörten, daß die Ausbesserung der Mauern Jerusalems voranging und daß sich die Breschen zu schließen begännen, wurden sie recht zornig.
७जब सम्बल्लत और तोबियाह और अरबियों, अम्मोनियों और अश्दोदियों ने सुना, कि यरूशलेम की शहरपनाह की मरम्मत होती जाती है, और उसमें के नाके बन्द होने लगे हैं, तब उन्होंने बहुत ही बुरा माना;
8 Sie verschworen sich, alle auf einmal zu kommen, Jerusalem zu stürmen und in ihm Verwirrung zu stiften.
८और सभी ने एक मन से गोष्ठी की, कि जाकर यरूशलेम से लड़ें, और उसमें गड़बड़ी डालें।
9 Wir beteten zu unserem Gott und stellten Wachen Tag und Nacht gegen sie auf.
९परन्तु हम लोगों ने अपने परमेश्वर से प्रार्थना की, और उनके डर के मारे उनके विरुद्ध दिन-रात के पहरुए ठहरा दिए।
10 Die Judäer aber sprachen: "Die Kraft des Lastträgers wankt: Des Schuttes ist zuviel. Wir sind nicht mehr imstande, an der Mauer zu bauen."
१०परन्तु यहूदी कहने लगे, “ढोनेवालों का बल घट गया, और मिट्टी बहुत पड़ी है, इसलिए शहरपनाह हम से नहीं बन सकती।”
11 Unsere Gegner aber sagten: "Sie sollen nichts sehen und nichts merken, bis wir in ihre Mitte dringen und sie töten; so machen wir dem Bau ein Ende."
११और हमारे शत्रु कहने लगे, “जब तक हम उनके बीच में न पहुँचे, और उन्हें घात करके वह काम बन्द न करें, तब तक उनको न कुछ मालूम होगा, और न कुछ दिखाई पड़ेगा।”
12 Aber die Judäer, die in ihrer Nähe wohnten, kamen und sprachen uns zehnmal von all den Orten, wohin "ihr zu uns gehen sollt".
१२फिर जो यहूदी उनके आस-पास रहते थे, उन्होंने सब स्थानों से दस बार आ आकर, हम लोगों से कहा, “तुम को हमारे पास लौट आना चाहिये।”
13 Da ließ ich Schleuderer aufstellen in der Gegend hinter der von Truppen entblößten Stadtmauer. Nach Familien ließ ich das Volk antreten mit seinen Schwertern, Lanzen und Bogen.
१३इस कारण मैंने लोगों को तलवारें, बर्छियाँ और धनुष देकर शहरपनाह के पीछे सबसे नीचे के खुले स्थानों में घराने-घराने के अनुसार बैठा दिया।
14 Ich sah auch nach. Dann erhob ich mich und sprach zu den Adligen, den Vorstehern und zum übrigen Volk: "Habt vor ihnen keine Angst! Denkt an den großen, furchtbaren Herrn und kämpft für eure Brüder, Söhne, Töchter, Weiber und Häuser!"
१४तब मैं देखकर उठा, और रईसों और हाकिमों और सब लोगों से कहा, “उनसे मत डरो; प्रभु जो महान और भययोग्य है, उसी को स्मरण करके, अपने भाइयों, बेटों, बेटियों, स्त्रियों और घरों के लिये युद्ध करना।”
15 Unsere Feinde aber hörten, es sei uns verraten worden. So störte Gott ihren Plan. Und wir kehrten alle zur Mauer zurück, jeder an seine Arbeit.
१५जब हमारे शत्रुओं ने सुना, कि यह बात हमको मालूम हो गई है और परमेश्वर ने उनकी युक्ति निष्फल की है, तब हम सब के सब शहरपनाह के पास अपने-अपने काम पर लौट गए।
16 Seit jener Zeit war nur die eine Hälfte meiner Knappen bei der Arbeit tätig. Die andere Hälfte hielt die Lanzen, Schilder, Bogen und Panzer, die Oberen aber standen hinter dem ganzen Hause Juda,
१६और उस दिन से मेरे आधे सेवक तो उस काम में लगे रहे और आधे बर्छियों, तलवारों, धनुषों और झिलमों को धारण किए रहते थे; और यहूदा के सारे घराने के पीछे हाकिम रहा करते थे।
17 das an der Mauer baute. Die Lastträger aber schafften so, daß sie mit einer Hand bei der Arbeit tätig waren, die andere Hand aber die Schleuder hielt.
१७शहरपनाह को बनानेवाले और बोझ के ढोनेवाले दोनों भार उठाते थे, अर्थात् एक हाथ से काम करते थे और दूसरे हाथ से हथियार पकड़े रहते थे।
18 Und von den Bauenden band sich jeder sein Schwert um die Hüften und baute so. Neben mir stand der Hornbläser.
१८राजमिस्त्री अपनी-अपनी जाँघ पर तलवार लटकाए हुए बनाते थे। और नरसिंगे का फूँकनेवाला मेरे पास रहता था।
19 Ich sprach nun zu den Adligen, den Vorstehern und zu dem übrigen Volk: "Die Arbeit ist groß und umfangreich. Wir aber sind auf der Mauer verstreut, einer vom anderen entfernt.
१९इसलिए मैंने रईसों, हाकिमों और सब लोगों से कहा, “काम तो बड़ा और फैला हुआ है, और हम लोग शहरपनाह पर अलग-अलग एक दूसरे से दूर रहते हैं।
20 Woher ihr den Schall des Hornes hört, dort schart euch bei uns zusammen! Unser Gott kämpft für uns."
२०इसलिए जहाँ से नरसिंगा तुम्हें सुनाई दे, उधर ही हमारे पास इकट्ठे हो जाना। हमारा परमेश्वर हमारी ओर से लड़ेगा।”
21 So schafften wir am Werke. Die eine Hälfte hielt die Lanzen vom frühen Morgen bis zum Erscheinen der Sterne.
२१अतः हम काम में लगे रहे, और उनमें आधे, पौ फटने से तारों के निकलने तक बर्छियाँ लिये रहते थे।
22 Zur selben Zeit sprach ich zum Volke: "Jeder bleibe mit seinem Knappen die Nacht in Jerusalem, bei Nacht als Wache, bei Tage am Werk!"
२२फिर उसी समय मैंने लोगों से यह भी कहा, “एक-एक मनुष्य अपने दास समेत यरूशलेम के भीतर रात बिताया करे, कि वे रात को तो हमारी रखवाली करें, और दिन को काम में लगे रहें।”
23 Weder ich noch meine Brüder noch meine Knappen noch die Wachtposten in meinem Gefolge legten die Kleider ab. Jeder hatte seinen Regenmantel an.
२३इस प्रकार न तो मैं अपने कपड़े उतारता था, और न मेरे भाई, न मेरे सेवक, न वे पहरुए जो मेरे अनुचर थे, अपने कपड़े उतारते थे; सब कोई पानी के पास भी हथियार लिये हुए जाते थे।