< Psaumes 128 >
१यात्रा का गीत क्या ही धन्य है हर एक जो यहोवा का भय मानता है, और उसके मार्गों पर चलता है!
2 Parce que tu mangeras le fruit de tes travaux, tu es bien heureux, et bien te sera encore.
२तू अपनी कमाई को निश्चय खाने पाएगा; तू धन्य होगा, और तेरा भला ही होगा।
3 Ta femme sera comme une vigne féconde dans l’intérieur de ta maison: Tes enfants, comme de jeunes plants d’oliviers, autour de ta table.
३तेरे घर के भीतर तेरी स्त्री फलवन्त दाखलता सी होगी; तेरी मेज के चारों ओर तेरे बच्चे जैतून के पौधे के समान होंगे।
4 Ainsi sera béni l’homme qui craint le Seigneur.
४सुन, जो पुरुष यहोवा का भय मानता हो, वह ऐसी ही आशीष पाएगा।
5 Que le Seigneur te bénisse de Sion, et que tu voies les biens de Jérusalem, tous les jours de ta vie.
५यहोवा तुझे सिय्योन से आशीष देवे, और तू जीवन भर यरूशलेम का कुशल देखता रहे!
6 Et que tu voies les fils de tes fils, la paix sur Israël.
६वरन् तू अपने नाती-पोतों को भी देखने पाए! इस्राएल को शान्ति मिले!