< Job 36 >
1 Und Elihu fuhr fort und sprach:
फ़िर इलीहू ने यह भी कहा,
2 Harre mir ein wenig, und ich will dir berichten; denn noch sind Worte da für Gott.
मुझे ज़रा इजाज़त दे और मैं तुझे बताऊँगा, क्यूँकि ख़ुदा की तरफ़ से मुझे कुछ और भी कहना है
3 Ich will mein Wissen von weither holen, und meinem Schöpfer Gerechtigkeit geben.
मैं अपने 'इल्म को दूर से लाऊँगा और रास्ती अपने खालिक़ से मनसूब करूँगा
4 Denn wahrlich, meine Worte sind keine Lüge; ein an Wissen Vollkommener ist bei dir.
क्यूँकि हक़ीक़त में मेरी बातें झूटी नहीं हैं, और जो तेरे साथ है 'इल्म में कामिल हैं।
5 Siehe, Gott ist mächtig, und doch verachtet er niemand, mächtig an Kraft des Verstandes.
देख ख़ुदा क़ादिर है, और किसी को बेकार नहीं जानता वह समझ की क़ुव्वत में ग़ालिब है।
6 Er erhält den Gesetzlosen nicht am Leben, und das Recht der Elenden gewährt er.
वह शरीरों की जिंदगी को बरक़रार नहीं रखता, बल्कि मुसीबत ज़दों को उनका हक़ अदा करता है।
7 Er zieht seine Augen nicht ab von dem Gerechten, und mit Königen auf den Thron, dahin setzt er sie auf immerdar, und sie sind erhöht.
वह सादिक़ों से अपनी आँखे नहीं फेरता, बल्कि उन्हें बादशाहों के साथ हमेशा के लिए तख़्त पर बिठाता है।
8 Und wenn sie mit Fesseln gebunden sind, in Stricken des Elends gefangen werden,
और वह सरफ़राज़ होते हैं और अगर वह बेड़ियों से जकड़े जाएं और मुसीबत की रस्सियों से बंधें,
9 dann macht er ihnen kund ihr Tun und ihre Übertretungen, daß sie sich trotzig gebärdeten;
तो वह उन्हें उनका 'अमल और उनकी तक्सीरें दिखाता है, कि उन्होंने घमण्ड किया है।
10 und er öffnet ihr Ohr der Zucht und spricht, daß sie umkehren sollen vom Frevel.
वह उनके कान को ता'लीम के लिए खोलता है, और हुक्म देता है कि वह गुनाह से बाज़ आयें।
11 Wenn sie hören und sich unterwerfen, so werden sie ihre Tage in Wohlfahrt verbringen und ihre Jahre in Annehmlichkeiten.
अगर वह सुन लें और उसकी इबादत करें तो अपने दिन इक़बालमंदी में और अपने बरस खु़शहाली में बसर करेंगे
12 Wenn sie aber nicht hören, so rennen sie ins Geschoß und verscheiden ohne Erkenntnis.
लेकिन अगर न सुनें तो वह तलवार से हलाक होंगे, और जिहालत में मरेंगे।
13 Aber die ruchlosen Herzens sind, hegen Zorn: sie rufen nicht um Hilfe, wenn er sie gefesselt hat.
लेकिन वह जो दिल में बे दीन हैं, ग़ज़ब को रख छोड़ते जब वह उन्हें बांधता है तो वह मदद के लिए दुहाई नहीं देते,
14 Ihre Seele stirbt dahin in der Jugend, und ihr Leben unter den Schandbuben.
वह जवानी में मरतें हैं और उनकी ज़िन्दगी छोटों के बीच में बर्बाद होता है।
15 Den Elenden errettet er in seinem Elend, und in der Drangsal öffnet er ihnen das Ohr.
वह मुसीबत ज़दह को मुसीबत से छुड़ाता है, और ज़ुल्म में उनके कान खोलता है।
16 So hätte er auch dich aus dem Rachen der Bedrängnis in einen weiten Raum geführt, wo keine Beengung gewesen, und die Besetzung deines Tisches würde voll Fett sein.
