< Jeremia 16 >
1 Und das Wort Jehovas geschah zu mir also:
मुझे पुनः याहवेह का संदेश इस प्रकार प्राप्त हुआ:
2 Du sollst dir kein Weib nehmen, und weder Söhne noch Töchter haben an diesem Orte.
“इस स्थान में न तो तुम पत्नी लाना और न ही पुत्र उत्पन्न करना और न ही पुत्रियां.”
3 Denn so spricht Jehova über die Söhne und über die Töchter, welche an diesem Orte geboren werden, und über ihre Mütter, die sie gebären, und über ihre Väter, die sie zeugen in diesem Lande:
इस स्थान में उत्पन्न पुत्र-पुत्रियों के विषय में, उनकी माताओं एवं उन पिताओं के विषय में, जिन्होंने इन्हें पैदा किया है, याहवेह की यह पूर्ववाणी है.
4 Sie sollen an schmerzlichen Krankheiten [Eig. an Toden [s. die Anm. zu Hes. 28,8] von Krankheiten] sterben, sie sollen nicht beklagt noch begraben werden, zu Dünger auf der Fläche des Erdbodens sollen sie werden; und durch Schwert und durch Hunger sollen sie vernichtet werden, und ihre Leichname sollen dem Gevögel des Himmels und den Tieren der Erde zur Speise dienen.
“घातक व्याधियों से उनकी मृत्यु हो जाएगी. न उनके लिए विलाप किया जाएगा और न उन्हें गाड़ा जाएगा. उनकी मृत्यु तलवार एवं अकाल से हो जाएगी, वे भूमि पर गोबर सदृश पड़े रहेंगे, उनके शव आकाश के पक्षी एवं वन्य पशुओं का आहार हो जाएंगे.”
5 Denn so spricht Jehova: Gehe nicht in ein Haus der Klage, und gehe nicht hin, um zu trauern, und bezeige ihnen kein Beileid; denn ich habe meinen Frieden von diesem Volke weggenommen, spricht Jehova, die Gnade und die Barmherzigkeit.
याहवेह का आदेश यह है: “उस घर में प्रवेश न करना जिसमें विलाप हो रहा है; न वहां शोक प्रकट करने जाना और न सांत्वना देने, क्योंकि मैंने उन पर से अपनी आशीष, अपना प्रेम तथा अपनी दया हटा ली है,” यह याहवेह की वाणी है.
6 Und Große und Kleine werden in diesem Lande sterben, ohne begraben zu werden; und man wird nicht um sie trauern, und sich nicht ritzen und sich nicht kahl scheren ihretwegen.
“इस देश में दोनों ही, सामान्य तथा विशिष्ट, मृत्यु की भेंट हो जाएंगे. उन्हें न गाड़ा जाएगा, न उनके लिए विलाप किया जाएगा और न कोई उनके शोक में अपने शरीर को निराश करेगा ओर न अपना सिर मुंड़ाएगा.
7 Und man wird ihnen nicht Brot brechen bei der Trauer, um jemanden zu trösten über den Toten, noch ihnen zu trinken geben aus dem Becher des Trostes über jemandes Vater und über jemandes Mutter.
कोई भी उनके सुविधा के लिये भोजन की पूर्ति नहीं करेगा जो शोक मृतकों के लिये शोक प्रकट करते हैं, न कोई किसी के पिता अथवा माता के लिए सांत्वना का एक प्याला ही प्रस्तुत करेगा.
8 Auch in ein Haus des Gastmahls sollst du nicht gehen, bei ihnen zu sitzen, um zu essen und zu trinken.
“इसके सिवा तुममें से कोई भी ऐसे घर में जाकर न बैठ जाए जहां भोज आयोजित है, कि तुममें से वहां कोई भी भोज में सम्मिलित हो.
