< Psaumes 127 >
1 En Jérusalem. Si le Seigneur n'édifie la maison, ceux qui l'édifient travaillent en vain. Si le Seigneur ne garde la ville, celui qui la garde veille en vain.
आराधना के लिए यात्रियों का गीत. शलोमोन की रचना. यदि गृह-निर्माण याहवेह द्वारा न किया गया हो तो, श्रमिकों का परिश्रम निरर्थक होता है. यदि नगर की सुरक्षा याहवेह न करें, तो रखवाले द्वारा की गई चौकसी व्यर्थ होती है.
2 En vain vous vous levez dès l'aurore: Levez-vous après le repos, vous qui mangez le pain de la douleur, quand le Seigneur aura donné le sommeil à ses bien-aimés.
तुम्हारा सुबह जाग उठना देर तक जागे रहना, संकटपूर्ण श्रम का भोजन करना व्यर्थ है; क्योंकि याहवेह द्वारा नींद का अनुदान उनके लिए है, जिनसे वह प्रेम करते हैं.
3 Voilà l'héritage du Seigneur: des enfants, récompense du labeur des entrailles.
संतान याहवेह के दिए हुए निज भाग होते हैं, तथा बालक उनका दिया हुआ उपहार.
4 Telles sont des flèches dans la main des puissants; tels des fils pour ceux qui ont été ébranlés.
युवावस्था में उत्पन्न हुई संतान वैसी ही होती है, जैसे योद्धा के हाथों में बाण.
5 Heureux celui qui, par eux, remplira ses désirs: ils ne seront point confondus quand ils parleront à leurs ennemis aux portes de la ville.
कैसा धन्य होता है वह पुरुष, जिसका तरकश इन बाणों से भरा हुआ है! नगर द्वार पर शत्रुओं का प्रतिकार करते हुए उन्हें लज्जित नहीं होना पड़ेगा.