< Psalm 86 >
1 Ein Gebet. Von David. Neige, Jehova, dein Ohr, erhöre mich! Denn ich bin elend und arm.
१दाऊद की प्रार्थना हे यहोवा, कान लगाकर मेरी सुन ले, क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूँ।
2 Bewahre meine Seele, denn ich bin fromm; rette du, mein Gott, deinen Knecht, der auf dich vertraut!
२मेरे प्राण की रक्षा कर, क्योंकि मैं भक्त हूँ; तू मेरा परमेश्वर है, इसलिए अपने दास का, जिसका भरोसा तुझ पर है, उद्धार कर।
3 Sei mir gnädig, Herr! Denn zu dir rufe ich den ganzen Tag.
३हे प्रभु, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तुझी को लगातार पुकारता रहता हूँ।
4 Erfreue die Seele deines Knechtes! Denn zu dir, Herr, erhebe ich meine Seele.
४अपने दास के मन को आनन्दित कर, क्योंकि हे प्रभु, मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूँ।
5 Denn du, Herr, bist gut und zum Vergeben bereit, und groß an Güte gegen alle, die dich anrufen.
५क्योंकि हे प्रभु, तू भला और क्षमा करनेवाला है, और जितने तुझे पुकारते हैं उन सभी के लिये तू अति करुणामय है।
6 Nimm zu Ohren, Jehova, mein Gebet, und horche auf die Stimme meines Flehens!
६हे यहोवा मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा, और मेरे गिड़गिड़ाने को ध्यान से सुन।
7 Am Tage meiner Bedrängnis werde ich dich anrufen, denn du wirst mich erhören.
७संकट के दिन मैं तुझको पुकारूँगा, क्योंकि तू मेरी सुन लेगा।
8 Keiner ist wie du, Herr, unter den Göttern, und nichts gleich deinen Werken.
८हे प्रभु, देवताओं में से कोई भी तेरे तुल्य नहीं, और न किसी के काम तेरे कामों के बराबर हैं।
9 Alle Nationen, die du gemacht hast, werden kommen und vor dir anbeten, Herr, und deinen Namen verherrlichen.
९हे प्रभु, जितनी जातियों को तूने बनाया है, सब आकर तेरे सामने दण्डवत् करेंगी, और तेरे नाम की महिमा करेंगी।
10 Denn groß bist du und Wunder tuend, du bist Gott, du allein.
१०क्योंकि तू महान और आश्चर्यकर्म करनेवाला है, केवल तू ही परमेश्वर है।
11 Lehre mich, Jehova, deinen Weg: ich werde wandeln in deiner Wahrheit; einige mein Herz zur Furcht deines Namens.
११हे यहोवा, अपना मार्ग मुझे सिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूँगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूँ।
12 Ich will dich priesen, Herr, mein Gott, mit meinem ganzen Herzen, und deinen Namen verherrlichen ewiglich.
१२हे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर, मैं अपने सम्पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूँगा, और तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूँगा।
13 Denn deine Güte ist groß gegen mich, und du hast meine Seele errettet aus dem untersten Scheol. (Sheol )
१३क्योंकि तेरी करुणा मेरे ऊपर बड़ी है; और तूने मुझ को अधोलोक की तह में जाने से बचा लिया है। (Sheol )
14 Gott! Übermütige sind wider mich aufgestanden, und der Gewalttätigen Rotte trachtet nach meinem Leben; und sie haben dich nicht vor sich gestellt.
१४हे परमेश्वर, अभिमानी लोग मेरे विरुद्ध उठ गए हैं, और उपद्रवियों का झुण्ड मेरे प्राण के खोजी हुए हैं, और वे तेरा कुछ विचार नहीं रखते।
15 Du aber, Herr, bist ein Gott, barmherzig und gnädig, langsam zum Zorn und groß an Güte und Wahrheit.
१५परन्तु प्रभु दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्वर है, तू विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है।
16 Wende dich zu mir und sei mir gnädig! Gewähre deinem Knechte deine Kraft und rette den Sohn deiner Magd!
१६मेरी ओर फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर; अपने दास को तू शक्ति दे, और अपनी दासी के पुत्र का उद्धार कर।
17 Erweise mir ein Zeichen zum Guten, daß meine Hasser es sehen und beschämt werden, weil du, Jehova, mir geholfen und mich getröstet hast.
१७मुझे भलाई का कोई चिन्ह दिखा, जिसे देखकर मेरे बैरी निराश हों, क्योंकि हे यहोवा, तूने आप मेरी सहायता की और मुझे शान्ति दी है।