< 5 Mose 1 >

1 Dies sind die Worte, welche Mose zu ganz Israel geredet hat diesseit des Jordan, in der Wüste, in der Ebene, Suph gegenüber, zwischen Paran und Tophel und Laban und Hazeroth und Di-Sahab.
जो बातें मूसा ने यरदन के पार जंगल में, अर्थात् सूफ के सामने के अराबा में, और पारान और तोपेल के बीच, और लाबान हसेरोत और दीजाहाब में, सारे इस्राएलियों से कहीं वे ये हैं।
2 Elf Tagereisen sind vom Horeb, auf dem Wege des Gebirges Seir, bis Kades-Barnea.
होरेब से कादेशबर्ने तक सेईर पहाड़ का मार्ग ग्यारह दिन का है।
3 Und es geschah im vierzigsten Jahre, im elften Monat, am Ersten des Monats, da redete Mose zu den Kindern Israel nach allem, was Jehova ihm an sie geboten hatte,
चालीसवें वर्ष के ग्यारहवें महीने के पहले दिन को जो कुछ यहोवा ने मूसा को इस्राएलियों से कहने की आज्ञा दी थी, उसके अनुसार मूसा उनसे ये बातें कहने लगा।
4 nachdem er Sihon geschlagen, den König der Amoriter, der zu Hesbon wohnte, und Og, den König von Basan, der zu Astaroth und zu Edrei wohnte.
अर्थात् जब मूसा ने एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन और बाशान के राजा अश्तारोतवासी ओग को एद्रेई में मार डाला,
5 Diesseit des Jordan, im Lande Moab, fing Mose an, dieses Gesetz auszulegen, indem er sprach:
उसके बाद यरदन के पार मोआब देश में वह व्यवस्था का विवरण ऐसे करने लगा,
6 Jehova, unser Gott, redete zu uns am Horeb und sprach: Lange genug seid ihr an diesem Berge geblieben;
“हमारे परमेश्वर यहोवा ने होरेब के पास हम से कहा था, ‘तुम लोगों को इस पहाड़ के पास रहते हुए बहुत दिन हो गए हैं;
7 wendet euch und brechet auf und ziehet nach dem Gebirge der Amoriter und zu allen ihren Anwohnern in der Ebene, auf dem Gebirge und in der Niederung und im Süden und am Ufer des Meeres, in das Land der Kanaaniter und zum Libanon, bis zu dem großen Strome, dem Strome Phrat.
इसलिए अब यहाँ से कूच करो, और एमोरियों के पहाड़ी देश को, और क्या अराबा में, क्या पहाड़ों में, क्या नीचे के देश में, क्या दक्षिण देश में, क्या समुद्र के किनारे, जितने लोग एमोरियों के पास रहते हैं उनके देश को, अर्थात् लबानोन पर्वत तक और फरात नाम महानद तक रहनेवाले कनानियों के देश को भी चले जाओ।
8 Siehe, ich habe das Land vor euch gestellt; gehet hinein und nehmet das Land in Besitz, welches Jehova euren Vätern, Abraham, Isaak und Jakob, geschworen hat, ihnen zu geben und ihrem Samen nach ihnen.
सुनो, मैं उस देश को तुम्हारे सामने किए देता हूँ; जिस देश के विषय यहोवा ने अब्राहम, इसहाक, और याकूब, तुम्हारे पितरों से शपथ खाकर कहा था कि मैं इसे तुम को और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंश को दूँगा, उसको अब जाकर अपने अधिकार में कर लो।’”
9 Und ich sprach zu euch in selbiger Zeit und sagte: Ich allein kann euch nicht tragen.
“फिर उसी समय मैंने तुम से कहा, ‘मैं तुम्हारा भार अकेला नहीं उठा सकता;
10 Jehova, euer Gott, hat euch gemehrt, und siehe, ihr seid heute wie die Sterne des Himmels an Menge.
१०क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को यहाँ तक बढ़ाया है कि तुम गिनती में आज आकाश के तारों के समान हो गए हो।
11 Jehova, der Gott eurer Väter, füge zu euch, so viele ihr seid, tausendmal hinzu und segne euch, wie er zu euch geredet hat!
११तुम्हारे पितरों का परमेश्वर तुम को हजारगुणा और भी बढ़ाए, और अपने वचन के अनुसार तुम को आशीष भी देता रहे!
