< 1 Samuel 13 >

1 Saul war fünfzig Jahre alt, als er König ward, und zwei Jahre hatte er über Israel geherrscht.
शासन शुरू करते समय शाऊल की आयु तीस वर्ष की थी, और उन्होंने इस्राएल पर चालीस वर्ष तक शासन किया.
2 Saul warb nun 3.000 aus Israel an. Bei Saul aber blieben 2.000 zu Mikmas und auf dem Gebirge Betels, 1.000 aber waren bei Jonatan zu Gibea Benjamins. Den Rest hatte er entlassen, jeden in sein Zeit.
इस्राएल राष्ट्र में से शाऊल ने अपने लिए तीन हज़ार पुरुषों को चुना. इनमें से दो हज़ार उनके साथ बेथेल के पहाड़ी क्षेत्र के नगर मिकमाश में तथा शेष एक हज़ार बिन्यामिन की सीमा में गिबिया नामक स्थान में योनातन के साथ रहने लगे. शाऊल ने बाकी सभी को घर लौट जाने का आदेश दिया.
3 Da schlug Jonatan den Philistervogt in Geba. Die Philister aber erfuhren es. Nun hatte Saul im ganzen Land in das Horn stoßen und verkünden lassen: "Hören sollen es die auf der anderen Seite!"
योनातन ने गेबा में स्थित फिलिस्तीनियों की टुकड़ी को हरा दिया. फिलिस्तीनियों को इसकी सूचना प्राप्‍त हो गई. स्थिति को समझते हुए शाऊल ने सारे इस्राएल में यह संदेश भिजवा दिया, “सारे इब्री सावधान हो जाएं!”
4 So vernahm ganz Israel die Kunde: "Saul hat den Philistervogt geschlagen, und Israel ist bei den Philistern anrüchig geworden." Da ward das Volk aufgeboten und folgte Saul nach dem Gilgal.
सारे इस्राएल राष्ट्र ने इसका मतलब यह निकाला: “फिलिस्तीनियों की छावनी पर शाऊल ने हमला किया है, जिसके फलस्वरूप अब उनके लिए इस्राएल एक घृणित शत्रु बन गया है.” तब लोगों को शाऊल के सामने एकत्र करने के लिए गिलगाल नामक स्थान पर बुलाया गया.
5 Die Philister aber hatten sich zum Kampf gegen Israel versammelt, 30.000 Wagen und 6.000 Reiter sowie Fußvolk, an Menge gleich dem Sand am Meeresufer. So zogen sie herauf und lagerten zu Mikmas, östlich von Bet Awen.
इस्राएल से युद्ध के लिए फिलिस्तीनियों ने तीन हज़ार रथ, छः हज़ार घुड़सवार तथा एक ऐसी सेना तैयार कर ली थी, जो गिनती में वैसी ही लगती थी जैसे सागर के किनारे के रेत के कण. इन सबने जाकर मिकमाश नामक स्थान पर बेथ-आवेन के पूर्व में तंबू डाल दिए.
6 Israels Männer aber merkten, daß sie in Not kämen; denn das Volk war bestürzt. So verbarg sich das Volk in Höhlen, Erdlöchern, Felsspalten, Grüften und Gruben.
जब इस्राएली सेना को यह अहसास हुआ कि वे यहां कठिन स्थिति में आ फंसे हैं, क्योंकि उनकी सेना पर दबाव बढ़ता जा रहा था, सेना ने गुफाओं, झाड़ियों, चट्टानों, गड्ढों तथा कुंओं में जाकर छिपने लगे.
7 Und zuletzt zogen sie über die Jordanfurten in das Land Gad und Gilead. Saul aber blieb immer noch im Gilgal, obwohl das ganze Volk sich heftig nach ihm sehnte.
कुछ इब्री तो भागकर यरदन के पार गाद और गिलआद तक चले गए. मगर शाऊल गिलगाल में ही ठहरे रहे. उनके सैनिकों पर घोर भय छाया हुआ था.
8 Er wartete sieben Tage bis zu der Frist, die Samuel bestimmt hatte. Aber Samuel kam nicht nach dem Gilgal. Da verlief sich das Volk.
शाऊल इस स्थिति में शमुएल द्वारा बताए गए समय, सात दिन तक ठहरे रहे. मगर शमुएल गिलगाल नहीं आए. सैनिक शाऊल को छोड़कर जाने लगे.
9 So sprach denn Saul: "Bringt mir das Brandopfer und die Mahlopfer!" Dann vollzog er das Brandopfer.
तब शाऊल ने आदेश दिया, “मेरे पास होमबलि तथा मेल बलियां लाई जाएं.” शाऊल ने होमबलि चढ़ाई.
10 Eben war er mit dem Darbringen des Brandopfers fertig, da kam Samuel. Saul ging ihm nun entgegen, ihn zu begrüßen.
ठीक जैसे ही उन्होंने होमबलि चढ़ाना खत्म किया ही था, शमुएल वहां आ पहुंचे. शाऊल उनसे भेंटकरने तथा उनका अभिवंदन करने उनके निकट गए.
11 Da sprach Samuel: "Was hast du getan?" Saul sprach: "Ich habe gesehen, wie das Volk mir davongelaufen ist, und du bist nicht zur bestimmten Frist eingetroffen, obschon die Philister in Mikmas versammelt sind.
