< Klagelieder 3 >
1 Ich [Das dritte Lied ist wie die beiden ersten gebildet, nur mit dem Unterschiede, daß hier jede Strophenzeile mit dem Anfangsbuchstaben der Strophe beginnt] bin der Mann, der Elend gesehen durch die Rute seines Grimmes.
मैं वह व्यक्ति हूं, जिसने याहवेह के कोप-दण्ड में पीड़ा का साक्षात अनुभव किया है.
2 Mich hat er geleitet und geführt in Finsternis und Dunkel [Eig. und Nicht-Licht.]
उन्होंने हकालते हुए मुझे घोर अंधकार में डाल दिया है कहीं थोड़ा भी प्रकाश दिखाई नहीं देता;
3 Nur [O. Fürwahr] gegen mich kehrt er immer wieder seine Hand den ganzen Tag.
निश्चयतः बार-बार, सारे दिन उनका कठोर हाथ मेरे विरुद्ध सक्रिय बना रहता है.
4 Er hat verfallen lassen mein Fleisch und meine Haut, meine Gebeine hat er zerschlagen.
मेरा मांस तथा मेरी त्वचा गलते जा रहे हैं और उन्होंने मेरी अस्थियों को तोड़ दिया है.
5 Bitterkeit [Eig. Gift] und Mühsal hat er wider mich gebaut und mich damit umringt.
उन्होंने मुझे पकड़कर कष्ट एवं कड़वाहट में लपेट डाला है.
6 Er ließ mich wohnen in Finsternissen, gleich den Toten der Urzeit [O. gleich ewig Toten [welche nie wiederkommen]; vergl. auch Ps. 143,3.]
उन्होंने मुझे इस प्रकार अंधकार में रहने के लिए छोड़ दिया है मानो मैं दीर्घ काल से मृत हूं.
7 Er hat mich umzäunt, daß ich nicht herauskommen kann; er hat schwer gemacht meine Fesseln.
उन्होंने मेरे आस-पास दीवार खड़ी कर दी है, कि मैं बचकर पलायन न कर सकूं; उन्होंने मुझे भारी बेड़ियों में बांध रखा है.
8 Wenn ich auch schreie und rufe, so hemmt er mein Gebet [Vergl. v 44.]
मैं सहायता की दोहाई अवश्य देता हूं, किंतु वह मेरी पुकार को अवरुद्ध कर देते हैं.
9 Meine Wege hat er mit Quadern vermauert, meine Pfade umgekehrt. [d. h. von Grund aus zerstört]
उन्होंने मेरे मार्गों को पत्थर लगाकर बाधित कर दिया है; उन्होंने मेरे मार्गों को विकृत बना दिया है.
10 Ein lauernder Bär ist er mir, ein Löwe im Versteck.
वह एक ऐसा रीछ है, ऐसा सिंह है, जो मेरे लिए घात लगाए हुए बैठा है,
11 Er hat mir die Wege entzogen und hat mich zerfleischt, mich verwüstet.
मुझे भटका कर मुझे टुकड़े-टुकड़े कर डाला और उसने मुझे निस्सहाय बना छोड़ा है.
12 Er hat seinen Bogen gespannt und mich wie ein Ziel dem Pfeile hingestellt.
उन्होंने अपना धनुष चढ़ाया तथा मुझे अपने बाणों का लक्ष्य बना लिया.
13 Er ließ in meine Nieren dringen die Söhne seines Köchers.
अपने तरकश से बाण लेकर उन्होंने उन बाणों से मेरा हृदय बेध दिया.
14 Meinem ganzen Volke bin ich zum Gelächter geworden, bin ihr Saitenspiel den ganzen Tag.
सभी के लिए अब तो मैं उपहास पात्र हूं; सारे दिन उनके व्यंग्य-बाण मुझ पर छोड़े जाते हैं.
15 Mit Bitterkeiten hat er mich gesättigt, mit Wermut mich getränkt.
उन्होंने मुझे कड़वाहट से भर दिया है उन्होंने मुझे नागदौने से सन्तृप्त कर रखा है.
