< 1 Mose 24 >
1 Und Abraham war alt, wohlbetagt, und Jehova hatte Abraham gesegnet in allem.
अब्राहाम बहुत बूढ़े हो गये थे, और याहवेह ने उन्हें सब प्रकार से आशीषित किया था.
2 Und Abraham sprach zu seinem Knechte, dem ältesten seines Hauses, der alles verwaltete, was er hatte: Lege doch deine Hand unter meine Hüfte, [O. Lende]
अब्राहाम ने अपने पुराने सेवक से, जो घर की और पूरे संपत्ति की देखभाल करता था, कहा, “तुम अपना हाथ मेरी जांघ के नीचे रखो.
3 und ich werde dich schwören lassen bei Jehova, dem Gott des Himmels und dem Gott der Erde, daß du meinem Sohne nicht ein Weib nehmen wirst von den Töchtern der Kanaaniter, in deren Mitte ich wohne;
मैं चाहता हूं कि तुम स्वर्ग एवं पृथ्वी के परमेश्वर याहवेह की शपथ खाओ कि तुम इन कनानियों की पुत्रियों में से, जिनके बीच हम रह रहे हैं, मेरे बेटे की शादी नहीं कराओगे,
4 sondern in mein Land und zu meiner Verwandtschaft sollst du gehen und ein Weib nehmen meinem Sohne, dem Isaak.
परंतु तुम मेरे देश में मेरे रिश्तेदारों में से मेरे बेटे यित्सहाक के लिए पत्नी लाओगे.”
5 Und der Knecht sprach zu ihm: Vielleicht wird das Weib mir nicht in dieses Land folgen wollen; soll ich dann deinen Sohn in das Land zurückbringen, aus welchem du weggezogen bist?
उस सेवक ने अब्राहाम से पूछा, “उस स्थिति में मैं क्या करूं, जब वह स्त्री इस देश में आना ही न चाहे; क्या मैं आपके पुत्र को उस देश में ले जाऊं, जहां से आप आए हैं?”
6 Da sprach Abraham zu ihm: Hüte dich, daß du meinen Sohn nicht dorthin zurückbringest!
इस पर अब्राहाम ने कहा, “तुम मेरे पुत्र को वहां कभी नहीं ले जाना.
7 Jehova, der Gott des Himmels, der mich aus dem Hause meines Vaters und aus dem Lande meiner Verwandtschaft [O. Geburt; wie Kap. 11,26] genommen und der zu mir geredet und der mir also geschworen hat: Deinem Samen will ich dieses Land geben! der wird seinen Engel vor dir hersenden, daß du meinem Sohne von dannen ein Weib nehmest.
याहवेह, जो स्वर्ग के परमेश्वर हैं, जो मुझे मेरे पिता के परिवार और मेरी जन्मभूमि से लाये हैं और जिन्होंने शपथ खाकर मुझसे यह वायदा किया, ‘यह देश मैं तुम्हारे वंश को दूंगा’—वे ही स्वर्गदूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजेंगे और तुम मेरे पुत्र के लिए वहां से एक पत्नी लेकर आओगे.
8 Wenn aber das Weib dir nicht folgen will, so bist du dieses meines Eides ledig; nur sollst du meinen Sohn nicht dorthin zurückbringen.
अगर कन्या तुम्हारे साथ आने के लिए मना करे, तब तुम मेरी इस शपथ से मुक्त हो जाओगे. लेकिन ध्यान रखना कि तुम मेरे पुत्र को वापस वहां न ले जाना.”
9 Und der Knecht legte seine Hand unter die Hüfte Abrahams, seines Herrn, und schwur ihm über dieser Sache.
इसलिये उस सेवक ने अपने स्वामी अब्राहाम की जांघ के नीचे अपना हाथ रखा और इस बारे में शपथ खाकर अब्राहाम से वायदा किया.
