< Maleachi 1 >
1 Ausspruch des Wortes Jehovas an Israel durch Maleachi.
एक भविष्यवाणी: मलाकी के माध्यम से इस्राएल को दिया गया याहवेह का वचन.
2 Ich habe euch geliebt, spricht Jehova; aber ihr sprechet: "Worin hast du uns geliebt?" War nicht Esau der Bruder Jakobs? spricht Jehova, [Eig. ist der Spruch Jehovas] und ich habe Jakob geliebt;
याहवेह कहते हैं, “मैंने तुम्हें प्रेम किया है. “पर तुम कहते हो, ‘आपने किस प्रकार से प्रेम किया है?’” याहवेह स्पष्ट करते हैं, “क्या एसाव याकोब का भाई नहीं था? फिर भी मैंने याकोब से प्रेम किया,
3 Esau aber habe ich gehaßt, und ich habe seine Berge zur Wüste gemacht und sein Erbteil für die Schakale der Steppe.
पर एसाव से नफरत किया, और उसके पहाड़ी भागों को उजाड़ दिया और उसकी पैतृक भूमि को बंजर भूमि के सियारों के लिए छोड़ दिया.”
4 Wenn Edom spricht: Wir sind zerschmettert, werden aber die Trümmer wieder aufbauen, so spricht Jehova der Heerscharen: Sie werden bauen, ich aber werde niederreißen; und man wird sie nennen "Gebiet der Gesetzlosigkeit" und "das Volk, welchem Jehova ewiglich zürnt".
एदोम कह सकता है, “यद्यपि हमें उजाड़ दिया गया है, पर हम खंडहरों को फिर बनाएंगे.” पर सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: “वे फिर बना सकते हैं, पर मैं गिरा दूंगा. उनका देश दुष्टों का देश कहलाएगा, और वे एक ऐसे लोग होंगे जिनके ऊपर याहवेह का कोप हमेशा बना रहेगा.
5 Und eure Augen werden es sehen, und ihr werdet sprechen: Groß ist [O. Groß erweist sich] Jehova über das Gebiet Israels hinaus!
तुम स्वयं अपने आंखों से देखोगे और कहोगे, ‘याहवेह महान है—और तो और वह इस्राएल की सीमा के बाहर भी महान है!’
6 Ein Sohn soll den Vater ehren, und ein Knecht seinen Herrn. Wenn ich denn Vater bin, wo ist meine Ehre? Und wenn ich Herr bin, wo ist meine Furcht? [d. h. die Furcht, die mir gebührt] spricht Jehova der Heerscharen zu euch, ihr Priester, die ihr meinen Namen verachtet und doch sprechet: Womit haben wir deinen Namen verachtet?
“एक बेटा अपने पिता का और एक गुलाम अपने मालिक का सम्मान करता है. यदि मैं एक पिता हूं, तो कहां है वह सम्मान, जिसका मैं हकदार हूं? यदि मैं एक मालिक हूं, तो कहां है वह आदर, जिसका मैं हकदार हूं?” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है. “हे पुरोहितो, ये तुम हो जो मेरे नाम का अनादर हो. “पर तुम पूछते हो, ‘हमने किस प्रकार से आपके नाम का अनादर किया है?’
7 Die ihr unreines Brot [d. h. Speise, Opferfleisch; vergl. 3. Mose 21,6 usw.] auf meinem Altar darbringet und doch sprechet: Womit haben wir dich verunreinigt? Damit, daß ihr saget: Der Tisch [d. i. der Altar] Jehovas ist verächtlich.
“मेरी वेदी पर अशुद्ध भोजन चढ़ाने के द्वारा. “पर तुम पूछते हो, ‘हमने किस प्रकार से आपको अशुद्ध किया है?’ “यह कहने के द्वारा कि याहवेह का मेज़ तुच्छ है.
8 Und wenn ihr Blindes darbringet, um es zu opfern, so ist es nichts Böses; und wenn ihr Lahmes und Krankes darbringet, so ist es nichts Böses. Bringe es doch deinem Landpfleger dar: wird er dich wohlgefällig annehmen, oder Rücksicht mit dir haben? spricht Jehova der Heerscharen.
