< 1 Chronik 21 >

1 Und [2. Sam. 24] Satan stand auf wider Israel und reizte David an, Israel zu zählen.
शैतान इस्राएल के विरुद्ध सक्रिय हुआ और उसने दावीद को इस्राएल की गिनती के लिए उकसाया.
2 Da sprach David zu Joab und zu den Obersten des Volkes: Gehet hin, zählet Israel von Beerseba bis Dan; und berichtet mir, damit ich ihre Zahl wisse.
दावीद ने सेनापति योआब को आदेश दिया, “जाकर बेअरशेबा से लेकर दान तक इस्राएल की गिनती करो और मुझे पूरा ब्यौरा दो कि मुझे लोगों की गिनती मालूम हो सके.”
3 Und Joab sprach: Es möge Jehova zu seinem Volke, so viele ihrer sind, hundertmal hinzufügen! Sind sie nicht alle, mein Herr König, die Knechte meines Herrn? Warum begehrt mein Herr solches? Warum soll es Israel zur Schuld werden?
मगर योआब ने मना किया, “आज प्रजा की जो गिनती है, याहवेह उसे सौ गुणा बढ़ाएं. महाराज मेरे स्वामी, क्या उनमें से हर एक मेरे स्वामी का सेवक नहीं है? तब मेरे स्वामी को इसकी क्या ज़रूरत है? यह क्यों इस्राएल के दोष का कारण बने?”
4 Aber das Wort des Königs blieb fest gegen Joab. Und Joab zog aus und durchwanderte ganz Israel, und er kam nach Jerusalem zurück.
मगर राजा को योआब की सलाह पसंद नहीं आई. इसलिये योआब इस काम के लिए निकला. वह पूरे इस्राएल में घूमा और काम पूरा कर येरूशलेम लौट आया.
5 Und Joab gab die Zahl des gemusterten Volkes David an; und es waren in ganz Israel 1110000 Mann, die das Schwert zogen, und in Juda 470000 Mann, die das Schwert zogen.
योआब ने दावीद को लोगों की गिनती का जोड़ सुनाया: पूरे इस्राएल में ग्यारह लाख और यहूदिया में चार लाख सत्तर हज़ार तलवार चलानेवाले व्यक्ति थे.
6 Levi aber und Benjamin musterte er nicht unter ihnen; denn das Wort des Königs war Joab ein Greuel.
इनमें योआब ने लेवी और बिन्यामिन वंश की गिनती नहीं की थी क्योंकि योआब की नज़र में राजा का यह आदेश गलत था.
7 Und diese Sache war übel in den Augen Gottes, und er schlug Israel.
परमेश्वर दावीद के इस काम से नाराज़ हुए. इसलिये उन्होंने इस्राएल पर वार किया.
8 Und David sprach zu Gott: Ich habe sehr gesündigt, daß ich diese Sache getan habe; und nun laß doch die Ungerechtigkeit deines Knechtes vorübergehen, denn ich habe sehr töricht gehandelt!
दावीद ने परमेश्वर से कहा, “इस काम को करके मैंने घोर पाप किया है, मगर अब कृपा करके अपने सेवक का अपराध दूर कर दीजिए. यह मेरी घोर मूर्खता थी.”
9 Und Jehova redete zu Gad, dem Seher Davids, und sprach:
याहवेह ने दावीद के दर्शी गाद को यह आदेश दिया,
10 Gehe hin und rede zu David und sprich: So spricht Jehova: Dreierlei lege ich dir vor; wähle dir eines davon, daß ich es dir tue.
“जाओ और दावीद से यह कहो, ‘याहवेह का यह संदेश है, मैं तुम्हारे सामने तीन विकल्प प्रस्तुत कर रहा हूं. इनमें से तुम एक चुन लो, कि मैं उसे तुम पर इस्तेमाल कर सकूं.’”
11 Und Gad kam zu David und sprach zu ihm:
तब गाद ने दावीद के सामने जाकर उनसे कहा: “यह याहवेह का संदेश है, ‘अपने लिए चुन लो:
12 So spricht Jehova: Wähle [W. Nimm] dir! entweder drei Jahre Hungersnot; oder drei Monate dahingerafft zu werden vor deinen Bedrängern, und daß das Schwert deiner Feinde dich treffe; oder drei Tage das Schwert Jehovas und Pest im Lande, und daß der Engel Jehovas verderbe in allen Grenzen Israels. Und nun siehe zu, was für eine Antwort ich dem zurückbringen soll, der mich gesandt hat.