बल्कि वह तुझे भी दुख से छुटकारा दे कर ऐसी वसी' जगह में जहाँ तंगी नहीं है पहुँचा देता और जो कुछ तेरे दस्तरख़्वान पर चुना जाता है वह चिकनाई से पुर होता है।
17 Aber du bist mit dem Urteil des Gesetzlosen erfüllt: Urteil und Gericht werden dich ergreifen.
लेकिन तू तो शरीरों के मुक़द्दमा की ता'ईद करता है, इसलिए 'अदल और इन्साफ़ तुझ पर क़ाबिज़ हैं।
18 Denn der Grimm, möge er dich ja nicht verlocken zur Verhöhnung, und die Größe des Lösegeldes verleite dich nicht!
ख़बरदार तेरा क़हर तुझ से तक्फ़ीर न कराए और फ़िदया की फ़रादानी तुझे गुमराह न करे।
19 Soll dich dein Schreien außer Bedrängnis stellen und alle Anstrengungen der Kraft?
क्या तेरा रोना या तेरा ज़ोर व तवानाई इस बात के लिए काफ़ी है कि तू मुसीबत में न पड़े।
20 Sehne dich nicht nach der Nacht, welche Völker plötzlich hinwegheben wird.
उस रात की ख़्वाहिश न कर, जिसमें क़ौमें अपने घरों से उठा ली जाती हैं।
21 Hüte dich, wende dich nicht zum Frevel, denn das hast du dem Elend vorgezogen.
होशियार रह, गुनाह की तरफ़ राग़िब न हो, क्यूँकि तू ने मुसीबत को नहीं बल्कि इसी को चुना है।
22 Siehe, Gott handelt erhaben in seiner Macht; wer ist ein Lehrer wie er?
देख, ख़ुदा अपनी क़ुदरत से बड़े — बड़े काम करता है। कौन सा उस्ताद उसकी तरह है?
23 Wer hat ihm seinen Weg vorgeschrieben, und wer dürfte sagen: Du hast Unrecht getan?
किसने उसे उसका रास्ता बताया? या कौन कह सकता है कि तू ने नारास्ती की है?
24 Gedenke daran, daß du sein Tun erhebest, welches Menschen besingen.
'उसके काम की बड़ाई करना याद रख, जिसकी ता'रीफ़ लोग करते रहे हैं।
25 Alle Menschen schauen es an, der Sterbliche erblickt es aus der Ferne.
सब लोगों ने इसको देखा है, इंसान उसे दूर से देखता है।
26 Siehe, Gott ist zu erhaben für unsere Erkenntnis; die Zahl seiner Jahre, sie ist unerforschlich.
देख, ख़ुदा बुज़ुर्ग है और हम उसे नहीं जानते, उसके बरसों का शुमार दरियाफ़्त से बाहर है।
27 Denn er zieht Wassertropfen herauf; von dem Dunst, den er bildet,
क्यूँकि वह पानी के क़तरों को ऊपर खींचता है, जो उसी के अबख़िरात से मेंह की सूरत में टपकते हैं;
28 träufeln sie als Regen, den die Wolken rieseln und tropfen lassen auf viele Menschen.
जिनकी फ़लाक उंडेलते, और इंसान पर कसरत से बरसाते हैं।
29 Versteht man gar das Ausbreiten des Gewölks, das Krachen seines Zeltes?
बल्कि क्या कोई बादलों के फैलाव, और उसके शामियाने की गरजों को समझ सकता है?
30 Siehe, er breitet sein Licht um sich aus, und die Gründe des Meeres bedeckt er.
देख, वह अपने नूर को अपने चारों तरफ़ फैलाता है, और समन्दर की तह को ढाँकता है।
31 Denn durch dieses richtet er Völker, gibt Speise im Überfluß.
क्यूँकि इन्हीं से वह क़ौमों का इन्साफ़ करता है, और ख़ूराक इफ़रात से 'अता फ़रमाता है।
32 Seine Hände umhüllt er mit dem Blitz, und er entbietet ihn gegen denjenigen, den er treffen soll.
वह बिजली को अपने हाथों में लेकर, उसे हुक्म देता है कि दुश्मन पर गिरे।
33 Sein Rollen kündigt ihn an, sogar das Vieh sein Heranziehen.
इसकी कड़क उसी की ख़बर देती है, चौपाये भी तूफ़ान की आमद बताते हैं।