< 1 Mose 26 >
1 Und es entstand eine Hungersnot im Lande, außer der vorigen Hungersnot, die in den Tagen Abrahams gewesen war. [S. Kap. 12, 10] Und Isaak zog zu Abimelech, dem Könige der Philister, nach Gerar.
उस देश में अकाल पड़ा. ऐसा ही अकाल अब्राहाम के समय में भी पड़ा था. यित्सहाक गेरार में फिलिस्तीनियों के राजा अबीमेलेक के पास गया.
2 Und Jehova erschien ihm und sprach: Ziehe nicht hinab nach Ägypten; bleibe in dem Lande, von dem ich dir sage.
याहवेह ने यित्सहाक को दर्शन देकर कहा, “मिस्र देश को मत जाओ; लेकिन उस देश में रहो, जहां मैं बताऊंगा.
3 Halte dich auf in diesem Lande, und ich werde mit dir sein und dich segnen; denn dir und deinem Samen werde ich alle diese Länder geben, und ich werde den Eid aufrecht erhalten, den ich deinem Vater Abraham geschworen habe.
कुछ समय के लिये इस देश में रहो, और मैं तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हें आशीष दूंगा. मैं यह पूरा देश तुम्हें और तुम्हारे वंश को दूंगा और तुम्हारे पिता अब्राहाम से किए अपने वायदे को मैं पूरा करूंगा,
4 Und ich werde deinen Samen mehren wie die Sterne des Himmels und deinem Samen alle diese Länder geben; und in deinem Samen werden sich segnen [O. gesegnet werden] alle Nationen der Erde:
मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के समान अनगिनत करूंगा और यह पूरा देश उन्हें दूंगा, और तुम्हारे वंश के द्वारा पृथ्वी की सारी जनता आशीषित होंगी,
5 darum daß Abraham meiner Stimme gehorcht und beobachtet hat meine Vorschriften, [Eig. was gegen mich zu beachten ist] meine Gebote, meine Satzungen und meine Gesetze.
क्योंकि अब्राहाम ने मेरी बात मानी और मेरी आज्ञाओं, नियमों और निर्देशों का ध्यान रखते हुए उसने वह सब किया जिसे मैंने उसे करने को कहा था.”
6 So blieb Isaak in Gerar.
इसलिये यित्सहाक गेरार में ही रहने लगे.
7 Und die Männer des Ortes erkundigten sich nach seinem Weibe, und er sprach: Sie ist meine Schwester. Denn er fürchtete sich zu sagen: Mein Weib, indem er dachte: Die Männer des Ortes möchten mich sonst töten wegen Rebekka; denn sie ist schön von Ansehen.
जब उस स्थान के लोगों ने उससे उसके पत्नी के बारे में पूछा, तो उसने कहा, “वह मेरी बहन है,” क्योंकि वह यह कहने से डरता था, “वह मेरी पत्नी है.” वह सोचता था, “इस स्थान के लोग रेबेकाह के कारण शायद मुझे मार डालेंगे, क्योंकि वह सुंदर है.”
8 Und es geschah, als er längere Zeit daselbst gewesen war, da blickte Abimelech, der König der Philister, durchs Fenster, und er sah, und siehe, Isaak scherzte mit Rebekka, seinem Weibe.
जब यित्सहाक को वहां रहते हुए काफ़ी समय हो गया, तो एक दिन फिलिस्तीनियों के राजा अबीमेलेक ने खिड़की से नीचे झांककर देखा कि यित्सहाक अपनी पत्नी रेबेकाह से प्रेम कर रहा है.
9 Da rief Abimelech den Isaak und sprach: Siehe, fürwahr, sie ist dein Weib; und wie hast du gesagt: Sie ist meine Schwester? Und Isaak sprach zu ihm: Weil ich mir sagte: daß ich nicht sterbe ihretwegen.
इसलिये अबीमेलेक ने यित्सहाक को बुलवाया और कहा, “निश्चय ही वह तुम्हारी पत्नी है! फिर तुमने यह क्यों कहा, ‘वह मेरी बहन है’?” यित्सहाक ने उत्तर दिया, “क्योंकि मैंने सोचा कि उसके कारण कहीं मुझे अपनी जान गंवानी न पड़े.”
10 Und Abimelech sprach: Was hast du uns da getan! Wenig fehlte, so hätte einer aus dem Volke bei deinem Weibe gelegen, und du hättest eine Schuld über uns gebracht.
तब अबीमेलेक ने कहा, “तुमने हमसे यह क्या किया? हमारी प्रजा में से कोई भी पुरुष तुम्हारी पत्नी के साथ सो सकता था, और तुम हमको पाप का भागीदार बनाते हो.”
