< Jesaja 51 >
1 "Horcht ihr doch wenigstens auf mich, die ihr dem Heil nachjagt, die ihr den Herren sucht! Schaut auf den Felsen hin, aus dem ihr seid gehauen, und auf den Born, aus dem ihr seid geflossen!
१“हे धार्मिकता पर चलनेवालों, हे यहोवा के ढूँढ़ने वालों, कान लगाकर मेरी सुनो; जिस चट्टान में से तुम खोदे गए और जिस खदान में से तुम निकाले गए, उस पर ध्यान करो।
2 Schaut hin auf euren Vater Abraham, auf Sara, eure Mutter! Denn ihn nur habe ich berufen und ihn gesegnet und gemehrt."
२अपने मूलपुरुष अब्राहम और अपनी माता सारा पर ध्यान करो; जब वह अकेला था, तब ही से मैंने उसको बुलाया और आशीष दी और बढ़ा दिया।
3 So sei der Herr auch Sion wieder gnädig, erbarme sich all seiner Trümmer, und seine Öde mache er zu einem Paradies und seine Wüste zu des Herren Garten, in dem sich Lust und Wonne finden und Dank und Liederklänge! -
३यहोवा ने सिय्योन को शान्ति दी है, उसने उसके सब खण्डहरों को शान्ति दी है; वह उसके जंगल को अदन के समान और उसके निर्जल देश को यहोवा की वाटिका के समान बनाएगा; उसमें हर्ष और आनन्द और धन्यवाद और भजन गाने का शब्द सुनाई पड़ेगा।
4 "Ihr Völker, horcht auf mich, und ihr Nationen, hört mich an! Von mir geht Weisung aus, und meine Wahrheit mache ich zum Licht für Völker.
४“हे मेरी प्रजा के लोगों, मेरी ओर ध्यान धरो; हे मेरे लोगों, कान लगाकर मेरी सुनो; क्योंकि मेरी ओर से व्यवस्था दी जाएगी, और मैं अपना नियम देश-देश के लोगों की ज्योति होने के लिये स्थिर करूँगा।
5 Mein Heil kommt näher; meine Hilfe zieht schon aus. Denn meine Arme bringen Völker zu dem Recht; die Inseln harren schon auf mich, und sie vertraun auf meinen Arm.
५मेरा छुटकारा निकट है; मेरा उद्धार प्रगट हुआ है; मैं अपने भुजबल से देश-देश के लोगों का न्याय करूँगा। द्वीप मेरी बाट जोहेंगे और मेरे भुजबल पर आशा रखेंगे।
6 Zum Himmel hebet eure Augen auf! Und schauet auf die Erde unten! Zerflattert auch der Himmel gleich dem Rauch, zerfällt die Erde wie ein Kleid, auf gleiche Weise auch ihre Bewohner, so bleibt doch meine Hilfe ewiglich bestehen. Mein Heil wird nicht zunichte.
६आकाश की ओर अपनी आँखें उठाओ, और पृथ्वी को निहारो; क्योंकि आकाश धुएँ के समान लोप हो जाएगा, पृथ्वी कपड़े के समान पुरानी हो जाएगी, और उसके रहनेवाले ऐसे ही जाते रहेंगे; परन्तु जो उद्धार मैं करूँगा वह सर्वदा ठहरेगा, और मेरी धार्मिकता का अन्त न होगा।
7 So hört mir zu, die ihr das Rechte kennt! Du Volk, das meine Lehre in dem Herzen trägt! Habt keine Angst vor Menschenschimpf! Zagt nicht vor ihrem Hohn!
७“हे धार्मिकता के जाननेवालों, जिनके मन में मेरी व्यवस्था है, तुम कान लगाकर मेरी सुनो; मनुष्यों की नामधराई से मत डरो, और उनके निन्दा करने से विस्मित न हो।
8 Wie ein Gewand frißt sie die Motte; wie Wolle wird die Schabe sie verzehren. Mein Heil dagegen bleibt in Ewigkeit bestehn und meine Hilfe bis zum äußersten Geschlecht."
८क्योंकि घुन उन्हें कपड़े के समान और कीड़ा उन्हें ऊन के समान खाएगा; परन्तु मेरी धार्मिकता अनन्तकाल तक, और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।”
9 Hervor! Hervor! Leg Kraft an, Arm des Herrn! Hervor, wie einstens in der Urzeit Tagen! Bist Du's nicht, der das Ungetüm zerhauen, den Drachen einst durchbohrt?
९हे यहोवा की भुजा, जाग! जाग और बल धारण कर; जैसे प्राचीनकाल में और बीते हुए पीढ़ियों में, वैसे ही अब भी जाग। क्या तू वही नहीं है जिसने रहब को टुकड़े-टुकड़े किया और अजगर को छेदा?
10 Bist Du's nicht, der das Meer einst ausgetrocknet, das Wasser jener großen See? Der durch des Meeres Tiefe eine Straße bahnte, Erlöste durchzuführen?
१०क्या तू वही नहीं जिसने समुद्र को अर्थात् गहरे सागर के जल को सूखा डाला और उसकी गहराई में अपने छुड़ाए हुओं के पार जाने के लिये मार्ग निकाला था?
11 So mögen auch des Herrn Erkaufte wiederkehren nach Sion unter Jubelrufen, auf ihrem Haupte ewige Freude. Freude und Wonne mögen ihnen das Geleite geben, und weithin fliehen Schmerz und Leid.
