< 1 Mose 17 >

1 Und Abram war 99 Jahre alt, da erschien Jehova dem Abram und sprach zu ihm: Ich bin Gott, [El] der Allmächtige; wandle vor meinem Angesicht und sei vollkommen. [S. die Anmerkung zu Kap. 6,9]
जब अब्राम निन्यानबे वर्ष के हुए तब याहवेह उन पर प्रकट हुए और उनसे कहा, “मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूं; तुम मेरे सामने विश्वासयोग्यता से चलो और निर्दोष रहो.
2 Und ich will meinen Bund setzen zwischen mir und dir und will dich sehr, sehr mehren.
मैं अपने और तुम्हारे बीच अपना करार स्थापित करूंगा और तुम्हारे वंश को बहुत बढ़ाऊंगा.”
3 Da fiel Abram auf sein Angesicht, und Gott redete mit ihm und sprach:
तब अब्राम ने झुककर परमेश्वर को प्रणाम किया और परमेश्वर ने उनसे कहा,
4 Ich, siehe, mein Bund ist mit dir, und du wirst zum Vater einer Menge Nationen werden.
“तुम्हारे साथ मेरी वाचा यह है: तुम अनेक जातियों के गोत्रपिता होंगे.
5 Und nicht soll hinfort dein Name Abram [erhabener Vater] heißen, sondern Abraham [Vater einer Menge] soll dein Name sein; denn zum Vater einer Menge Nationen habe ich dich gemacht.
अब से तुम्हारा नाम अब्राम न रहेगा, पर अब्राहाम होगा; क्योंकि मैंने तुम्हें अनेक जातियों का गोत्रपिता बनाया है.
6 Und ich werde dich sehr, sehr fruchtbar machen, und ich werde dich zu Nationen machen, und Könige sollen aus dir hervorkommen.
मैं तुम्हें बहुत फलवंत करूंगा; तुम्हें जाति-जाति का मूल बनाऊंगा, और तुम्हारे वंश में राजा पैदा होंगे.
7 Und ich werde meinen Bund errichten zwischen mir und dir und deinem Samen nach dir, nach ihren Geschlechtern, [d. h. so viele ihrer sein werden; so auch v 9. und 12] zu einem ewigen Bunde, um dir zum Gott zu sein und deinem Samen nach dir.
मैं तेरे और आनेवाले तेरे वंश के साथ पीढ़ी-पीढ़ी की यह वाचा बांधूंगा कि मैं तुम्हारा और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंश का परमेश्वर रहूंगा.
8 Und ich werde dir und deinem Samen nach dir das Land deiner Fremdlingschaft geben, das ganze Land Kanaan, zum ewigen Besitztum, und ich werde ihr [W. ihnen zum Gott] Gott sein.
यह कनान देश, जिसमें तुम पराये होकर रहते हो, यह देश तुमको और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंशजों को सदाकाल के लिये अधिकार में दे दूंगा; और मैं उनका परमेश्वर रहूंगा.”
9 Und Gott sprach zu Abraham: Und du, du sollst meinen Bund halten, du und dein Same nach dir, nach ihren Geschlechtern.
परमेश्वर ने अब्राहाम से फिर कहा, “तुम और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंश के लोग मेरी वाचा को सच्चाई से मानते रहना.
10 Dies ist mein Bund, den ihr halten sollt zwischen mir und euch und deinem Samen nach dir: alles Männliche werde bei euch beschnitten;
तुम्हारे और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंश के साथ मेरी वाचा यह है, जिसे तुम्हें मानना ज़रूरी है: तुम्हारे बीच में प्रत्येक पुरुष का ख़तना किया जाये.
11 und ihr sollt das Fleisch eurer Vorhaut beschneiden. Und das soll das Zeichen des Bundes sein zwischen mir und euch.
और यह ख़तना तुम्हारे खलड़ी (त्वचा) का किया जाये. यही मेरे एवं तुम्हारे बीच की गई वाचा का चिन्ह होगा.
12 Und acht Tage alt soll alles Männliche bei euch beschnitten werden nach euren Geschlechtern, der Hausgeborene und der für Geld Erkaufte, von allen Fremden, die nicht von deinem Samen sind;
तुम्हारे वंश में सभी पीढ़ियों में हर लड़के के आठ दिन के होने पर उसका ख़तना करना, तुम्हारे घर का वह सेवक जिसका जन्म तुम्हारे घर में हुआ है अथवा जिसे किसी परदेशी से मूल्य देकर खरीदा गया हो, चाहे वे तुम्हारे वंश में से न हों.
13 es soll gewißlich beschnitten werden dein Hausgeborener und der für dein Geld Erkaufte. Und mein Bund soll an eurem Fleische sein als ein ewiger Bund.
तुम्हारे घर में पैदा हुए हों या फिर पैसा देकर खरीदे गये हों, उन सबका ख़तना करना ज़रूरी है. तुम्हारे मांस में मेरी यह वाचा सदाकाल की वाचा है.
14 Und der unbeschnittene Männliche, der am Fleische seiner Vorhaut nicht beschnitten wird, selbige Seele soll ausgerottet werden aus ihrem Volke; [W. aus ihren Völkern, d. h. Volksgenossen] meinen Bund hat er gebrochen!
