< Hohelied 6 >
1 Wohin ist dein Geliebter gegangen, du Schönste unter den Frauen? wohin hat dein Geliebter sich gewendet? Und wir wollen ihn mit dir suchen. -
तेरा महबूब कहाँ गया ऐ 'औरतों में सब से जमीला? तेरा महबूब किस तरफ़ को निकला कि हम तेरे साथ उसकी तलाश में जाएँ?
2 Mein Geliebter ist in seinen Garten hinabgegangen, zu den Würzkrautbeeten, um in den Gärten zu weiden und Lilien zu pflücken.
मेरा महबूब अपने बोस्तान में बलसान की क्यारियों की तरफ़ गया है, ताकि बागों में चराये और सोसन जमा' करे।
3 Ich bin meines Geliebten; und mein Geliebter ist mein, der unter den Lilien weidet.
मैं अपने महबूब की हूँ और मेरा महबूब मेरा है। वह सोसनों में चराता है।
4 Du bist schön, meine Freundin, wie Tirza, lieblich wie Jerusalem, furchtbar wie Kriegsscharen [Eig. Bannerscharen.]
ऐ मेरी प्यारी, तू तिर्ज़ा की तरह खू़बसूरत है। येरूशलेम की तरह खु़शमंज़र और 'अलमदार लश्कर की तरह दिल पसन्द है।
5 Wende deine Augen von mir ab, denn sie überwältigen mich. Dein Haar ist wie eine Herde Ziegen, die an den Abhängen des Gilead lagern;
अपनी आँखें मेरी तरफ़ से फेर ले, क्यूँकि वह मुझे घबरा देती हैं; तेरे बाल बकरियों के गल्ले की तरह हैं, जो कोह — ए — जिल्आद पर बैठी हों।
6 deine Zähne sind wie eine Herde Mutterschafe, die aus der Schwemme heraufkommen, welche allzumal Zwillinge gebären, und keines unter ihnen ist unfruchtbar;
तेरे दाँत भेड़ों के गल्ले की तरह हैं, जिनको गु़स्ल दिया गया हो; जिनमें से हर एक ने दो बच्चे दिए हों, और उनमें एक भी बाँझ न हो।
7 wie ein Schnittstück einer Granate ist deine Schläfe hinter deinem Schleier.
तेरी कनपटियाँ तेरे नक़ाब के नीचे, अनार के टुकड़ों की तरह हैं।
8 Sechzig sind der Königinnen und achtzig der Kebsweiber, und Jungfrauen ohne Zahl.
साठ रानियाँ और अस्सी हरमें, और बेशुमार कुंवारियाँ भी हैं;
9 Eine ist meine Taube, meine Vollkommene; sie ist die einzige ihrer Mutter, sie ist die Auserkorene ihrer Gebärerin. Töchter sahen sie und priesen sie glücklich, Königinnen und Kebsweiber, und sie rühmten sie.
लेकिन मेरी कबूतरी, मेरी पाकीज़ा बेमिसाल है; वह अपनी माँ की इकलौती, वह अपनी वालिदा की लाडली है। बेटियों ने उसे देखा और उसे मुबारक कहा। रानियों और हरमों ने देखकर उसकी बड़ाई की।
10 Wer ist sie, die da hervorglänzt wie die Morgenröte, schön wie der Mond, rein wie die Sonne, furchtbar wie Kriegsscharen [Eig. Bannerscharen?] -
यह कौन है जिसका ज़हूर सुबह की तरह है, जो हुस्न में माहताब, और नूर में आफ़ताब, 'अलमदार लश्कर की तरह दिल पसन्द है?
11 In den Nußgarten ging ich hinab, um die jungen Triebe des Tales zu besehen, um zu sehen, ob der Weinstock ausgeschlagen wäre, ob die Granaten blühten.
मैं चिलगोज़ों के बाग में गया, कि वादी की नबातात पर नज़र करूँ, और देखें कि ताक में गुंचे, और अनारों में फूल निकलें हैं कि नहीं।
12 Unbewußt setzte mich meine Seele auf den Prachtwagen meines willigen [O. edlen] Volkes. -
मुझे अभी ख़बर भी न थी कि मेरे दिल ने मुझे मेरे उमरा के रथों पर चढ़ा दिया।
13 Kehre um, kehre um, Sulamith; kehre um, kehre um, daß wir dich anschauen! Was möget ihr an der Sulamith schauen? Wie den Reigen von Machanaim.
लौट आ, लौट आ, ऐ शूलिमीत! लौट आ, लौट आ कि हम तुझ पर नज़र करें। तुम शूलिमीत पर क्यूँ नज़र करोगे, जैसे वह दो लश्करों का नाच है।