< Jeremia 52 >
1 Einundzwanzig Jahre war Zedekia [2. Kön. 24,28] alt, als er König wurde, und er regierte elf Jahre zu Jerusalem; und der Name seiner Mutter war Hamutal, die Tochter Jeremias, von Libna.
जब सिदक़ियाह सल्तनत करने लगा, तो इक्कीस बरस का था; और उसने ग्यारह बरस येरूशलेम में सल्तनत की, और उसकी माँ का नाम हमूतल था जो लिबनाही यरमियाह की बेटी थी।
2 Und er tat, was böse war in den Augen Jehovas, nach allem, was Jojakim getan hatte.
और जो कुछ यहूयक़ीम ने किया था, उसी के मुताबिक़ उसने भी ख़ुदावन्द की नज़र में बदी की।
3 Denn wegen des Zornes Jehovas erging es Jerusalem und Juda also, bis er sie weggeworfen hatte von seinem Angesicht. Und Zedekia empörte sich gegen den König von Babel.
क्यूँकि ख़ुदावन्द के ग़ज़ब की वजह से येरूशलेम और यहूदाह की यह नौबत आई कि आख़िर उसने उनको अपने सामने से दूर ही कर दिया। और सिदक़ियाह शाह — ए — बाबुल से मुन्हरिफ़ हो गया।
4 Und [Vergl. Kap. 39,1-14] es geschah im neunten Jahre seiner Regierung, im zehnten Monat, am Zehnten des Monats, da kamen Nebukadrezar, der König von Babel, er und sein ganzes Heer, wider Jerusalem und lagerten sich wider dasselbe; und sie bauten Belagerungstürme wider dasselbe ringsumher.
और उसकी सल्तनत के नवें बरस के दसवें महीने के दसवें दिन यूँ हुआ कि शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र ने अपनी सारी फ़ौज के साथ येरूशलेम पर चढ़ाई की, और उसके सामने खैमाज़न हुआ और उन्होंने उसके सामने हिसार बनाए।
5 Und die Stadt kam in Belagerung bis in das elfte Jahr des Königs Zedekia.
और सिदक़ियाह बादशाह की सल्तनत के ग्यारहवें बरस तक शहर का घिराव रहा।
6 Im vierten Monat, am Neunten des Monats, da nahm der Hunger in der Stadt überhand; und es war kein Brot mehr da für das Volk des Landes.
चौथे महीने के नवें दिन से शहर में काल ऐसा सख़्त हो गया कि मुल्क के लोगों के लिए ख़ुराक न रही।
7 Und die Stadt wurde erbrochen, und alle Kriegsmänner flohen und zogen des Nachts aus der Stadt hinaus auf dem Wege durch das Tor, welches zwischen den beiden Mauern bei dem Garten des Königs war [die Chaldäer aber waren rings um die Stadt her]; und sie zogen den Weg zur Ebene [H. Araba; s. die Anm. zu 5. Mose 1,1.]
तब शहरपनाह में रख़ना हो गया, और दोनों दीवारों के बीच जो फाटक शाही बाग़ के बराबर था, उससे सब जंगी मर्द रात ही रात भाग गए इस वक़्त कसदी शहर को घेरे हुए थे और वीराने की राह ली।
8 Aber das Heer der Chaldäer jagte dem König nach, und sie erreichten Zedekia in den Ebenen [O. Steppen] von Jericho; und sein ganzes Heer zerstreute sich von ihm weg.
लेकिन कसदियों की फ़ौज ने बादशाह का पीछा किया, और उसे यरीहू के मैदान में जा लिया, और उसका सारा लश्कर उसके पास से तितर — बितर हो गया था।
9 Und sie ergriffen den König und führten ihn hinauf zu dem König von Babel, nach Ribla im Lande Hamath; und er sprach das Urteil über ihn.
तब वह बादशाह को पकड़ कर रिब्ला में शाह — ए — बाबुल के पास हमात के 'इलाक़े में ले गए, और उसने सिदक़ियाह पर फ़तवा दिया।
10 Und der König von Babel schlachtete die Söhne Zedekias vor seinen Augen, und er schlachtete auch alle Fürsten von Juda zu Ribla.
और शाह — ए — बाबुल ने सिदक़ियाह के बेटों को उसकी आँखों के सामने ज़बह किया, और यहूदाह के सब हाकिम को भी रिब्ला में क़त्ल किया।
11 Und er blendete die Augen Zedekias und band ihn mit ehernen Fesseln; und der König von Babel brachte ihn nach Babel und setzte ihn in Gewahrsam [Eig. in das Haus der Wachen] bis zum Tage seines Todes.