16 Und er hat mit Kies meine Zähne zermalmt, hat mich niedergedrückt in die Asche.
उन्होंने मुझे कंकड़ों पर दांत चलाने के लिए विवश कर दिया है; मुझे भस्म के ढेर में जा छिपने के लिए विवश कर दिया है.
17 Und meine Seele ist vom Frieden [O. von der Wohlfahrt, ] verstoßen, ich habe des Guten [O. des Glücks] vergessen.
शांति ने मेरी आत्मा का साथ छोड़ दिया है; मुझे तो स्मरण ही नहीं रहा कि सुख-आनन्द क्या होता है.
18 Und ich sprach: Dahin ist meine Lebenskraft und meine Hoffnung auf [Eig. von] Jehova.
इसलिये मुझे यही कहना पड़ रहा है, “न मुझमें धैर्य शेष रहा है और न ही याहवेह से कोई आशा.”
19 Gedenke meines Elends und meines Umherirrens, des Wermuts und der Bitterkeit [Eig. des Giftes!]
स्मरण कीजिए मेरी पीड़ा और मेरी भटकन, वह नागदौन तथा वह कड़वाहट.
20 Beständig denkt meine Seele daran und ist niedergebeugt in mir.
मेरी आत्मा को इसका स्मरण आता रहता है, मेरा मनोबल शून्य हुआ जा रहा है.
21 Dies will ich mir zu Herzen nehmen, darum will ich hoffen:
मेरी आशा मात्र इस स्मृति के आधार पर जीवित है:
22 Es sind die Gütigkeiten Jehovas, daß wir nicht aufgerieben sind; denn seine Erbarmungen sind nicht zu Ende [O. nicht aufgerieben, daß seine Erbarmungen nicht zu Ende sind; ]
याहवेह का करुणा-प्रेम, के ही कारण हम भस्म नही होते! कभी भी उनकी कृपा का ह्रास नहीं होता.
23 sie sind alle Morgen neu, deine Treue ist groß.
प्रति प्रातः वे नए पाए जाते हैं; महान है आपकी विश्वासयोग्यता.
24 Jehova ist mein Teil, sagt meine Seele; darum will ich auf ihn hoffen.
मेरी आत्मा इस तथ्य की पुष्टि करती है, “याहवेह मेरा अंश हैं; इसलिये उनमें मेरी आशा रखूंगा.”
25 Gütig ist Jehova gegen die, welche auf ihn harren, gegen die Seele, die nach ihm trachtet.
याहवेह के प्रिय पात्र वे हैं, जो उनके आश्रित हैं, वे, जो उनके खोजी हैं;
26 Es ist gut, daß man still warte [Eig. warte, und zwar still] auf die Rettung Jehovas.
उपयुक्त यही होता है कि हम धीरतापूर्वक याहवेह द्वारा उद्धार की प्रतीक्षा करें.
27 Es ist dem Manne gut, daß er das Joch in seiner Jugend trage.
मनुष्य के लिए हितकर यही है कि वह आरंभ ही से अपना जूआ उठाए.
28 Er sitze einsam und schweige, weil er es ihm [O. wenn er ihm etwas] auferlegt hat;
वह एकाकी हो शांतिपूर्वक इसे स्वीकार कर ले, जब कभी यह उस पर आ पड़ता है.
29 er lege seinen Mund in den Staub; vielleicht gibt es Hoffnung.
वह अपना मुख धूलि पर ही रहने दे— आशा कभी मृत नहीं होती.
30 Dem, der ihn schlägt, reiche er den Backen dar, werde mit Schmach gesättigt [d. h. lasse sich mit Schmach sättigen.]
वह अपना गाल उसे प्रस्तुत कर दे, जो उस प्रहार के लिए तैयार है, वह समस्त अपमान स्वीकार कर ले.
31 Denn der Herr verstößt nicht ewiglich;
प्रभु का परित्याग चिरस्थायी नहीं हुआ करता.
32 sondern wenn er betrübt hat, erbarmt er sich nach der Menge seiner Gütigkeiten.