उसी क्षण शमुएल ने उनसे प्रश्न किया, “यह क्या कर डाला है तुमने?” शाऊल ने स्पष्ट किया, “जब मैंने देखा कि सेना मुझे छोड़ भागने लगी है, तथा आप भी बताए हुए समय पर यहां नहीं पहुंचे, तथा वहां फिलिस्तीनी मिकमाश में इकट्ठा हो चुके थे,
12 Da sprach ich: 'Nun werden die Philister gegen mich ins Gilgal ziehen, bevor ich den Herrn begütigt habe.' Und so überwand ich mich und brachte das Brandopfer dar."
मैंने विचार किया, ‘अब तो फिलिस्तीनी निश्चयतः गिलगाल आकर मुझ पर हमला करेंगे, और मैंने याहवेह से सहायता की बिनती ही नहीं की.’ तब इस विवशता में मैंने होमबलि चढ़ा दी है.”
13 Da sprach Samuel zu Saul: "Du hast töricht gehandelt. Hättest du des Herrn, deines Gottes, Befehl, den er dir gegeben, befolgt, dann hätte der Herr dein Königtum über Israel für immer bestätigt.
शमुएल ने उत्तर दिया, “तुमने एक मूर्खतापूर्ण काम किया है! वह आदेश, जो तुम्हें याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा दिया गया था, उसका तुमने उल्लंघन कर दिया है. यदि तुमने उस आदेश का पालन किया होता, याहवेह इस्राएल पर तुम्हारे शासन को हमेशा के लिए स्थिर कर देते!
14 So aber wird dein Königtum keinen Bestand haben. Der Herr hat sich schon einen Mann nach seinem Herzen ausgesucht, und ihn bestellte er zum Fürsten über sein Volk. Denn du hast nicht befolgt, was dir der Herr befohlen hat."
याहवेह ने अपने लिए एक ऐसा व्यक्ति खोज लिया है, जो उनके हृदय के अनुकूल है. याहवेह ने उसे ही अपनी प्रजा का नेतृत्व करने के लिए चुन लिया है; यह सब इसलिये, कि तुमने उन आदेशों का पालन नहीं किया, जो तुम्हें याहवेह द्वारा दिए गए थे. अब तुम्हारा शासन चिरस्थायी न रहेगा.”
15 Dann erhob sich Samuel und ging aus dem Gilgal nach Gibea Benjamins hinauf. Da musterte Saul das Volk, das sich bei ihm fand, an 600 Mann.
इसके बाद शमुएल गिलगाल से बिन्यामिन प्रदेश के गिबिया नगर को चले गए. शाऊल ने शेष रह गए सैनिकों को इकट्ठा किया. ये गिनती में लगभग छः सौ थे.
16 Saul und sein Sohn Jonatan sowie das Volk, das sich bei ihm fand, weilten in Gibea Benjamin. Die Philister aber lagerten in Mikmas.
शाऊल, उनके पुत्र योनातन तथा बाकी रह गई सेना बिन्यामिन प्रदेश के गेबा में ही ठहरे रहे; जबकि फिलिस्तीनियों का शिविर मिकमाश में था.
17 Da zog eine Plündererschar aus dem Philisterlager in drei Haufen. Der eine Haufe wandte sich nach dem Wege von Ophra ins Gebiet von Saul,
फिलिस्तीनी शिविर से तीन छापामार दल निकले, एक दल उस मार्ग पर, जो शुआल देश के ओफ़राह नगर को जाता था,
18 der andere nach dem von Betchoron und der dritte nach dem Wege über den Hügel, der über das Hyänental auf die Steppe schaut.
दूसरा दल उस मार्ग की ओर, जो बेथ-होरोन की ओर जाता था तथा अन्य दल उस सीमा की ओर चला जाता था, जो निर्जन प्रदेश की दिशा में ज़ेबोईम घाटी के ढलान पर है.
19 Im ganzen Lande Israel aber fand sich kein Schmied. Denn die Philister hatten gesagt: "Die Hebräer machen sich sonst Schwerter oder Lanzen!"
संपूर्ण इस्राएल राष्ट्र में कोई भी लोहार न था क्योंकि फिलिस्तीनियों ने इस आशंका के चलते यह रोक रखा था, “हमारे विरुद्ध प्रयोग के लिए इब्री तलवारों और भालों का निर्माण न करने लगे!”
20 So mußte ganz Israel zu den Philistern hinabgehen, wenn jemand seine Pflugschar, seinen Karst, seine Axt und seinen Ochsenstachel schmieden lassen wollte.
फलस्वरूप इस्राएलियों को अपने हल की फाल, कुल्हाड़ी, हंसिया तथा काटने के उपकरणों में धार पैनी कराने के लिए फिलिस्तीनियों के पास ही जाना पड़ता था.
21 Harte Steine dienten als Schneiden an den Pflugscharen, Karsten, Dreizacken, Äxten und zum Wetzen der Sicheln.
तब हल की फाल पर धार लगाने के लिए दो तिहाई शेकेल; कुल्हाड़ी या अंकुश की धार लगाने के लिए एक तिहाई शेकेल देना होता था.
22 So hatte sich am Kampftage weder Schwert noch Lanze beim gesamten Kriegsvolk vorgefunden, das bei Saul und Jonatan war. Nur bei Saul und seinem Sohn Jonatan fanden sich solche.
तब युद्ध के समय शाऊल और योनातन के साथ के सैनिकों के पास न तो तलवार थी न भाला. हां सिर्फ शाऊल और उनके पुत्र योनातन के पास ये हथियार थे.
23 Da rückte ein Philisterposten gegen den Paß von Mikmas vor.
फिलिस्तीनी सेना की एक टुकड़ी मिकमाश के पर्वतीय संकरे मार्ग में निकल हुई थी.

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