< Psaumes 40 >
1 Pour la fin, psaume par David lui-même. Attendant, j’ai attendu le Seigneur, et il a fait attention à moi.
मैंने सब्र से ख़ुदावन्द पर उम्मीद रख्खी उसने मेरी तरफ़ माइल होकर मेरी फ़रियाद सुनी।
2 Et il a exaucé mes prières: et il m’a retiré d’un lac de misère, et d’un bourbier de fange.
उसने मुझे हौलनाक गढ़े और दलदल की कीचड़ में से निकाला, और उसने मेरे पाँव चट्टान पर रख्खे और मेरी चाल चलन क़ाईम की
3 Et il a mis dans ma bouche un cantique nouveau, un hymne de louange en l’honneur de notre Dieu.
उसने हमारे ख़ुदा की सिताइश का नया हम्द मेरे मुँह में डाला। बहुत से देखेंगे और डरेंगे, और ख़ुदावन्द पर भरोसा करेंगे।
4 Bienheureux l’homme dont le nom du Seigneur est l’espérance, et qui n’a point porté ses regards sur des vanités et des folies mensongères.
मुबारक है वह आदमी, जो ख़ुदावन्द पर भरोसा करता है, और मग़रूर और झूठे दोस्तों की तरफ़ माइल नहीं होता।
5 Vous avez fait, vous, Seigneur mon Dieu, beaucoup de choses merveilleuses; et, dans vos pensées, il n’y a personne qui soit semblable à vous.
ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा! जो 'अजीब काम तूने किए, और तेरे ख़याल जो हमारी तरफ़ हैं, वह बहुत से हैं। मैं उनको तेरे सामने तरतीब नहीं दे सकता; अगर मैं उनका ज़िक्र और बयान करना चाहूँ तो वह शुमार से बाहर हैं।
6 Vous n’avez pas voulu de sacrifice et d’offrande; mais vous m’avez parfaitement disposé les oreilles.
क़ुर्बानी और नज़्र को तू पसंद नहीं करता, तूने मेरे कान खोल दिए हैं। सोख़्तनी क़ुर्बानी तूने तलब नहीं की।
7 Alors, j’ai dit: Me voici, je viens. En tête d’un livre, il a été écrit de moi,
तब मैंने कहा, “देख! मैं आया हूँ। किताब के तूमार में मेरे बारे लिखा है।
8 Que j’accomplisse votre volonté (mon Dieu, je l’ai voulu), et votre loi qui est au milieu de mon cœur.
ऐ मेरे ख़ुदा, मेरी ख़ुशी तेरी मर्ज़ी पूरी करने में है; बल्कि तेरी शरी'अत मेरे दिल में है।”
9 J’ai annoncé votre justice dans une grande assemblée; voilà que je ne contiendrai pas mes lèvres, Seigneur, vous le savez.
मैंने बड़े मजमे' में सदाक़त की बशारत दी है; देख! मैं अपना मुँह बंद नहीं करूँगा, ऐ ख़ुदावन्द! तू जानता है।
10 Je n’ai pas caché votre justice dans mon cœur; j’ai dit votre vérité et votre salut. Je n’ai pas caché votre miséricorde et votre vérité à un conseil nombreux.
मैंने तेरी सदाक़त अपने दिल में छिपा नहीं रखी; मैंने तेरी वफ़ादारी और नजात का इज़हार किया है; मैंने तेरी शफ़क़त और सच्चाई बड़े मजमा' से नहीं छिपाई।
11 Mais vous, Seigneur, n’éloignez pas de moi vos bontés: votre miséricorde et votre vérité m’ont toujours soutenu.
ऐ ख़ुदावन्द! तू मुझ पर रहम करने में दरेग़ न कर; तेरी शफ़क़त और सच्चाई बराबर मेरी हिफ़ाज़त करें!
12 Parce que des maux sans nombre m’ont environné; mes iniquités m’ont investi, et je n’ai pu en soutenir la vue.
क्यूँकि बेशुमार बुराइयों ने मुझे घेर लिया है; मेरी बदी ने मुझे आ पकड़ा है, ऐसा कि मैं आँख नहीं उठा सकता; वह मेरे सिर के बालों से भी ज़्यादा हैं: इसलिए मेरा जी छूट गया।
13 Qu’il vous plaise, Seigneur, de me délivrer: Seigneur, voyez à me secourir.
ऐ ख़ुदावन्द! मेहरबानी करके मुझे छुड़ा। ऐ ख़ुदावन्द! मेरी मदद के लिए जल्दी कर।
14 Qu’ils sont confondus et qu’ils soient couverts de honte tous ensemble, ceux qui cherchent mon âme, pour me la ravir.
जो मेरी जान को हलाक करने के दर पै हैं, वह सब शर्मिन्दा और ख़जिल हों; जो मेरे नुक्सान से ख़ुश हैं, वह पस्पा और रुस्वा हो।
15 Qu’ils portent promptement leur confusion, ceux qui me disent par insulte: Triomphe! triomphe!
जो मुझ पर अहा हा हा करते हैं, वह अपनी रुस्वाई की वजह से तबाह हो जाएँ।
16 Qu’ils exultent et tressaillent à votre sujet, tous ceux qui vous cherchent; et qu’ils disent sans cesse: Que le Seigneur soit glorifié! ceux qui aiment votre salut.
तेरे सब तालिब तुझ में ख़ुश — ओ — खुर्रम हों; तेरी नजात के आशिक हमेशा कहा करें “ख़ुदावन्द की तम्जीद हो!”
17 Pour moi, je suis mendiant et pauvre: mais le Seigneur prend soin de moi. C’est vous qui êtes mon aide et mon protecteur: mon Dieu ne tardez pas.
लेकिन मैं ग़रीब और मोहताज हूँ, ख़ुदावन्द मेरी फ़िक्र करता है। मेरा मददगार और छुड़ाने वाला तू ही है; ऐ मेरे ख़ुदा! देर न कर।