< Sacharja 1 >

1 Im achten Monat, im zweiten Jahre des Darius, geschah das Wort Jehovas zu Sacharja, dem Sohne Berekjas, des Sohnes Iddos, dem Propheten [S. Esra 5,1;6,14; Neh. 12,16,] also:
राजा दारयावेश के शासनकाल के दूसरे साल के आठवें महीने में याहवेह का यह वचन बेरेखियाह के पुत्र और इद्दो के पोते ज़करयाह भविष्यवक्ता के पास आया:
2 Jehova ist heftig erzürnt gewesen über eure Väter.
“याहवेह तुम्हारे पूर्वजों से बहुत क्रोधित थे.
3 Und sprich zu ihnen: So spricht Jehova der Heerscharen: Kehret zu mir um, spricht Jehova [Eig. ist der Spruch Jehovas; so auch nachher] der Heerscharen, und ich werde zu euch umkehren, spricht Jehova der Heerscharen.
इसलिये लोगों को बताओ: सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: ‘मेरे पास लौट आओ,’ सर्वशक्तिमान याहवेह की यह घोषणा है, ‘तो मैं भी तुम्हारे पास लौट आऊंगा,’ सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.
4 Seid nicht wie eure Väter, denen die früheren Propheten zuriefen und sprachen: So spricht Jehova der Heerscharen: Kehret doch um von euren bösen Wegen und von euren bösen Handlungen! aber sie hörten nicht und merkten nicht auf mich, spricht Jehova.
अपने पूर्वजों के समान मत बनो, जिन्हें पहले के भविष्यवक्ताओं ने पुकार-पुकारकर कहा था: सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: ‘अपने बुरे चालचलन और अपने बुरे कार्यों को छोड़ो.’ किंतु उन्होंने न तो मेरी बातों को सुना और न ही मेरी ओर ध्यान दिया, याहवेह की घोषणा है.
5 Eure Väter, wo sind sie? und die Propheten, leben sie ewiglich?
तुम्हारे पूर्वज अब कहां हैं? और भविष्यवक्ता, भविष्यद्वक्ता, क्या वे सदाकाल तक जीवित हैं?
6 Doch meine Worte und meine Beschlüsse, welche ich meinen Knechten, den Propheten, gebot, haben sie eure Väter nicht getroffen? Und sie kehrten um und sprachen: So wie Jehova der Heerscharen vorhatte, uns nach unseren Wegen und nach unseren Handlungen zu tun, also hat er mit uns getan.
पर मेरे वचन और कानून, जो मैंने अपने सेवक भविष्यवक्ताओं को दिये थे, क्या वे तुम्हारे पूर्वजों की मृत्यु के बाद भी बने हुए नहीं हैं? “तब उन्होंने प्रायश्चित किया और कहा, ‘सर्वशक्तिमान याहवेह ने ठीक वही किया है जैसा कि हमारे चालचलन और हमारे कर्मों के कारण हमारे साथ किया जाना चाहिये, जैसा कि उन्होंने करने की ठानी थी.’”
7 Am 24. Tage, im elften Monat, das ist der Monat Schebat [Vom Neumonde des Februar bis zum Neumonde des März, ] im zweiten Jahre des Darius, geschah das Wort Jehovas zu Sacharja, dem Sohne Berekjas, des Sohnes Iddos, dem Propheten, also: -
राजा दारयावेश के शासनकाल के दूसरे साल के ग्यारहवें महीने अर्थात् शबात महीने के चौबीसवें दिन याहवेह का यह वचन बेरेखियाह के पुत्र और इद्दो के पोते ज़करयाह भविष्यवक्ता के पास पहुंचा.
8 Ich schaute des Nachts, und siehe, ein Mann, reitend auf einem roten Rosse; und er hielt zwischen den Myrten, welche im Talgrunde waren, und hinter ihm waren rote, hellrote und weiße Rosse.
रात के समय मैंने एक दर्शन में देखा कि मेरे सामने लाल घोड़े पर सवार एक व्यक्ति था. वह घाटी में मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा था, और उसके पीछे लाल, भूरे और सफेद रंग के घोड़े थे.
9 Und ich sprach: Mein Herr, wer sind diese? Und der Engel, der mit mir redete, sprach zu mir: Ich will dir zeigen, wer diese sind.
तब मैंने पूछा, “हे मेरे प्रभु, ये क्या हैं?” जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था, उसने उत्तर दिया, “मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि ये क्या हैं.”
10 Und der Mann, der zwischen den Myrten hielt, antwortete und sprach: Diese sind die, welche Jehova ausgesandt hat, um die Erde zu durchziehen.
तब जो व्यक्ति मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा था, उसने कहा, “ये वे हैं जिन्हें याहवेह ने पूरे पृथ्वी पर भेजा है.”
11 Und sie antworteten dem Engel Jehovas, der zwischen den Myrten hielt, und sprachen: Wir haben die Erde durchzogen, und siehe, die ganze Erde sitzt still und ist ruhig.