10 Und der Knecht nahm zehn Kamele von den Kamelen seines Herrn, und zog hin; und allerlei Gut seines Herrn hatte er bei sich. Und er machte sich auf und zog nach Mesopotamien, [H. Aram der zwei Flüsse] nach der Stadt Nahors.
तब उस सेवक ने अपने स्वामी के ऊंट के झुंड में से दस ऊंटों को लिया और उन पर अपने स्वामी की ओर से विभिन्न उपहार लादा और नाहोर के गृहनगर उत्तर-पश्चिम मेसोपोतामिया की ओर प्रस्थान किया.
11 Und er ließ die Kamele draußen vor der Stadt niederknien beim Wasserbrunnen, zur Abendzeit, zur Zeit, da die Schöpferinnen herauskommen.
नगर के बाहर पहुंचकर उसने ऊंटों को कुएं के पास बैठा दिया; यह शाम का समय था. इसी समय स्त्रियां पानी भरने बाहर आया करती थीं.
12 Und er sprach: Jehova, Gott meines Herrn Abraham, laß es mir doch heute begegnen, und erweise Güte an meinem Herrn Abraham!
तब सेवक ने प्रार्थना की, “याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मेरे काम को सफल करें और मेरे स्वामी अब्राहाम पर दया करें.
13 Siehe, ich stehe bei der Wasserquelle, und die Töchter der Leute der Stadt kommen heraus, um Wasser zu schöpfen;
आप देख रहे हैं कि मैं इस पानी के सोते के निकट खड़ा हूं, और इस नगरवासियों की कन्याएं पानी भरने के लिए निकलकर आ रही हैं.
14 möge es nun geschehen, daß das Mädchen, zu dem ich sagen werde: Neige doch deinen Krug, daß ich trinke und welches sagen wird: Trinke, und auch deine Kamele will ich tränken, diejenige sei, welche du für deinen Knecht, für Isaak, bestimmt hast; und daran werde ich erkennen, daß du Güte an meinem Herrn erwiesen hast.
आप कुछ ऐसा कीजिए कि जिस कन्या से मैं यह कहूं, ‘अपना घड़ा झुकाकर कृपया मुझे पानी पिला दे,’ और वह कन्या कहे, ‘आप पानी पी लीजिए, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी’—यह वही कन्या हो जिसे आपने अपने सेवक यित्सहाक के लिए चुना है. इसके द्वारा मुझे यह विश्वास हो जाएगा कि आपने मेरे स्वामी पर अपनी करुणा दिखाई है.”
15 Und es geschah, er hatte noch nicht ausgeredet, siehe, da kam Rebekka [H. Rivka: die Fesselnde, Anziehende] heraus, die dem Bethuel geboren worden, dem Sohne der Milka, des Weibes Nahors, des Bruders Abrahams, mit ihrem Kruge auf ihrer Schulter.
इसके पूर्व कि उसकी प्रार्थना खत्म होती, रेबेकाह नगर के बाहर अपने कंधे पर घड़ा लेकर पानी भरने आई. वह मिलकाह के पुत्र बेथुएल की पुत्री थी और मिलकाह अब्राहाम के भाई नाहोर की पत्नी थी.
16 Und das Mädchen war sehr schön von Ansehen, eine Jungfrau, und kein Mann hatte sie erkannt; und sie stieg zur Quelle hinab und füllte ihren Krug und stieg wieder herauf.
रेबेकाह बहुत सुंदर थी, कुंवारी थी; अब तक किसी पुरुष से उसका संसर्ग नहीं हुआ था. वह नीचे सोते पर गई, अपना घड़ा पानी से भरा और फिर ऊपर आ गई.
17 Und der Knecht lief ihr entgegen und sprach: Laß mich doch ein wenig Wasser aus deinem Kruge schlürfen.
सेवक दौड़कर उसके निकट आया और उससे कहा, “कृपया अपने घड़े से मुझे थोड़ा पानी पिला दो.”
