< Psaumes 104 >
1 De David lui-même. Bénis, mon âme, le Seigneur: Seigneur mon Dieu, votre magnificence a paru avec un grand éclat. Vous avez revêtu la louange et l’honneur;
मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो. याहवेह, मेरे परमेश्वर, अत्यंत महान हैं आप; वैभव और तेज से विभूषित हैं आप.
2 Couvert de lumière comme d’un vêtement; Étendant le ciel comme une tente;
आपने ज्योति को वस्त्र समान धारण किया हुआ है; आपने वस्त्र समान आकाश को विस्तीर्ण किया है.
3 Vous qui couvrez d’eaux sa partie la plus élevée, Qui montez sur un nuage, qui marchez sur les ailes des vents;
आपने आकाश के जल के ऊपर ऊपरी कक्ष की धरनें स्थापित की हैं, मेघ आपके रथ हैं तथा आप पवन के पंखों पर यात्रा करते हैं.
4 Qui faites de vos anges des vents, et de vos ministres un feu brûlant;
हवा को आपने अपना संदेशवाहक बनाया है, अग्निशिखाएं आपकी परिचारिकाएं हैं.
5 Qui avez fondé la terre sur sa base: elle ne sera pas ébranlée dans les siècles des siècles.
आपने ही पृथ्वी को इसकी नींव पर स्थापित किया है; इसे कभी भी सरकाया नहीं जा सकता.
6 L’abîme, comme un vêtement, l’enveloppe; des eaux s’élèveront au-dessus des montagnes.
आपने गहन जल के आवरण से इसे परिधान समान सुशोभित किया; जल स्तर पर्वतों से ऊंचा उठ गया था.
7 À votre réprimande elles s’enfuiront; à la voix de votre tonnerre, elles seront saisies d’une forte crainte.
किंतु जब आपने फटकार लगाई, तब जल हट गया, आपके गर्जन समान आदेश से जल-राशियां भाग खड़ी हुई;
8 Des montagnes s’élèvent, et des champs s’abaissent dans le lieu que vous leur avez fixé.
जब पर्वतों की ऊंचाई बढ़ी, तो घाटियां गहरी होती गईं, ठीक आपके नियोजन के अनुरूप निर्धारित स्थान पर.
9 C’est vous qui avez posé aux eaux un terme qu’elles ne dépasseront pas, et elles ne reviendront pas couvrir la terre.
आपके द्वारा उनके लिए निर्धारित सीमा ऐसी थी; जिसका अतिक्रमण उनके लिए संभव न था; और वे पृथ्वी को पुनः जलमग्न न कर सकें.
10 Vous lâchez des fontaines dans les vallons: au milieu des montagnes traverseront les eaux.
आप ही के सामर्थ्य से घाटियों में झरने फूट पड़ते हैं; और पर्वतों के मध्य से जलधाराएं बहने लगती हैं.
11 Toutes les bêtes de la campagne s’abreuveront; les onagres soupireront après elles dans leur soif.
इन्हीं से मैदान के हर एक पशु को पेय जल प्राप्त होता है; तथा वन्य गधे भी प्यास बुझा लेते हैं.
12 Au-dessus les oiseaux du ciel habiteront: du milieu des rochers ils feront entendre leurs voix.
इनके तट पर आकाश के पक्षियों का बसेरा होता है; शाखाओं के मध्य से उनकी आवाज निकलती है.
13 Vous arrosez les montagnes avec les eaux supérieures du ciel: du fruit de vos ouvrages la terre sera rassasiée;
वही अपने आवास के ऊपरी कक्ष से पर्वतों की सिंचाई करते हैं; आप ही के द्वारा उपजाए फलों से पृथ्वी तृप्त है.
14 Vous produisez du foin pour les bêtes, et de l’herbe à l’usage des hommes, Afin que vous fassiez sortir du pain de la terre,
वह पशुओं के लिए घास उत्पन्न करते हैं, तथा मनुष्य के श्रम के लिए वनस्पति, कि वह पृथ्वी से आहार प्राप्त कर सके:
15 Et que le vin réjouisse le cœur de l’homme: Afin qu’il égaie son visage avec l’huile, et que le pain fortifie le cœur de l’homme.
मनुष्य के हृदय मगन करने के निमित्त द्राक्षारस, मुखमंडल को चमकीला करने के निमित्त तेल, तथा मनुष्य के जीवन को संभालने के निमित्त आहार उत्पन्न होता है.
16 Ils seront abondamment nourris, les arbres de la campagne et les cèdres du Liban qu’il a plantés;
याहवेह द्वारा लगाए वृक्षों के लिए अर्थात् लबानोन में लगाए देवदार के वृक्षों के लिए जल बड़ी मात्रा में होता है.
17 Là des passereaux nicheront.
पक्षियों ने इन वृक्षों में अपने घोंसले बनाए हैं; सारस ने अपना घोंसला चीड़ के वृक्ष में बनाया है.
18 De hautes montagnes servent de retraite aux cerfs; un rocher, de refuge aux hérissons.
ऊंचे पर्वतों में वन्य बकरियों का निवास है; चट्टानों में चट्टानी बिज्जुओं ने आश्रय लिया है.
