< Nahum 3 >

1 Malheur à la ville sanguinaire, Pleine de mensonge, pleine de violence, Et qui ne cesse de se livrer à la rapine!…
हाय उस हत्यारी नगरी पर, वह तो छल और लूट के धन से भरी हुई है; लूट कम नहीं होती है।
2 On entend le bruit du fouet, Le bruit des roues, Le galop des chevaux, Le roulement des chars.
कोड़ों की फटकार और पहियों की घड़घड़ाहट हो रही है; घोड़े कूदते-फाँदते और रथ उछलते चलते हैं।
3 Les cavaliers s’élancent, l’épée étincelle, la lance brille… Une multitude de blessés!… une foule de cadavres!… Des morts à l’infini!… On tombe sur les morts!…
सवार चढ़ाई करते, तलवारें और भाले बिजली के समान चमकते हैं, मारे हुओं की बहुतायत और शवों का बड़ा ढेर है; मुर्दों की कुछ गिनती नहीं, लोग मुर्दों से ठोकर खा खाकर चलते हैं!
4 C’est à cause des nombreuses prostitutions de la prostituée, Pleine d’attraits, habile enchanteresse, Qui vendait les nations par ses prostitutions Et les peuples par ses enchantements.
यह सब उस अति सुन्दर वेश्या, और निपुण टोनहिन के छिनाले की बहुतायत के कारण हुआ, जो छिनाले के द्वारा जाति-जाति के लोगों को, और टोने के द्वारा कुल-कुल के लोगों को बेच डालती है।
5 Voici, j’en veux à toi, dit l’Éternel des armées, Je relèverai tes pans jusque sur ton visage, Je montrerai ta nudité aux nations, Et ta honte aux royaumes.
सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, देख, मैं तेरे विरुद्ध हूँ, और तेरे वस्त्र को उठाकर, तुझे जाति-जाति के सामने नंगी और राज्य-राज्य के सामने नीचा दिखाऊँगा।
6 Je jetterai sur toi des impuretés, je t’avilirai, Et je te donnerai en spectacle.
मैं तुझ पर घिनौनी वस्तुएँ फेंककर तुझे तुच्छ कर दूँगा, और सबसे तेरी हँसी कराऊँगा।
7 Tous ceux qui te verront fuiront loin de toi, Et l’on dira: Ninive est détruite! Qui la plaindra? Où te chercherai-je des consolateurs?
और जितने तुझे देखेंगे, सब तेरे पास से भागकर कहेंगे, नीनवे नाश हो गई; कौन उसके कारण विलाप करे? हम उसके लिये शान्ति देनेवाला कहाँ से ढूँढ़कर ले आएँ?
8 Es-tu meilleure que No-Amon, Qui était assise au milieu des fleuves, Entourée par les eaux, Ayant la mer pour rempart, La mer pour murailles?
क्या तू अमोन नगरी से बढ़कर है, जो नहरों के बीच बसी थी, और उसके चारों ओर जल था, और महानद उसके लिये किला और शहरपनाह का काम देता था?
9 L’Éthiopie et les Égyptiens innombrables faisaient sa force, Puth et les Libyens étaient ses auxiliaires.
कूश और मिस्री उसको अनगिनत बल देते थे, पूत और लूबी तेरे सहायक थे।
10 Et cependant elle est partie pour l’exil, elle s’en est allée captive; Ses enfants ont été écrasés au coin de toutes les rues; On a jeté le sort sur ses nobles, Et tous ses grands ont été chargés de chaînes.
१०तो भी लोग उसको बँधुवाई में ले गए, और उसके नन्हें बच्चे सड़कों के सिरे पर पटक दिए गए; और उसके प्रतिष्ठित पुरुषों के लिये उन्होंने चिट्ठी डाली, और उसके सब रईस बेड़ियों से जकड़े गए।
11 Toi aussi, tu seras enivrée, tu te cacheras; Toi aussi, tu chercheras un refuge contre l’ennemi.
११तू भी मतवाली होगी, तू घबरा जाएगी; तू भी शत्रु के डर के मारे शरण का स्थान ढूँढ़ेगी।
12 Toutes tes forteresses Sont des figuiers avec les primeurs; Quand on les secoue, Elles tombent dans la bouche de qui veut les manger.
१२तेरे सब गढ़ ऐसे अंजीर के वृक्षों के समान होंगे जिनमें पहले पक्के अंजीर लगे हों, यदि वे हिलाए जाएँ तो फल खानेवाले के मुँह में गिरेंगे।
13 Voici, ton peuple, ce sont des femmes au milieu de toi; Les portes de ton pays s’ouvrent à tes ennemis; Le feu consume tes verrous.
१३देख, तेरे लोग जो तेरे बीच में हैं, वे स्त्रियाँ बन गये हैं। तेरे देश में प्रवेश करने के मार्ग तेरे शत्रुओं के लिये बिलकुल खुले पड़े हैं; और रुकावट की छड़ें आग का कौर हो गई हैं।
14 Puise de l’eau pour le siège! Répare tes forteresses! Entre dans la boue, foule l’argile! Rétablis le four à briques!
१४घिर जाने के दिनों के लिये पानी भर ले, और गढ़ों को अधिक दृढ़ कर; कीचड़ में आकर गारा लताड़, और भट्ठे को सजा!
15 Là, le feu te dévorera, L’épée t’exterminera, Te dévorera comme des sauterelles. Entasse-toi comme les sauterelles! Entasse-toi comme les sauterelles!
१५वहाँ तू आग में भस्म होगी, और तलवार से तू नष्ट हो जाएगी। वह येलेक नाम टिड्डी के समान तुझे निगल जाएगी। यद्यपि तू अर्बे नामक टिड्डी के समान अनगिनत भी हो जाए!
16 Tes marchands, plus nombreux Que les étoiles du ciel, Sont comme la sauterelle qui ouvre les ailes et s’envole.
१६तेरे व्यापारी आकाश के तारागण से भी अधिक अनगिनत हुए। टिड्डी चट करके उड़ जाती है।
17 Tes princes sont comme les sauterelles, Tes chefs comme une multitude de sauterelles, Qui se posent sur les haies au temps de la froidure: Le soleil paraît, elles s’envolent, Et l’on ne connaît plus le lieu où elles étaient.
१७तेरे मुकुटधारी लोग टिड्डियों के समान, और तेरे सेनापति टिड्डियों के दलों सरीखे ठहरेंगे जो जाड़े के दिन में बाड़ों पर टिकते हैं, परन्तु जब सूर्य दिखाई देता है तब भाग जाते हैं; और कोई नहीं जानता कि वे कहाँ गए।
18 Tes bergers sommeillent, roi d’Assyrie, Tes vaillants hommes reposent; Ton peuple est dispersé sur les montagnes, Et nul ne le rassemble.
१८हे अश्शूर के राजा, तेरे ठहराए हुए चरवाहे ऊँघते हैं; तेरे शूरवीर भारी नींद में पड़ गए हैं। तेरी प्रजा पहाड़ों पर तितर-बितर हो गई है, और कोई उनको फिर इकट्ठा नहीं करता।
19 Il n’y a point de remède à ta blessure, Ta plaie est mortelle. Tous ceux qui entendront parler de toi Battront des mains sur toi; Car quel est celui que ta méchanceté n’a pas atteint?
१९तेरा घाव न भर सकेगा, तेरा रोग असाध्य है। जितने तेरा समाचार सुनेंगे, वे तेरे ऊपर ताली बजाएँगे। क्योंकि ऐसा कौन है जिस पर तेरी लगातार दुष्टता का प्रभाव न पड़ा हो?

< Nahum 3 >