< 1 Samuel 10 >
1 Alors Samuel prit la fiole d'huile, et la répandit sur sa tête, et il l'embrassa et dit: Voici, par l'onction l'Éternel te sacre Prince de son héritage.
फिर समुएल ने तेल की कुप्पी ली और उसके सर पर उँडेली और उसे चूमा और कहा, कि क्या यही बात नहीं कि ख़ुदावन्द ने तुझे मसह किया, ताकि तू उसकी मीरास का रहनुमा हो?
2 Aujourd'hui après m'avoir quitté tu trouveras deux hommes près du tombeau de Rachel sur la frontière de Benjamin à Tseltsah, et ils te diront: Les ânesses que tu es allé chercher, sont retrouvées; et voici, ton père ne songe plus à l'affaire des ânesses, mais il est inquiet de vous et dit: Que dois-je faire à l'égard de mon fils?
जब तू आज मेरे पास से चला जाएगा, तो ज़िल्ज़ह में जो बिनयमीन की सरहद में है, राख़िल की क़ब्र के पास दो शख़्स तुझे मिलेंगे, और वह तुझ से कहेंगे, कि वह गधे जिनको तू ढूंडने गया था मिल गए; और देख अब तेरा बाप गधों की तरफ़ से बेफ़िक्र होकर तुम्हारे लिए फ़िक्र मंद है, और कहता है, कि मैं अपने बेटे के लिए क्या करूँ?
3 Et de là passant plus loin tu atteindras le chêne de Thabor, où tu seras rencontré par trois hommes se rendant auprès de Dieu à Béthel et portant, l'un trois chevreaux, l'autre trois galettes de pain, l'autre une jarre de vin.
फिर वहाँ से आगे बढ़ कर जब तू तबूर के बलूत के पास पहुँचेगा, तो वहाँ तीन शख़्स जो बैतएल को ख़ुदा के पास जाते होंगे तुझे मिलेंगे, एक तो बकरी के तीन बच्चे, दूसरा रोटी के तीन टुकड़े, और तीसरा मय का एक मश्कीज़ा लिए जाता होगा।
4 Et ils te salueront et te donneront deux pains que tu recevras de leur main.
और वह तुझे सलाम करेंगे, और रोटी के दो टुकड़े तुझे देंगे, तू उनको उनके हाथ से ले लेना।
5 Ensuite tu arriveras à Gibea-Elohim où sont les postes des Philistins, et là, près d'arriver à la ville tu rencontreras un chœur de prophètes descendant du tertre, précédés de harpes, de tambourins, de flûtes et de luths, et prophétisant.
और बाद उसके तू ख़ुदा के पहाड़ को पहुँचेगा, जहाँ फ़िलिस्तियों की चौकी है, और जब तू वहाँ शहर में दाख़िल होगा तो नबियों की एक जमा'अत जो ऊँचे मक़ाम से उतरती होगी, तुझे मिलेगी, और उनके आगे सितार और दफ़ और बाँसुली और बरबत होंगे और वह नबुव्वत करते होंगे।
6 Et l'Esprit de l'Éternel s'emparera de toi et tu prophétiseras avec eux, et seras transformé en un autre homme.
तब ख़ुदावन्द की रूह तुझ पर ज़ोर से नाज़िल होगी, और तू उनके साथ नबुव्वत करने लगेगा, और बदल कर और ही आदमी हो जाएगा।
7 Et lorsque ces signes auront eu lieu pour toi, entreprends tout ce que tu trouveras à faire, car Dieu est avec toi.
इसलिए जब यह निशान तेरे आगे आएँ, तो फिर जैसा मौक़ा हो वैसा ही काम करना क्यूँकि ख़ुदा तेरे साथ है।
8 Et devance-moi à Guilgal, et voici, je te rejoindrai pour offrir des holocaustes et des sacrifices pacifiques: tu attendras sept jours jusqu'à ce que je t'aie rejoint; alors, je t'instruirai de ce que tu dois faire.