और उन्होंने याहवेह के उस स्वर्गदूत को यह सूचित किया, जो मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा था, “हम पूरी पृथ्वी में गये और देखा कि सारी पृथ्वी में चैन और शांति है.”
12 Da hob der Engel Jehovas an und sprach: Jehova der Heerscharen, wie lange willst du dich nicht Jerusalems und der Städte Judas erbarmen, auf welche du gezürnt hast diese siebzig Jahre?
तब याहवेह के दूत ने कहा, “हे सर्वशक्तिमान याहवेह, आप जो येरूशलेम तथा यहूदिया के शहरों पर पिछले सत्तर सालों से क्रोधित हैं, कब तक आप इन पर अपनी दया नहीं दिखाएंगे?”
13 Und Jehova antwortete dem Engel, der mit mir redete, gütige Worte, tröstliche Worte.
तब याहवेह ने उस स्वर्गदूत से, जो मुझसे बात कर रहा था, दयालु और सांत्वनापूर्ण शब्द कहा.
14 Und der Engel, der mit mir redete, sprach zu mir: Rufe aus und sprich: So spricht Jehova der Heerscharen: Ich habe mit großem Eifer für Jerusalem und für Zion geeifert,
फिर वह स्वर्गदूत जो मुझसे बातें कर रहा था, उसने कहा, “इन बातों की घोषणा करो: सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: ‘येरूशलेम तथा ज़ियोन के प्रति मेरी बहुत जलन है,
15 und mit sehr großem Zorne zürne ich über die sicheren [Zugl.: sorglosen, übermütigen] Nationen; denn ich habe ein wenig [O. eine kleine Weile] gezürnt, sie aber haben zum Unglück geholfen.
और मैं उन जनताओं से बहुत क्रोधित हूं जो आराम में हैं. पहले मैं सिर्फ थोड़ा क्रोधित था, किंतु उन्होंने खुद ही अपनी विपत्तियां बढ़ा ली हैं.’
16 Darum spricht Jehova also: Ich habe mich Jerusalem mit Erbarmen wieder zugewandt; mein Haus, spricht Jehova der Heerscharen, soll darin gebaut, und die Meßschnur über Jerusalem gezogen werden.
“इसलिये याहवेह का यह कहना है: ‘मैं कृपा करने के लिये येरूशलेम लौटूंगा, और वहां मेरे भवन को फिर से बनाया जाएगा. और येरूशलेम के ऊपर नापने की लकीर खींची जाएगी,’ सर्वशक्तिमान याहवेह की घोषणा है.
17 Rufe ferner aus und sprich: So spricht Jehova der Heerscharen: Meine Städte sollen noch überfließen von Gutem; und Jehova wird Zion noch trösten und Jerusalem noch erwählen.
“आगे और घोषणा करो: सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: ‘मेरे नगर फिर समृद्ध होंगे, और याहवेह फिर ज़ियोन को सांत्वना देंगे तथा येरूशलेम को अपना ठहराएंगे.’”
18 Und ich hob meine Augen auf und sah: und siehe, vier Hörner.
फिर मैंने देखा, और वहां मेरे सामने चार सींग थे.
19 Und ich sprach zu dem Engel, der mit mir redete: Was sind diese? Und er sprach zu mir: Diese sind die Hörner, welche Juda, Israel und Jerusalem zerstreut haben.
तो मैंने उस स्वर्गदूत, जो मुझसे बातें कर रहा था, उससे पूछा, “ये क्या हैं?” उसने मुझे उत्तर दिया, “ये वे सींग हैं जिन्होंने यहूदिया, इस्राएल और येरूशलेम को तितर-बितर कर दिया है.”
20 Und Jehova ließ mich vier Werkleute sehen.
फिर याहवेह ने मुझे चार शिल्पकार दिखाये.
21 Und ich sprach: Was wollen diese tun? [Eig. Was kommen diese zu tun?] Und er sprach zu mir und sagte: Jene sind die Hörner, welche Juda dermaßen zerstreut haben, daß niemand mehr sein Haupt erhob; und diese sind gekommen, um sie in Schrecken zu setzen und die Hörner der Nationen niederzuwerfen, welche das Horn gegen das Land Juda erhoben haben, um es zu zerstreuen.
मैंने पूछा, “ये क्या करने के लिये आये हैं?” उन्होंने उत्तर दिया, “ये वे सींग हैं जिन्होंने यहूदिया को तितर-बितर कर दिया है, ताकि कोई अपना सिर न उठा सके, पर ये शिल्पकार उन्हें भयभीत करने उन जनताओं के इन सीगों को काट डालने के लिये आए हैं जो यहूदिया देश के शत्रुओं को भयभीत कर देंगे और उन राष्ट्रों के सींग काट डालेंगे, जिन्होंने यहूदिया के लोगों को तितर-बितर करने के लिये आक्रमण किया है.”

< Sacharja 1 >