< Psalm 139 >
1 Dem Vorsänger. Von David, ein Psalm. Jehova! Du hast mich erforscht und erkannt.
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. एक स्तोत्र. याहवेह, आपने मुझे परखा है, और जान लिया है.
2 Du kennst mein Sitzen und mein Aufstehen, du verstehst meine Gedanken von ferne.
मैं कब उठता हूं और मैं कब बैठता हूं, यह सब आपको ज्ञात रहता है; दूरदर्शिता में आप मेरे विचारों को समझ लेते हैं.
3 Du sichtest mein Wandeln und mein Liegen und bist vertraut mit allen meinen Wegen.
आप मेरे आने जाने और विश्रान्ति का परीक्षण करते रहते हैं; तथा मेरे समस्त आचार-व्यवहार से आप भली-भांति परिचित हैं.
4 Denn das Wort ist noch nicht auf meiner Zunge, siehe, Jehova, du weißt es ganz.
इसके पूर्व कि कोई शब्द मेरी जीभ पर आए, याहवेह, आप, उसे पूरी-पूरी रीति से जान लेते हैं.
5 Von hinten und von vorn hast du mich eingeengt, und auf mich gelegt deine Hand.
आप मुझे आगे-पीछे, चारों ओर से घेरे रहते हैं, आपका हाथ सदैव मुझ पर स्थिर रहता है.
6 Kenntnis, zu wunderbar für mich, zu hoch: ich vermag sie nicht zu erfassen!
आपका ज्ञान मेरी परख-शक्ति से सर्वथा परे हैं, मैं इसकी जानकारी लेने में स्वयं को पूर्णतः कमजोर पाता हूं.
7 Wohin sollte ich gehen vor deinem Geiste, und wohin fliehen vor deinem Angesicht?
आपके आत्मा से बचकर मैं कहां जा सकता हूं? आपकी उपस्थिति से बचने के लिए मैं कहां भाग सकता हूं?
8 Führe ich auf zum Himmel, du bist da; und bettete ich mir in dem Scheol, siehe, du bist da. (Sheol )
यदि मैं स्वर्ग तक आरोहण करूं तो आप वहां हैं; यदि मैं अधोलोक में जा लेटूं, आप वहां भी हैं. (Sheol )
9 Nähme ich Flügel der Morgenröte, ließe ich mich nieder am äußersten Ende des Meeres,
यदि मैं उषा के पंखों पर बैठ दूर उड़ चला जाऊं, और समुद्र के दूसरे तट पर बस जाऊं,
10 auch daselbst würde deine Hand mich leiten, und deine Rechte mich fassen.
वहां भी आपका हाथ मेरी अगुवाई करेगा, आपका दायां हाथ मुझे थामे रहेगा.
11 Und spräche ich: Nur Finsternis möge mich umhüllen, und Nacht werde das Licht um mich her:
यदि मैं यह विचार करूं, “निश्चयतः मैं अंधकार में छिप जाऊंगा और मेरे चारों ओर का प्रकाश रात्रि में बदल जाएगा,”
12 Auch Finsternis würde vor dir nicht verfinstern, und die Nacht würde leuchten wie der Tag, die Finsternis wäre wie das Licht.
अंधकार भी आपकी दृष्टि के लिए अंधकार नहीं; आपके लिए तो रात्रि भी दिन के समान ज्योतिर्मय है, आपके सामने अंधकार और प्रकाश एक समान हैं.
13 Denn du besaßest meine Nieren; du wobest mich in meiner Mutter Leibe.
आपने ही मेरे आन्तरिक अंगों की रचना की; मेरी माता के गर्भ में आपने मेरी देह की रचना की.
14 Ich preise dich darüber, daß ich auf eine erstaunliche, ausgezeichnete Weise gemacht bin. Wunderbar sind deine Werke, und meine Seele weiß es sehr wohl.
मैं आपके प्रति कृतज्ञ हूं, क्योंकि आपने मेरी रचना भयानक एवं अद्भुत ढंग से की है; आश्चर्य हैं आपके कार्य, मेरे प्राणों को इसका पूर्ण बोध है.
15 Nicht verhohlen war mein Gebein vor dir, als ich gemacht ward im Verborgenen, gewirkt wie ein Stickwerk in den untersten Örtern der Erde.
मेरा ढांचा उस समय आपके लिए रहस्य नहीं था जब सभी अवस्था में मेरा निर्माण हो रहा था, जब मैं पृथ्वी की गहराइयों में जटिल कौशल में तैयार किया जा रहा था.
16 Meinen Keim sahen deine Augen, und in dein Buch waren sie alle eingeschrieben; während vieler Tage wurden sie gebildet, als nicht eines von ihnen war.
आपकी दृष्टि मेरे विकासोन्मुख भ्रूण पर थी; मेरे लिए निर्धारित समस्त दिनों का कुल लेखा आपके ग्रंथ में अंकित था, जबकि वे उस समय अस्तित्व में भी न थे.
17 Und wie köstlich sind mir deine Gedanken, o Gott! Wie gewaltig sind ihre Summen!
परमेश्वर, मेरे लिए निर्धारित आपकी योजनाएं कितनी अमूल्य हैं! कितना विशाल है उनका कुल योग!
18 Wollte ich sie zählen, ihrer sind mehr als des Sandes. Ich erwache und bin noch bei dir.
यदि मैं उनकी गणना प्रारंभ करूं, तो वे धूल के कणों से भी अधिक होंगी. जब मैं जागता हूं, आपको अपने निकट पाता हूं.
19 Möchtest du, o Gott, den Gesetzlosen töten! Und ihr Blutmenschen, weichet von mir! ...
परमेश्वर, अच्छा होता कि आप दुष्ट की हत्या कर देते! हे रक्त पिपासु, दूर हो जाओ मुझसे!
20 Sie, die dich nennen zum Verbrechen, die zu Eitlem schwören, deine Feinde.
ये वे हैं, जो आपके विरुद्ध कुयुक्ति की बातें करते हैं; आपके ये शत्रु आपका नाम गलत ढंग से लेते हैं.
21 Hasse ich nicht, Jehova, die dich hassen, und verabscheue ich nicht, die wider dich aufstehen?
याहवेह, क्या मुझे भी उनसे घृणा नहीं है, जिन्हें आपसे घृणा है? क्या आपके शत्रु मेरे लिए भी घृणास्पद नहीं हैं?
22 Mit vollkommenem Hasse hasse ich sie; sie sind Feinde für mich.
उनके प्रति मेरी घृणा अखण्ड है; वे मेरे भी शत्रु हैं.
23 Erforsche mich, Gott, und erkenne mein Herz; prüfe mich und erkenne meine Gedanken!
परमेश्वर, परीक्षण करके मेरे हृदय को पहचान लीजिए; मुझे परखकर मेरे चिंतापूर्ण विचारों को जान लीजिए.
24 Und sieh, ob ein Weg der Mühsal bei mir ist, und leite mich auf ewigem Wege!
यह देखिए कि मुझमें कहीं कोई बुरी प्रवृत्ति तो नहीं है, अनंत काल के मार्ग पर मेरी अगुवाई कीजिए.