यद्यपि वह पीड़ा के कारण तो हो जाते हैं, किंतु करुणा का सागर भी तो वही हैं, क्योंकि अथाह होता है उनका करुणा-प्रेम.
33 Denn nicht von Herzen plagt [O. demütiget] und betrübt er die Menschenkinder.
पीड़ा देना उनका सुख नहीं होता न ही मनुष्यों को यातना देना उनका आनंद होता है.
34 Daß man alle Gefangenen der Erde unter seinen Füßen zertrete,
पृथ्वी के समस्त बंदियों का दमन,
35 das Recht eines Mannes beuge vor dem Angesicht des Höchsten,
परम प्रधान की उपस्थिति में न्याय-वंचना,
36 einem Menschen Unrecht tue in seiner Streitsache: Sollte der Herr nicht darauf achten?
किसी की न्याय-दोहाई में की गई विकृति में याहवेह का समर्थन कदापि नहीं होता?
37 Wer ist, der da sprach, und es geschah, ohne daß der Herr es geboten?
यदि स्वयं प्रभु ने कोई घोषणा न की हो, तो किसमें यह सामर्थ्य है, कि जो कुछ उसने कहा है, वह पूरा होगा?
38 Das Böse und das Gute, geht es nicht aus dem Munde des Höchsten hervor?
क्या यह तथ्य नहीं कि अनुकूल अथवा प्रतिकूल, जो कुछ घटित होता है, वह परम प्रधान के बोलने के द्वारा ही होता है?
39 Was beklagt sich der lebende Mensch? über seine Sünden beklage sich der Mann! [O. Was beklagt sich der lebende Mensch, der Mann über seine Sündenstrafe?]
भला कोई जीवित मनुष्य अपने पापों के दंड के लिए परिवाद कैसे कर सकता है?
40 Prüfen und erforschen wir unsere Wege, und laßt uns zu Jehova [Eig. bis zu Jehova hin] umkehren!
आइए हम अपनी नीतियों का परीक्षण करें तथा अपने याहवेह की ओर लौट चलें:
41 laßt uns unser Herz samt den Händen erheben zu Gott [El] im Himmel!
आइए हम अपने हृदय एवं अपनी बांहें परमेश्वर की ओर उन्मुख करें तथा अपने हाथ स्वर्गिक परमेश्वर की ओर उठाएं:
42 Wir, wir sind abgefallen und sind widerspenstig gewesen; du hast nicht vergeben.
“हमने अपराध किए हैं, हम विद्रोही हैं, आपने हमें क्षमा प्रदान नहीं की है.
43 Du hast dich in Zorn gehüllt und hast uns verfolgt; du hast hingemordet ohne Schonung.
“आपने स्वयं को कोप में भरकर हमारा पीछा किया; निर्दयतापूर्वक हत्यायें की हैं.
44 Du hast dich in eine Wolke gehüllt, so daß kein Gebet hindurchdrang.
आपने स्वयं को एक मेघ में लपेट रखा है, कि कोई भी प्रार्थना इससे होकर आप तक न पहुंच सके.
45 Du hast uns zum Kehricht und zum Ekel gemacht inmitten der Völker.
आपने हमें राष्ट्रों के मध्य कीट तथा कूड़ा बना छोड़ा है.
46 Alle unsere Feinde haben ihren Mund gegen uns aufgesperrt.
“हमारे सभी शत्रु बेझिझक हमारे विरुद्ध निंदा के शब्द उच्चार रहे हैं.
47 Grauen und Grube sind über uns gekommen, Verwüstung und Zertrümmerung.
आतंक, जोखिम, विनाश तथा विध्वंस हम पर आ पड़े हैं.”
48 Mit Wasserbächen rinnt mein Auge wegen der Zertrümmerung der Tochter meines Volkes.
मेरी प्रजा के इस विनाश के कारण मेरे नेत्रों के अश्रुप्रवाह नदी सदृश हो गए हैं.
49 Mein Auge ergießt sich ruhelos und ohne Rast,
बिना किसी विश्रान्ति मेरा अश्रुपात होता रहेगा,
50 bis Jehova vom Himmel herniederschaue und dareinsehe.
