< 2 Samuel 22 >
1 Und David redete zu Jehova die Worte dieses Liedes an dem Tage, da Jehova ihn aus der Hand aller seiner Feinde und aus der Hand Sauls errettet hatte; und er sprach: [Vergl. Ps. 18]
जब ख़ुदावन्द ने दाऊद को उसके सब दुश्मनों और साऊल के हाथ से रिहाई दी तो उसने ख़ुदावन्द के सामने इस मज़मून का हम्द सुनाया।
2 Jehova ist mein Fels [W. mir mein Fels] und meine Burg und mein Erretter.
वह कहने लगा, ख़ुदावन्द मेरी चट्टान और मेरा किला' और मेरा छुड़ाने वाला है।
3 Gott ist mein Fels, [W. Gott meines Felsens] auf ihn werde ich trauen, mein Schild und das Horn meines Heils, meine hohe Feste und meine Zuflucht. Mein Retter, von Gewalttat wirst du mich retten!
ख़ुदा मेरी चट्टान है, मैं उसी पर भरोसा रख्खूँगा, वही मेरी ढाल और मेरी नजात का सींग है, मेरा ऊँचा बुर्ज और मेरी पनाह है, मेरे नजात देने वाले! तूही मुझे ज़ुल्म से बचाता है।
4 Ich werde Jehova anrufen, der zu loben ist, und ich werde gerettet werden von meinen Feinden.
मैं ख़ुदावन्द को जो ता'रीफ़ के लायक़ है पुकारूँगा, यूँ मैं अपने दुश्मनों से बचाया जाऊँगा।
5 Denn mich umfingen die Wogen des Todes, die Ströme [Eig. Wildbäche] Belials erschreckten mich;
क्यूँकि मौत की मौजों ने मुझे घेरा, बेदीनी के सैलाबों ने मुझे डराया।
6 die Bande des Scheols umringten mich, es ereilten mich die Fallstricke des Todes. (Sheol )
पाताल की रस्सियाँ मेरे चारो तरफ़ थीं मौत के फंदे मुझ पर आते थे। (Sheol )
7 In meiner Bedrängnis rief ich zu Jehova, und ich rief zu meinem Gott; und er hörte aus seinem Tempel [Eig. Palast] meine Stimme, und mein Schrei kam in seine Ohren.
अपनी मुसीबत में मैंने ख़ुदावन्द को पुकारा, मैं अपने ख़ुदा के सामने चिल्लाया। उसने अपनी हैकल में से मेरी आवाज़ सुनी और मेरी फ़रयाद उसके कान में पहुँची।
8 Da wankte und bebte die Erde; die Grundfesten des Himmels zitterten und wankten, weil er entbrannt war.
तब ज़मीन हिल गई और काँप उठी और आसमान की बुनियादों ने जुम्बिश खाई और हिल गयीं, इसलिए कि वह ग़ुस्सा हुआ।
9 Rauch stieg auf von seiner Nase, und Feuer fraß aus seinem Munde; glühende Kohlen brannten aus ihm.
उसके नथुनों से धुवाँ उठा और उसके मुँह से आग निकल कर भस्म करने लगी, कोयले उससे दहक उठे।
10 Und er neigte die Himmel und fuhr hernieder, und Dunkel war unter seinen Füßen.
उसने आसमानों को भी झुका दिया और नीचे उतर आया और उसके पाँव तले गहरा अँधेरा था।
11 Und er fuhr auf einem Cherub und flog daher, und er erschien auf den Fittichen des Windes.
वह करूबी पर सवार होकर उदा और हवा के बाज़ुओं पर दिखाई दिया।
12 Und Finsternis machte er rings um sich her zum Gezelt, Sammlung der Wasser, dichtes Himmelsgewölk.
और उसने अपने चारों तरफ़ अँधेरे को और पानी के इज्तिमा'और आसमान के दलदार बादलों को शामियाने बनाया।
13 Aus dem Glanze vor ihm brannten feurige Kohlen.
उस झलक से जो उसके आगे आगे थी आग के कोयले सुलग गये।
14 Es donnerte Jehova vom Himmel her, und der Höchste ließ seine Stimme erschallen.
ख़ुदावन्द आसमान से गरजा और हक़ त'आला ने अपनी आवाज़ सुनाई।
15 Und er schoß Pfeile und zerstreute sie, [d. h. die Feinde] seinen Blitz, und verwirrte sie. [d. h. die Feinde]
उसने तीर चला कर उनको तितर बितर किया, और बिजली से उनको शिकस्त दी।
16 Da wurden gesehen die Betten des Meeres, aufgedeckt die Grundfesten des Erdkreises durch das Schelten Jehovas, vor dem Schnauben des Hauches seiner Nase.
