< Jeremia 10 >

1 Vernehmt den Ausspruch, den der Herr an euch vom Hause Israel gerichtet!
यहोवा यह कहता है, हे इस्राएल के घराने जो वचन यहोवा तुम से कहता है उसे सुनो।
2 So spricht der Herr: "Gewöhnet euch nicht an der Heiden Wege und erschreckt nicht vor den Himmelszeichen, wenn schon die Heiden sich vor solchen fürchten!
“अन्यजातियों की चाल मत सीखो, न उनके समान आकाश के चिन्हों से विस्मित हो, इसलिए कि अन्यजाति लोग उनसे विस्मित होते हैं।
3 Der Völker Satzungen sind eitler Wahn, nur Holz das man im Walde fällt, durch Künstlerhand gefertigt mit dem Meißel,
क्योंकि देशों के लोगों की रीतियाँ तो निकम्मी हैं। मूरत तो वन में से किसी का काटा हुआ काठ है जिसे कारीगर ने बसूले से बनाया है।
4 mit Silber und mit Gold verziert, mit Nägeln und mit Hämmern festgemacht, daß es nicht wackle.
लोग उसको सोने-चाँदी से सजाते और हथौड़े से कील ठोंक-ठोंककर दृढ़ करते हैं कि वह हिल-डुल न सके।
5 Sie gleichen einer Vogelscheuche im Gurkenfeld. Sie reden nicht. Man muß sie tragen. Sie schrecken nicht. Habt keine Angst vor ihnen! Sie können niemals schaden. Doch Gutestun ist auch nicht ihre Sache."
वे ककड़ी के खेत में खड़े पुतले के समान हैं, पर वे बोल नहीं सकतीं; उन्हें उठाए फिरना पड़ता है, क्योंकि वे चल नहीं सकतीं। उनसे मत डरो, क्योंकि, न तो वे कुछ बुरा कर सकती हैं और न कुछ भला।”
6 Nicht Deinesgleichen gibt es, Herr; Du bist gar groß, durch Deine Stärke ist Dein Name groß.
हे यहोवा, तेरे समान कोई नहीं है; तू महान है, और तेरा नाम पराक्रम में बड़ा है।
7 Wer sieht Dich nicht als Völkerkönig an? Für Dich geziemt sich dies. Denn unter allen Weisen bei den Heiden ist Deinesgleichen nicht in ihrem ganzen Göttersaal.
हे सब जातियों के राजा, तुझ से कौन न डरेगा? क्योंकि यह तेरे योग्य है; अन्यजातियों के सारे बुद्धिमानों में, और उनके सारे राज्यों में तेरे समान कोई नहीं है।
8 Sie spalten, schaben allzumal am Kern der Nichtse, der aus Holz
वे मूर्ख और निर्बुद्धि है; मूर्तियों से क्या शिक्षा? वे तो काठ ही हैं!
9 und Silberblech, aus Tarsis eingeführt, und Gold aus Ophir, des Tischlers und des Goldschmieds Machwerk, mit blauem oder rotem Purpurkleid, ein Werk gelernter Meister insgesamt.
पत्तर बनाई हुई चाँदी तर्शीश से लाई जाती है, और ऊफाज से सोना। वे कारीगर और सुनार के हाथों की कारीगरी हैं; उनके पहरावे नीले और बैंगनी रंग के वस्त्र हैं; उनमें जो कुछ है वह निपुण कारीगरों की कारीगरी ही है।
10 In Wirklichkeit ist nur der Herr ein Gott, lebendiger Gott und ewiger König. Die Erde bebt vor seinem Zorn, und Völker halten seinen Grimm nicht aus.
१०परन्तु यहोवा वास्तव में परमेश्वर है; जीवित परमेश्वर और सदा का राजा वही है। उसके प्रकोप से पृथ्वी काँपती है, और जाति-जाति के लोग उसके क्रोध को सह नहीं सकते।
11 Von jenen sollt ihr also sprechen: "Die Götter, die den Himmel und die Erde nicht erschaffen, verschwinden von der Erde unterm Himmel."
११तुम उनसे यह कहना, “ये देवता जिन्होंने आकाश और पृथ्वी को नहीं बनाया वे पृथ्वी के ऊपर से और आकाश के नीचे से नष्ट हो जाएँगे।”
12 Er ist es, der durch seine Kraft die Erde schuf, durch seine Weisheit einst den Erdkreis gründete, durch seine Einsicht auch dem Himmel seine Weite gab.
१२उसी ने पृथ्वी को अपनी सामर्थ्य से बनाया, उसने जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया, और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।
13 Läßt er am Himmel Wasserbrausen hörbar werden, und führt er Wolken von der Erde Rand herauf, und schafft er Blitze, daß es regnet, führt den Wind aus seinen Kammern,
१३जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, और पृथ्वी की छोर से वह कुहरे को उठाता है। वह वर्षा के लिये बिजली चमकाता, और अपने भण्डार में से पवन चलाता है।
14 dann muß ein jeder Unverständige sich für töricht halten, weil er merkt, und jeder Künstler muß verblüfft dastehen, weil er sieht: Sein Gußbild ohne Geist ist Trug.
