< 1 Chronik 21 >
1 Und Satan stand auf wider Israel und reizte David an, Israel zu zählen.
१और शैतान ने इस्राएल के विरुद्ध उठकर, दाऊद को उकसाया कि इस्राएलियों की गिनती ले।
2 Da sprach David zu Joab und zu den Obersten des Volkes: Gehet hin, zählet Israel von Beerseba bis Dan; und berichtet mir, damit ich ihre Zahl wisse.
२तब दाऊद ने योआब और प्रजा के हाकिमों से कहा, “तुम जाकर बेर्शेबा से ले दान तक इस्राएल की गिनती लेकर मुझे बताओ, कि मैं जान लूँ कि वे कितने हैं।”
3 Und Joab sprach: Es möge Jehova zu seinem Volke, so viele ihrer sind, hundertmal hinzufügen! Sind sie nicht alle, mein Herr König, die Knechte meines Herrn? Warum begehrt mein Herr solches? Warum soll es Israel zur Schuld werden?
३योआब ने कहा, “यहोवा की प्रजा के कितने ही क्यों न हों, वह उनको सौ गुना बढ़ा दे; परन्तु हे मेरे प्रभु! हे राजा! क्या वे सब राजा के अधीन नहीं हैं? मेरा प्रभु ऐसी बात क्यों चाहता है? वह इस्राएल पर दोष लगने का कारण क्यों बने?”
4 Aber das Wort des Königs blieb fest gegen Joab. Und Joab zog aus und durchwanderte ganz Israel, und er kam nach Jerusalem zurück.
४तो भी राजा की आज्ञा योआब पर प्रबल हुई। तब योआब विदा होकर सारे इस्राएल में घूमकर यरूशलेम को लौट आया।
5 Und Joab gab die Zahl des gemusterten Volkes David an; und es waren in ganz Israel elfhunderttausend Mann, die das Schwert zogen, und in Juda vierhundertsiebzigtausend Mann, die das Schwert zogen.
५तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़, दाऊद को सुनाया और सब तलवार चलानेवाले पुरुष इस्राएल के तो ग्यारह लाख, और यहूदा के चार लाख सत्तर हजार ठहरे।
6 Levi aber und Benjamin musterte er nicht unter ihnen; denn das Wort des Königs war Joab ein Greuel.
६परन्तु उनमें योआब ने लेवी और बिन्यामीन को न गिना, क्योंकि वह राजा की आज्ञा से घृणा करता था
7 Und diese Sache war übel in den Augen Gottes, und er schlug Israel.
७और यह बात परमेश्वर को बुरी लगी, इसलिए उसने इस्राएल को मारा।
8 Und David sprach zu Gott: Ich habe sehr gesündigt, daß ich diese Sache getan habe; und nun laß doch die Ungerechtigkeit deines Knechtes vorübergehen, denn ich habe sehr töricht gehandelt!
८और दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “यह काम जो मैंने किया, वह महापाप है। परन्तु अब अपने दास का अधर्म दूर कर; मुझसे तो बड़ी मूर्खता हुई है।”
9 Und Jehova redete zu Gad, dem Seher Davids, und sprach:
९तब यहोवा ने दाऊद के दर्शी गाद से कहा,
10 Gehe hin und rede zu David und sprich: So spricht Jehova: Dreierlei lege ich dir vor; wähle dir eines davon, daß ich es dir tue.
१०“जाकर दाऊद से कह, ‘यहोवा यह कहता है कि मैं तुझको तीन विपत्तियाँ दिखाता हूँ, उनमें से एक को चुन ले, कि मैं उसे तुझ पर डालूँ।’”
11 Und Gad kam zu David und sprach zu ihm:
११तब गाद ने दाऊद के पास जाकर उससे कहा, “यहोवा यह कहता है, कि जिसको तू चाहे उसे चुन ले:
12 So spricht Jehova: Wähle dir! Entweder drei Jahre Hungersnot; oder drei Monate dahingerafft zu werden vor deinen Bedrängern, und daß das Schwert deiner Feinde dich treffe; oder drei Tage das Schwert Jehovas und Pest im Lande, und daß der Engel Jehovas verderbe in allen Grenzen Israels. Und nun siehe zu, was für eine Antwort ich dem zurückbringen soll, der mich gesandt hat.