तब ख़ुदावन्द की डॉट से; उसके नथुनों के दम के झोंके से, समुन्दर की गहराई दिखाई देने लगी, और जहान की बुनियादें नमूदार हुईं।
17 Er streckte seine Hand aus von der Höhe, er nahm mich, er zog mich aus großen Wassern;
उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, और मुझे बहुत पानी में से खींच कर बाहर निकाला।
18 Er errettete mich von meinem starken Feinde, von meinen Hassern; denn sie waren mächtiger als ich.
उसने मेरे ताक़तवर दुश्मन और मेरे 'अदावत रखने वालों से, मुझे छुड़ा लिया क्यूँकि वह मेरे लिए निहायत बहादुर थे।
19 Sie ereilten mich am Tage meines Unglücks, aber Jehova ward mir zur Stütze.
वह मेरी मुसीबत के दिन मुझ पर आ पड़े, पर ख़ुदावन्द मेरा सहारा था।
20 Und er führte mich heraus ins Weite, er befreite mich, weil er Lust an mir hatte.
वह मुझे चौड़ी जगह में निकाल भी लाया, उसने मुझे छुड़ाया, इसलिए कि वह मुझसे ख़ुश था।
21 Jehova vergalt mir nach meiner Gerechtigkeit, nach der Reinheit meiner Hände erstattete er mir.
ख़ुदावन्द ने मेरी रास्तबाज़ी के मुवाफ़िक़ मुझे बदला दिया, और मेरे हाथों की पाकीज़गी के मुताबिक़ मुझे बदला दिया।
22 Denn ich habe bewahrt die Wege Jehovas, und bin von meinem Gott nicht frevelhaft abgewichen.
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द की राहों पर चलता रहा, और ग़ल्ती से अपने ख़ुदा से अलग न हुआ।
23 Denn alle seine Rechte waren vor mir, und seine Satzungen-ich bin nicht davon gewichen;
क्यूँकि उसके सारे फ़ैसले मेरे सामने थे, और मैं उसके क़ानून से अलग न हुआ।
24 Und ich war vollkommen [O. redlich, untadelig, lauter; so auch v 26. 31. 33] gegen ihn und hütete mich vor meiner Ungerechtigkeit.
मैं उसके सामने कामिल भी रहा, और अपनी बदकारी से बा'ज़ रहा।
25 Und Jehova erstattete mir nach meiner Gerechtigkeit, nach meiner Reinheit vor seinen Augen.
इसीलिए ख़ुदावन्द ने मुझे मेरी रास्तबाज़ी के मुवाफ़िक़ बल्कि मेरी उस पाकीज़गी के मुताबिक़ जो उसकी नज़र के सामने थी बदला दिया।
26 Gegen den Gütigen erzeigst du dich gütig, gegen den vollkommenen Mann erzeigst du dich vollkommen;
रहम दिल के साथ तू रहीम होगा, और कामिल आदमी के साथ कामिल।
27 gegen den Reinen erzeigst du dich rein, und gegen den Verkehrten erzeigst du dich entgegenstreitend. [Eig. verdreht]
नेकों के साथ नेक होगा, और टेढों के साथ टेढ़ा।
28 Und du wirst retten das elende Volk; aber deine Augen sind wider die Hoffärtigen, [Eig. Hohen, Stolzen] die du erniedrigen wirst.
मुसीबत ज़दा लोगों को तू बचाएगा, लेकिन तेरी आँखें मग़रूरों पर लगी हैं ताकि तू उन्हें नीचा करे।
29 Denn du bist meine Leuchte, Jehova; und Jehova erhellt meine Finsternis.
क्यूँकि ऐ ख़ुदावन्द! तू मेरा चराग़ है, और ख़ुदावन्द मेरे अँधेरे को उजाला कर देगा।
30 Denn mit dir werde ich gegen eine Schar anrennen, mit meinem Gott werde ich eine Mauer überspringen.
क्यूँकि तेरी बदौलत मैं फ़ौज पर जंग करता हूँ, और अपने ख़ुदा की बदौलत दीवार फाँद जाता हूँ।
31 Gott- [El] sein Weg ist vollkommen; Jehovas Wort ist geläutert; ein Schild ist er allen, die auf ihn trauen.
लेकिन ख़ुदा की राह कामिल है, ख़ुदावन्द का कलाम ताया हुआ है, वह उन सबकी ढाल है जो उसपर भरोसा रखते हैं।
32 Denn wer ist Gott, [El] außer Jehova, und wer ein Fels, außer unserem Gott?
क्यूँकि ख़ुदावन्द के 'अलावा और कौन ख़ुदा है? और हमारे ख़ुदा को छोड़ कर और कौन चटटान है?