9 Denn so spricht Jehova der Heerscharen, der Gott Israels: Siehe, ich werde an diesem Orte vor euren Augen und in euren Tagen aufhören lassen die Stimme der Wonne und die Stimme der Freude, die Stimme des Bräutigams und die Stimme der Braut.
क्योंकि सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: तुम यह देखोगे कि मैं इस स्थान से तुम्हारे देखते-देखते, तुम्हारे ही जीवनकाल में हर्षोल्लास का स्वर, आनंद की ध्वनि, वर तथा वधू के वार्तालाप की वाणी बंद करने पर हूं.
10 Und es soll geschehen, wenn du diesem Volke alle diese Worte verkünden wirst, und sie zu dir sprechen: Warum hat Jehova all dieses große Unglück über uns geredet? und was ist unsere Missetat, und was unsere Sünde, die wir gegen Jehova, unseren Gott, begangen haben?
“ऐसा होगा कि जब तुम इन लोगों को यह संपूर्ण संदेश दोगे, तो वे तुमसे प्रश्न करेंगे, ‘याहवेह द्वारा हमारे ऊपर इस महा संकट की वाणी का कारण क्या है? क्या है हमारी अधार्मिकता अथवा हमसे क्या पाप हुआ है? हमसे, जो हम याहवेह हमारे परमेश्वर के विरुद्ध कर बैठे हैं?’
11 so sollst du zu ihnen sprechen: Darum, daß eure Väter mich verlassen haben, spricht Jehova, und anderen Göttern nachgegangen sind, und ihnen gedient und sich vor ihnen niedergebeugt, mich aber verlassen und mein Gesetz nicht beobachtet haben;
तब तुम्हें उनसे यह कहना होगा, ‘कारण यह है कि तुम्हारे पूर्वजों ने मेरा परित्याग कर दिया,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘परकीय देवताओं का अनुसरण करना तथा उनकी उपासना करना, उनको नमन करना तुम्हारे पूर्वजों ने उपयुक्त समझा. किंतु मुझे भूलना उन्होंने पसंद किया और मेरे व्यवस्था-विधान का अनुकरण नहीं किया.
12 und ihr es ärger getrieben habt als eure Väter-und siehe, ihr gehet ein jeder dem Starrsinn seines bösen Herzens nach, so daß ihr nicht auf mich höret: -
स्वयं तुमने भी तो वही किया है जो ठीक नहीं है, हां, अपने पूर्वजों से भी अधिक; क्योंकि ध्यान दो तुममें से हर एक अपने पतित हृदय के दुराग्रह में मेरी अवज्ञा कर रहा है.
13 So werde ich euch aus diesem Lande wegschleudern in ein Land, welches ihr nicht gekannt habt, weder ihr noch eure Väter; und daselbst werdet [O. möget] ihr anderen Göttern dienen Tag und Nacht, weil ich euch keine Gnade schenken werde.
इसलिये मैं तुम्हें इस देश में से एक ऐसे देश में प्रक्षेपित कर दूंगा, जिस देश को तुम जानते भी नहीं हो, न तुम, न तुम्हारे पूर्वज; तब तुम वहां दिन-रात परकीय देवताओं की उपासना करते रहोगे, क्योंकि मैं तुम पर किसी भी रीति से कोई कृपा न करूंगा.’
14 Darum siehe, Tage kommen, spricht Jehova, da nicht mehr gesagt werden wird: So wahr Jehova lebt, der die Kinder Israel aus dem Lande Ägypten heraufgeführt hat!
“यद्यपि इस बात को स्मरण रखना: वे दिन बड़े हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब यह सूक्ति फिर कभी सुनी न जाएगी, ‘जीवित याहवेह की शपथ, जिन्होंने इस्राएल वंशजों को मिस्र देश से निकाल लाया था,’
15 sondern: So wahr Jehova lebt, der die Kinder Israel heraufgeführt hat aus dem Lande des Nordens und aus all den Ländern, wohin er sie vertrieben hatte! Und ich werde sie in ihr Land zurückbringen, das ich ihren Vätern gegeben habe.
