< Daniel 7 >

1 Im ersten Jahre Belsazars, des Babelkönigs, schaute Daniel ein Traumgesicht. Es fanden aber die Gesichte seines Hauptes auf seinem Lager statt. Er schrieb den Traum nach seinem wesentlichen Inhalt nieder.
शाह — ए — बाबुल बेलशज़र के पहले साल में दानीएल ने अपने बिस्तर पर ख़्वाब में अपने सिर के दिमाग़ी ख़्यालात की रोया देखी। तब उसने उस ख़्वाब को लिखा, और उन ख़्यालात का मुकम्मल बयान किया।
2 So hob nun Daniel an und sprach: "Ich sah des Nachts in meinem Traumgesicht, wie auf das große Meer vier Himmelswinde stürmten.
दानीएल ने यूँ कहा, कि मैने रात को एक ख्व़ाब देखा, और क्या देखता हूँ कि आसमान की चारों हवाएँ समन्दर पर ज़ोर से चलीं।
3 Vier große Tiere stiegen aus dem Meer, ein jegliches verschieden von dem andern.
और समन्दर से चार बड़े हैवान, जो एक दूसरे से मुख़्तलिफ़ थे निकले।
4 Es glich das erste einer Löwin und hatte Adlerflügel. Doch sah ich, wie ihm seine Flügel ausgerissen wurden und wie's vom Boden sich erhob, gleich einem Menschen auf den Füßen stand, wie ihm ein menschlich Herz gegeben ward.
पहला शेर — ए — बबर की तरह था, और उक़ाब के से बाज़ू रखता था; और मैं देखता रहा, जब तक उसके पर उखाड़े गए और वह ज़मीन से उठाया गया, और आदमी की तरह पाँव पर खड़ा किया गया और इंसान का दिल उसे दिया गया।
5 Und sieh! Ein andres zweites Ungeheuer war dem Bären gleich. Es legte sich auf eine Seite; in seinem Maule hatte es drei Rippen zwischen seinen Zähnen. Man rief ihm zu: 'Steh auf und friß viel Fleisch!'
और क्या देखता हूँ कि एक दूसरा हैवान रीछ की तरह है, और वह एक तरफ़ सीधा खड़ा हुआ; और उसके मुँह में उसके दाँतों के बीच तीन पसलियाँ थीं, और उन्होंने उससे कहा, 'कि उठ, और कसरत से गोश्त खा।
6 Ein anderes, dem Panther gleich, sah ich nach diesem. Vier Flügel hatte es auf seinem Rücken. Vier Köpfe saßen auf dem Ungeheuer, und ihm ward Herrschermacht erteilt.
फिर मैने निगाह की, और क्या देखता हूँ कि एक और हैवान तेंदवे की तरह उठा, जिसकी पीठ पर परिन्दे के से चार बाज़ू थे और उस हैवान के चार सिर थे; और सल्तनत उसे दी गई।
7 Nach diesem sah ich in dem nächtlichen Gesicht ein viertes Ungeheuer, furchtbar, schrecklich und ausnehmend stark. Es hatte große Zähne, die von Eisen waren. Es fraß, zermalmte und zertrat, was übrigblieb, mit seinen Füßen. Es war von allen Ungeheuern vor ihm ganz verschieden und hatte noch zehn Hörner.
फिर मैने रात को ख़्वाब में देखा, और क्या देखता हूँ कि चौथा हैवान हौलनाक और हैबतनाक और निहायत ज़बरदस्त है, और उसके दाँत लोहे के बड़े — बड़े थे; वह निगल जाता और टुकड़े टुकड़े करता था, और जो कुछ बाक़ी बचता उसको पाँव से लताड़ता था, और यह उन सब पहले हैवानों से मुख़्तलिफ़ था और उसके दस सींग थे।
8 Als ich die Hörner aufmerksam betrachtete, sah ich, wie da ein andres kleines Horn hervorwuchs zwischen ihnen. Drei von den ersten Hörnern wurden vor ihm ausgerissen, und an diesem Horne saßen Augen, Menschenaugen gleich. Es hatte ein Maul, das freche Reden führte.
मैं ने उन सींगो पर ग़ौर से नज़र की, और क्या देखता हूँ कि उनके बीच से एक और छोटा सा सींग निकला, जिसके आगे पहलों में से तीन सींग जड़ से उखाड़े गए, और क्या देखता हूँ कि उस सींग में इंसान के सी आँखे हैं और एक मुँह है जिस से ग़ुरूर की बातें निकलती हैं।
9 Ich sah, wie Throne aufgeschlagen wurden. Ein Hochbetagter setzte sich. Und sein Gewand war weiß wie Schnee, sein Haupthaar rein wie Wolle. Sein Thron bestand aus Feuerflammen; seine Räder waren brennend Feuer.