और तु मुझ से पहले जिल्जाल को जाना; और देख में तेरे पास आऊँगा ताकि सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ करूँ और सलामती के ज़बीहों को ज़बह करूँ। तू सात दिन तक वहीं रहना जब तक मैं तेरे पास आकर तुझे बता न दूँ कि तुझको क्या करना होगा।
9 Et lorsqu'il eut tourné le dos pour se séparer de Samuel, alors Dieu lui changea le cœur, et le jour même tous ces signes s'accomplirent.
और ऐसा हुआ कि जैसे ही उसने समुएल से रुख़्सत होकर पीठ फेरी, ख़ुदा ने उसे दूसरी तरह का दिल दिया और वह सब निशान उसी दिन वजूद में आए।
10 Et ils arrivaient là, à Gibea, et voilà qu'un chœur de prophètes venait à sa rencontre, et l'Esprit de Dieu s'empara de lui, et il prophétisa au milieu d'eux.
और जब वह उधर उस पहाड़ के पास आए तो नबियों की एक जमा'अत उसको मिली, और ख़ुदा की रूह उस पर ज़ोर से नाज़िल हुई, और वह भी उनके बीच नबुव्वत करने लगा।
11 Et lorsque tous ceux qui le connaissaient d'ancienne date, le virent prophétiser avec les prophètes, dans tout le peuple on se disait mutuellement: Qu'est-il donc survenu au fils de Kis? Saül est-il aussi au nombre des prophètes?
और ऐसा हुआ कि जब उसके अगले जान पहचानों ने यह देखा कि वह नबियों के बीच नबुव्वत कर रहा है तो वह एक दूसरे से कहने लगे, “क़ीस के बेटे को क्या हो गया? क्या साऊल भी नबियों में शामिल है?”
12 Et un homme de là prit la parole et dit: Et qui est leur père? De là le proverbe: Saül est-il aussi au nombre des prophètes?
और वहाँ के एक आदमी ने जवाब दिया, कि भला उनका बाप कौन है? “तब ही से यह मिसाल चली, क्या साऊल भी नबियों में है?”
13 Et ayant fini de prophétiser, il vint au tertre.
और जब वह नबुव्वत कर चुका तो ऊँचे मक़ाम में आया।
14 Alors l'oncle de Saül dit à lui et à son valet: Où êtes-vous allés? Et il répondit: Chercher les ânesses, et ne les découvrant nulle part, nous nous sommes rendus auprès de Samuel.
वहाँ साऊल के चचा ने उससे और उसके नौकर से कहा, “तुम कहाँ गए थे?” उसने कहा, “गधे ढूंडने और जब हमने देखा कि वह नही मिलते, तो हम समुएल के पास आए।”
15 Et l'oncle de Saül dit: Raconte-moi donc ce que Samuel vous a dit!
फिर साऊल के चचा ने कहा, “कि मुझको ज़रा बता तो सही कि समुएल ने तुम से क्या क्या कहा।”
16 Et Saül répondit à son oncle: Il nous a annoncé que les ânesses sont retrouvées. Mais quant à l'affaire de la royauté il ne lui communiqua point ce qu'avait dit Samuel.
साऊल ने अपने चचा से कहा, उसने हमको साफ़ — साफ़ बता दिया, कि गधे मिल गए, लेकिन हुकूमत का मज़मून जिसका ज़िक्र समुएल ने किया था न बताया।
17 Et Samuel convoqua le peuple devant l'Éternel à Mitspa.
और समुएल ने लोगों को मिसफ़ाह में ख़ुदावन्द के सामने बुलवाया।
18 Et il dit aux enfants d'Israël: Ainsi parle l'Éternel, Dieu d'Israël: J'ai retiré Israël de l'Egypte, et je vous ai arrachés des mains des Egyptiens, et de l'empire de tous les royaumes de vos oppresseurs,
और उसने बनी इस्राईल से कहा “कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि मैं इस्राईल को मिस्र से निकाल लाया और मैंने तुमको मिस्रयों के हाथ से और सब सल्तनतों के हाथ से जो तुम पर ज़ुल्म करती थीं रिहाई दी।
19 mais aujourd'hui vous rejetez votre Dieu qui vous a délivrés de toutes vos tribulations et de vos détresses, et vous lui dites: Etablis un roi sur nous. Eh bien donc! présentez-vous devant l'Éternel rangés selon vos Tribus et vos milliers.
