< Psaumes 64 >
1 O Dieu, écoute ma voix quand je parle; garantis ma vie contre l'ennemi qui m'épouvante!
ऐ ख़ुदा मेरी फ़रियाद की आवाज़ सुन ले मेरी जान को दुश्मन के ख़ौफ़ से बचाए रख।
2 Mets-moi à couvert du complot des méchants, du tumulte des ouvriers d'iniquité;
शरीरों के ख़ुफ़िया मश्वरे से, और बदकिरदारों के हँगामे से मुझे छिपा ले
3 Qui aiguisent leur langue comme une épée, qui ajustent comme une flèche leur parole amère,
जिन्होंने अपनी ज़बान तलवार की तरह तेज़ की, और तल्ख़ बातों के तीरों का निशाना लिया है;
4 Pour tirer en secret sur l'innocent; ils tirent soudain contre lui, et n'ont point de crainte.
ताकि उनको ख़ुफ़िया मक़ामों में कामिल आदमी पर चलाएँ; वह उनको अचानक उस पर चलाते हैं और डरते नहीं।
5 Ils s'affermissent dans un mauvais dessein; ils ne parlent que de cacher des pièges; ils disent: Qui le verra?
वह बुरे काम का मज़बूत इरादा करते हैं; वह फंदे लगाने की सलाह करते हैं, वह कहते हैं, “हम को कौन देखेगा?”
6 Ils inventent des fraudes: Nous voilà prêts; le plan est formé! Et leur pensée secrète, le cœur de chacun est un abîme.
वह शरारतों को खोज खोज कर निकालते हैं; वह कहते हैं, “हमने खू़ब खोज लगाया।” उनमें से हर एक का बातिन और दिल 'अमीक है।
7 Mais Dieu leur lance une flèche; soudain les voilà frappés.
लेकिन ख़ुदा उन पर तीर चलाएगा; वह अचानक तीर से ज़ख़्मी हो जाएँगे।
8 Ceux que leur langue attaquait, les ont renversés; tous ceux qui les voient hochent la tête.
और उन ही की ज़बान उनको तबाह करेगी; जितने उनको देखेंगे सब सिर हिलाएँगे।
9 Les hommes sont tous saisis de crainte; ils racontent l'œuvre de Dieu, et considèrent ce qu'il a fait.
और सब लोग डर जाएँगे, और ख़ुदा के काम का बयान करेंगे; और उसके तरीक़ — ए — 'अमल को बख़ूबी समझ लेंगे।
10 Le juste se réjouira en l'Éternel, et se retirera vers lui; tous ceux qui ont le cœur droit s'en glorifieront.
सादिक़ ख़ुदावन्द में ख़ुश होगा, और उस पर भरोसा करेगा, और जितने रास्तदिल हैं सब फ़ख़्र करेंगे।