और उसने सिदक़ियाह की आँखें निकाल डालीं, और शाह — ए — बाबुल उसको ज़ंजीरों से जकड़ कर बाबुल को ले गया, और उसके मरने के दिन तक उसे क़ैदख़ाने में रख्खा।
12 Und im fünften Monat, am Zehnten des Monats, das war das neunzehnte Jahr des Königs Nebukadrezar, des Königs von Babel, kam Nebusaradan, der Oberste der Trabanten, der vor dem König von Babel stand, nach Jerusalem;
और शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के 'अहद के उन्नीसवें बरस के पाँचवें महीने के दसवें दिन जिलौदारों का सरदार नबूज़रादान, जो शाह — ए — बाबुल के सामने में खड़ा रहता था, येरूशलेम में आया।
13 und er verbrannte das Haus Jehovas und das Haus des Königs; und alle Häuser von Jerusalem und jedes große Haus verbrannte er mit Feuer.
उसने ख़ुदावन्द का घर और बादशाह का महल और येरूशलेम के सब घर, या'नी हर एक बड़ा घर आग से जला दिया।
14 Und das ganze Heer der Chaldäer, welches bei dem Obersten der Trabanten war, riß alle Mauern von Jerusalem ringsum nieder.
और कसदियों के सारे लश्कर ने जो जिलौदारों के सरदार के हमराह था, येरूशलेम की फ़सील को चारों तरफ़ से गिरा दिया।
15 Und von den Geringen des Volkes und den Rest des Volkes, die in der Stadt Übriggebliebenen, und die Überläufer, die zum König von Babel übergelaufen waren, und den Rest der Menge führte Nebusaradan, der Oberste der Trabanten, hinweg.
और बाक़ी लोगों और मोहताजों को जो शहर में रह गए थे, और उनको जिन्होंने अपनों को छोड़कर शाह — ए — बाबुल की पनाह ली थी, और 'अवाम में से जितने बाक़ी रह गए थे, उन सबको नबूज़रादान जिलौदारों का सरदार ग़ुलाम करके ले गया।
16 Aber von den Geringen des Landes ließ Nebusaradan, der Oberste der Trabanten, zurück zu Weingärtnern und zu Ackersleuten.
लेकिन जिलौदारों के सरदार नबूज़रादान ने मुल्क के कंगालों को रहने दिया, ताकि खेती और ताकिस्तानों की बागबानी करें।
17 Und die Chaldäer zerschlugen die ehernen Säulen, die am Hause Jehovas waren, und die Gestelle und das eherne Meer, welche im Hause Jehovas waren; und sie führten alles Erz davon nach Babel.
और पीतल के उन सुतूनों को जो ख़ुदावन्द के घर में थे, और कुर्सियों को और पीतल के बड़े हौज़ को, जो ख़ुदावन्द के घर में था, कसदियों ने तोड़कर टुकड़े टुकड़े किया और उनका सब पीतल बाबुल को ले गए।
18 Und sie nahmen die Töpfe weg und die Schaufeln und die Lichtmesser und die Sprengschalen und die Schalen und alle ehernen Geräte, womit man den Dienst verrichtete.
और देगें और बेल्चे और गुलगीर और लगन और चमचे और पीतल के तमाम बर्तन, जो वहाँ काम आते थे, ले गए।
19 Auch die Becken und die Räucherpfannen und die Sprengschalen und die Töpfe und die Leuchter und die Schalen und die Spendschalen, was von Gold war, das Gold, und was von Silber war, das Silber, nahm der Oberste der Trabanten weg.
और बासन और अंगेठियाँ और लगन और देगें और शमा'दान और चमचे और प्याले ग़र्ज़ जो सोने के थे उनके सोने को, और जो चाँदी के थे उनकी चाँदी को जिलौदारों का सरदार ले गया।
20 Die zwei Säulen, das eine Meer und die zwölf ehernen Rinder, welche unter demselben waren, und die Gestelle, welche der König Salomo für das Haus Jehovas gemacht hatte: das Erz aller dieser Geräte war nicht zu wägen.
वह दो सुतून और वह बड़ा हौज़ और वह पीतल के बारह बैल जो कुर्सियों के नीचे थे, जिनको सुलेमान बादशाह ने ख़ुदावन्द के घर के लिए बनाया था; इन सब चीज़ों के पीतल का वज़्न बेहिसाब था।
21 Und die Säulen: achtzehn Ellen war die Höhe der einen Säule, und ein Faden von zwölf Ellen umfaßte sie; und ihre Dicke war vier Finger, sie war hohl.
हर सुतून अट्ठारह हाथ ऊँचा था, और बारह हाथ का सूत उसके चारों तरफ़ आता था, और वह चार ऊंगल मोटा था; यह खोखला था।
22 Und ein Kapitäl von Erz war darauf, und die Höhe des einen Kapitäls war fünf Ellen; und ein Netzwerk und Granatäpfel waren an dem Kapitäl ringsum: alles von Erz; und desgleichen war die andere Säule, und Granatäpfel daran.
और उसके ऊपर पीतल का एक ताज था, और वह ताज पाँच हाथ बुलन्द था, उस ताज पर चारों तरफ़ जालियाँ और अनार की कलियाँ, सब पीतल की बनी हुई थीं, और दूसरे सुतून के लवाज़िम भी जाली के साथ इन्हीं की तरह थे।
23 Und der Granatäpfel waren 96 nach den vier Winden hin [Eig. nach dem Winde hin; ] aller Granatäpfel waren hundert am Netzwerk ringsum.