12 Wie könnte ich allein eure Bürde und eure Last und euren Hader tragen?
१२परन्तु तुम्हारे झंझट, और भार, और झगड़ों को मैं अकेला कहाँ तक सह सकता हूँ।
13 Nehmet euch weise und verständige und bekannte Männer, nach euren Stämmen, daß ich sie zu Häuptern über euch setze.
१३इसलिए तुम अपने-अपने गोत्र में से एक-एक बुद्धिमान और समझदार और प्रसिद्ध पुरुष चुन लो, और मैं उन्हें तुम पर मुखिया ठहराऊँगा।’
14 Und ihr antwortetet mir und sprachet: Gut ist die Sache, die du zu tun gesagt hast.
१४इसके उत्तर में तुम ने मुझसे कहा, ‘जो कुछ तू हम से कहता है उसका करना अच्छा है।’
15 Und ich nahm die Häupter eurer Stämme, weise und bekannte Männer, und setzte sie als Häupter über euch, als Oberste über tausend und Oberste über hundert und Oberste über fünfzig und Oberste über zehn, und als Vorsteher eurer Stämme.
१५इसलिए मैंने तुम्हारे गोत्रों के मुख्य पुरुषों को जो बुद्धिमान और प्रसिद्ध पुरुष थे चुनकर तुम पर मुखिया नियुक्त किया, अर्थात् हजार-हजार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस के ऊपर प्रधान और तुम्हारे गोत्रों के सरदार भी नियुक्त किए।
16 Und ich gebot euren Richtern in selbiger Zeit und sprach: Höret die Streitsachen zwischen euren Brüdern und richtet in Gerechtigkeit zwischen einem Manne und seinem Bruder und dem Fremdling bei ihm.
१६और उस समय मैंने तुम्हारे न्यायियों को आज्ञा दी, ‘तुम अपने भाइयों के मुकद्दमे सुना करो, और उनके बीच और उनके पड़ोसियों और परदेशियों के बीच भी धार्मिकता से न्याय किया करो।
17 Ihr sollt nicht die Person ansehen im Gericht; den Kleinen wie den Großen sollt ihr hören; ihr sollt euch vor niemand fürchten, denn das Gericht ist Gottes. Die Sache aber, die zu schwierig für euch ist, sollt ihr vor mich bringen, daß ich sie höre.
१७न्याय करते समय किसी का पक्ष न करना; जैसे बड़े की वैसे ही छोटे मनुष्य की भी सुनना; किसी का मुँह देखकर न डरना, क्योंकि न्याय परमेश्वर का काम है; और जो मुकद्दमा तुम्हारे लिये कठिन हो, वह मेरे पास ले आना, और मैं उसे सुनूँगा।’
18 Und ich gebot euch in selbiger Zeit alle die Sachen, die ihr tun solltet.
१८और मैंने उसी समय तुम्हारे सारे कर्तव्य तुम को बता दिए।
19 Und wir brachen auf vom Horeb und zogen durch diese ganze große und schreckliche Wüste, die ihr gesehen habt, des Weges nach dem Gebirge der Amoriter, so wie Jehova, unser Gott, uns geboten hatte; und wir kamen bis Kades-Barnea.
१९“हम होरेब से कूच करके अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उस सारे बड़े और भयानक जंगल में होकर चले, जिसे तुम ने एमोरियों के पहाड़ी देश के मार्ग में देखा, और हम कादेशबर्ने तक आए।
20 Und ich sprach zu euch: Ihr seid gekommen bis zu dem Gebirge der Amoriter, das Jehova, unser Gott, uns gibt.
२०वहाँ मैंने तुम से कहा, ‘तुम एमोरियों के पहाड़ी देश तक आ गए हो जिसको हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है।
21 Siehe, Jehova, dein Gott, hat das Land vor dich gestellt; ziehe hinauf, nimm in Besitz, so wie Jehova, der Gott deiner Väter, zu dir geredet hat; fürchte dich nicht und verzage nicht!
२१देखो, उस देश को तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे सामने किए देता है, इसलिए अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस पर चढ़ो, और उसे अपने अधिकार में ले लो; न तो तुम डरो और न तुम्हारा मन कच्चा हो।’
22 Und ihr tratet alle zu mir und sprachet: Laßt uns Männer vor uns hersenden, daß sie uns das Land erforschen und uns Bescheid bringen über den Weg, auf dem wir hinaufziehen, und über die Städte, zu denen wir kommen sollen.
२२और तुम सब मेरे पास आकर कहने लगे, ‘हम अपने आगे पुरुषों को भेज देंगे, जो उस देश का पता लगाकर हमको यह सन्देश दें, कि कौन से मार्ग से होकर चलना होगा और किस-किस नगर में प्रवेश करना पड़ेगा?’