18 Und sie sprach: Trinke, mein Herr. Und eilends ließ sie ihren Krug auf ihre Hand hernieder und gab ihm zu trinken.
रेबेकाह ने कहा, “हे मेरे प्रभु लीजिए, पीजिये” और उसने तुरंत घड़े को नीचे करके उसे पानी पिलाया.
19 Und als sie ihm genug zu trinken gegeben hatte, sprach sie: Ich will auch für deine Kamele schöpfen, bis sie genug getrunken haben.
जब वह सेवक को पानी पिला चुकी, तब रेबेकाह ने उससे कहा, “मैं आपके ऊंटों के लिए भी पानी लेकर आती हूं, जब तक वे पूरे तृप्त न हो जाएं.”
20 Und sie eilte und goß ihren Krug aus in die Tränke und lief abermals zum Brunnen, um zu schöpfen; und sie schöpfte für alle seine Kamele.
उसने बिना देर किए घड़े का पानी हौदे में उंडेलकर वापस सोते पर और पानी भरने गई, और उसके सारे ऊंटों के लिये पर्याप्त पानी ले आई.
21 Und der Mann sah ihr staunend zu und schwieg, um zu erkennen, ob Jehova zu seiner Reise Glück gegeben habe oder nicht.
जब यह सब हो रहा था, बिना एक शब्द कहे, उस सेवक ध्यान से रेबेकाह को देखकर सोच रहा था कि याहवेह ने उसकी यात्रा को सफल किया है या नहीं.
22 Und es geschah, als die Kamele genug getrunken hatten, da nahm der Mann einen goldenen Ring, [Eig. Nasenring; siehe auch v 47] ein halber Sekel sein Gewicht, und zwei Spangen für ihre Arme, [Eig. Hände, d. i. Handgelenke] zehn Sekel Gold ihr Gewicht;
जब ऊंटों ने पानी पी लिया, तब सेवक ने आधा शेकेल सोने की एक नथ और दस शेकेल सोने के दो कंगन निकाला.
23 und er sprach: Wessen Tochter bist du? Sage mirs doch an. Ist im Hause deines Vaters Raum für uns zu herbergen?
और रेबेकाह को देकर उससे पूछा, “तुम किसकी बेटी हो? कृपया मुझे बताओ, क्या तुम्हारे पिता के घर में इस रात ठहरने के लिए जगह है?”
24 Und sie sprach zu ihm: Ich bin die Tochter Bethuels, des Sohnes der Milka, den sie dem Nahor geboren hat.
रेबेकाह ने उत्तर दिया, “मैं नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र बेथुएल की बेटी हूं.”
25 Und sie sprach zu ihm: Sowohl Stroh als auch Futter ist bei uns in Menge, auch Raum zu herbergen.
और उसने यह भी कहा, “हमारे यहां घास और चारा बहुत है, और रात में ठहरने के लिये जगह भी है.”
26 Da verneigte sich der Mann und warf sich nieder vor Jehova
तब उस सेवक ने झुककर और यह कहकर याहवेह की आराधना की,
27 und sprach: Gepriesen [S. die Anmerkung zu Kap. 9,26] sei Jehova, der Gott meines Herrn Abraham, der von seiner Güte und seiner Wahrheit nicht abgelassen hat gegen meinen Herrn! Mich hat Jehova geleitet auf den Weg [And. üb.: Während ich auf dem Weg war, hat Jehova mich geleitet zum] zum Hause der Brüder meines Herrn.
“धन्य हैं याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, जिन्होंने मेरे स्वामी के प्रति अपने प्रेम और करुणा को नहीं हटाया. याहवेह मुझे सही जगह पर लाये जो मेरे स्वामी के रिश्तेदारों का ही घर है.”
28 Und das Mädchen lief und berichtete diese Dinge dem Hause ihrer Mutter.
वह कन्या दौड़कर अपने घर गई और अपनी माता के घर के लोगों को सब बातें बताई.
29 Und Rebekka hatte einen Bruder, sein Name war Laban; und Laban lief zu dem Manne hinaus zur Quelle.
रेबेकाह के भाई लाबान दौड़कर कुएं के पास गए जहां सेवक था.