लेकिन तुमने आज अपने ख़ुदा को जो तुम को तुम्हारी सब मुसीबतों और तकलीफ़ों से रिहाई बख़्शी है, हक़ीर जाना और उससे कहा, हमारे लिए एक बादशाह मुक़र्रर कर, इसलिए अब तुम क़बीला — क़बीला होकर और हज़ार हज़ार करके सब के सब ख़ुदावन्द के सामने हाज़िर हो।”
20 Puis Samuel fit approcher toutes les Tribus d'Israël, et le sort désigna la Tribu de Benjamin.
जब समुएल इस्राईल के सब क़बीलों को नज़दीक लाया, और पर्ची बिनयमीन के क़बीले के नाम पर निकली।
21 Et il fit approcher la Tribu de Benjamin par familles, et le sort désigna la famille de Matri, puis Saül, fils de Kis. Et on le chercha, mais il ne se trouvait pas.
तब वह बिनयमीन के क़बीला को ख़ानदान — ख़ानदान करके नज़दीक लाया, तो मतरियों के ख़ानदान का नाम निकला और फिर क़ीस के बेटे साऊल का नाम निकला लेकिन जब उन्होंने उसे ढूँढा, तो वह न मिला।
22 Alors ils consultèrent encore l'Éternel: Est-il encore venu un homme ici? Et l'Éternel dit: Voici il est caché vers les bagages.
तब उन्होंने ख़ुदावन्द से फिर पूछा, क्या यहाँ किसी और आदमी को भी आना है, ख़ुदावन्द ने जवाब दिया, देखो वह असबाब के बीच छिप गया है।
23 Alors ils coururent l'y chercher. Il parut au milieu du peuple, et il dépassait tout le peuple des épaules en haut.
तब वह दौड़े और उसको वहाँ से लाए, और जब वह लोगों के बीच खड़ा हुआ, तो ऐसा लम्बा था कि लोग उसके कंधे तक आते थे।
24 Et Samuel dit à tout le peuple: Voyez-vous celui qu'a élu l'Éternel? Car il n'a pas son pareil dans tout le peuple. Alors tout le peuple acclama et dit: Vive le Roi!
और समुएल ने उन लोगों से कहा तुम उसे देखते हो जिसे ख़ुदावन्द ने चुन लिया, कि उसकी तरह सब लोगो में एक भी नहीं, तब सब लोग ललकार कर बोल उठे, “कि बादशाह जीता रहे।”
25 Et Samuel développa au peuple le statut de la royauté et l'inscrivit dans un volume qu'il déposa devant l'Éternel.
फिर समुएल ने लोगों को हुकूमत का तरीक़ा बताया और उसे किताब में लिख कर ख़ुदावन्द के सामने रख दिया, उसके बाद समुएल ने सब लोगों को रुख़्सत कर दिया, कि अपने अपने घर जाएँ।
26 Et Samuel fit retirer tout le peuple, chacun chez soi. Saül aussi se rendit chez lui à Gibea, accompagné du cortège de ceux dont Dieu avait touché le cœur.
और साऊल भी जिबा' को अपने घर गया, और लोगों का एक जत्था, भी जिनके दिल को ख़ुदा ने उभारा था उसके साथ, हो लिया।
27 Mais des gens de bas aloi dirent: En quoi celui-là nous aidera-t-il? Et ils lui montrèrent du mépris, et ne lui apportèrent point de présents; mais il fut comme sourd.
लेकिन शरीरों में से कुछ कहने लगे, “कि यह शख़्स हमको किस तरह बचाएगा?” इसलिए उन्होंने उसकी तहक़ीर की और उसके लिए नज़राने न लाए तब वह अनसुनी कर गया।