जब तक स्वर्ग से याहवेह इस ओर दृष्टिपात न करेंगे.
51 Mein Auge schmerzt mich [W. schmerzt meine Seele] wegen aller Töchter meiner Stadt.
अपनी नगरी की समस्त पुत्रियों की नियति ने मेरे नेत्रों को पीड़ित कर रखा है.
52 Wie einen Vogel haben mich heftig gejagt, die ohne Ursache meine Feinde sind.
उन्होंने, जो अकारण ही मेरे शत्रु हो गए थे, पक्षी सदृश मेरा अहेर किया है.
53 Sie haben mein Leben in die Grube hinein vernichtet und Steine auf mich geworfen.
उन्होंने तो मुझे गड्ढे में झोंक मुझ पर पत्थर लुढ़का दिए हैं;
54 Wasser strömten über mein Haupt; ich sprach: Ich bin abgeschnitten!
जब जल सतह मेरे सिर तक पहुंचने लगी, मैं विचार करने लगा, अब मैं मिट जाऊंगा.
55 Jehova, ich habe deinen Namen angerufen aus der tiefsten Grube.
गड्ढे से मैंने, याहवेह आपकी दोहाई दी.
56 Du hast meine Stimme gehört; verbirg dein Ohr nicht vor meinem Seufzen, meinem Schreien!
आपने मेरी इस दोहाई सुन ली है: “मेरी विमुक्ति के लिए की गई मेरी पुकार की ओर से, अपने कान बंद न कीजिए.”
57 Du hast dich genaht an dem Tage, da ich dich anrief; du sprachst: Fürchte dich nicht!
जब मैंने आपकी दोहाई दी, आप निकट आ गए; आपने आश्वासन दिया, “डरो मत.”
58 Herr, du hast die Rechtssachen meiner Seele geführt, hast mein Leben erlöst.
प्रभु आपने मेरा पक्ष लेकर; मेरे जीवन को सुरक्षा प्रदान की है.
59 Jehova, du hast meine Bedrückung gesehen; verhilf mir zu meinem Rechte [Eig. entscheide meine Rechtssache!]
याहवेह, आपने वह अन्याय देख लिया है, जो मेरे साथ किया गया है. अब आप मेरा न्याय कीजिए!
60 Du hast gesehen alle ihre Rache, alle ihre Anschläge gegen mich.
उनके द्वारा लिया गया बदला आपकी दृष्टि में है, उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्यंत्र आपको ज्ञात हैं.
61 Jehova, du hast ihr Schmähen gehört, alle ihre Anschläge wider mich,
याहवेह, आपने उनके द्वारा किए गए व्यंग्य सुने हैं, उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्यंत्र आपको ज्ञात हैं—
62 das Gerede derer, die wider mich aufgestanden sind, und ihr Sinnen wider mich den ganzen Tag.
मेरे हत्यारों के हृदय में सारे दिन जो विचार उभरते हैं होंठों से निकलते हैं, मेरे विरुद्ध ही होते हैं.
63 Schaue an ihr Sitzen und ihr Aufstehen! ich bin ihr Saitenspiel.
आप ही देख लीजिए, उनका उठना-बैठना, मैं ही हूं उनका व्यंग्य-गीत.
64 Jehova, erstatte ihnen Vergeltung nach dem Werke ihrer Hände!
याहवेह, उनके कृत्यों के अनुसार, उन्हें प्रतिफल तो आप ही देंगे.
65 Gib ihnen [O. du wirst ihnen erstatten wirst ihnen geben usw.] Verblendung [Eig. Verdeckung] des Herzens, dein Fluch komme über sie!
आप उनके हृदय पर आवरण डाल देंगे, उन पर आपका शाप प्रभावी हो जाएगा!
66 Verfolge sie im Zorne und tilge sie unter Jehovas Himmel hinweg!
याहवेह, आप अपने स्वर्गलोक से उनका पीछा कर उन्हें नष्ट कर देंगे.