परंतु जो पुरुष बिना ख़तना किए रहेगा, उसे समाज से अलग कर दिया जाएगा, क्योंकि उसने मेरी वाचा को तोड़ा है.”
15 Und Gott sprach zu Abraham: Sarai, dein Weib, sollst du nicht Sarai nennen, sondern Sara [Fürstin] soll ihr Name sein.
परमेश्वर ने अब्राहाम से यह भी कहा, “तुम्हारी पत्नी सारय को तुम अब सारय नहीं कहना; परंतु अब उसका नाम साराह होगा.
16 Und ich werde sie segnen, und auch von ihr gebe ich dir einen Sohn; und ich werde sie segnen, und sie wird zu Nationen werden; Könige von Völkern sollen aus ihr kommen.
मैं उसे आशीष दूंगा और मैं तुम्हें उसके द्वारा एक बेटा दूंगा. मैं उसे आशीष दूंगा. जिससे वह जाति-जाति की मूलमाता होगी; और राजाओं का जन्म उसके वंश में होगा.”
17 Und Abraham fiel auf sein Angesicht und lachte und sprach in seinem Herzen: Sollte einem Hundertjährigen geboren werden, und sollte Sara, sollte eine Neunzigjährige gebären?
यह सुनकर अब्राहाम ने झुककर प्रणाम किया; वह हंसने लगा और मन में कहने लगा, “क्या सौ साल के व्यक्ति से बेटा पैदा हो सकता है? साराह, जो नब्बे साल की है, क्या वह बेटा जन्म दे सकती है?”
18 Und Abraham sprach zu Gott: Möchte doch Ismael vor dir leben!
और अब्राहाम ने परमेश्वर से कहा, “अच्छा हो कि इशमाएल आपसे आशीष पाये!”
19 Und Gott sprach: Fürwahr, Sara, dein Weib, wird dir einen Sohn gebären, und du sollst ihm den Namen Isaak [H. Jizchak, auch Jischak: Lacher] geben; und ich werde meinen Bund mit ihm errichten zu einem ewigen Bunde für seinen Samen nach ihm.
तब परमेश्वर ने अब्राहाम से कहा, “नहीं! तुम्हारी पत्नी साराह से एक बेटा होगा, और तुम उसका नाम यित्सहाक रखना. मैं उसके साथ ऐसी वाचा बांधूंगा, जो उसके बाद आनेवाली पीढ़ी-पीढ़ी तक सदाकाल की वाचा होगी.
20 Und um Ismael habe ich dich erhört: Siehe, ich habe ihn gesegnet und werde ihn fruchtbar machen und ihn sehr, sehr mehren; zwölf Fürsten wird er zeugen, und ich werde ihn zu einer großen Nation machen.
और इशमाएल के बारे में, मैंने तुम्हारी बात सुनी है: मैं उसे ज़रूर आशीष दूंगा; मैं उसे फलवंत करूंगा और उसको संख्या में बहुत बढ़ाऊंगा. वह बारह शासकों का पिता होगा, और मैं उससे एक बड़ी जाति बनाऊंगा.
21 Aber meinen Bund werde ich mit Isaak errichten, den Sara dir gebären wird um diese bestimmte Zeit im folgenden Jahre. -
परंतु मैं अपनी वाचा यित्सहाक के साथ बांधूंगा, जिसे साराह तेरे लिए अगले साल इसी समय जन्म देगी.”
22 Und er hörte auf mit ihm zu reden; und Gott fuhr auf von Abraham.
जब परमेश्वर अब्राहाम से अपनी बात कह चुके, तब वे चले गए.
23 Und Abraham nahm Ismael, seinen Sohn, und alle seine Hausgeborenen und alle mit seinem Geld Erkauften, alles Männliche unter den Hausleuten Abrahams, und beschnitt das Fleisch ihrer Vorhaut an diesem selbigen Tage, wie Gott zu ihm geredet hatte.
तब अब्राहाम ने उसी दिन परमेश्वर के आदेश के अनुसार अपने पुत्र इशमाएल तथा अपने उन सेवकों का, जिनका जन्म उनके परिवार में हुआ था या जिन्हें अब्राहाम ने धन देकर खरीदा था, परिवार के हर एक पुरुष लेकर परमेश्वर के कहे अनुसार उनका ख़तना किया.
24 Und Abraham war 99 Jahre alt, als er am Fleische seiner Vorhaut beschnitten wurde.
अब्राहाम के खलड़ी के खतने के समय उनकी उम्र निन्यानवे वर्ष थी,
25 Und Ismael, sein Sohn, war dreizehn Jahre alt, als er am Fleische seiner Vorhaut beschnitten wurde.
और खतने के समय उनका पुत्र इशमाएल तेरह वर्ष का था.
26 An diesem selbigen Tage wurde Abraham beschnitten und Ismael, sein Sohn;
अब्राहाम तथा उनके पुत्र इशमाएल का ख़तना एक ही दिन किया गया.
27 Und alle Männer seines Hauses, der Hausgeborene und der für Geld Erkaufte, von den Fremden, wurden mit ihm beschnitten.
और उनके परिवार के सब पुरुष, जो उनके घर में पैदा हुए थे अथवा जो किसी विदेशी से धन देकर खरीदे गये थे, उन सबका ख़तना उनके साथ किया गया.

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