< 3 Mose 25 >
1 Der Herr aber hatte zu Moses auf dem Berge Sinai also gesprochen:
१फिर यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से कहा,
2 "Rede mit den Söhnen Israels und sprich zu ihnen: 'Wenn ihr in das Land kommt, das ich euch gebe, so halte das Land für den Herrn eine Ruhezeit!
२“इस्राएलियों से कह कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूँ, तब भूमि को यहोवा के लिये विश्राम मिला करे।
3 Sechs Jahre sollst du dein Feld besäen! Sechs Jahre sollst du deinen Weinberg beschneiden, dann heimse seine Ernte!
३छः वर्ष तो अपना-अपना खेत बोया करना, और छहों वर्ष अपनी-अपनी दाख की बारी छाँट छाँटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना;
4 Im siebten Jahre aber soll das Land volle Ruhe haben, als Ruhezeit für den Herrn! Du darfst dein Feld nicht besäen, noch deine Weinberge beschneiden!
४परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उसमें न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छाँटना।
5 Den Nachwuchs deiner Ernte sollst du nicht beschneiden! Die Trauben deines unbeschnittenen Weinstocks sollst du nicht lesen. Ein Ruhejahr soll es für das Land sein.
५जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगें उसे न काटना, और अपनी बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा।
6 Während eurer Bodenruhe diene zur Nahrung dir, deinem Knechte, deiner Magd, deinem Lohnarbeiter, deinem Beisaß unter deinem Schutze,
६भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुम को, और तुम्हारे दास-दासी को, और तुम्हारे साथ रहनेवाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा;
7 deinem Vieh und dem Wilde in deinem Lande all sein Ertrag.
७और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा।
8 Zähle dir sieben Jahrwochen ab, siebenmal sieben Jahre! So seien dir die Tage der sieben Jahrwochen neunundvierzig Jahre!
८“सात विश्रामवर्ष, अर्थात् सातगुना सात वर्ष गिन लेना, सातों विश्रामवर्षों का यह समय उनचास वर्ष होगा।
9 Dann laß im siebten Mond das Lärmhorn erschallen, am zehnten Tage des Monats! Am Sühnetage sollt ihr in eurem Lande das Horn ertönen lassen!
९तब सातवें महीने के दसवें दिन को, अर्थात् प्रायश्चित के दिन, जय जयकार के महाशब्द का नरसिंगा अपने सारे देश में सब कहीं फुँकवाना।
10 Heiligt das fünfzigste Jahr und ruft Freiheit im Land für alle seine Insassen aus! Jubeljahr sei es euch! Da kehrt ein jeder zu seinem Besitz und jeder zu seiner Sippe zurück!
१०और उस पचासवें वर्ष को पवित्र करके मानना, और देश के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना; वह वर्ष तुम्हारे यहाँ जुबली कहलाए; उसमें तुम अपनी-अपनी निज भूमि और अपने-अपने घराने में लौटने पाओगे।
11 Jubeljahr sei euch das fünfzigste Jahr! Nicht säen dürft ihr noch den Nachwuchs einernten und nicht von unbeschnittenen Traubenstöcken lesen!
११तुम्हारे यहाँ वह पचासवाँ वर्ष जुबली का वर्ष कहलाए; उसमें तुम न बोना, और जो अपने आप उगें उसे भी न काटना, और न बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को तोड़ना।
12 Ein Jubeljahr soll euch heilig sein! Vom Felde weg sollt ihr seinen Ertrag verzehren!
१२क्योंकि वह तो जुबली का वर्ष होगा; वह तुम्हारे लिये पवित्र होगा; तुम उसकी उपज खेत ही में से ले लेकर खाना।
13 In diesem Jubeljahr kommt ihr jeder wieder zu seinem Besitz.
१३“इस जुबली के वर्ष में तुम अपनी-अपनी निज भूमि को लौटने पाओगे।
14 Verkauft ihr etwas einem Angehörigen eures Volkes oder kauft ihr es von einem solchen, so plage keiner den anderen!
१४और यदि तुम अपने भाई-बन्धु के हाथ कुछ बेचो या अपने भाई-बन्धु से कुछ मोल लो, तो तुम एक दूसरे पर उपद्रव न करना।
15 Nach der Zahl der Jahre nach dem Jubeljahr sollst du den Angehörigen deines Volkes abkaufen! Nach der Zahl der Erntejahre soll er dir verkaufen!