१४सब मनुष्य मूर्ख और ज्ञानरहित हैं; अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण सब सुनारों की आशा टूटती है; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें झूठी हैं, और उनमें साँस ही नहीं है।
15 Nur Wahn sind sie, nur Possenspiel. Wenn sie ein Unglück trifft, ist's aus mit ihnen.
१५वे व्यर्थ और ठट्ठे ही के योग्य हैं; जब उनके दण्ड का समय आएगा तब वे नाश हो जाएँगीं।
16 Doch solchen gleicht nicht Jakobs Teil. Er ist des Weltalls Schöpfer, und sein besonderer Stamm ist Israel, und "Herr der Heeresscharen", ist sein Name.
१६परन्तु याकूब का निज भाग उनके समान नहीं है, क्योंकि वह तो सब का सृजनहार है, और इस्राएल उसके निज भाग का गोत्र है; सेनाओं का यहोवा उसका नाम है।
17 Vom Boden nimm die Matte auf, die du im Elend sitzest!
१७हे घेरे हुए नगर की रहनेवाली, अपनी गठरी भूमि पर से उठा!
18 Denn also spricht der Herr: "ich schieße dieses Mal auf die Bewohner hier des Landes, ich treib sie in die Enge; sie sollen gut getroffen werden."
१८क्योंकि यहोवा यह कहता है, “मैं अब की बार इस देश के रहनेवालों को मानो गोफन में रखकर फेंक दूँगा, और उन्हें ऐसे-ऐसे संकट में डालूँगा कि उनकी समझ में भी नहीं आएगा।”
19 Weh mir, meiner Wunde wegen! Unheilbar ist der Schlag, der mich getroffen. Ich aber dachte, eine Krankheit sei es, die ich überstünde.
१९मुझ पर हाय! मेरा घाव चंगा होने का नहीं। फिर मैंने सोचा, “यह तो रोग ही है, इसलिए मुझ को इसे सहना चाहिये।”
20 Mein Zelt ist umgeworfen, und alle meine Seile sind zerrissen. Entführt sind mir die Kinder, und meine Schäflein sind nicht mehr. Mein Zelt spannt niemand auf und niemand richtet meine Decken her.
२०मेरा तम्बू लूटा गया, और सब रस्सियाँ टूट गई हैं; मेरे बच्चे मेरे पास से चले गए, और नहीं हैं; अब कोई नहीं रहा जो मेरे तम्बू को ताने और मेरी कनातें खड़ी करे।
21 Weil Hirten unverständig sind und nach dem Herrn nichts fragen, schon deshalb haben sie kein Glück, und ihre Herde stiebt nach allen Seiten.
२१क्योंकि चरवाहे पशु सरीखे हैं, और वे यहोवा को नहीं पुकारते; इसी कारण वे बुद्धि से नहीं चलते, और उनकी सब भेड़ें तितर-बितर हो गई हैं।
22 Horch! Eine Kunde! Her kommt's, gewaltiges Getöse aus dem Nordland, das Judas Städte öde macht, zum Wohnsitz für Schakale.
२२सुन, एक शब्द सुनाई देता है! देख, वह आ रहा है! उत्तर दिशा से बड़ा हुल्लड़ मच रहा है ताकि यहूदा के नगरों को उजाड़ कर गीदड़ों का स्थान बना दे।
23 Ich weiß jetzt, Herr: Der Mensch ist niemals seines Weges Herr. Dem Manne ist es nicht gegeben, im Gange seine Schritte zu bestimmen.
२३हे यहोवा, मैं जान गया हूँ, कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।
24 So züchtige mich, Herr, doch nur mit Maß! Und nicht in Deinem Zorn, daß Du mich nicht zermalmst!
२४हे यहोवा, मेरी ताड़ना कर, पर न्याय से; क्रोध में आकर नहीं, कहीं ऐसा न हो कि मैं नाश हो जाऊँ।
25 Gieß über jene Heiden, die Dich nicht anerkennen, Deinen Grimm und über jene Sippen, die Deinen Namen nicht anrufen! Denn sie verschlingen Jakob, verschlingen's ganz und gar, und seine Au verheeren sie.
२५जो जाति तुझे नहीं जानती, और जो तुझ से प्रार्थना नहीं करते, उन्हीं पर अपनी जलजलाहट उण्डेल; क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया, वरन्, उसे खाकर अन्त कर दिया है, और उसके निवास-स्थान को उजाड़ दिया है।

< Jeremia 10 >