30 Und es geschah, als er den Ring sah und die Spangen an den Armen seiner Schwester, und als er die Worte seiner Schwester Rebekka hörte, welche sagte: Also hat der Mann zu mir geredet, da kam er zu dem Manne; und siehe, er stand bei den Kamelen, an der Quelle.
जब उसने नथ और अपनी बहन के हाथों में कंगन देखा और जो बात सेवक ने कही थी, उसे सुनी, तब वह उस सेवक के पास गया, और देखा कि वह सेवक सोते के निकट ऊंटों के बाजू में खड़ा है.
31 Und er sprach: Komm herein, Gesegneter Jehovas! Warum stehst du draußen? Denn ich habe das Haus aufgeräumt, und Raum ist für die Kamele.
लाबान ने सेवक से कहा, “हे याहवेह के आशीषित जन, मेरे साथ चलिए! आप यहां बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने घर को, और ऊंटों के ठहरने के लिये भी जगह तैयार की है.”
32 Und der Mann kam in das Haus; und man sattelte die Kamele ab und gab den Kamelen Stroh und Futter, und Wasser, um seine Füße zu waschen und die Füße der Männer, die bei ihm waren.
वह सेवक लाबान के साथ घर आया और ऊंटों पर से सामान उतारा गया. ऊंटों के लिये पैंरा और चारा लाया गया. सेवक तथा उसके साथ के लोगों के लिये पैर धोने हेतु पानी दिया गया.
33 Und es wurde ihm zu essen vorgesetzt; aber er sprach: Ich will nicht essen, bis ich meine Worte geredet habe. Und er sprach: Rede!
तब सेवक को खाना दिया गया, पर उसने कहा, “मैं तब तक भोजन न करूंगा, जब तक कि मैं अपने आने का प्रयोजन न बता दूं.” लाबान ने कहा, “ठीक है, बता दें.”
34 Da sprach er: Ich bin Abrahams Knecht;
तब उसने कहा, “मैं अब्राहाम का सेवक हूं.
35 und Jehova hat meinen Herrn sehr gesegnet, so daß er groß geworden ist; und er hat ihm Kleinvieh gegeben und Rinder, und Silber und Gold, und Knechte und Mägde, und Kamele und Esel.
याहवेह ने मेरे स्वामी को बहुत आशीष दी हैं, जिससे वे धनवान हो गए हैं. याहवेह ने उन्हें बहुत भेड़-बकरी और पशु, सोना और चांदी, सेवक और सेविकाएं तथा ऊंट और गधे दिये हैं.
36 Und Sara, das Weib meines Herrn, hat meinem Herrn einen Sohn geboren, nachdem sie alt geworden war; und er hat ihm alles gegeben, was er hat.
मेरे स्वामी की पत्नी साराह को वृद्धावस्था में एक बेटा पैदा हुआ, और अब्राहाम ने उसे अपना सब कुछ दे दिया है.
37 Und mein Herr hat mich schwören lassen und gesagt: Du sollst meinem Sohne nicht ein Weib nehmen von den Töchtern der Kanaaniter, in deren Lande ich wohne;
और मेरे स्वामी ने मुझे शपथ दिलाकर कहा, ‘तुम मेरे पुत्र की पत्नी बनने के लिए कनानियों की किसी बेटी को, जिनके बीच मैं रहता हूं, न लाना,
38 sondern zu dem Hause meines Vaters und zu meinem Geschlecht sollst du gehen und meinem Sohne ein Weib nehmen!
पर तुम मेरे पिता के परिवार, मेरे अपने वंश में जाना, और मेरे पुत्र के लिए एक पत्नी लाना.’
39 Und ich sprach zu meinem Herrn: Vielleicht wird das Weib mir nicht folgen.
“तब मैंने अपने स्वामी से पूछा, ‘यदि वह युवती मेरे साथ आना नहीं चाहेगी, तब क्या?’
