< Psaumes 71 >

1 De David, un psaume chanté par les fils de Jonadab et les chefs lorsqu'ils étaient prisonniers. Seigneur, j'ai espéré en toi; que je ne sois pas confondu à jamais.
हे यहोवा, मैं तेरा शरणागत हूँ; मुझे लज्जित न होने दे।
2 Dans ta justice défends-moi, et délivre-moi; incline vers moi ton oreille, et sauve-moi.
तू तो धर्मी है, मुझे छुड़ा और मेरा उद्धार कर; मेरी ओर कान लगा, और मेरा उद्धार कर।
3 Sois pour moi un Dieu protecteur et une place fortifiée, afin de me sauver; car tu es mon appui et mon refuge.
मेरे लिये सनातन काल की चट्टान का धाम बन, जिसमें मैं नित्य जा सकूँ; तूने मेरे उद्धार की आज्ञा तो दी है, क्योंकि तू मेरी चट्टान और मेरा गढ़ ठहरा है।
4 Mon Dieu, tire-moi de la main du pécheur, de celle du pervers et du méchant.
हे मेरे परमेश्वर, दुष्ट के और कुटिल और क्रूर मनुष्य के हाथ से मेरी रक्षा कर।
5 Car tu es mon attente, Seigneur; Seigneur, tu es mon espérance dès ma jeunesse.
क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूँ; बचपन से मेरा आधार तू है।
6 A peine conçu, j'ai été confirmé en toi; dès le sein de ma mère, tu es mon abri; mes chants ne cessent de s'adresser à toi.
मैं गर्भ से निकलते ही, तेरे द्वारा सम्भाला गया; मुझे माँ की कोख से तू ही ने निकाला; इसलिए मैं नित्य तेरी स्तुति करता रहूँगा।
7 J'ai été comme un prodige pour un grand nombre; et toi, tu es ma force et mon appui.
मैं बहुतों के लिये चमत्कार बना हूँ; परन्तु तू मेरा दृढ़ शरणस्थान है।
8 Que ma bouche soit pleine de louanges, afin que je chante tout le jour ta gloire et ta grandeur.
मेरे मुँह से तेरे गुणानुवाद, और दिन भर तेरी शोभा का वर्णन बहुत हुआ करे।
9 Ne me fais point tomber au temps de la vieillesse; quand ma force sera défaillante, ne m'abandonne pas.
बुढ़ापे के समय मेरा त्याग न कर; जब मेरा बल घटे तब मुझ को छोड़ न दे।
10 Car mes ennemis ont parlé contre moi; ceux qui épient mon âme ont tenu conseil ensemble,
१०क्योंकि मेरे शत्रु मेरे विषय बातें करते हैं, और जो मेरे प्राण की ताक में हैं, वे आपस में यह सम्मति करते हैं कि
11 Disant: Dieu l'a délaissé, poursuivez-le, saisissez-le; car nul n'est là pour le défendre.
११परमेश्वर ने उसको छोड़ दिया है; उसका पीछा करके उसे पकड़ लो, क्योंकि उसका कोई छुड़ानेवाला नहीं।
12 Dieu, ne t'éloigne point de moi; mon Dieu, viens à mon aide!
१२हे परमेश्वर, मुझसे दूर न रह; हे मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
13 Qu'ils soient confondus et détruits, les calomniateurs de mon âme; qu'ils soient revêtus de honte et d'humiliation, ceux qui me veulent du mal.
१३जो मेरे प्राण के विरोधी हैं, वे लज्जित हो और उनका अन्त हो जाए; जो मेरी हानि के अभिलाषी हैं, वे नामधराई और अनादर में गड़ जाएँ।
14 Pour moi, j'espérerai toujours; je te louerai de plus en plus.
१४मैं तो निरन्तर आशा लगाए रहूँगा, और तेरी स्तुति अधिकाधिक करता जाऊँगा।
15 Ma bouche proclamera tout le jour ta justice et ton salut; car je ne connais pas les œuvres intellectuelles.
१५मैं अपने मुँह से तेरी धार्मिकता का, और तेरे किए हुए उद्धार का वर्णन दिन भर करता रहूँगा, क्योंकि उनका पूरा ब्योरा मेरी समझ से परे है।
16 Mais j'entrerai dans la contemplation de la puissance de Dieu; Seigneur, je me souviendrai seulement de ta justice.
१६मैं प्रभु यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन करता हुआ आऊँगा, मैं केवल तेरी ही धार्मिकता की चर्चा किया करूँगा।
17 Tu m'as instruit, Seigneur, dès ma jeunesse, et jusqu'ici j'ai annoncé tes merveilles.
१७हे परमेश्वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्यकर्मों का प्रचार करता आया हूँ।
18 Et je continuerai jusqu'à l'extrême vieillesse; ô Dieu, ne m'abandonne pas avant que j'aie annoncé, à toute la génération future, ton bras et ta puissance,
१८इसलिए हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ और मेरे बाल पक जाएँ, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आनेवाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होनेवालों को तेरा पराक्रम सुनाऊँ।
19 Et ta justice, ô mon Dieu, jusqu'au plus haut des cieux, et les grandes choses que tu as faites. O Dieu, qui donc est semblable à toi?
१९हे परमेश्वर, तेरी धार्मिकता अति महान है। तू जिसने महाकार्य किए हैं, हे परमेश्वर तेरे तुल्य कौन है?
20 Autant de fois tu m'as fait voir de nombreuses et cruelles afflictions, autant de fois tu es revenu à moi pour me vivifier; et tu m'as ramené des abîmes de la terre.
२०तूने तो हमको बहुत से कठिन कष्ट दिखाए हैं परन्तु अब तू फिर से हमको जिलाएगा; और पृथ्वी के गहरे गड्ढे में से उबार लेगा।
21 Tu as multiplié sur moi ta libéralité, et tu es revenu à moi, et tu m'as consolé, et tu m'as ramené des abîmes de la terre.
२१तू मेरे सम्मान को बढ़ाएगा, और फिरकर मुझे शान्ति देगा।
22 Et moi, sur mes instruments de musique, je confesserai, ô mon Dieu, ta vérité; je te chanterai des psaumes sur la cithare, ô Saint d'Israël!
२२हे मेरे परमेश्वर, मैं भी तेरी सच्चाई का धन्यवाद सारंगी बजाकर गाऊँगा; हे इस्राएल के पवित्र मैं वीणा बजाकर तेरा भजन गाऊँगा।
23 Mes lèvres se réjouiront quand je chanterai pour toi, et aussi mon âme que tu as affranchie.
२३जब मैं तेरा भजन गाऊँगा, तब अपने मुँह से और अपने प्राण से भी जो तूने बचा लिया है, जयजयकार करूँगा।
24 Ma langue, tout le jour, racontera ta justice, lorsque ceux qui me veulent du mal auront été humiliés et confondus.
२४और मैं तेरे धार्मिकता की चर्चा दिन भर करता रहूँगा; क्योंकि जो मेरी हानि के अभिलाषी थे, वे लज्जित और अपमानित हुए।

< Psaumes 71 >