१५जुबली के बाद जितने वर्ष बीते हों उनकी गिनती के अनुसार दाम ठहराके एक दूसरे से मोल लेना, और शेष वर्षों की उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे।
16 Für eine größere Zahl von Jahren sollst du einen höheren Kaufpreis zahlen und einen kleineren für eine kleinere Zahl von Jahren! Wenn er dir eine Anzahl Ernten verkauft,
१६जितने वर्ष और रहें उतना ही दाम बढ़ाना, और जितने वर्ष कम रहें उतना ही दाम घटाना, क्योंकि वर्ष की उपज की संख्या जितनी हो उतनी ही वह तेरे हाथ बेचेगा।
17 dann sollt ihr nicht einander plagen, einer den anderen Angehörigen seines Volkes! Fürchte dich vor deinem Gott! Denn ich, der Herr, bin euer Gott.
१७तुम अपने-अपने भाई-बन्धु पर उपद्रव न करना; अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
18 Tut meine Vorschriften! Meine Satzungen sollt ihr wahren! Erfüllt sie! Dann wohnet ihr im Lande sicher.
१८“इसलिए तुम मेरी विधियों को मानना, और मेरे नियमों पर समझ बूझकर चलना; क्योंकि ऐसा करने से तुम उस देश में निडर बसे रहोगे।
19 Und dann gibt das Land seine Frucht. Satt könnt ihr euch essen und sicher darin siedeln.
१९भूमि अपनी उपज उपजाया करेगी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस देश में निडर बसे रहोगे।
20 Und sprächet ihr: "Was sollen wir im siebten Jahre essen? Wir dürfen ja nicht säen und keinen Vorrat sammeln",
२०और यदि तुम कहो कि सातवें वर्ष में हम क्या खाएँगे, न तो हम बोएँगे न अपने खेत की उपज इकट्ठा करेंगे?”
21 so entbiete ich im sechsten Jahre meinen Segen für euch, daß es für drei Jahre Ertrag gibt.
२१तो जानो कि मैं तुम को छठवें वर्ष में ऐसी आशीष दूँगा, कि भूमि की उपज तीन वर्ष तक काम आएगी।
22 Sät ihr im achten Jahr, so könnt ihr noch Altes vom Ertrag genießen. Bis zum neunten Jahre, bis seine Ernte kommt, könnt ihr Altes essen.
२२तुम आठवें वर्ष में बोओगे, और पुरानी उपज में से खाते रहोगे, और नवें वर्ष की उपज जब तक न मिले तब तक तुम पुरानी उपज में से खाते रहोगे।
23 Nicht soll das Land endgültig verkauft werden! Denn mein ist das Land. Ihr seid nur Gäste und Beisassen bei mir.
२३“भूमि सदा के लिये बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है; और उसमें तुम परदेशी और बाहरी होंगे।
24 Ihr sollt überall in eurem eigenen Lande Wiedereinlösung für das Land gestatten
२४लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ाने देना।
25 Verarmt dein Bruder und verkauft von seinem Besitz, so gehe sein nächster Verwandter zu ihm als Löser und löse den Verkauf seines Bruders aus!
२५“यदि तेरा कोई भाई-बन्धु कंगाल होकर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सबसे निकट हो वह आकर अपने भाई-बन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले।
26 Hat jemand keinen Löser, aber ist er zur Wiedereinlösung vermöglich,
२६यदि किसी मनुष्य के लिये कोई छुड़ानेवाला न हो, और उसके पास इतना धन हो कि आप ही अपने भाग को छुड़ा सके,
27 so bringe er die Jahre seit dem Verkauf in Anrechnung! Was darüber ist, erstatte er seinem Käufer, damit er wieder zu seinem Besitz komme!
२७तो वह उसके बिकने के समय से वर्षों की गिनती करके शेष वर्षों की उपज का दाम उसको, जिसने उसे मोल लिया हो, फेर दे; तब वह अपनी निज भूमि का अधिकारी हो जाए।
28 Ist er aber zur Rückerstattung unvermögend, dann bleibe sein Verkauf im Besitz des Käufers bis zum Jubeljahr! Im Jubeljahr aber falle es heim, daß er wieder zu seinem Besitz kommt!
२८परन्तु यदि उसके पास इतनी पूँजी न हो कि उसे फिर अपनी कर सके, तो उसकी बेची हुई भूमि जुबली के वर्ष तक मोल लेनेवालों के हाथ में रहे; और जुबली के वर्ष में छूट जाए तब वह मनुष्य अपनी निज भूमि का फिर अधिकारी हो जाए।
29 Verkauft jemand in einer ummauerten Stadt ein Wohnhaus, so währe sein Einlösungsrecht bis zum Tage des Jahres seines Verkaufes! Sein Einlösungsrecht soll auf den Tag währen!