40 Da sprach er zu mir: Jehova, vor dessen Angesicht ich gewandelt habe, wird seinen Engel mit dir senden und Glück zu deiner Reise geben, daß du meinem Sohne ein Weib nehmest aus meinem Geschlecht und aus dem Hause meines Vaters.
“मेरे स्वामी ने कहा, ‘याहवेह, जिनके सामने मैं ईमानदारी से चलता आया हूं, वे अपने स्वर्गदूत को तुम्हारे साथ भेजेंगे और तुम्हारी यात्रा को सफल करेंगे, ताकि तुम मेरे पुत्र के लिए मेरे अपने वंश और मेरे पिता के परिवार से एक पत्नी ला सको.
41 Wenn du zu meinem Geschlecht kommst, dann sollst du meines Eides ledig sein; und wenn sie sie dir nicht geben, so bist du meines Eides ledig.
तुम मेरे इस शपथ से तब ही छूट पाओगे, जब तुम मेरे वंश के लोगों के पास जाओगे, और यदि वे उस कन्या को तुम्हारे साथ भेजने के लिए मना करें—तब तुम मेरे शपथ से छूट जाओगे.’
42 So kam ich heute zu der Quelle und sprach: Jehova, Gott meines Herrn Abraham, wenn du doch Glück geben wolltest zu meinem Wege, auf dem ich gehe!
“आज जब मैं कुएं के पास पहुंचा, तो मैंने यह प्रार्थना की, ‘याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मैं जिस उद्देश्य से यहां आया हूं, वह काम पूरा हो जाये.
43 Siehe, ich stehe bei der Wasserquelle; möge es nun geschehen, daß die Jungfrau, die herauskommt, um zu schöpfen, und zu der ich sagen werde: Gib mir doch ein wenig Wasser aus deinem Kruge zu trinken! -
देखिये, मैं इस कुएं के किनारे खड़ा हूं. यदि कोई कन्या निकलकर पानी भरने के लिये आती है और मैं उससे कहता हूं, “कृपा करके मुझे अपने घड़े से थोड़ा पानी पिला दे,”
44 und welche zu mir sagen wird: Trinke du, und auch für deine Kamele will ich schöpfen, daß sie das Weib sei, welches Jehova für den Sohn meines Herrn bestimmt hat.
और यदि वह मुझसे कहती है, “पीजिये, और मैं आपके ऊंटों के लिये भी पानी लेकर आती हूं,” तो वह वही कन्या हो, जिसे याहवेह ने मेरे मालिक के बेटे के लिये चुना है.’
45 Ich hatte in meinem Herzen noch nicht ausgeredet, siehe, da kam Rebekka heraus mit ihrem Kruge auf ihrer Schulter; und sie stieg zur Quelle hinab und schöpfte. Da sprach ich zu ihr: Gib mir doch zu trinken!
“इसके पहले कि मैं अपने मन में यह प्रार्थना खत्म करता, रेबेकाह अपने कंधे पर घड़ा लिये निकलकर आई. वह नीचे सोते के पास जाकर पानी भरने लगी, और मैंने उससे कहा, ‘कृपया मुझे थोड़ा पानी पिला दो.’
46 Und eilends ließ sie ihren Krug von ihrer Schulter [W. von auf sich] hernieder und sprach: Trinke, und auch deine Kamele will ich tränken. Und ich trank, und sie tränkte auch die Kamele.
“तब उसने तुरंत अपने कंधे में से घड़े को झुकाकर कहा, ‘पी लीजिये, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी.’ तब मैंने पानी पिया, और उसने ऊंटों को भी पानी पिलाया.