11 Und Abimelech gebot allem Volke und sprach: Wer diesen Mann und sein Weib antastet, soll gewißlich getötet werden.
इसलिये अबीमेलेक ने सब लोगों को आज्ञा दी: “जो कोई इस पुरुष तथा उसकी पत्नी की हानि करेगा, वह निश्चित रूप से मार डाला जाएगा.”
12 Und Isaak säte in selbigem Lande und gewann in selbigem Jahre das Hundertfältige; und [O. denn] Jehova segnete ihn.
यित्सहाक ने उस देश में खेती की और उसे उसी वर्ष सौ गुणा उपज मिली, क्योंकि याहवेह ने उसे आशीष दी.
13 Und der Mann ward groß und wurde fort und fort größer, bis er sehr groß war.
वह धनवान हो गया; उसका धन बढ़ता गया और वह बहुत धनवान हो गया.
14 Und er hatte Herden von Kleinvieh und Herden von Rindern und ein großes Gesinde; und die Philister beneideten ihn.
उसके पास इतनी भेड़-बकरी, पशु और सेवक हो गये कि फिलिस्तीनी उससे जलन करने लगे.
15 Und alle Brunnen, welche die Knechte seines Vaters in den Tagen seines Vaters Abraham gegraben hatten, verstopften die Philister und füllten sie mit Erde.
इसलिये उन सभी कुंओं को, जो उसके पिता अब्राहाम के सेवकों ने उसके पिता के समय में खोदे थे, फिलिस्तीनियों ने मिट्टी से पाटकर बंद कर दिया.
16 Und Abimelech sprach zu Isaak: Ziehe weg von uns, denn du bist viel mächtiger geworden als wir.
तब अबीमेलेक ने यित्सहाक से कहा, “तुम हमारे पास से दूर चले जाओ, क्योंकि तुम हमसे बहुत ज्यादा बलवान हो गये हो.”
17 Da zog Isaak von dannen und schlug sein Lager auf im Tale Gerar und wohnte daselbst.
इसलिये यित्सहाक वहां से चला गया और गेरार घाटी में तंबू खड़ा करके वहां रहने लगा.
18 Und Isaak grub die Wasserbrunnen wieder auf, welche sie in den Tagen seines Vaters Abraham gegraben und welche die Philister nach dem Tode Abrahams verstopft hatten; und er benannte sie mit denselben Namen, womit sein Vater sie benannt hatte.
यित्सहाक ने उन कुंओं को फिर खोदवाया, जो उसके पिता के समय में खोदे गये थे, और जिन्हें फिलिस्तीनियों ने अब्राहाम की मृत्यु के बाद मिट्टी से पाट दिया था, और उसने उन कुंओं के वही नाम रखे जो उसके पिता ने रखे थे.
19 Und die Knechte Isaaks gruben im Tale und fanden daselbst einen Brunnen lebendigen Wassers.
यित्सहाक के सेवकों को घाटी में खुदाई करते समय वहां एक मीठे पानी का कुंआ मिला.
20 Da haderten die Hirten von Gerar mit den Hirten Isaaks und sprachen: Das Wasser ist unser! Und er gab dem Brunnen den Namen Esek, [Zank] weil sie mit ihm gezankt hatten.
इस पर गेरार के चरवाहों ने यित्सहाक के चरवाहों से झगड़ा किया और कहा, “यह पानी हमारा है!” इसलिये यित्सहाक ने उस कुएं का नाम ऐसेक रखा, क्योंकि उन्होंने उससे झगड़ा किया था.
21 Und sie gruben einen anderen Brunnen, und sie haderten auch über diesen, und er gab ihm den Namen Sitna. [Anfeindung]
तब उन्होंने दूसरा कुंआ खोदा, पर उन्होंने उस पर भी झगड़ा किया; इसलिये यित्सहाक ने उस कुएं का नाम सितनाह रखा.
22 Und er brach auf von dannen und grub einen anderen Brunnen, und über diesen haderten sie nicht; und er gab ihm den Namen Rechoboth [Räume] und sprach: Denn nun hat Jehova uns Raum gemacht, und wir werden fruchtbar sein im Lande.
तब वह वहां से चला गया और एक और कुंआ खोदा, और इस पर किसी ने झगड़ा नहीं किया. यित्सहाक ने यह कहकर उस कुएं का नाम रेहोबोथ रखा, “अब याहवेह ने हमें बहुत स्थान दिया है और हम लोग इस देश में उन्नति करेंगे.”
23 Und er zog von dannen hinauf nach Beerseba.
फिर यित्सहाक वहां से बेअरशेबा चला गया.