२९“फिर यदि कोई मनुष्य शहरपनाह वाले नगर में बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वर्ष भर के अन्दर उसे छुड़ा सकेगा, अर्थात् पूरे वर्ष भर उस मनुष्य को छुड़ाने का अधिकार रहेगा।
30 Wird es aber bis zum Ablauf eines vollen Jahres nicht eingelöst, dann verfalle das Haus in der Stadt mit Mauern endgültig seinem Käufer und seinen Nachkommen! Im Jubeljahr fällt es nicht heim.
३०परन्तु यदि वह वर्ष भर में न छुड़ाए, तो वह घर जो शहरपनाह वाले नगर में हो मोल लेनेवाले का बना रहे, और पीढ़ी-पीढ़ी में उसी में वंश का बना रहे; और जुबली के वर्ष में भी न छूटे।
31 Die Häuser in Dörfern ohne Ringmauern sind zum Ackerfelde zu rechnen. Für sie gibt es ein Einlösungsrecht; sie fallen im Jubeljahre heim.
३१परन्तु बिना शहरपनाह के गाँवों के घर तो देश के खेतों के समान गिने जाएँ; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वर्ष में छूट जाएँ।
32 Bei den Levitenhäusern, bei ihren eigenen Häusern in den Städten, gibt es stets ein Einlösungsrecht.
३२फिर भी लेवियों के निज भाग के नगरों के जो घर हों उनको लेवीय जब चाहें तब छुड़ाएँ।
33 Wer von den Leviten nicht einlösen kann, dessen verkauftes Haus falle in der eigenen Stadt im Jubeljahr zurück. Denn der Levitenstädte Häuser sind ihr Eigentum inmitten der Söhne Israels.
३३और यदि कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बेचा हुआ घर जो उसके भाग के नगर में हो जुबली के वर्ष में छूट जाए; क्योंकि इस्राएलियों के बीच लेवियों का भाग उनके नगरों में वे घर ही हैं।
34 Aber ihrer Städte Weideland darf nicht verkauft werden. Für alle Zeit gehört es ihnen.
३४पर उनके नगरों के चारों ओर की चराई की भूमि बेची न जाए; क्योंकि वह उनका सदा का भाग होगा।
35 Verarmt dein Bruder, zittert seine Hand neben dir, dann halte ihn fest! Als Gast und Beisasse, so lebe er bei dir!
३५“फिर यदि तेरा कोई भाई-बन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको सम्भालना; वह परदेशी या यात्री के समान तेरे संग रहे।
36 Nimm keinen Wucherzins von ihm! Fürchte deinen Gott! Dein Bruder lebe neben dir!
३६उससे ब्याज या बढ़ती न लेना; अपने परमेश्वर का भय मानना; जिससे तेरा भाई-बन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके।
37 Du sollst ihm dein Geld nicht gegen Zins geben und nicht um Zinsen deine Speise.
३७उसको ब्याज पर रुपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।
38 Ich, der Herr, bin euer Gott, der aus Ägypterland euch geführt, euch das Land von Kanaan zu geben und euch Gott zu sein.
३८मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ; मैं तुम्हें कनान देश देने के लिये और तुम्हारा परमेश्वर ठहरने की मनसा से तुम को मिस्र देश से निकाल लाया हूँ।
39 Verarmt dein Bruder neben dir und verkauft er sich dir, so sollst du ihn keine Sklavendienste tun lassen!
३९“फिर यदि तेरा कोई भाई-बन्धु तेरे सामने कंगाल होकर अपने आपको तेरे हाथ बेच डाले, तो उससे दास के समान सेवा न करवाना।
40 Er soll bei dir wie ein Lohnarbeiter sein, ein Beisasse! Er soll bei dir bis zum Jubeljahr dienen!
४०वह तेरे संग मजदूर या यात्री के समान रहे, और जुबली के वर्ष तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे;
41 Dann verlasse er samt seinen Söhnen dich und kehre zu seiner Sippe! Zum Besitz seiner Väter kehre er wieder!
४१तब वह बाल-बच्चों समेत तेरे पास से निकल जाए, और अपने कुटुम्ब में और अपने पितरों की निज भूमि में लौट जाए।
42 Sie sind ja meine Knechte, die ich aus Ägypterland geführt. Sie dürfen nicht wie Sklaven verkauft werden.
४२क्योंकि वे मेरे ही दास हैं, जिनको मैं मिस्र देश से निकाल लाया हूँ; इसलिए वे दास की रीति से न बेचे जाएँ।
43 Du sollst nicht mit Härte über ihn herrschen! Fürchte dich vor deinem Gott!
४३उस पर कठोरता से अधिकार न करना; अपने परमेश्वर का भय मानते रहना।
44 Dein Sklave und deine Sklavin, die dein sind: von den Heidenvölkern rings um euch rnöget ihr Sklaven und Sklavinnen erwerben.