23 Und die Sache war gut in meinen Augen; und ich nahm aus euch zwölf Männer, je einen Mann für den Stamm.
२३इस बात से प्रसन्न होकर मैंने तुम में से बारह पुरुष, अर्थात् हर गोत्र में से एक पुरुष चुन लिया;
24 Und sie wandten sich und zogen ins Gebirge hinauf, und sie kamen bis zum Tale Eskol und kundschafteten es aus.
२४और वे पहाड़ पर चढ़ गए, और एशकोल नामक नाले को पहुँचकर उस देश का भेद लिया।
25 Und sie nahmen von der Frucht des Landes in ihre Hand und brachten sie zu uns herab. Und sie brachten uns Bescheid und sprachen: Das Land ist gut, das Jehova, unser Gott, uns gibt.
२५और उस देश के फलों में से कुछ हाथ में लेकर हमारे पास आए, और हमको यह सन्देश दिया, ‘जो देश हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है वह अच्छा है।’
26 Aber ihr wolltet nicht hinaufziehen und waret widerspenstig gegen den Befehl Jehovas, eures Gottes.
२६“तो भी तुम ने वहाँ जाने से मना किया, किन्तु अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के विरुद्ध होकर
27 Und ihr murrtet in euren Zelten und sprachet: Weil Jehova uns haßte, hat er uns aus dem Lande Ägypten herausgeführt, um uns in die Hand der Amoriter zu geben, daß sie uns vertilgen.
२७अपने-अपने डेरे में यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, ‘यहोवा हम से बैर रखता है, इस कारण हमको मिस्र देश से निकाल ले आया है, कि हमको एमोरियों के वश में करके हमारा सत्यानाश कर डाले।
28 Wohin sollen wir hinaufziehen? Unsere Brüder haben unser Herz verzagt gemacht, indem sie sagten: Ein Volk, größer und höher als wir, Städte, groß und befestigt bis an den Himmel, und auch die Kinder der Enakim haben wir dort gesehen!
२८हम किधर जाएँ? हमारे भाइयों ने यह कहकर हमारे मन को कच्चा कर दिया है कि वहाँ के लोग हम से बड़े और लम्बे हैं; और वहाँ के नगर बड़े-बड़े हैं, और उनकी शहरपनाह आकाश से बातें करती हैं; और हमने वहाँ अनाकवंशियों को भी देखा है।’
29 Da sprach ich zu euch: Erschrecket nicht und fürchtet euch nicht vor ihnen!
२९मैंने तुम से कहा, ‘उनके कारण भय मत खाओ और न डरो।
30 Jehova, euer Gott, der vor euch herzieht, er wird für euch streiten, nach allem, was er in Ägypten vor euren Augen für euch getan hat,
३०तुम्हारा परमेश्वर यहोवा जो तुम्हारे आगे-आगे चलता है वह आप तुम्हारी ओर से लड़ेगा, जैसे कि उसने मिस्र में तुम्हारे देखते तुम्हारे लिये किया;
31 und in der Wüste, wo du gesehen hast, daß Jehova, dein Gott, dich getragen hat, wie ein Mann seinen Sohn trägt, auf dem ganzen Wege, den ihr gezogen seid, bis ihr an diesen Ort kamet.
३१फिर तुम ने जंगल में भी देखा कि जिस रीति कोई पुरुष अपने लड़के को उठाए चलता है, उसी रीति हमारा परमेश्वर यहोवा हमको इस स्थान पर पहुँचने तक, उस सारे मार्ग में जिससे हम आए हैं, उठाए रहा।’
32 Aber in dieser Sache glaubtet ihr nicht Jehova, eurem Gott,
३२इस बात पर भी तुम ने अपने उस परमेश्वर यहोवा पर विश्वास नहीं किया,
33 der auf dem Wege vor euch herzog, um euch einen Ort zu erkunden, daß ihr euch lagern konntet: des Nachts im Feuer, daß ihr auf dem Wege sehen konntet, auf welchem ihr zoget, und des Tages in der Wolke.
३३जो तुम्हारे आगे-आगे इसलिए चलता रहा कि डेरे डालने का स्थान तुम्हारे लिये ढूँढ़े, और रात को आग में और दिन को बादल में प्रगट होकर चला, ताकि तुम को वह मार्ग दिखाए जिससे तुम चलो।
34 Und Jehova hörte die Stimme eurer Reden und ward zornig und schwur und sprach:
३४“परन्तु तुम्हारी वे बातें सुनकर यहोवा का कोप भड़क उठा, और उसने यह शपथ खाई,
35 Wenn ein Mann unter diesen Männern, diesem bösen Geschlecht, das gute Land sehen wird, das ich geschworen habe, euren Vätern zu geben,
३५‘निश्चय इस बुरी पीढ़ी के मनुष्यों में से एक भी उस अच्छे देश को देखने न पाएगा, जिसे मैंने उनके पितरों को देने की शपथ खाई थी।
36 außer Kaleb, dem Sohne Jephunnes! Er soll es sehen, und ihm und seinen Söhnen werde ich das Land geben, auf welches er getreten, darum daß er Jehova völlig nachgefolgt ist. -
३६केवल यपुन्ने का पुत्र कालेब ही उसे देखने पाएगा, और जिस भूमि पर उसके पाँव पड़े हैं उसे मैं उसको और उसके वंश को भी दूँगा; क्योंकि वह मेरे पीछे पूरी रीति से हो लिया है।’
