< Psalm 111 >

1 [Die Anfangsbuchstaben einer jeden Vershälfte dieses Psalmes folgen im Hebr. der alphabetischen Ordnung] N [Lobet Jehova! [Hallelujah!] ] Preisen will ich Jehova von ganzem Herzen im Kreise [Dasselbe Wort wie Ps. 89,7] der Aufrichtigen [O. Rechtschaffenen; so auch Ps. 112,2. 4] und in der Gemeinde.
यहोवा की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूँगा।
2 Groß sind die Taten Jehovas, sie werden erforscht von allen, die Lust an ihnen haben.
यहोवा के काम बड़े हैं, जितने उनसे प्रसन्न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं।
3 Majestät und Pracht ist sein Tun; und seine Gerechtigkeit besteht ewiglich.
उसके काम वैभवशाली और ऐश्वर्यमय होते हैं, और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा।
4 Er hat ein Gedächtnis gestiftet seinen Wundertaten; gnädig und barmherzig ist Jehova.
उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है; यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है।
5 Er hat Speise gegeben denen, die ihn fürchten; er gedenkt in Ewigkeit seines Bundes.
उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा।
6 Er hat seinem Volke kundgemacht die Kraft seiner Taten, um ihnen zu geben [O. indem er ihnen gab] das Erbteil der Nationen.
उसने अपनी प्रजा को जाति-जाति का भाग देने के लिये, अपने कामों का प्रताप दिखाया है।
7 Die Taten seiner Hände sind Wahrheit und Recht; zuverlässig sind alle seine Vorschriften,
सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं,
8 Festgestellt auf immer, auf ewig, ausgeführt in Wahrheit und Geradheit.
वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे, वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं।
9 Er hat Erlösung gesandt seinem Volke, seinen Bund verordnet auf ewig; heilig und furchtbar ist sein Name.
उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है; उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है। उसका नाम पवित्र और भययोग्य है।
10 Die Furcht Jehovas ist der Weisheit Anfang; gute Einsicht haben alle, die sie [d. h. die Vorschriften v 7] ausüben. Sein Lob [O. Ruhm] besteht ewiglich.
१०बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी समझ अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी।

< Psalm 111 >