४४तेरे जो दास-दासियाँ हों वे तुम्हारे चारों ओर की जातियों में से हों, और दास और दासियाँ उन्हीं में से मोल लेना।
45 Auch von den Kindern der Beisassen neben euch möget ihr kaufen sowie aus ihrer Sippe bei euch. Die sie in eurem Land gezeugt, sie mögen euer Besitz werden.
४५जो यात्री लोग तुम्हारे बीच में परदेशी होकर रहेंगे, उनमें से और उनके घरानों में से भी जो तुम्हारे आस-पास हों, और जो तुम्हारे देश में उत्पन्न हुए हों, उनमें से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुम्हारा भाग ठहरें।
46 Vererbet sie nach euch auf eure Söhne als ihren Besitz! Ihr möget sie dauernd zu Sklaven haben. Aber über eure israelitischen Brüder dürft ihr gegenseitig nicht mit Härte walten.
४६तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उनमें से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाई-बन्धु जो इस्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना।
47 Kommt bei dir ein Fremder oder Beisaß zu Besitz, dein Bruder aber wird neben ihm arm und verkauft sich einem Beisassen bei dir oder einem Abkömmling aus des Fremdlings Sippe,
४७“फिर यदि तेरे सामने कोई परदेशी या यात्री धनी हो जाए, और उसके सामने तेरा भाई कंगाल होकर अपने आपको तेरे सामने उस परदेशी या यात्री या उसके वंश के हाथ बेच डाले,
48 so gibt es nach seinem Verkauf für ihn Auslösung. Einer seiner Brüder soll ihn lösen,
४८तो उसके बिक जाने के बाद वह फिर छुड़ाया जा सकता है; उसके भाइयों में से कोई उसको छुड़ा सकता है,
49 oder sein Oheim oder seines Oheims Sohn, oder einer seiner nächsten Blutsverwandten seiner Sippe, oder reicht sein Vermögen zu, so löse er sich aus!
४९या उसका चाचा, या चचेरा भाई, तथा उसके कुल का कोई भी निकट कुटुम्बी उसको छुड़ा सकता है; या यदि वह धनी हो जाए, तो वह आप ही अपने को छुड़ा सकता है।
50 Er rechne mit seinem Käufer die Zeit vom Jahre seines Verkaufs bis zum Jubeljahr! Der Preis seines Verkaufs sei nach der Jahre Zahl! Wie ein Lohnarbeiter soll er eine bestimmte Zeit bei ihm sein!
५०वह अपने मोल लेनेवाले के साथ अपने बिकने के वर्ष से जुबली के वर्ष तक हिसाब करे, और उसके बिकने का दाम वर्षों की गिनती के अनुसार हो, अर्थात् वह दाम मजदूर के दिवसों के समान उसके साथ होगा।
51 Sind es noch viele der Jahre, dann soll er dementsprechend seine Lösungssumme von seinem Kaufgeld erstatten!
५१यदि जुबली के वर्ष के बहुत वर्ष रह जाएँ, तो जितने रुपयों से वह मोल लिया गया हो उनमें से वह अपने छुड़ाने का दाम उतने वर्षों के अनुसार फेर दे।
52 Fehlen aber nur wenige Jahre bis zum Jubeljahr, so berechne er sie ihm! Nach seinen Jahren soll er seine Lösungssumme erstatten!
५२यदि जुबली के वर्ष के थोड़े वर्ष रह गए हों, तो भी वह अपने स्वामी के साथ हिसाब करके अपने छुड़ाने का दाम उतने ही वर्षों के अनुसार फेर दे।
53 Gleich dem, der Jahr für Jahr um Lohn arbeitet, soll er neben ihm sein! Er soll aber nicht mit Härte über ihn walten vor deinen Augen!
५३वह अपने स्वामी के संग उस मजदूर के समान रहे जिसकी वार्षिक मजदूरी ठहराई जाती हो; और उसका स्वामी उस पर तेरे सामने कठोरता से अधिकार न जताने पाए।
54 Wird er nicht auf diese Weise ausgelöst, dann gehe er im Jubeljahr samt seinen Söhnen frei aus!
५४और यदि वह इन रीतियों से छुड़ाया न जाए, तो वह जुबली के वर्ष में अपने बाल-बच्चों समेत छूट जाए।
55 Denn die Söhne Israels sind mir Knechte. Meine Knechte sind sie, die ich aus dem Ägypterland herausgeführt. Ich, der Herr, bin euer Gott.'"
५५क्योंकि इस्राएली मेरे ही दास हैं; वे मिस्र देश से मेरे ही निकाले हुए दास हैं; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।