24 Und Jehova erschien ihm in selbiger Nacht und sprach: Ich bin der Gott Abrahams, deines Vaters; fürchte dich nicht, denn ich bin mit dir, und ich werde dich segnen und deinen Samen mehren um Abrahams, meines Knechtes, willen.
उसी रात याहवेह ने उसे दर्शन देकर कहा, “मैं तुम्हारे पिता अब्राहाम का परमेश्वर हूं. मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूं; मैं तुम्हें अपने सेवक अब्राहाम के कारण आशीष दूंगा और तुम्हारे वंश को बढ़ाऊंगा.”
25 Und er baute daselbst einen Altar und rief den Namen Jehovas an; und er schlug daselbst sein Zelt auf; und die Knechte Isaaks gruben daselbst einen Brunnen.
तब यित्सहाक ने वहां एक वेदी बनाई और याहवेह की आराधना की. वहां उसने अपना तंबू खड़ा किया और वहां उसके सेवकों ने एक कुंआ खोदा.
26 Und Abimelech zog zu ihm von Gerar mit Achusat, seinem Freunde, und Pikol, seinem Heerobersten.
इसी बीच अबीमेलेक गेरार से यित्सहाक से मिलने आये. उनके साथ उनका सलाहकार अहुज्ज़ाथ और उनकी सेना के सेनापति फीकोल भी थे.
27 Und Isaak sprach zu ihnen: Warum kommet ihr zu mir, da ihr mich doch hasset und mich von euch weggetrieben habt?
यित्सहाक ने उनसे पूछा, “आप लोग मेरे पास क्यों आये हैं, जबकि आपने मुझसे बैर करके मुझे दूर जाने को कहा था?”
28 Und sie sprachen: Wir haben deutlich gesehen, daß Jehova mit dir ist; und wir haben uns gesagt: Möge doch ein Eid sein zwischen uns, zwischen uns und dir, und wir wollen einen Bund mit dir machen,
उन्होंने उत्तर दिया, “हमने साफ-साफ देखा कि याहवेह तुम्हारे साथ है; इसलिये हमने कहा, ‘तुम्हारे और हमारे बीच में शपथपूर्वक वाचा होनी चाहिये.’ इसलिये हम तुमसे एक संधि करना चाहते हैं
29 daß du uns nichts Übles tuest, so wie wir dich nicht angetastet haben und wie wir dir nur Gutes erwiesen und dich haben ziehen lassen in Frieden. Du bist nun einmal ein Gesegneter Jehovas.
कि तुम हमारी कोई हानि नहीं करोगे, जैसे कि हमने भी तुम्हारी कोई हानि नहीं की, पर हमेशा तुमसे अच्छा व्यवहार किया और शांतिपूर्वक तुम्हें जाने को कहा. और अब तुम याहवेह के आशीषित भी हो.”
30 Und er machte ihnen ein Mahl, und sie aßen und tranken.
तब यित्सहाक ने उनके लिये एक भोज का आयोजन किया, और उन्होंने खाया और पिया.
31 Und sie standen des Morgens früh auf und schwuren einer dem anderen; und Isaak entließ sie, und sie zogen von ihm in Frieden. -
अगले दिन वे बड़े सबेरे उठकर एक दूसरे के साथ शपथ खाई. तब यित्सहाक ने उन्हें विदा किया, और वे शांतिपूर्वक चले गये.
32 Und es geschah an selbigem Tage, da kamen Isaaks Knechte und berichteten ihm wegen des Brunnens, den sie gegraben hatten, und sprachen zu ihm: Wir haben Wasser gefunden.
उस दिन यित्सहाक के सेवकों ने आकर उसे उस कुएं के बारे में बताया, जिसे उन्होंने खोदा था. उन्होंने कहा, “हमें पानी मिल गया है!”
33 Und er nannte ihn Sibea; [Schwur, Eidvertrag; vergl. Kap. 21,31] daher der Name der Stadt Beerseba bis auf diesen Tag.
यित्सहाक ने उस कुएं का नाम शिबाह रखा, और आज तक उस नगर का नाम बेअरशेबा है.
34 Und Esau war vierzig Jahre alt, da nahm er zum Weibe Judith, die Tochter Beeris, des Hethiters, und Basmath, die Tochter Elons, des Hethiters.
जब एसाव चालीस वर्ष के हुए, तो उसने हित्ती बएरी की बेटी यूदित, और हित्ती एलोन की पुत्री बसेमाथ से भी विवाह किया.
35 Und sie waren ein Herzeleid für Isaak und Rebekka.
ये स्त्रियां यित्सहाक और रेबेकाह के दुःख का कारण बनीं.