और चारों हवाओं के रुख़ अनार की कलियाँ छियानवे थीं, और चारों तरफ़ जालियों पर एक सौ थीं।
24 Und der Oberste der Trabanten nahm Scheraja, den Oberpriester, und Zephanja, den zweiten Priester, und die drei Hüter der Schwelle:
और जिलौदारों के सरदार ने सिरायाह सरदार काहिन को, और काहिन — ए — सानी सफ़नियाह को, और तीनों दरबानों को पकड़ लिया;
25 und aus der Stadt nahm er einen Kämmerer, der über die Kriegsleute bestellt war, und sieben Männer von denen, welche das Angesicht des Königs sahen, die in der Stadt vorgefunden wurden, und den Schreiber des Heerobersten, welcher das Volk des Landes zum Heere aushob, und sechzig Mann von dem Volke des Landes, die in der Stadt vorgefunden wurden.
और उसने शहर में से एक सरदार को पकड़ लिया जो जंगी मर्दों पर मुक़र्रर था, और जो लोग बादशाह के सामने हाज़िर रहते थे, उनमें से सात आदमियों को जो शहर में मिले; और लश्कर के सरदार के मुहर्रिर को जो अहल — ए — मुल्क की मौजूदात लेता था; और मुल्क के आदमियों में से साठ आदमियों को जो शहर में मिले।
26 Und Nebusaradan, der Oberste der Trabanten, nahm sie und brachte sie zu dem König von Babel nach Ribla.
इनको जिलौदारों का सरदार नबूज़रादान पकड़कर शाह — ए — बाबुल के सामने रिब्ला में ले गया।
27 Und der König von Babel erschlug sie und tötete sie zu Ribla im Lande Hamath. -Und so wurde Juda aus seinem Lande weggeführt.
और शाह — ए — बाबुल ने हमात के 'इलाक़े के रिब्ला में इनको क़त्ल किया। इसलिए यहूदाह अपने मुल्क से ग़ुलाम होकर चला गया।
28 Dies ist das Volk, welches Nebukadrezar weggeführt hat: Im 7. Jahre 3023 Juden;
यह वह लोग हैं जिनको नबूकदनज़र ग़ुलाम करके ले गया: सातवें बरस में तीन हज़ार तेईस यहूदी,
29 im 18. Jahre Nebukadrezars 832 Seelen aus Jerusalem;
नबूकदनज़र के अट्ठारहवें बरस में वह येरूशलेम के बाशिन्दों में से आठ सौ बत्तीस आदमी ग़ुलाम करके ले गया,
30 im 23. Jahre Nebukadrezars führte Nebusaradan, der Oberste der Trabanten, von den Juden 745 Seelen weg; aller Seelen waren 4600.
नबूकदनज़र के तेईसवें बरस में जिलौदारों का सरदार नबूज़रादान सात सौ पैंतालीस आदमी यहूदियों में से पकड़कर ले गया; यह सब आदमी चार हज़ार छ: सौ थे।
31 Und es geschah im 37. Jahre der Wegführung Jojakins, des Königs von Juda, im 12. Monat, am 25. des Monats, da erhob Ewil-Merodak, der König von Babel, im ersten Jahre seiner Regierung das Haupt Jojakins, des Königs von Juda, und führte ihn aus dem Gefängnis.
और यहूयाकीन शाह — ए — यहूदाह की ग़ुलामी के सैतीसवें बरस के बारहवें महीने के पच्चीसवें दिन यूँ हुआ, कि शाह — ए — बाबुल ईवील मरूदक ने अपनी सल्तनत के पहले साल यहूयाकीन शाह — ए — यहूदाह को क़ैदख़ाने से निकालकर सरफ़राज़ किया;
32 Und er redete gütig mit ihm und setzte seinen Stuhl über den Stuhl der Könige, die bei ihm in Babel waren;
और उसके साथ मेहरबानी से बातें कीं, और उसकी कुर्सी उन सब बादशाहों की कुर्सियों से जो उसके साथ बाबुल में थे, बुलन्द की।
33 und er veränderte die Kleider seines Gefängnisses. Und Jojakin [W. er] aß beständig vor ihm alle Tage seines Lebens;
वह अपने क़ैदख़ाने के कपड़े बदलकर उम्र भर बराबर उसके सामने खाना खाता रहा।
34 und sein Unterhalt: ein beständiger Unterhalt wurde ihm von dem König von Babel gegeben, soviel er täglich bedurfte, [W. das Tägliche an seinem Tage] bis zum Tage seines Todes, alle Tage seines Lebens.
और उसकी उम्र भर, या'नी मरने तक शाह — ए — बाबुल की तरफ़ से वज़ीफ़े के तौर पर हर रोज़ रसद मिलती रही।