तीन साल के लिए अकाल, या तीन महीने तक तुम्हारे शत्रुओं द्वारा मार, जब उनकी तलवार नाश करती रहेगी या तीन दिन पूरे देश में याहवेह की तलवार की महामारी, जब याहवेह का दूत सारे इस्राएल देश की सीमाओं के भीतर महाविनाश करता जाएगा.’ इसलिये अब विचार कीजिए कि मैं लौटकर उन्हें क्या उत्तर दूं, जिन्होंने मुझे यहां भेजा है.”
13 Und David sprach zu Gad: Mir ist sehr angst! Möge ich doch in die Hand Jehovas fallen, denn seine Erbarmungen sind sehr groß; aber in die Hand der Menschen laß mich nicht fallen!
दावीद ने गाद से कहा, “मैं घोर संकट में हूं. कृपया मुझे याहवेह के हाथ में पड़ जाने दीजिए, क्योंकि बहुत बड़ी है उनकी दया. बस, मुझे किसी मनुष्य के हाथ में न पड़ने दीजिए.”
14 Und Jehova sandte eine Pest unter Israel; und es fielen von Israel 70000 Mann.
तब याहवेह ने इस्राएल पर महामारी भेजी. इस्राएल के सत्तर हज़ार लोगों की मृत्यु हो गई.
15 Und Jehova sandte den Engel nach Jerusalem, um es zu verderben. Und als er verderbte, sah es Jehova, und es reute ihn des Übels; und er sprach zu dem Engel, welcher verderbte: Genug! ziehe jetzt deine Hand ab. Der Engel Jehovas stand aber bei der Tenne Ornans, des Jebusiters.
येरूशलेम के विनाश के लिए परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत भेजा. मगर जब यह दूत येरूशलेम को नाश करने पर ही था, याहवेह ने इस पर दृष्टि की और महामारी देख वह दुःखी हो गए. उन्होंने उस विनाश करनेवाले स्वर्गदूत को आदेश दिया, “बहुत हुआ! आराम दो अपने हाथ को.” याहवेह का दूत यबूसी औरनन के खलिहान के पास खड़ा हुआ था.
16 Und als David seine Augen erhob, sah er den Engel Jehovas zwischen der Erde und dem Himmel stehen, sein Schwert gezückt in seiner Hand, ausgestreckt über Jerusalem. Da fielen David und die Ältesten, in Sacktuch gehüllt, auf ihr Angesicht.
दावीद ने आंखें उठाई तो देखा कि याहवेह का दूत पृथ्वी और आकाश के बीच खड़ा हुआ था. उसके हाथ में जो तलवार थी वह येरूशलेम की ओर बढ़ी हुई थी. यह देख दावीद और उनके साथ के प्राचीन, जिन्होंने टाट पहन रखी थी, मुंह के बल दंडवत हो गए.
17 Und David sprach zu Gott: Bin ich es nicht, der gesagt hat, das Volk zu zählen? Und ich bin es, der gesündigt und sehr übel gehandelt hat; aber diese Schafe, [Eig. diese, die Herde] was haben sie getan? Jehova, mein Gott, es sei doch deine Hand wider mich und wider das Haus meines Vaters, aber nicht wider dein Volk zur Plage!
दावीद ने परमेश्वर से विनती की, “क्या जनता की गिनती का आदेश मेरा ही न था? पाप मैंने किया है बड़ा बुरा काम हुआ है मुझसे. इन भेड़ों पर विचार कीजिए. क्या गलत किया है इन्होंने? याहवेह, मेरे परमेश्वर, दया करें-आपका हाथ मुझ पर और मेरे पिता के परिवार पर उठे, मगर आपकी प्रजा पर नहीं कि उन पर महामारी की मार हो.”
18 Und der Engel Jehovas sprach zu Gad, daß er zu David sage, David solle hinaufgehen, um Jehova einen Altar zu errichten auf der Tenne Ornans, des Jebusiters.
इस अवसर पर याहवेह के दूत ने गाद को आदेश दिया कि वह दावीद से कहें, कि दावीद जाकर याहवेह के लिए यबूसी औरनन के खलिहान पर एक वेदी बनाए.
19 Und David ging hinauf, nach dem Worte Gads, das er im Namen Jehovas geredet hatte.
तब याहवेह द्वारा गाद को दिए गए आदेश के अनुसार दावीद वहां गए.
20 Und Ornan wandte sich um und sah den Engel; und seine vier Söhne versteckten sich mit ihm. Ornan aber drosch Weizen.
औरनन जैसे ही मुड़ा, उसे स्वर्गदूत दिखाई दिया. यह देखते ही औरनन के साथ उसके जो चार पुत्र वहां थे, छिप गए. इस समय औरनन गेहूं की दांवनी (भूसी निकालना) कर रहा था.