19 Il a fait la lune pour marquer les temps; le soleil a connu son coucher.
आपने नियत समय के लिए चंद्रमा बनाया है, सूर्य को अपने अस्त होने का स्थान ज्ञात है.
20 Vous avez établi des ténèbres, et la nuit a été faite: c’est durant la nuit que feront leurs courses toutes les bêtes de la forêt.
आपने अंधकार का प्रबंध किया, कि रात्रि हो, जिस समय वन्य पशु चलने फिरने को निकल पड़ते हैं.
21 Les petits des lions rugiront, cherchant une proie, et demandant à Dieu leur pâture.
अपने शिकार के लिए पुष्ट सिंह गरजनेवाले हैं, वे परमेश्वर से अपने भोजन खोजते हैं.
22 Le soleil s’est levé, et ils se sont rassemblés; et ils se retireront dans leurs tanières.
सूर्योदय के साथ ही वे चुपचाप छिप जाते हैं; और अपनी-अपनी मांदों में जाकर सो जाते हैं.
23 Alors l’homme sortira pour son ouvrage, et pour son travail jusqu’au soir.
इस समय मनुष्य अपने-अपने कार्यों के लिए निकल पड़ते हैं, वे संध्या तक अपने कार्यों में परिश्रम करते रहते हैं.
24 Combien magnifiques sont vos œuvres, Seigneur! Vous avez fait toutes choses avec sagesse: la terre est remplie de vos biens.
याहवेह! असंख्य हैं आपके द्वारा निष्पन्न कार्य, आपने अपने अद्भुत ज्ञान में इन सब की रचना की है; समस्त पृथ्वी आपके द्वारा रचे प्राणियों से परिपूर्ण हो गई है.
25 Cette mer est grande et spacieuse des deux côtés; là sont des reptiles sans nombre; Des animaux petits avec des grands;
एक ओर समुद्र है, विस्तृत और गहरा, उसमें भी असंख्य प्राणी चलते फिरते हैं— समस्त जीवित प्राणी हैं, सूक्ष्म भी और विशालकाय भी.
26 Là des navires traverseront.
इसमें जलयानों का आगमन होता रहता है, साथ ही इसमें विशालकाय जंतु हैं, लिवयाथान, जिसे आपने समुद्र में खेलने के लिए बनाया है.
27 Tous attendent de vous que vous leur donniez la nourriture au temps voulu.
इन सभी की दृष्टि आपकी ओर इसी आशा में लगी रहती है, कि इन्हें आपकी ओर से उपयुक्त अवसर पर आहार प्राप्त होगा.
28 Vous leur donnant, ils recueilleront: vous ouvrant votre main, tous seront remplis de vos biens.
जब आप उन्हें आहार प्रदान करते हैं, वे इसे एकत्र करते हैं; जब आप अपनी मुट्ठी खोलते हैं, उन्हें उत्तम वस्तुएं प्राप्त हो जाती हैं.
29 Mais, vous détournant votre face, ils seront troublés: vous leur ôterez le souffle, et ils périront et retourneront dans leur poussière.
जब आप उनसे अपना मुख छिपा लेते हैं, वे घबरा जाते हैं; जब आप उनकी श्वास छीन लेते हैं, उनके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं और वे उसी धूलि में लौट जाते हैं.
30 Vous enverrez votre esprit, et ils seront créés; et vous renouvellerez la face de la terre.
जब आप अपना पवित्रात्मा प्रेषित करते हैं, उनका उद्भव होता है, उस समय आप पृथ्वी के स्वरूप को नया बना देते हैं.
31 Soit la gloire du Seigneur à jamais célébrée: le Seigneur se réjouira dans ses œuvres,
याहवेह का तेज सदा-सर्वदा स्थिर रहे; याहवेह की कृतियां उन्हें प्रफुल्लित करती रहें.
32 Lui qui regarde la terre et la fait trembler; qui touche les montagnes, et elles fument.
जब वह पृथ्वी की ओर दृष्टिपात करते हैं, वह थरथरा उठती है, वह पर्वतों का स्पर्श मात्र करते हैं और उनसे धुआं उठने लगता है.
33 Je chanterai le Seigneur pendant ma vie: je jouerai du psaltérion en l’honneur de mon Dieu, tant que j’existerai.
मैं आजीवन याहवेह का गुणगान करता रहूंगा; जब तक मेरा अस्तित्व है, मैं अपने परमेश्वर का स्तवन गान करूंगा.
34 Qu’agréable lui soit ma parole: pour moi, je mettrai mes délices dans le Seigneur.
मेरा मनन-चिन्तन उनको प्रसन्न करनेवाला हो, क्योंकि याहवेह मेरे परम आनंद का उगम हैं.
35 Que les pécheurs disparaissent de la terre, ainsi que les hommes iniques, en sorte qu’ils ne soient plus: bénis, mon âme, le Seigneur.
पृथ्वी से पापी समाप्त हो जाएं, दुष्ट फिर देखे न जाएं. मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो. याहवेह का स्तवन हो.