< Klagelieder 2 >

1 Wie hat umwölkt in seinem Zorn der Herr die Sionstochter! So tief gestürzt vom Himmel auf die Erde die Herrlichkeit von Israel! Er dachte nicht an seiner Füße Schemel an seinem Zornestage.
ख़ुदावन्द ने अपने क़हर में सिय्यून की बेटी को कैसे बादल से छिपा दिया! उसने इस्राईल की खू़बसूरती को आसमान से ज़मीन पर गिरा दिया, और अपने ग़ज़ब के दिन भी अपने पैरों की चौकी को याद न किया।
2 Der Herr vertilgte schonungslos die Auen Jakobs insgesamt. In seinem Grimme riß er nieder die Festungen der Tochter Judas und warf zu Boden den König und die Fürsten - todeswund;
ख़ुदावन्द ने या'क़ूब के तमाम घर हलाक किए, और रहम न किया; उसने अपने क़हर में यहूदाह की बेटी के तमाम क़िले' गिराकर ख़ाक में मिला दिए उसने मुल्कों और उसके हाकिमों को नापाक ठहराया।
3 in Zornglut hieb er ab ein jeglich Horn in Israel und schlug ihm seine Rechte vor dem Feind zurück, und dieser wütete in Jakob gleich einer Flammenlohe, die alles ringsumher verzehrt.
उसने बड़े ग़ज़ब में इस्राईल का सींग बिल्कुल काट डाला; उसने दुश्मन के सामने से दहना हाथ खींच लिया; और उसने जलाने वाली आग की तरह, जो चारों तरफ़ ख़ाक करती है, या'कू़ब को जला दिया।
4 Er spannte seinen Bogen wie ein Gegner, und reckte wie ein Feind die Rechte; er tötete all ihre Augenlust im Zelt der Sionstochter und goß den Grimm wie Feuer aus.
उसने दुश्मन की तरह कमान खींची, मुख़ालिफ़ की तरह दहना हाथ बढ़ाया, और सिय्यून की बेटी के खे़में में सब हसीनों को क़त्ल किया! उसने अपने क़हर की आग को उँडेल दिया।
5 Der Herr hat sich als Feind gezeigt und Israel gestürzt, all seine Burgen eingerissen und seine Festungen zerstört und Jammer über Jammer bei Judas Tochter angehäuft.
ख़ुदावन्द दुश्मन की तरह हो गया, वह इस्राईल को निगल गया, वह उसके तमाम महलों को निगल गया, उसने उसके क़िले' मिस्मार कर दिए, और उसने दुख़्तर — ए — यहूदाह में मातम — ओ नौहा बहुतायत से कर दिया।
6 Und seine Hütte riß er nieder gleich einer bloßen Gartenhütte, zerstreute seine Offenbarungsstätte. Vergessen ließ der Herr in Sion die Festtage und Sabbate. Und er verwarf in seinem grimmen Zorn den König und den Priester.
और उसने अपने घर को एक बार में ही बर्बाद कर दिया, गोया ख़ैमा — ए — बाग़ था; और अपने मजमे' के मकान को बर्बाद कर दिया; ख़ुदावन्द ने मुक़द्दस 'ईदों और सबतों को सिय्यून से फ़रामोश करा दिया, और अपने क़हर के जोश में बादशाह और काहिन को ज़लील किया।
7 Und seinen Altar hat der Herr verschmäht, sein Heiligtum verworfen, in Feindeshand gegeben all die Mauern seiner Burgen. Sie schrieen in dem Haus des Herrn, als wär's ein Feiertag.
ख़ुदावन्द ने अपने मज़बह को रद्द किया, उसने अपने मक़दिस से नफ़रत की, उसके महलों की दीवारों को दुश्मन के हवाले कर दिया; उन्होंने ख़ुदावन्द के घर में ऐसा शोर मचाया, जैसा 'ईद के दिन।
8 Der Herr bot alle seine Künste auf, der Sionstochter Mauern zu zerstören. Er zog die Meßschnur drüber her und hemmte seine Hand nicht im Zerstören. Da trauerten zusammen Wall und Mauer und härmten sich zusammen ab.
