< Kolosser 4 >

1 Ihr Herren, gebt euern Sklaven, was recht und billig ist! Bedenkt: auch ihr habt einen Herrn im Himmel!
हे स्वामियों, अपने-अपने दासों के साथ न्याय और ठीक-ठीक व्यवहार करो, यह समझकर कि स्वर्ग में तुम्हारा भी एक स्वामी है।
2 Beharrt im Gebet! Seid dabei wachsam und seid dankbar!
प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उसमें जागृत रहो;
3 Betet auch für uns, daß Gott uns für die Predigt seines Wortes eine Tür auftue, damit wir das Geheimnis Christi, um dessentwillen ich auch in Ketten bin, verkündigen können.
और इसके साथ ही साथ हमारे लिये भी प्रार्थना करते रहो, कि परमेश्वर हमारे लिये वचन सुनाने का ऐसा द्वार खोल दे, कि हम मसीह के उस भेद का वर्णन कर सकें जिसके कारण मैं कैद में हूँ।
4 Ja betet, daß ich frei und offen davon reden kann, so wie es meine Pflicht ist!
और उसे ऐसा प्रगट करूँ, जैसा मुझे करना उचित है।
5 Geht weise um mit denen, die draußen sind, und benutzt dabei den rechten Augenblick!
अवसर को बहुमूल्य समझकर बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करो।
6 Eure Rede sei allezeit gewinnend und mit Salz gewürzt, so daß ihr einem jeden die rechte Antwort zu geben wißt!
तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सुहावना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।
7 Über meine Lage wird euch Tychikus, der geliebte Bruder und treue Diener und Mitknecht in dem Herrn, ausführlich berichten.
प्रिय भाई और विश्वासयोग्य सेवक, तुखिकुस जो प्रभु में मेरा सहकर्मी है, मेरी सब बातें तुम्हें बता देगा।
8 Ich sende ihn zu euch, damit er sehe, wie es euch geht, und er eure Herzen stärke.
उसे मैंने इसलिए तुम्हारे पास भेजा है, कि तुम्हें हमारी दशा मालूम हो जाए और वह तुम्हारे हृदयों को प्रोत्साहित करे।
9 Mit ihm kommt auch Onesimus, der treue und geliebte Bruder, euer Landsmann. Die beiden werden euch genau mitteilen, wie es hier steht.
और उसके साथ उनेसिमुस को भी भेजा है; जो विश्वासयोग्य और प्रिय भाई और तुम ही में से है, वे तुम्हें यहाँ की सारी बातें बता देंगे।
10 Es senden euch Grüße mein Mitgefangener Aristarchus und Markus, der Vetter des Barnabas. Über ihn habt ihr besondere Anweisungen empfangen; wenn er zu euch kommt, so nehmt ihn freundlich auf!
१०अरिस्तर्खुस जो मेरे साथ कैदी है, और मरकुस जो बरनबास का भाई लगता है। (जिसके विषय में तुम ने निर्देश पाया था कि यदि वह तुम्हारे पास आए, तो उससे अच्छी तरह व्यवहार करना।)
11 Auch Jesus mit dem Beinamen Justus läßt euch grüßen. Nur diese drei sind von den Judenchristen meine Mitarbeiter für Gottes Königreich, und sie sind mir ein rechter Trost.
११और यीशु जो यूस्तुस कहलाता है, तुम्हें नमस्कार कहते हैं। खतना किए हुए लोगों में से केवल ये ही परमेश्वर के राज्य के लिये मेरे सहकर्मी और मेरे लिए सांत्वना ठहरे हैं।
12 Es grüßt euch euer Landsmann Epaphras, ein Knecht Christi Jesu. Er ringt unablässig für euch im Gebet, daß ihr in allem, was Gott von euch verlangt, in voller Geistesreife und klarer Überzeugung feststeht.
१२इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम्हें नमस्कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्छा पर स्थिर रहो।
13 Ich muß ihm das Zeugnis geben: er ist in großer Sorge um euch und um die Brüder in Laodizea und Hierapolis.
१३मैं उसका गवाह हूँ, कि वह तुम्हारे लिये और लौदीकिया और हियरापुलिसवालों के लिये बड़ा यत्न करता रहता है।
14 Es grüßen euch Lukas, der Arzt, der teure Mann, und Demas.
१४प्रिय वैद्य लूका और देमास का तुम्हें नमस्कार।
15 Grüßt die Brüder in Laodizea, namentlich Nymphas und seine Hausgemeinde!
१५लौदीकिया के भाइयों को और नुमफास और उसकी घर की कलीसिया को नमस्कार कहना।
16 Ist dieser Brief bei euch vorgelesen, dann sorgt dafür, daß er auch in der Gemeinde zu Laodizea verlesen werde, und lest ihr den Brief, den man euch aus Laodizea senden wird!
१६और जब यह पत्र तुम्हारे यहाँ पढ़ लिया जाए, तो ऐसा करना कि लौदीकिया की कलीसिया में भी पढ़ा जाए, और वह पत्र जो लौदीकिया से आए उसे तुम भी पढ़ना।
17 Sagt dem Archippus: "Sieh zu, daß du das Amt, das du als Diener des Herrn empfangen hast, auch treu verwaltest!"
१७फिर अरखिप्पुस से कहना कि जो सेवा प्रभु में तुझे सौंपी गई है, उसे सावधानी के साथ पूरी करना।
18 Ich, Paulus, sende euch einen eigenhändigen Gruß. Denkt an meine Ketten! Die Gnade sei mit euch!
१८मुझ पौलुस का अपने हाथ से लिखा हुआ नमस्कार। मेरी जंजीरों को स्मरण रखना; तुम पर अनुग्रह होता रहे। आमीन।

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