मेरे देखते हुए तख़्त लगाए गए, और पुराने दिनों में बैठ गया; उसका लिबास बर्फ़ की तरह सफ़ेद था, और उसके सिर के बाल ख़ालिस ऊन की तरह थे; उसका तख़्त आग के शोले की तरह था, और उसके पहिये जलती आग की तरह थे।
10 Ein Feuerstrom ergoß sich von ihm aus, und tausendfache Tausende bedienten ihn. Zehntausendfache Hunderttausend warteten ihm auf. Es ließ sich das Gericht nun nieder. Bücher wurden aufgeschlagen.
उसके सामने से एक आग का दरिया जारी था, हज़ारों हज़ार उसकी ख़िदमत में हाज़िर थे और लाखों लाख उसके सामने खड़े थे, 'अदालत हो रही थी, और किताबें खुली थी।
11 Ich schaute hin und sah, daß für die frechen Worte, die das Horn geredet, das Ungeheuer totgeschlagen, sein Leib verstümmelt und dem Feuerbrande übergeben wurde.
'मैं देख ही रहा था कि उस सींग की ग़ुरूर की बातों की आवाज़ की वजह से, मेरे देखते हुए वह हैवान मारा गया और उसका बदन हलाक करके शोलाज़न आग में डाला गया।
12 Und auch den anderen Tieren wurde ihre Macht genommen und ihnen ihre Lebenszeit auf Zeit und Stunde festgelegt.
और बाक़ी हैवानों की सल्तनत भी उन से ले ली गई, लेकिन वह एक ज़माना और एक दौर ज़िन्दा रहे।
13 In meinem nächtlichen Gesichte sah ich noch, daß auf des Himmels Wolken einer wie ein Menschensohn erschien. Er nahte sich dem Hochbetagten und ward ihm zugeführt.
'मैने रात को ख़्वाब में देखा, और क्या देखता हूँ एक शख़्स आदमज़ाद की तरह आसमान के बा'दलों के साथ आया और गुज़रे दिनों तक पहुँचा, वह उसे उसके सामने लाए।
14 Ihm wurde Herrschaft, Ruhm und Reich verliehen; ihm sollten alle Nationen, Völker, Zungen dienen; seine Herrschaft sollte ewige Herrschaft sein, die nicht beendigt werden kann. Sein Reich soll unzerstörbar sein.
और सल्तनत और हशमत और ममलुकत उसे दी गई, ताकि सब लोग और उम्मतें और अहल — ए — ज़ुबान उसकी ख़िदमत गुज़ारी करें उसकी सल्तनत हमेशा की सल्तनत है जो जाती न रहेगी और उसकी ममलुकत लाज़वाल होगी।
15 Mir, Daniel, ward drob mein Herz entsetzt; es ängstigen mich die Gesichte meines Hauptes.
मुझ दानीएल की रूह मेरे बदन में मलूल हुई, और मेरे दिमाग़ के ख़्यालात ने मुझे परेशान कर दिया।
16 Ich trat daher zu einem der Aufwartenden heran und fragte ihn um Auskunft über alles das. Er gab sie mir und tat mir diese Deutung kund:
जो मेरे नज़दीक खड़े थे, मैं उनमें से एक के पास गया और उससे इन सब बातों की हक़ीक़त दरियाफ़्त की, इसलिए उसने मुझे बताया और इन बातों का मतलब समझा दिया,
17 'Die großen Ungeheuer, vier an Zahl, bedeuten: Vier Könige erheben sich auf Erden.
'यह चार बड़े हैवान चार बादशाह हैं, जो ज़मीन पर बर्पा होंगे।
18 Zur Herrschaft kommen dann die Heiligen des Höchsten; diese haben so in alle Ewigkeit die Herrschaft inne.'
लेकिन हक़ — त'आला के पाक लोग सल्तनत ले लेंगे और हमेशा तक हाँ हमेशा से हमेशा तक उस सल्तनत के मालिक रहेंगे।
19 Darauf erbat ich Auskunft über jenes vierte Tier, das ganz verschieden von den andern war und ganz ausnehmend schrecklich, das Zähne hatte, die von Eisen, dazu eherne Klauen; das fraß, zermalmte und, was übrigblieb, mit Füßen trat,
तब मैने चाहा कि चौथे हैवान की हक़ीक़त समझूँ, जो उन सब से मुख़्तलिफ़ और निहायत हौलनाक था, जिसके दाँत लोहे के और नाख़ून पीतल के थे, जो निगलता और टुकड़े — टुकड़े करता और जो कुछ बचता उसको पाँव से लताड़ता था।
20 und ferner über die zehn Hörner seines Haupts und dann das andere kleine, das hervorgewachsen und vor dem drei andre ausgerissen wurden, das Augen hatte, ein Maul, das Freches redete, und dessen Aussehen größer war als das der andern.
