< Psaumes 71 >

1 Des fils de Jonadab et des premiers captifs.
हे यहोवा, मैं तेरा शरणागत हूँ; मुझे लज्जित न होने दे।
2 Délivrez-moi dans votre justice, et arrachez-moi à la persécution. Inclinez vers moi votre oreille, et sauvez-moi.
तू तो धर्मी है, मुझे छुड़ा और मेरा उद्धार कर; मेरी ओर कान लगा, और मेरा उद्धार कर।
3 Soyez-moi un Dieu protecteur, et un lieu fortifié; afin que vous me sauviez; Parce que c’est vous qui êtes mon ferme appui et mon refuge.
मेरे लिये सनातन काल की चट्टान का धाम बन, जिसमें मैं नित्य जा सकूँ; तूने मेरे उद्धार की आज्ञा तो दी है, क्योंकि तू मेरी चट्टान और मेरा गढ़ ठहरा है।
4 Mon Dieu, arrachez-moi de la main d’un pécheur, d’un homme agissant contre la loi et inique;
हे मेरे परमेश्वर, दुष्ट के और कुटिल और क्रूर मनुष्य के हाथ से मेरी रक्षा कर।
5 Parce que c’est vous qui êtes ma patience, Seigneur; Seigneur, mon espérance depuis ma jeunesse.
क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूँ; बचपन से मेरा आधार तू है।
6 Sur vous j’ai été appuyé à ma naissance: dès le sein de ma mère vous avez été mon protecteur. Vous avez toujours été l’objet de mes chants.
मैं गर्भ से निकलते ही, तेरे द्वारा सम्भाला गया; मुझे माँ की कोख से तू ही ने निकाला; इसलिए मैं नित्य तेरी स्तुति करता रहूँगा।
7 Je suis devenu comme un prodige pour la plupart; mais vous êtes mon aide puissant.
मैं बहुतों के लिये चमत्कार बना हूँ; परन्तु तू मेरा दृढ़ शरणस्थान है।
8 Que ma bouche soit remplie de louange, afin que je chante votre gloire; tout le jour, votre grandeur.
मेरे मुँह से तेरे गुणानुवाद, और दिन भर तेरी शोभा का वर्णन बहुत हुआ करे।
9 Ne me rejetez pas au temps de ma vieillesse; lorsque ma force m’a manqué, ne m’abandonnez pas.
बुढ़ापे के समय मेरा त्याग न कर; जब मेरा बल घटे तब मुझ को छोड़ न दे।
10 Parce que mes ennemis ont parlé de moi, et ceux qui observaient mon âme ont tenu conseil ensemble,
१०क्योंकि मेरे शत्रु मेरे विषय बातें करते हैं, और जो मेरे प्राण की ताक में हैं, वे आपस में यह सम्मति करते हैं कि
11 Disant: Dieu l’a délaissé, poursuivez-le, saisissez-le: parce qu’il n’est personne qui le délivre.
११परमेश्वर ने उसको छोड़ दिया है; उसका पीछा करके उसे पकड़ लो, क्योंकि उसका कोई छुड़ानेवाला नहीं।
12 Dieu, ne vous éloignez pas de moi; mon Dieu, voyez à me secourir.
१२हे परमेश्वर, मुझसे दूर न रह; हे मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
13 Qu’ils soient confondus, et qu’ils périssent, ceux qui disent du mal de mon âme: qu’ils soient couverts de confusion et de honte, ceux qui me cherchent des maux.
१३जो मेरे प्राण के विरोधी हैं, वे लज्जित हो और उनका अन्त हो जाए; जो मेरी हानि के अभिलाषी हैं, वे नामधराई और अनादर में गड़ जाएँ।
14 Pour moi, toujours j’espérerai: j’ajouterai à toutes vos louanges.
१४मैं तो निरन्तर आशा लगाए रहूँगा, और तेरी स्तुति अधिकाधिक करता जाऊँगा।
15 Ma bouche annoncera votre justice, tout le jour, et votre salut. Parce que je n’ai pas connu une science vaine,
१५मैं अपने मुँह से तेरी धार्मिकता का, और तेरे किए हुए उद्धार का वर्णन दिन भर करता रहूँगा, क्योंकि उनका पूरा ब्योरा मेरी समझ से परे है।
16 J’entrerai dans les puissances du Seigneur: Seigneur, je me souviendrai de votre justice seule.
१६मैं प्रभु यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन करता हुआ आऊँगा, मैं केवल तेरी ही धार्मिकता की चर्चा किया करूँगा।
17 Ô Dieu, vous m’avez instruit dès ma jeunesse, et je publierai vos merveilles opérées jusqu’à ce jour,
१७हे परमेश्वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्यकर्मों का प्रचार करता आया हूँ।
18 Et dans ma vieillesse et ma décrépitude, ô Dieu; ne me délaissez pas, jusqu’à ce que j’annonce votre bras à toute la génération qui doit venir;
१८इसलिए हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ और मेरे बाल पक जाएँ, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आनेवाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होनेवालों को तेरा पराक्रम सुनाऊँ।
19 Et votre justice, ô Dieu, qui s’élèvent jusqu’aux cieux, et les grandes choses que vous avez faites: ô Dieu, qui est semblable à vous?
१९हे परमेश्वर, तेरी धार्मिकता अति महान है। तू जिसने महाकार्य किए हैं, हे परमेश्वर तेरे तुल्य कौन है?
20 Que vous m’avez montré de tribulations nombreuses et pénibles! mais revenant, vous m’avez rendu la vie, et vous m’avez ramené des abîmes de la terre.
२०तूने तो हमको बहुत से कठिन कष्ट दिखाए हैं परन्तु अब तू फिर से हमको जिलाएगा; और पृथ्वी के गहरे गड्ढे में से उबार लेगा।
21 Vous avez multiplié votre magnificence; et revenant, vous m’avez consolé.
२१तू मेरे सम्मान को बढ़ाएगा, और फिरकर मुझे शान्ति देगा।
22 Aussi moi je glorifierai en vous, sur des instruments de psaume, votre vérité: ô Dieu, je vous chanterai sur la harpe, vous qui êtes le saint d’Israël.
२२हे मेरे परमेश्वर, मैं भी तेरी सच्चाई का धन्यवाद सारंगी बजाकर गाऊँगा; हे इस्राएल के पवित्र मैं वीणा बजाकर तेरा भजन गाऊँगा।
23 Mes lèvres exulteront, lorsque je vous chanterai, ainsi que mon âme que vous avez rachetée;
२३जब मैं तेरा भजन गाऊँगा, तब अपने मुँह से और अपने प्राण से भी जो तूने बचा लिया है, जयजयकार करूँगा।
24 Et ma langue aussi s’exercera tout le jour à chanter votre justice, alors que seront confondus et couverts de honte ceux qui me cherchent des maux.
२४और मैं तेरे धार्मिकता की चर्चा दिन भर करता रहूँगा; क्योंकि जो मेरी हानि के अभिलाषी थे, वे लज्जित और अपमानित हुए।

< Psaumes 71 >