< Psaumes 61 >
1 Au chef des chantres. Sur instruments à cordes. De David. O Dieu! Écoute mes cris, Sois attentif à ma prière!
ऐ ख़ुदा, मेरी फ़रियाद सुन! मेरी दुआ पर तवज्जुह कर।
2 Du bout de la terre je crie à toi, le cœur abattu; Conduis-moi sur le rocher que je ne puis atteindre!
मैं अपनी अफ़सुर्दा दिली में ज़मीन की इन्तिहा से तुझे पुकारूँगा; तू मुझे उस चट्टान पर ले चल जो मुझसे ऊँची है;
3 Car tu es pour moi un refuge, Une tour forte, en face de l’ennemi.
क्यूँकि तू मेरी पनाह रहा है, और दुश्मन से बचने के लिए ऊँचा बुर्ज।
4 Je voudrais séjourner éternellement dans ta tente, Me réfugier à l’abri de tes ailes. (Pause)
मैं हमेशा तेरे खे़मे में रहूँगा। मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा।
5 Car toi, ô Dieu! Tu exauces mes vœux, Tu me donnes l’héritage de ceux qui craignent ton nom.
क्यूँकि ऐ ख़ुदा तूने मेरी मिन्नतें क़ुबूल की हैं तूने मुझे उन लोगों की सी मीरास बख़्शी है जो तेरे नाम से डरते हैं।
6 Ajoute des jours aux jours du roi; Que ses années se prolongent à jamais!
तू बादशाह की उम्र दराज़ करेगा; उसकी उम्र बहुत सी नसलों के बराबर होगी।
7 Qu’il reste sur le trône éternellement devant Dieu! Fais que ta bonté et ta fidélité veillent sur lui!
वह ख़ुदा के सामने हमेशा क़ाईम रहेगा; तू शफ़क़त और सच्चाई को उसकी हिफ़ाज़त के लिए मुहय्या कर।
8 Alors je chanterai sans cesse ton nom, En accomplissant chaque jour mes vœux.
यूँ मैं हमेशा तेरी मदहसराई करूँगा, ताकि रोज़ाना अपनी मिन्नतें पूरी करूँ।