किंतु यह, ‘जीवित याहवेह की शपथ, जो इस्राएल वंशजों को उत्तर दिशा के देशों से तथा उन सभी देशों से निकालकर लाए हैं, जहां उन्हें बंदी किया गया था.’ क्योंकि मैं उन्हें उन्हीं के देश में पुनःस्थापित कर दूंगा, जिसे मैंने उनके पूर्वजों को दिया था.
16 Siehe, ich will zu vielen Fischern senden, spricht Jehova, daß sie sie fischen; und danach will ich zu vielen Jägern senden, daß sie sie jagen von jedem Berge und von jedem Hügel und aus den Felsenklüften.
“तुम देखोगे कि मैं अनेक मछुवारे बुलवाऊंगा,” यह याहवेह की वाणी है, “ये मछुवारे उन्हें पकड़ लेंगे. तत्पश्चात मैं अनेक शिकारियों को बुलवाऊंगा, वे हर एक पर्वत, हर एक पहाड़ी तथा चट्टानों के दरार में से उनको निकाल डालेंगे.
17 Denn meine Augen sind auf alle ihre Wege gerichtet; sie sind vor mir nicht verborgen, und ihre Ungerechtigkeit [O. Schuld] ist nicht verhüllt vor meinen Augen.
उनकी सारी गतिविधियों पर मेरी दृष्टि बनी हुई है; वे मेरे नेत्रों की ओट में नहीं हैं और न उनकी पापिष्ठता मेरी दृष्टि से छिप सकी है.
18 Und zuvor [d. h. vor dem in v 15 angekündigten Segen] will ich zwiefach vergelten ihre Ungerechtigkeit [O. Schuld] und ihre Sünde, weil sie mein Land mit den Leichen ihrer Scheusale entweiht und mein Erbteil mit ihren Greueln erfüllt haben.
मैं उनकी अधर्मिता तथा पापिष्ठता का दूना दंड उन्हें दूंगा, क्योंकि उन्होंने मेरे देश को अशुद्ध कर छोड़ा है; मेरे इस निज भाग को उन्होंने उनकी घृणास्पद प्रतिमाओं के शवों एवं उनकी तिरस्कार कृतियों से भर रखा है.”
19 Jehova, meine Stärke und mein Hort [Eig. Feste, od. Bergungsort, ] und meine Zuflucht am Tage der Bedrängnis! Zu dir werden Nationen kommen von den Enden der Erde und sprechen: Nur Lüge haben unsere Väter ererbt, nichtige Götter [W. einen Hauch, Nichtigkeit; ] und unter ihnen ist keiner, der etwas nützt.
याहवेह, मेरे बल तथा मेरे अजेयगढ़, संकट की स्थिति में मेरे आश्रय, पृथ्वी के चारों ओर से चलकर राष्ट्र आपके निकट आकर यह स्वीकार करेंगे, “हमारे पूर्वजों ने इस निज भाग में असत्य, व्यर्थ तथा निरर्थकता के सिवा और कुछ भी प्राप्त नहीं किया है.
20 Soll ein Mensch sich Götter machen, die doch keine Götter sind?
क्या मनुष्य के लिए यह संभव है कि वह अपने लिए देवताओं को निर्माण कर ले? फिर भी ये देवता नहीं होते!”
21 Darum siehe, dieses Mal werde ich ihnen kundtun, werde ihnen kundtun meine Hand und meine Macht; und sie werden wissen [O. erkennen, erfahren, ] daß mein Name Jehova ist.
“इसलिये यह देख लेना मैं उन्हें यह बोध करा ही दूंगा, अब तो वे अवश्य ही मेरे अधिकार एवं सामर्थ्य से परिचित हो जाएंगे. तब उन्हें यह ज्ञात हो जाएगा कि मेरा ही नाम याहवेह है.