और दस सींगों की हक़ीक़त जो उसके सिर पर थे, और उस सींग की जो निकला और जिसके आगे तीन गिर गए, या'नी जिस सींग की आँखें थीं और एक मुँह था जो बड़े ग़ुरूर की बातें करता था, और जिसकी सूरत उसके साथियों से ज़्यादा रो'ब दार थी।
21 Ich sah, wie dieses Horn des Höchsten Heilige bekriegte und wie es über sie die Oberhand gewann,
मैं ने देखा कि वही सींग मुक़द्दसों से जंग करता और उन पर ग़ालिब आता रहा।
22 bis daß der Hochbetagte kam und Recht verliehen ward den Heiligen des Höchsten und bis die Zeit erschien, da Heilige das Reich besitzen sollten.
जब तक कि पुराने दिन न आये, और हक़ त'आ ला के पाक लोगों का इन्साफ़ न किया गया, और वक़्त आ न पहुँचा कि पाक लोग सल्तनत के मालिक हों।
23 Er gab nun diese Auskunft: 'Das vierte Ungeheuer ist das vierte Reich der Erde, das sich von allen Reichen unterscheidet. Es frißt die ganze Erde und zertritt sie und zerstampft sie.
उसने कहा, कि चौथा हैवान दुनिया की चौथी सल्तनत जो तमाम सल्तनतों से मुख़तलिफ़ है, और ज़मीन को निगल जायेगी और उसे लताड़ कर टुकड़े — टुकड़े करेगी।
24 Zehn Hörner deuten an: In diesem Reiche folgen sich zehn Könige. Nach ihnen steht ein anderer auf, der von den ersten ganz verschieden ist und drei der Könige zum Falle bringt.
और वह दस सींग दस बादशाह हैं, जो उस सल्तनत में खड़े होंगे; और उनके बाद एक और खड़ा होगा, और वह पहलों से मुख़्तलिफ़ होगा और तीन बादशाहों को पस्त करेगा।
25 Dem Höchsten gegenüber wird er freche Reden führen und die Heiligen des Höchsten hart behandeln. Er wird sich unterfangen, Gesetz und Zeiten abzuändern. Sie werden ihm auch unterliegen bis auf eine Zeit und eine Doppelzeit und eine halbe Zeit.
और वह हक़ — त'आला के ख़िलाफ़ बातें करेगा, और हक़ त'आला के मुक़द्दसों को तंग करेगा और मुक़र्ररा वक़्त व शरी'अत को बदलने की कोशिश करेगा, और वह एक दौर और दौरों और नीम दौर तक उसके हवाले किए जाएँगे।
26 Dann wird Gericht gehalten, um die Herrschaft ihm zu nehmen, zu vernichten und zu tilgen.
तब 'अदालत क़ायम होगी, और उसकी सल्तनत उससे ले लेंगे कि उसे हमेशा के लिए नेस्त — ओ — नाबूद करें।
27 Und Reich und Macht und Herrschaft über alle Reiche unterm Himmel wird verliehen dem Volk der Heiligen des Höchsten. Sein Reich wird sein ein ewig Reich, und alle andern Mächte werden ihm dann dienen und gehorchen.'
और तमाम आसमान के नीचे सब मुल्कों की सल्तनत और ममलुकत और सल्तनत की हशमत हक़ त'आला के मुक़द्दस लोगों को बख़्शी जाएगी, उसकी सल्तनत हमेशा की सल्तनत है और तमाम ममलुकत उसकी, ख़िदमत गुज़ार और फ़रमाबरदार होंगी।
28 Bis hierher dies. Es ist zugleich das Ende des Gesichtes. Mich, Daniel, beängstigen unruhige Gedanken. Mein Aussehn ward ein anderes. Die Sache aber hielt ich fest in meinem Sinn."
“यहाँ पर यह हुक्म पूरा हुआ, मैं दानीएल अपने शकों से निहायत घबराया और मेरा चेहरा मायूस हुआ, लेकिन मैने यह बात दिल ही में रख्खी।”

< Daniel 7 >