११सो यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएँगे, और उनके सिरों पर अनन्त आनन्द गूँजता रहेगा; वे हर्ष और आनन्द प्राप्त करेंगे, और शोक और सिसकियों का अन्त हो जाएगा।
12 "Ich selber bin es, der euch tröstet. Wer bist du doch, daß du vor Menschen, sterblichen, dich fürchtest? Vor Menschenkindern, die zu Grase werden?
१२“मैं, मैं ही तेरा शान्तिदाता हूँ; तू कौन है जो मरनेवाले मनुष्य से, और घास के समान मुर्झानेवाले आदमी से डरता है,
13 Du dachtest nimmer an den Herrn, den Schöpfer, der einst den Himmel ausgespannt, der Erde Grund gelegt. Du bebtest vielmehr allezeit den ganzen Tag vor des Bedrückers Grimm, als hätte er schon zum Vertilgen Macht gehabt. Wo ist nun des Bedrückers Grimm?
१३और आकाश के ताननेवाले और पृथ्वी की नींव डालनेवाले अपने कर्ता यहोवा को भूल गया है, और जब द्रोही नाश करने को तैयार होता है तब उसकी जलजलाहट से दिन भर लगातार थरथराता है? परन्तु द्रोही की जलजलाहट कहाँ रही?
14 Der Kluge ist bereit für die Befreiung; dann stirbt er nicht im Kerker, und nimmer mangelt ihm das Brot.
१४बन्दी शीघ्र ही स्वतंत्र किया जाएगा; वह गड्ढे में न मरेगा और न उसे रोटी की कमी होगी।
15 Ich bin der Herr, dein Gott, der selbst das Meer zur Ruhe zwingt, wenn seine Wellen brausen, der 'Herr der Heeresscharen' heißt.
१५जो समुद्र को उथल-पुथल करता जिससे उसकी लहरों में गर्जन होती है, वह मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ मेरा नाम सेनाओं का यहोवा है।
16 Ich lege mein Versprechen dir in deinen Mund, mit meiner Hand dich deckend, ich werde einen andern Himmel schaffen und eine andere Erde gründen und dann zu Sion sprechen: 'Mein Volk bist du.'"
१६मैंने तेरे मुँह में अपने वचन डाले, और तुझे अपने हाथ की आड़ में छिपा रखा है; कि मैं आकाश को तानूँ और पृथ्वी की नींव डालूँ, और सिय्योन से कहूँ, ‘तुम मेरी प्रजा हो।’”
17 Empor! Empor! Auf! Du Jerusalem, das aus des Herren Hand den Becher seines Zorns getrunken, den schaumgefüllten Taumelbecher bis zum letzten Tropfen ausgeschlürft.
१७हे यरूशलेम जाग! जाग उठ! खड़ी हो जा, तूने यहोवा के हाथ से उसकी जलजलाहट के कटोरे में से पिया है, तूने कटोरे का लड़खड़ा देनेवाला मद पूरा-पूरा ही पी लिया है।
18 Kein Führer ist ihm mehr geblieben von all den Söhnen, die's geboren, keiner, der's an seiner Hand genommen, von all den Söhnen, die es großgezogen.
१८जितने लड़कों ने उससे जन्म लिया उनमें से कोई न रहा जो उसकी अगुआई करके ले चले; और जितने लड़के उसने पाले-पोसे उनमें से कोई न रहा जो उसके हाथ को थाम ले।
19 Getroffen hat dich Zwiefaches: Wer nur hat Leid um dich getragen? Verheerung und Vernichtung, Hungersnot und Schwert. Wer spricht zu dir ein Wort des Trostes?
१९ये दो विपत्तियाँ तुझ पर आ पड़ी हैं, कौन तेरे संग विलाप करेगा? उजाड़ और विनाश और अकाल और तलवार आ पड़ी है; कौन तुझे शान्ति देगा?
20 Berauscht an allen Straßenecken liegen deine Söhne, wie Antilopen in dem Netz, gefüllt vom Grimm des Herrn, von deines Gottes Zorne.
२०तेरे लड़के मूर्छित होकर हर एक सड़क के सिरे पर, महाजाल में फँसे हुए हिरन के समान पड़े हैं; यहोवा की जलजलाहट और तेरे परमेश्वर की धमकी के कारण वे अचेत पड़े हैं।
21 So höre dies, du Ärmste, du Trunkene, doch nicht von Wein!
२१इस कारण हे दुःखियारी, सुन, तू मतवाली तो है, परन्तु दाखमधु पीकर नहीं;
22 So spricht der Herr, Herr und Gott, der für sein Volk jetzt kämpft: "Ich nehme dir den Taumelbecher aus der Hand; denn meines Grimmes schäumenden Pokal sollst du nicht weiter trinken.
२२तेरा प्रभु यहोवा जो अपनी प्रजा का मुकद्दमा लड़नेवाला तेरा परमेश्वर है, वह यह कहता है, “सुन, मैं लड़खड़ा देनेवाले मद के कटोरे को अर्थात् अपनी जलजलाहट के कटोरे को तेरे हाथ से ले लेता हूँ; तुझे उसमें से फिर कभी पीना न पड़ेगा;
23 Ich gebe diesen deinen Quälern in die Hand, die dir befehlen: 'Beuge dich, daß wir darüber gehen', so daß du deinen Rücken mußt zum Bogen machen, zur Straße für die Wandersleute."
२३और मैं उसे तेरे उन दुःख देनेवालों के हाथ में दूँगा, जिन्होंने तुझ से कहा, ‘लेट जा, कि हम तुझ पर पाँव धरकर आगे चलें;’ और तूने औंधे मुँह गिरकर अपनी पीठ को भूमि और आगे चलनेवालों के लिये सड़क बना दिया।”