21 Und David kam zu Ornan; und Ornan blickte hin und sah David, und er ging aus der Tenne hinaus und beugte sich vor David nieder, mit dem Antlitz zur Erde.
जब दावीद औरनन के निकट पहुंचे, औरनन की दृष्टि दावीद पर पड़ी, वह खलिहान छोड़कर दावीद के सामने जा गिरा और दंडवत हो उन्हें प्रणाम किया.
22 Und David sprach zu Ornan: Gib mir den Platz der Tenne, daß ich Jehova einen Altar darauf baue, -um volles Geld gib ihn mir, -daß die Plage von dem Volke abgewehrt werde.
दावीद ने औरनन से कहा, “मुझे यह खलिहान दे दो, कि मैं इस पर याहवेह के लिए एक वेदी बना सकूं. तुम यह मुझे इसके पूरे-पूरे मूल्य पर दे दो कि याहवेह द्वारा मेरी प्रजा पर भेजी यह महामारी शांत की जा सके.”
23 Da sprach Ornan zu David: Nimm ihn dir, und mein Herr, der König, tue, was gut ist in seinen Augen; siehe, ich gebe die Rinder zu den Brandopfern, und die Dreschwagen zum Holz, und den Weizen zum Speisopfer: alles das gebe ich.
औरनन ने दावीद से कहा, “आप इसे ले लीजिए! महाराज, मेरे स्वामी को जो कुछ सही लगे वही करें. देखिए, मैं तो आपको होमबलि के लिए बैल, लकड़ी के लिए दंवरी का औज़ार और अन्‍नबलि के लिए गेहूं दिए देता हूं. यह सब आप मुझसे ले लें.”
24 Aber der König David sprach zu Ornan: Nein, sondern kaufen will ich es um volles Geld; denn ich will nicht, was dir gehört, für Jehova nehmen und umsonst Brandopfer opfern.
किंतु राजा दावीद ने औरनन को उत्तर दिया, “नहीं, मैं यह सब पूरा दाम चुकता करके ही लूंगा. याहवेह को चढ़ाने के लिए जो कुछ तुम्हारा है, उसे मैं नहीं ले सकता. मैं वह होमबलि नहीं चढ़ाऊंगा, जिसका दाम मैंने चुकता नहीं किया है.”
25 Und David gab Ornan für den Platz sechshundert Sekel Gold an Gewicht.
इसलिये दावीद ने औरनन को खलिहान के लिए सात किलो सोना चुकाया.
26 Und David baute daselbst Jehova einen Altar und opferte Brandopfer und Friedensopfer; und er rief zu Jehova, und er antwortete ihm mit Feuer vom Himmel auf dem Altar des Brandopfers.
तब दावीद ने वहां याहवेह के लिए एक वेदी बनाई और उस पर होमबलि और मेल बलि भेंट की. दावीद ने याहवेह की दोहाई दी और याहवेह ने इसका उत्तर स्वर्ग से होमबलि वेदी पर आग भेजकर दिया.
27 Und Jehova sprach zu dem Engel, und er steckte sein Schwert wieder in seine Scheide.
याहवेह ने स्वर्गदूत को आदेश दिया और उसने तलवार को म्यान में रख लिया.
28 Zu jener Zeit, als David sah, daß Jehova ihm auf der Tenne Ornans, des Jebusiters, geantwortet hatte, opferte er daselbst.
उस अवसर पर, जब दावीद ने यह देखा कि याहवेह ने उन्हें यबूसी औरनन के खलिहान पर उत्तर दिया है, उन्होंने उसी स्थान पर बलि चढ़ा दी.
29 Die Wohnung Jehovas aber, die Mose in der Wüste gemacht hatte, und der Brandopferaltar waren zu jener Zeit auf der Höhe zu Gibeon.
क्योंकि बंजर भूमि में मोशेह द्वारा बनाए याहवेह के मिलनवाले तंबू और होमबलि वेदी इस समय गिबयोन के आराधना की जगह पर ही थी.
30 Aber David vermochte nicht vor denselben hinzugehen, um Gott zu suchen; denn er war erschrocken vor dem Schwerte des Engels Jehovas.
दावीद परमेश्वर से पूछताछ करने उस वेदी के सामने न जा सके थे क्योंकि वह याहवेह के दूत की तलवार से बहुत ही डरे हुए थे.

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