< Psaumes 49 >

1 Au chef des chantres. Des fils de Koré. Psaume. Écoutez ceci, vous tous, peuples, Prêtez l’oreille, vous tous, habitants du monde,
प्रधान बजानेवाले के लिये कोरहवंशियों का भजन हे देश-देश के सब लोगों यह सुनो! हे संसार के सब निवासियों, कान लगाओ!
2 Petits et grands, Riches et pauvres!
क्या ऊँच, क्या नीच क्या धनी, क्या दरिद्र, कान लगाओ!
3 Ma bouche va faire entendre des paroles sages, Et mon cœur a des pensées pleines de sens.
मेरे मुँह से बुद्धि की बातें निकलेंगी; और मेरे हृदय की बातें समझ की होंगी।
4 Je prête l’oreille aux sentences qui me sont inspirées, J’ouvre mon chant au son de la harpe.
मैं नीतिवचन की ओर अपना कान लगाऊँगा, मैं वीणा बजाते हुए अपनी गुप्त बात प्रकाशित करूँगा।
5 Pourquoi craindrais-je aux jours du malheur, Lorsque l’iniquité de mes adversaires m’enveloppe?
विपत्ति के दिनों में मैं क्यों डरूँ जब अधर्म मुझे आ घेरे?
6 Ils ont confiance en leurs biens, Et se glorifient de leur grande richesse.
जो अपनी सम्पत्ति पर भरोसा रखते, और अपने धन की बहुतायत पर फूलते हैं,
7 Ils ne peuvent se racheter l’un l’autre, Ni donner à Dieu le prix du rachat.
उनमें से कोई अपने भाई को किसी भाँति छुड़ा नहीं सकता है; और न परमेश्वर को उसके बदले प्रायश्चित में कुछ दे सकता है
8 Le rachat de leur âme est cher, Et n’aura jamais lieu;
क्योंकि उनके प्राण की छुड़ौती भारी है वह अन्त तक कभी न चुका सकेंगे
9 Ils ne vivront pas toujours, Ils n’éviteront pas la vue de la fosse.
कोई ऐसा नहीं जो सदैव जीवित रहे, और कब्र को न देखे।
10 Car ils la verront: les sages meurent, L’insensé et le stupide périssent également, Et ils laissent à d’autres leurs biens.
१०क्योंकि देखने में आता है कि बुद्धिमान भी मरते हैं, और मूर्ख और पशु सरीखे मनुष्य भी दोनों नाश होते हैं, और अपनी सम्पत्ति दूसरों के लिये छोड़ जाते हैं।
11 Ils s’imaginent que leurs maisons seront éternelles, Que leurs demeures subsisteront d’âge en âge, Eux dont les noms sont honorés sur la terre.
११वे मन ही मन यह सोचते हैं, कि उनका घर सदा स्थिर रहेगा, और उनके निवास पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे; इसलिए वे अपनी-अपनी भूमि का नाम अपने-अपने नाम पर रखते हैं।
12 Mais l’homme qui est en honneur n’a point de durée, Il est semblable aux bêtes que l’on égorge.
१२परन्तु मनुष्य प्रतिष्ठा पाकर भी स्थिर नहीं रहता, वह पशुओं के समान होता है, जो मर मिटते हैं।
13 Telle est leur voie, leur folie, Et ceux qui les suivent se plaisent à leurs discours. (Pause)
१३उनकी यह चाल उनकी मूर्खता है, तो भी उनके बाद लोग उनकी बातों से प्रसन्न होते हैं। (सेला)
14 Comme un troupeau, ils sont mis dans le séjour des morts, La mort en fait sa pâture; Et bientôt les hommes droits les foulent aux pieds, Leur beauté s’évanouit, le séjour des morts est leur demeure. (Sheol h7585)
१४वे अधोलोक की मानो भेड़ों का झुण्ड ठहराए गए हैं; मृत्यु उनका गड़रिया ठहरेगा; और भोर को सीधे लोग उन पर प्रभुता करेंगे; और उनका सुन्दर रूप अधोलोक का कौर हो जाएगा और उनका कोई आधार न रहेगा। (Sheol h7585)
15 Mais Dieu sauvera mon âme du séjour des morts, Car il me prendra sous sa protection. (Pause) (Sheol h7585)
१५परन्तु परमेश्वर मेरे प्राण को अधोलोक के वश से छुड़ा लेगा, वह मुझे ग्रहण करके अपनाएगा। (Sheol h7585)
16 Ne sois pas dans la crainte parce qu’un homme s’enrichit, Parce que les trésors de sa maison se multiplient;
१६जब कोई धनी हो जाए और उसके घर का वैभव बढ़ जाए, तब तू भय न खाना।
17 Car il n’emporte rien en mourant, Ses trésors ne descendent point après lui.
१७क्योंकि वह मरकर कुछ भी साथ न ले जाएगा; न उसका वैभव उसके साथ कब्र में जाएगा।
18 Il aura beau s’estimer heureux pendant sa vie, On aura beau te louer des jouissances que tu te donnes,
१८चाहे वह जीते जी अपने आपको धन्य कहता रहे। जब तू अपनी भलाई करता है, तब वे लोग तेरी प्रशंसा करते हैं
19 Tu iras néanmoins au séjour de tes pères, Qui jamais ne reverront la lumière.
१९तो भी वह अपने पुरखाओं के समाज में मिलाया जाएगा, जो कभी उजियाला न देखेंगे।
20 L’homme qui est en honneur, et qui n’a pas d’intelligence, Est semblable aux bêtes que l’on égorge.
२०मनुष्य चाहे प्रतिष्ठित भी हों परन्तु यदि वे समझ नहीं रखते तो वे पशुओं के समान हैं, जो मर मिटते हैं।

< Psaumes 49 >