ख़ुदावन्द ने दुख़्तर — ए — सिय्यून की दीवार गिराने का इरादा किया है; उसने डोरी डाली है, और बर्बाद करने से दस्तबरदार नहीं हुआ; उसने फ़सील और दीवार को मग़मूम किया; वह एक साथ मातम करती हैं।
9 Versunken in die Erde ihre Tore und ihre Riegel unbrauchbar, zerbrochen. Ihr König, ihre Fürsten weilen bei den Heiden; und ein Gesetz gibt's nimmermehr, und ihre Seher erhalten keine Offenbarung mehr vom Herrn.
उसके दरवाज़े ज़मीन में गर्क़ हो गए; उसने उसके बेन्डों को तोड़कर बर्बाद कर दिया; उसके बादशाह और उमरा बे — शरी'अत क़ौमों में हैं; उसके नबी भी ख़ुदावन्द की तरफ़ से कोई ख़्वाब नहीं देखते।
10 Am Boden sitzen schweigend die Ältesten der Sionstochter. Sie streuen Staub auf ihren Kopf, mit härenem Gewand gegürtet. Zu Boden senken ihre Häupter die Jungfrauen Jerusalems.
दुख़्तर — ए — सिय्यून के बुज़ुर्ग ख़ाक नशीन और ख़ामोश हैं; वह अपने सिरों पर ख़ाक डालते और टाट ओढ़ते हैं; येरूशलेम की कुँवारियाँ ज़मीन पर सिर झुकाए हैं।
11 In Tränen schwinden meine Augen; mein Inneres glüht, und meine Leber fließt zu Boden; denn meines Volkes Tochter ist vernichtet. Auf öffentlichen Plätzen verschmachten Säuglinge und Kinder.
मेरी आँखें रोते — रोते धुंदला गईं, मेरे अन्दर पेच — ओ — ताब है, मेरी दुख़्तर — ए — क़ौम की बर्बादी के ज़रिए' मेरा कलेजा निकल आया; क्यूँकि छोटे बच्चे और दूध पीने वाले शहर की गलियों में बेहोश हैं।
12 Sie rufen ihren Müttern zu: "Wo gibt es Brot?" und keins ist da. Wie todwund schmachten sie dahin auf öffentlichen Plätzen. In ihrer Mütter Schoß verhauchen sie ihr Leben
जब वह शहर की गलियों में के ज़ख्मियों की तरह ग़श खाते, और जब अपनी माँओं की गोद में जाँ बलब होते हैं; तो उनसे कहते हैं, कि ग़ल्ला और मय कहाँ है?
13 Was soll ich dir nur gleichstellen, womit dich nur vergleichen, du Tochter von Jerusalem? Wem setze ich dich gleich, um dich zu trösten, du Jungfrau, Sions Tochter? Groß wie das Meer ist deine Wunde; wer kann dich heilen?
ऐ दुख़्तर — ए — येरूशलेम, मैं तुझे क्या नसीहत करूँ, और किससे मिसाल दूँ? ऐ कुँवारी दुख्त़र — ए — सिय्यून, तुझे किस की तरह जान कर तसल्ली दूँ? क्यूँकि तेरा ज़ख़्म समुन्दर सा बड़ा है; तुझे कौन शिफ़ा देगा?
14 Dir schauten deine Seher Lug und Trug. Sie sagten über deine Sünde nichts, um dadurch dein Geschick zu wenden. Sie haben dir erschaut nur Sprüche zum Betrug und zur Verführung.
तेरे नबियों ने तेरे लिए, बातिल और बेहूदा ख़्वाब देखे: और तेरी बदकिरदारी ज़ाहिर न की, ताकि तुझे ग़ुलामी से वापस लाते: बल्कि तेरे लिए झूटे पैग़ाम और जिलावतनी के सामान देखे।
15 Die Hände schlugen über dich zusammen sie alle, die des Weges zogen. Sie zischten, schüttelten das Haupt über die Tochter von Jerusalem: "Ist das die Stadt, von der man sagte, sie sei der Schönheit Krone, der ganzen Erde Lust?"
सब आने जानेवाले तुझ पर तालियाँ बजाते हैं; वह दुख़्तर — ए — येरूशलेम पर सुसकारते और सिर हिलाते हैं, के क्या, ये वही शहर है, जिसे लोग कमाल — ए — हुस्न और फ़रहत — ए — जहाँ कहते थे?