जब तुम अंधे पशुओं को बलिदान चढ़ाते हो, तो क्या यह गलत नहीं है? जब तुम लंगड़े या बीमारयुक्त पशुओं को बलिदान करते हो, तो क्या यह गलत नहीं है? ऐसी भेंट अपने राज्यपाल को देने की कोशिश करो! क्या वह तुमसे खुश होगा? क्या वह तुमको स्वीकार करेगा?” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.
9 Und nun, flehet doch Gott [El] an, daß er uns gnädig sei! von eurer Hand ist das geschehen, wird er um euretwillen Rücksicht nehmen? spricht Jehova der Heerscharen.
“अब तुम परमेश्वर से निवेदन करो कि वह हम पर अनुग्रह करें. तुम्हारे हाथों से इस प्रकार के बलिदान को देखकर क्या वे तुम्हें स्वीकार करेंगे?” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.
10 Wäre doch nur einer unter euch, der die Türen verschlösse, damit ihr nicht vergeblich auf meinem Altar Feuer anzündetet! [W. vergeblich meinen Altar erleuchtet] Ich habe keine Lust an euch, spricht Jehova der Heerscharen, und eine Opfergabe [O. ein Speisopfer; so auch später] nehme ich nicht wohlgefällig aus eurer Hand an. -
“अच्छा होता कि तुममें से कोई मंदिर के दरवाजों को बंद कर देता, ताकि तुम मेरी वेदी पर बेकार की आग न जलाते! मैं तुमसे खुश नहीं हूं,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है, “और मैं तुम्हारे हाथ से कोई भेंट स्वीकार न करूंगा.
11 Denn vom Aufgang der Sonne bis zu ihrem Niedergang wird mein Name groß sein unter den Nationen; und an jedem Orte wird geräuchert, dargebracht werden meinem Namen, und zwar reine Opfergaben. Denn mein Name wird groß sein unter den Nationen, spricht Jehova der Heerscharen.
जहां-जहां सूर्य उदय होता और सूर्य डूबता है, उन सब जगहों में जाति-जाति के लोगों के बीच मेरा नाम महान होगा. हर एक जगह में, मेरे पास धूप एवं शुद्ध भेंटें लायी जाएंगी, क्योंकि जाति-जाति के लोगों में मेरा नाम महान होगा,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.
12 Ihr aber entweihet ihn, indem ihr sprechet: Der Tisch des Herrn [Nach and. Les.: Der Tisch Jehovas] ist verunreinigt, und sein Einkommen, seine Speise ist verächtlich.
“पर तुम यह कहकर इसे अपवित्र करते हो, ‘प्रभु की मेज़ अशुद्ध है,’ और, ‘इस पर रखा भोजन तुच्छ है.’
13 Und ihr sprechet: Siehe, welch eine Mühsal! und ihr blaset ihn an, [d. h. verachtet ihn] spricht Jehova der Heerscharen, und bringet Geraubtes herbei und das Lahme und das Kranke; und so bringet ihr die Opfergabe. Soll ich das wohlgefällig von eurer Hand annehmen? spricht Jehova.
तुम यह भी कहते हो, ‘यह एक बोझ है!’ और तुम घृणापूर्वक इस पर अपनी नाक सिकोड़ते हो,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है. “जब तुम घायल, लंगड़े या बीमारयुक्त पशुओं को लाकर उन्हें बलिदान के रूप में चढ़ाते हो, तो क्या मुझे इस प्रकार के बलिदान को तुम्हारे हाथ से ग्रहण करना चाहिये?” याहवेह का कहना है.
14 Und verflucht sei, wer betrügt, während ein Männliches in seiner Herde ist; und wer gelobt und dem Herrn ein Verdorbenes opfert! Denn ich bin ein großer König, spricht Jehova der Heerscharen, und mein Name ist furchtbar unter den Nationen.
“वह धोखेबाज श्रापित है, जिसके पास उसके झुंड में ग्रहण योग्य नर पशु हो और उसने उसे देने की शपथ भी खायी हो, पर वह एक दोषयुक्त पशु प्रभु को चढ़ाता है. क्योंकि मैं एक महान राजा हूं,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है, “और जाति-जाति के लोगों के बीच मेरे नाम का भय माना जाए.