47 Und ich fragte sie und sprach: Wessen Tochter bist du? Und sie sprach: Die Tochter Bethuels, des Sohnes Nahors, den Milka ihm geboren hat. Und ich legte den Ring an ihre Nase und die Spangen an ihre Arme;
“तब मैंने उससे पूछा, ‘तुम किसकी बेटी हो?’ “उसने कहा, ‘मैं बेथुएल की बेटी हूं, जो नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र है.’ “तब मैंने उसके नाक में नथ तथा उसके हाथों में कंगन पहना दिए,
48 und ich verneigte mich und warf mich nieder vor Jehova; und ich pries Jehova, den Gott meines Herrn Abraham, der mich den rechten Weg geleitet hat, um die Tochter des Bruders meines Herrn für seinen Sohn zu nehmen.
और मैंने झुककर याहवेह की आराधना की. मैंने याहवेह, अपने मालिक अब्राहाम के परमेश्वर की महिमा की, जिन्होंने मुझे सही मार्ग में अगुवाई की, ताकि मैं अपने मालिक के भाई की नतनिन को अपने मालिक के बेटे के लिये पत्नी के रूप में ले जा सकूं.
49 Und nun, wenn ihr Güte und Treue an meinem Herrn erweisen wollt, so tut es mir kund; und wenn nicht, so tut es mir kund, und ich werde mich zur Rechten oder zur Linken wenden.
इसलिये अब, यदि आप मेरे मालिक के प्रति दया और सच्चाई दिखाना चाहते हैं, तो मुझे बताईये; और यदि नहीं, तो वह भी बताईये, कि किस रास्ते पर मुड़ना है.”
50 Da antworteten Laban und Bethuel und sprachen: Von Jehova ist die Sache ausgegangen; wir können dir nichts sagen, weder Böses noch Gutes.
यह सब सुनकर लाबान एवं बेथुएल ने कहा, “यह सब याहवेह की ओर से हुआ है; हम तुमसे अच्छा या बुरा कुछ नहीं कह सकते.
51 Siehe, Rebekka ist vor dir: nimm sie und ziehe hin; und sie sei das Weib des Sohnes deines Herrn, wie Jehova geredet hat.
रेबेकाह तुम्हारे सामने है; इसे अपने साथ ले जाओ, ताकि वह तुम्हारे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए, जैसा कि याहवेह ने निर्देश दिया है.”
52 Und es geschah, als Abrahams Knecht ihre Worte hörte, da beugte er sich zur Erde nieder vor Jehova.
उनकी बातों को सुनकर अब्राहाम के सेवक ने भूमि पर झुककर याहवेह को दंडवत किया.
53 Und der Knecht zog hervor silbernes Geschmeide und goldenes Geschmeide und Kleider und gab sie der Rebekka; und Kostbarkeiten gab er ihrem Bruder und ihrer Mutter.
तब सेवक ने सोने और चांदी के गहने तथा वस्त्र निकालकर रेबेकाह को दिए; उसने रेबेकाह के भाई और उसकी माता को भी बहुमूल्य वस्तुएं दी.
54 Und sie aßen und tranken, er und die Männer, die bei ihm waren, und übernachteten. Und des Morgens standen sie auf, und er sprach: Entlasset mich zu meinem Herrn!
फिर उसने तथा उसके साथ के लोगों ने खाया पिया और वहां रात बिताई. अगले दिन सुबह जब वे सोकर उठे तो सेवक ने कहा, “मुझे अपने स्वामी के पास वापस जाने के लिए विदा कीजिये.”
55 Da sprachen ihr Bruder und ihre Mutter: Laß das Mädchen einige Tage oder zehn bei uns bleiben, danach magst du [O. mag sie] ziehen.
पर रेबेकाह के भाई और उसकी मां ने कहा, “कन्या को हमारे साथ कुछ दिन अर्थात् कम से कम दस दिन रहने दो; तब उसे ले जाना.”
56 Er aber sprach zu ihnen: Haltet mich nicht auf, da Jehova Glück gegeben hat zu meiner Reise; entlasset mich, daß ich zu meinem Herrn ziehe!
पर सेवक ने उनसे कहा, “मुझे मत रोकिए; क्योंकि याहवेह ने मेरी इस यात्रा को सफल किया है. मुझे अपने स्वामी के पास लौट जाने के लिये विदा कीजिए.”