37 Auch wider mich erzürnte Jehova eurethalben und sprach: Auch du sollst nicht hineinkommen!
३७और मुझ पर भी यहोवा तुम्हारे कारण क्रोधित हुआ, और यह कहा, ‘तू भी वहाँ जाने न पाएगा;
38 Josua, der Sohn Nuns, der vor dir steht, er soll hineinkommen; ihn stärke, denn er soll es Israel als Erbe austeilen. -
३८नून का पुत्र यहोशू जो तेरे सामने खड़ा रहता है, वह तो वहाँ जाने पाएगा; इसलिए तू उसको हियाव दे, क्योंकि उस देश को इस्राएलियों के अधिकार में वही कर देगा।
39 Und eure Kindlein, von denen ihr sagtet: Sie werden zur Beute werden! und eure Söhne, die heute weder Gutes noch Böses kennen, sie sollen hineinkommen, und ihnen werde ich es geben, und sie sollen es in Besitz nehmen.
३९फिर तुम्हारे बाल-बच्चे जिनके विषय में तुम कहते हो कि ये लूट में चले जाएँगे, और तुम्हारे जो बच्चे अभी भले बुरे का भेद नहीं जानते, वे वहाँ प्रवेश करेंगे, और उनको मैं वह देश दूँगा, और वे उसके अधिकारी होंगे।
40 Ihr aber, wendet euch und brechet auf nach der Wüste, des Weges zum Schilfmeere!
४०परन्तु तुम लोग घूमकर कूच करो, और लाल समुद्र के मार्ग से जंगल की ओर जाओ।’
41 Da antwortetet ihr und sprachet zu mir: Wir haben wider Jehova gesündigt; wir wollen hinaufziehen und streiten, nach allem, was Jehova, unser Gott, uns geboten hat. Und ihr gürtetet ein jeder sein Kriegsgerät um und zoget leichtfertig in das Gebirge hinauf.
४१“तब तुम ने मुझसे कहा, ‘हमने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; अब हम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार चढ़ाई करेंगे और लड़ेंगे।’ तब तुम अपने-अपने हथियार बाँधकर पहाड़ पर बिना सोचे समझे चढ़ने को तैयार हो गए।
42 Und Jehova sprach zu mir: Sprich zu ihnen: Ziehet nicht hinauf und streitet nicht, denn ich bin nicht in eurer Mitte; daß ihr nicht vor euren Feinden geschlagen werdet!
४२तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘उनसे कह दे कि तुम मत चढ़ो, और न लड़ो; क्योंकि मैं तुम्हारे मध्य में नहीं हूँ; कहीं ऐसा न हो कि तुम अपने शत्रुओं से हार जाओ।’
43 Und ich redete zu euch, aber ihr hörtet nicht; und ihr waret widerspenstig gegen den Befehl Jehovas, und handeltet vermessen und zoget in das Gebirge hinauf.
४३यह बात मैंने तुम से कह दी, परन्तु तुम ने न मानी; किन्तु ढिठाई से यहोवा की आज्ञा का उल्लंघन करके पहाड़ पर चढ़ गए।
44 Und die Amoriter, die auf selbigem Gebirge wohnten, zogen aus, euch entgegen, und verfolgten euch, wie die Bienen tun, und zersprengten euch in Seir bis Horma.
४४तब उस पहाड़ के निवासी एमोरियों ने तुम्हारा सामना करने को निकलकर मधुमक्खियों के समान तुम्हारा पीछा किया, और सेईर देश के होर्मा तक तुम्हें मारते-मारते चले आए।
45 Und ihr kehrtet zurück und weintet vor Jehova; aber Jehova hörte nicht auf eure Stimme und neigte sein Ohr nicht zu euch. -
४५तब तुम लौटकर यहोवा के सामने रोने लगे; परन्तु यहोवा ने तुम्हारी न सुनी, न तुम्हारी बातों पर कान लगाया।
46 Und ihr bliebet in Kades viele Tage, nach den Tagen, die ihr bliebet.
४६और तुम कादेश में बहुत दिनों तक रहे, यहाँ तक कि एक युग हो गया।

< 5 Mose 1 >