१२या तो तीन वर्ष का अकाल पड़े; या तीन महीने तक तेरे विरोधी तुझे नाश करते रहें, और तेरे शत्रुओं की तलवार तुझ पर चलती रहे; या तीन दिन तक यहोवा की तलवार चले, अर्थात् मरी देश में फैले और यहोवा का दूत इस्राएली देश में चारों ओर विनाश करता रहे। अब सोच, कि मैं अपने भेजनेवाले को क्या उत्तर दूँ।”
13 Und David sprach zu Gad: Mir ist sehr angst! Möge ich doch in die Hand Jehovas fallen, denn seine Erbarmungen sind sehr groß; aber in die Hand der Menschen laß mich nicht fallen!
१३दाऊद ने गाद से कहा, “मैं बड़े संकट में पड़ा हूँ; मैं यहोवा के हाथ में पड़ूँ, क्योंकि उसकी दया बहुत बड़ी है; परन्तु मनुष्य के हाथ में मुझे पड़ना न पड़े।”
14 Und Jehova sandte eine Pest unter Israel; und es fielen von Israel siebzigtausend Mann.
१४तब यहोवा ने इस्राएल में मरी फैलाई, और इस्राएल में सत्तर हजार पुरुष मर मिटे।
15 Und Jehova sandte den Engel nach Jerusalem, um es zu verderben. Und als er verderbte, sah es Jehova, und es reute ihn des Übels; und er sprach zu dem Engel, welcher verderbte: Genug! Ziehe jetzt deine Hand ab. Der Engel Jehovas stand aber bei der Tenne Ornans, des Jebusiters.
१५फिर परमेश्वर ने एक दूत यरूशलेम को भी उसका नाश करने को भेजा; और वह नाश करने ही पर था, कि यहोवा दुःख देने से खेदित हुआ, और नाश करनेवाले दूत से कहा, “बस कर; अब अपना हाथ खींच ले।” और यहोवा का दूत यबूसी ओर्नान के खलिहान के पास खड़ा था।
16 Und als David seine Augen erhob, sah er den Engel Jehovas zwischen der Erde und dem Himmel stehen, sein Schwert gezückt in seiner Hand, ausgestreckt über Jerusalem. Da fielen David und die Ältesten, in Sacktuch gehüllt, auf ihr Angesicht.
१६और दाऊद ने आँखें उठाकर देखा कि यहोवा का दूत हाथ में खींची हुई और यरूशलेम के ऊपर बढ़ाई हुई एक तलवार लिये हुए आकाश के बीच खड़ा है, तब दाऊद और पुरनिये टाट पहने हुए मुँह के बल गिरे।
17 Und David sprach zu Gott: Bin ich es nicht, der gesagt hat, das Volk zu zählen? Und ich bin es, der gesündigt und sehr übel gehandelt hat; aber diese Schafe, was haben sie getan? Jehova, mein Gott, es sei doch deine Hand wider mich und wider das Haus meines Vaters, aber nicht wider dein Volk zur Plage!
१७तब दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “जिसने प्रजा की गिनती लेने की आज्ञा दी थी, वह क्या मैं नहीं हूँ? हाँ, जिसने पाप किया और बहुत बुराई की है, वह तो मैं ही हूँ। परन्तु इन भेड़-बकरियों ने क्या किया है? इसलिए हे मेरे परमेश्वर यहोवा! तेरा हाथ मेरे पिता के घराने के विरुद्ध हो, परन्तु तेरी प्रजा के विरुद्ध न हो, कि वे मारे जाएँ।”
18 Und der Engel Jehovas sprach zu Gad, daß er zu David sage, David solle hinaufgehen, um Jehova einen Altar zu errichten auf der Tenne Ornans, des Jebusiters.
१८तब यहोवा के दूत ने गाद को दाऊद से यह कहने की आज्ञा दी कि दाऊद चढ़कर यबूसी ओर्नान के खलिहान में यहोवा की एक वेदी बनाए।
19 Und David ging hinauf, nach dem Worte Gads, das er im Namen Jehovas geredet hatte.
१९गाद के इस वचन के अनुसार जो उसने यहोवा के नाम से कहा था, दाऊद चढ़ गया।
20 Und Ornan wandte sich um und sah den Engel; und seine vier Söhne versteckten sich mit ihm. Ornan aber drosch Weizen.
२०तब ओर्नान ने पीछे फिरके दूत को देखा, और उसके चारों बेटे जो उसके संग थे छिप गए, ओर्नान तो गेहूँ दाँवता था।
21 Und David kam zu Ornan; und Ornan blickte hin und sah David, und er ging aus der Tenne hinaus und beugte sich vor David nieder, mit dem Antlitz zur Erde.