57 Und sie sprachen: Laßt uns das Mädchen rufen und ihren Mund befragen.
तब उन्होंने कहा, “हम रेबेकाह को बुलाकर इसके बारे में उससे पूछते हैं.”
58 Und sie riefen Rebekka und sprachen zu ihr: Willst du mit diesem Manne gehen? Und sie antwortete: Ich will gehen.
तब उन्होंने रेबेकाह को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तुम इस व्यक्ति के साथ जाओगी?” उसने कहा, “हां, मैं जाऊंगी.”
59 Und sie entließen ihre Schwester Rebekka mit ihrer Amme und den Knecht Abrahams und seine Männer.
इसलिये उन्होंने अपनी बहन रेबेकाह को उसकी परिचारिका और अब्राहाम के सेवक और उसके लोगों के साथ विदा किया.
60 Und sie segneten Rebekka und sprachen zu ihr: Du, unsere Schwester, werde zu tausendmal Zehntausenden, und dein Same besitze das Tor seiner Feinde! [W. Hasser]
और उन्होंने रेबेकाह को आशीर्वाद देते हुए कहा, “हे हमारी बहन, तुम्हारा वंश हजारों हजार की संख्या में बढ़े; तुम्हारा वंश अपने शत्रुओं के नगर पर अधिकार करने पाये.”
61 Und Rebekka machte sich auf mit ihren Mägden, und sie bestiegen die Kamele und folgten dem Manne; und der Knecht nahm Rebekka und zog hin.
तब रेबेकाह और उसकी परिचारिकाएं तैयार हुईं और ऊंटों पर चढ़कर उस व्यक्ति के साथ गईं और वह सेवक रेबेकाह को लेकर रवाना हो गया.
62 Isaak aber war von einem Gange nach dem Brunnen Lachai-Roi [Siehe die Anmerkung zu Kap. 16,14] gekommen; er wohnte nämlich im Lande des Südens.
यित्सहाक बएर-लहाई-रोई से आकर अब नेगेव में निवास कर रहे थे.
63 Und Isaak ging aus, um auf dem Felde zu sinnen beim Anbruch des Abends; und er hob seine Augen auf und sah, und siehe, Kamele kamen.
एक शाम जब वे चिंतन करने मैदान में गये थे, तब उन्होंने ऊंटों को आते हुए देखा.
64 Und Rebekka hob ihre Augen auf und sah Isaak; und sie warf sich vom Kamele herab und sprach zu dem Knechte:
रेबेकाह ने भी आंख उठाकर यित्सहाक को देखा और वह अपने ऊंट पर से नीचे उतरी
65 Wer ist der Mann, der uns da auf dem Felde entgegenwandelt? Und der Knecht sprach: Das ist mein Herr. Da nahm sie den Schleier [ein Überwurf, den man über den Kopf zog] und verhüllte sich.
और सेवक से पूछा, “मैदान में वह कौन व्यक्ति है, जो हमसे मिलने आ रहे हैं?” सेवक ने उत्तर दिया, “वे मेरे स्वामी हैं.” यह सुनकर रेबेकाह ने अपना घूंघट लिया और अपने आपको ढांप लिया.
66 Und der Knecht erzählte Isaak all die Dinge, die er ausgerichtet hatte.
तब सेवक ने यित्सहाक को वे सब बातें बताई, जो उसने किया था.
67 Und Isaak führte sie in das Zelt seiner Mutter Sara, und er nahm Rebekka, und sie wurde sein Weib, und er hatte sie lieb. Und Isaak tröstete sich nach dem Tode seiner Mutter.
तब यित्सहाक रेबेकाह को अपनी मां साराह के तंबू में ले आया, और उसने रेबेकाह से शादी की. वह उसकी पत्नी हो गई, और उसने उससे प्रेम किया; इस प्रकार यित्सहाक को उसकी माता की मृत्यु के बाद सांत्वना मिली.