33 Gott [El] ist meine starke Feste, und er lenkt [Wahrsch. ist nach Ps. 18,32 zu l.: er macht] vollkommen meinen Weg.
ख़ुदा मेरा मज़बूत किला' है, वह अपनी राह में कामिल शख़्स की रहनुमाई करता है।
34 Er macht meine Füße denen der Hindinnen gleich, und stellt mich hin auf meine Höhen.
वह उसके पाँव हिरनी के से बना देता है, और मुझे मेरी ऊँची जगहों में क़ाईम करता है।
35 Er lehrt meine Hände den Streit, und meine Arme spannen den ehernen Bogen.
वह मेरे हाथों को जंग करना सिखाता है, यहाँ तक कि मेरे बाज़ू पीतल की कमान को झुका देते हैं।
36 Und du gabst mir den Schild deines Heils, und deine Herablassung machte mich groß.
तूने मुझको अपनी नजात की ढाल भी बख़्शी, और तेरी नरमी ने मुझे बुज़ुर्ग बना दिया।
37 Du machtest Raum meinen Schritten unter mir, und meine Knöchel haben nicht gewankt.
तूने मेरे नीचे मेरे क़दम चौड़े कर दिए, और मेरे पाँव नहीं फिसले।
38 Meinen Feinden jagte ich nach und vertilgte sie; und ich kehrte nicht um, bis sie aufgerieben waren.
मैंने अपने दुश्मनों का पीछा करके उनको हलाक किया, और जब तक वह फ़ना न हो गये मैं वापस नहीं आया।
39 Und ich rieb sie auf und zerschmetterte sie; und sie standen nicht wieder auf, und sie fielen unter meine Füße.
मैंने उनको फ़ना कर दिया और ऐसा छेद डाला है कि वह उठ नहीं सकते, बल्कि वह तो मेरे पाँव के नीचे गिरे पड़े हैं।
40 Und du umgürtetest mich mit Kraft zum Streit, beugtest unter mich, die wider mich aufstanden.
क्यूँकि तूने लड़ाई के लिए मुझे ताक़त से तैयार किया, और मेरे मुख़ालिफ़ों को मेरे सामने नीचा किया।
41 Und du gabst mir den Rücken meiner Feinde; meine Hasser, ich vernichtete sie.
तूने मेरे दुश्मनों की पीठ मेरी तरफ़ फेरदी, ताकि मैं अपने 'अदावत रखने वालों को काट डालूँ।
42 Sie blickten umher, und kein Retter war da-zu Jehova, und er antwortete ihnen nicht.
उन्होंने इन्तिज़ार किया लेकिन कोई न था जो बचाए, बल्कि ख़ुदावन्द का भी इन्तिज़ार किया, लेकिन उसने उनको जवाब न दिया।
43 Und ich zermalmte sie wie Staub der Erde; wie Straßenkot zertrat, zerstampfte ich sie.
तब मैंने उनको कूट कूट कर ज़मीन की गर्द की तरह कर दिया, मैंने उनको गली कूचों के कीचड़ की तरह रौंद कर चारो तरफ़ फैला दिया।
44 Und du errettetest mich aus den Streitigkeiten meines Volkes; du bewahrtest mich auf zum Haupte der Nationen; ein Volk, das ich nicht kannte, dient mir. [O. diente mir]
तूने मुझे मेरी क़ौम के झगड़ों से भी छुड़ाया, तूने मुझे क़ौमों का सरदार होने के लिए रख छोड़ा है, जिस क़ौम से मैं वाक़िफ़ भी नहीं वह मेरी फ़रमा बरदार होगी।
45 Die Söhne der Fremde unterwarfen sich mir mit Schmeichelei; [Eig. heuchelten mir [d. h. Gehorsam]] beim Hören des Ohres gehorchten sie mir.
परदेसी मेरे ताबे' हो जायेंगे, वह मेरा नाम सुनते ही मेरी फ़रमाबर्दारी करेंगे।
46 Die Söhne der Fremde sanken hin und zitterten hervor aus ihren Schlössern.
परदेसी मुरझा जायेंगे और अपने किलों'से थरथराते हुए निकलेंगे।
47 Jehova lebt, und gepriesen sei mein Fels! und erhoben werde der Gott, der Fels [W. des Felsens] meines Heils!
ख़ुदावन्द ज़िन्दा है, मेरी चटटान मुबारक हो! और ख़ुदा मेरे नजात की चटटान मुम्ताज़ हो!
48 Der Gott, [El] der mir Rache gab und die Völker unter mich niederwarf;
वही ख़ुदा जो मेरा बदला लेता है, और उम्मतों को मेरे ताबे' कर देता है।
49 und der mich herausführte aus der Mitte meiner Feinde. Ja, du erhöhtest mich über die, welche wider mich aufstanden, von dem Manne der Gewalttat befreitest du mich.
और मुझे मेरे दुश्मनों के बीच से निकालता है, हाँ तू मुझे मेरे मुख़ालिफ़ों पर सरफ़राज़ करता है, तू मुझे टेढ़े आदमियों से रिहाई देता है।
50 Darum, Jehova, will ich dich preisen unter den Nationen und Psalmen singen [Eig. und singspielen] deinem Namen,
इसलिए ऐ ख़ुदावन्द! मैं क़ौमों के बीच तेरी शुक्रगुज़ारी और तेरे नाम की मदह सराई करूँगा।
51 Dich, der groß macht die Rettungen seines Königs, und Güte erweist seinem Gesalbten, David und seinem Samen ewiglich.
वह अपने बादशाह को बड़ी नजात 'इनायत करता है, और अपने ममसूह दाऊद और उसकी नसल पर हमेशा शफ़क़त करता है।