16 All deine Feinde rissen wider dich den Mund weit auf. Sie zischten, knirschten mit den Zähnen und sprachen: "Wir vertilgen es. Das ist der Tag, den wir erhofft; wir haben es erreicht, erlebt."
तेरे सब दुश्मनों ने तुझ पर मुँह पसारा है; वह सुसकारते और दाँत पीसते हैं; वो कहते हैं, हम उसे निगल गए; बेशक हम इसी दिन के मुन्तज़िर थे; इसलिए आ पहुँचा, और हम ने देख लिया
17 Der Herr hat ausgeführt, was er geplant, sein Wort erfüllt, das er seit alten Zeiten angedroht. Er riß zu Boden schonungslos und ließ den Feind frohlocken über dich und deiner Gegner Horn emporwachsen.
ख़ुदावन्द ने जो तय किया वही किया; उसने अपने कलाम को, जो पुराने दिनों में फ़रमाया था, पूरा किया; उसने गिरा दिया, और रहम न किया; और उसने दुश्मन को तुझ पर शादमान किया, उसने तेरे मुख़ालिफ़ों का सींग बलन्द किया।
18 Zum Herrn schreit aus Herzensgrund die Sionstochter in Bekümmernis. Laß deine Tränen stromweis rinnen bei Tag und Nacht! Gönn keine Ruhe dir! Nicht rasten soll dein Augenstern!
उनके दिलों ने ख़ुदावन्द से फ़रियाद की, ऐ दुख़्तर — ए — सिय्यून की फ़सील, शब — ओ — रोज़ ऑसू नहर की तरह जारी रहें; तू बिल्कुल आराम न ले; तेरी आँख की पुतली आराम न करे।
19 Auf! Jammere laut noch durch die Nacht bis zum Beginn der Nachtwachen! Dem Wasser gleich schütte dein Herz aus vorm Angesicht des Herrn! Zu ihm erhebe deine Hände um deiner Kindlein Leben, die Hungers voll an allen Straßenecken schmachten!
उठ रात को पहरों के शुरू' में फ़रियाद कर; ख़ुदावन्द के हुजू़र अपना दिल पानी की तरह उँडेल दे; अपने बच्चों की ज़िन्दगी के लिए, जो सब गलियों में भूक से बेहोश पड़े हैं, उसके सामने में दस्त — ए — दु'आ बलन्द कर।
20 "Herr, sieh darein und schau! Wem hast du solches angetan, wenn Weiber ihre Leibesfrucht, die Kinder ihrer Wartung, essen, wenn selbst im Heiligtum des Herrn gemordet werden Priester und Prophet?
ऐ ख़ुदावन्द, नज़र कर, और देख, कि तू ने किससे ये किया! क्या 'औरतें अपने फल या'नी अपने लाडले बच्चों को खाएँ? क्या काहिन और नबी ख़ुदावन्द के मक़्दिस में क़त्ल किए जाएँ?
21 Es liegen auf dem Boden in den Straßen die Knaben samt den Greisen; hinfallen meine Jungfrauen und meine Jungmänner durchs Schwert. An deinem Zornestage mordest du und schlachtest schonungslos.
बुज़ुर्ग — ओ — जवान गलियों में ख़ाक पर पड़े हैं; मेरी कुँवारियाँ और मेरे जवान तलवार से क़त्ल हुए; तू ने अपने क़हर के दिन उनको क़त्ल किया; तूने उनको काट डाला, और रहम न किया।
22 Du hast von überall her wie zu einem Fest in meine Fremdenzimmer eingeladen; am Tag des Herrenzorns war niemand, der entronnen und entkommen wär von denen, die ich einst gepflegt und aufgezogen. Mein Feind hat sie vernichtet."
तूने मेरी दहशत को हर तरफ से गोया 'ईद के दिन बुला लिया, और ख़ुदावन्द के क़हर के दिन न कोई बचा, न बाक़ी रहा; जिनको मैंने गोद में खिलाया और पला पोसा, मेरे दुश्मनों ने फ़ना कर दिया।

< Klagelieder 2 >