२१जब दाऊद ओर्नान के पास आया, तब ओर्नान ने दृष्टि करके दाऊद को देखा और खलिहान से बाहर जाकर भूमि तक झुककर दाऊद को दण्डवत् किया।
22 Und David sprach zu Ornan: Gib mir den Platz der Tenne, daß ich Jehova einen Altar darauf baue, um volles Geld gib ihn mir, daß die Plage von dem Volke abgewehrt werde.
२२तब दाऊद ने ओर्नान से कहा, “इस खलिहान का स्थान मुझे दे दे, कि मैं इस पर यहोवा के लिए एक वेदी बनाऊँ, उसका पूरा दाम लेकर उसे मुझ को दे, कि यह विपत्ति प्रजा पर से दूर की जाए।”
23 Da sprach Ornan zu David: Nimm ihn dir, und mein Herr, der König, tue, was gut ist in seinen Augen; siehe, ich gebe die Rinder zu den Brandopfern, und die Dreschwagen zum Holz, und den Weizen zum Speisopfer: alles das gebe ich.
२३ओर्नान ने दाऊद से कहा, “इसे ले ले, और मेरे प्रभु राजा को जो कुछ भाए वह वही करे; सुन, मैं तुझे होमबलि के लिये बैल और ईंधन के लिये दाँवने के हथियार और अन्नबलि के लिये गेहूँ, यह सब मैं देता हूँ।”
24 Aber der König David sprach zu Ornan: Nein, sondern kaufen will ich es um volles Geld; denn ich will nicht, was dir gehört, für Jehova nehmen und umsonst Brandopfer opfern.
२४राजा दाऊद ने ओर्नान से कहा, “नहीं, मैं अवश्य इसका पूरा दाम ही देकर इसे मोल लूँगा; जो तेरा है, उसे मैं यहोवा के लिये नहीं लूँगा, और न सेंत-मेंत का होमबलि चढ़ाऊँगा।”
25 Und David gab Ornan für den Platz sechshundert Sekel Gold an Gewicht.
२५तब दाऊद ने उस स्थान के लिये ओर्नान को छः सौ शेकेल सोना तौलकर दिया।
26 Und David baute daselbst Jehova einen Altar und opferte Brandopfer und Friedensopfer; und er rief zu Jehova, und er antwortete ihm mit Feuer vom Himmel auf dem Altar des Brandopfers.
२६तब दाऊद ने वहाँ यहोवा की एक वेदी बनाई और होमबलि और मेलबलि चढ़ाकर यहोवा से प्रार्थना की, और उसने होमबलि की वेदी पर स्वर्ग से आग गिराकर उसकी सुन ली।
27 Und Jehova sprach zu dem Engel, und er steckte sein Schwert wieder in seine Scheide.
२७तब यहोवा ने दूत को आज्ञा दी; और उसने अपनी तलवार फिर म्यान में कर ली।
28 Zu jener Zeit, als David sah, daß Jehova ihm auf der Tenne Ornans, des Jebusiters, geantwortet hatte, opferte er daselbst.
२८यह देखकर कि यहोवा ने यबूसी ओर्नान के खलिहान में मेरी सुन ली है, दाऊद ने उसी समय वहाँ बलिदान किया।
29 Die Wohnung Jehovas aber, die Mose in der Wüste gemacht hatte, und der Brandopferaltar waren zu jener Zeit auf der Höhe zu Gibeon.
२९यहोवा का निवास जो मूसा ने जंगल में बनाया था, और होमबलि की वेदी, ये दोनों उस समय गिबोन के ऊँचे स्थान पर थे।
30 Aber David vermochte nicht vor denselben hinzugehen, um Gott zu suchen; denn er war erschrocken vor dem Schwerte des Engels Jehovas.
३०परन्तु दाऊद परमेश्वर के पास उसके सामने न जा सका, क्योंकि वह यहोवा के दूत की तलवार से डर गया था।