< Hosea 11 >

1 "Als Israel noch jung gewesen, hab ich's liebgewonnen, und von Ägypten her schon nenne ich es meinen Sohn."
“जब इस्राएल बालक था, मैंने उससे प्रेम किया, और मिस्र देश से मैंने अपने पुत्र को बुलाया.
2 Je mehr man aber ihnen rief, nur um so weiter wandten sie sich ab. Sie opferten den Baalen und räucherten den Götzenbildern.
पर जितना ज्यादा उनको बुलाया गया, उतना ज्यादा वे मुझसे दूर होते गये. वे बाल देवताओं के लिये बलि चढ़ाते थे और उन्होंने मूर्तियों के आगे धूप जलाया है.
3 "Ich lehrte Ephraim das Gehen und nahm's auf meinen Arm. Doch sie erkannten nicht, daß ich sie heil bewahrte.
वह मैं ही था, जिसने एफ्राईम को हाथ पकड़कर चलना सिखाया; परंतु उन्होंने इस बात को न जाना कि वह मैं ही था, जिसने उन्हें चंगा किया.
4 Und wollten je die Leute ihnen wehe tun, umgab ich sie mit dem Gehege meiner Liebe: Ich war auf ihrer Seite, einem gleich, der denen wehrte, die sie auf die Wange schlagen wollten. Ich neigte mich ihm zu und gab ihm Nahrung."
मैंने मानवीय दया की डोरी, और प्रेम के बंधन से उनकी अगुवाई की. उनके लिये मैं वैसा था जैसे कोई छोटे बच्‍चे को गाल तक उठाता है, और मैं झुककर उन्हें खाना खिलाता था.
5 Nun muß es wieder nach Ägypterland zurück, und ein Assyrer wird sein König werden. Die Umkehr hat es ja verweigert.
“क्या वे मिस्र देश नहीं लौटेंगे और अश्शूर का राजा उन पर शासन नहीं करेगा क्योंकि वे प्रायश्चित करना नहीं चाहते?
6 Eintrocknung kommt jetzt über seine Haut, vernichtet seine Gliedmaßen und zehrt an ihren Kräften.
उनके शहरों में एक तलवार चमकेगी; वह उनके झूठे भविष्यवक्ताओं को मार डालेगी और उनकी योजनाओं का अंत कर देगी.
7 "Mein Volk, verwirrt, weil untreu gegen mich, es läßt sich nicht bewegen, will man es zur Rückkehr rufen.
मेरे लोग मुझसे दूर जाने का ठान लिये हैं. यद्यपि वे मुझे सर्वोच्च परमेश्वर कहते हैं, मैं उनकी किसी भी प्रकार से प्रशंसा नहीं करूंगा.
8 Was soll ich, Ephraim, dir tun, was über dich verhängen, Israel? Wie? Sollte ich dir so wie Adma tun, das Schicksal Seboims dich teilen lassen? Mein Herz dreht sich in mir; mein ganzes Mitleid ist erregt.
“हे एफ्राईम, मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकता हूं? हे इस्राएल, मैं तुम्हें किसी और को सौंप दूं? मैं तुम्हारे साथ अदमाह के जैसे व्यवहार कैसे कर सकता हूं? मैं तुम्हें ज़ेबोईम के समान कैसे बना सकता हूं? मेरा हृदय मेरे भीतर बदल गया है; मेरी सारी करुणा जागृत होती है.
9 Ich kann nicht meinen heißen Ingrimm in die Tat umsetzen. Ich kann nicht Ephraim wieder vertilgen. Ich bin ja Gott und nicht ein Mensch. In deiner Mitte weile ich als Heiliger: Ich komme nicht im Grimm."
मैं अपने भयंकर क्रोध के अनुसार नहीं करूंगा, न ही मैं एफ्राईम को फिर से नाश करूंगा. क्योंकि मैं परमेश्वर हूं, मनुष्य नहीं— तुम्हारे बीच एक पवित्र जन. मैं उनके शहरों के विरुद्ध नहीं आऊंगा.
10 Dann ziehen sie dem Herren nach, wenn er mit LÖwenstimme brüllt, und brüllt er, alsdann eilen zitternd Söhne aus dem Westen her.
वे याहवेह के पीछे चलेंगे; याहवेह एक-एक सिंह के समान गरजेंगे. जब वह गरजेंगे, तो उनकी संतान कांपती हुई पश्चिम दिशा से आएंगी.
11 "Sie eilen zitternd wie die Vögel aus Ägypten, wie Tauben aus dem Land Assyrien. Ich bringe sie in ihre Heimat wieder." Ein Spruch des Herrn.
वे मिस्र देश से, गौरेया पक्षी की तरह कांपती हुई, और अश्शूर देश से पंड़की की तरह पंख फड़फड़ाते हुए आएंगी. मैं उन्हें उनके घरों में बसाऊंगा,” याहवेह घोषणा करते हैं.
12 "Doch jetzt umgibt mich Ephraim mit Lug, mit Trug das Haus von Israel." Doch Juda geht noch immerhin mit Gott und hält dem Heiligen die Treue.
एफ्राईम ने मेरे चारों ओर झूठ का, और इस्राएल ने छल का ढेर लगा दिया है. और यहूदाह उद्दंडता से परमेश्वर के विरुद्ध है, और तो और वह विश्वासयोग्य पवित्र जन के विरुद्ध है.

< Hosea 11 >